Sunday, 28 February 2021

आज जो पीछे मुड़ के देखा तो,कुछ यादें बुला रही थी ;अब तक के सफर की,सारी बातें बता रही थी;कितनी मुश्किल राहें थीं ,हम क्या,क्या कर गए ;एक सुकून की तलाश में,कहाँ ,कहाँ से गुजर गए ;कितने लोग मिले सफर में ,कितने बिछड़ गए ;जन्मों तक साथ निभाने वाले ,जाने वो किधर गए ।अलग ही ज़माना था वो ,अलग ही दौर था ;ज़िन्दगी जीने का ,मक़सद ही कुछ और था ।बचपन की नादानियां थीं ,ख्वाबों भरी जवानियां थीं ;घर की जिम्मेदारियां थीं ;काम धंधे की परेशानियां थीं ;हर उम्र के सपने अलग थे ,खुशियों का दृष्टिकोण अलग था ;गोल अलग था ,मोल अलग था ;आईने में खुद को देखकर ,सोचता रहता हूँ ,क्या खोया,क्या पाया ;अक्सर तौलता रहता हूँ ,कुछ चेहरे,कुछ बातेंकुछ भूली बिसरी यादेंढूंढ रही हैं मुझेक्या सही था,क्या गलत था ।पूछ रही हैं मुझसे ।उम्र के साथ - साथसोच बदलती रहती हैचाहत बदलती रहती हैखोज बदलती रहती हैअब इस मुकाम परएक ठहराव आ गया हैमंज़िल का तो पता नहींपर पड़ाव आ गया है ।बेचैन मन को राहत मिलने लगी है ,समझौता कर लिया तो,ज़िन्दगी मुकम्मल लगने लगी है ।ऐ ईश्वर तेरा शुक्रिया,तुझसे कोई शिकवा,गिला नहीं है ;यहां सब थोड़े अधूरे से है ,किसी को पूरा मिला नहीं है ।बहुत सारी कट गई,अब थोड़ी सी बची है ,किसी के होंठों पे मुस्कराऊँ ,जाने के बाद भी याद आऊँ ,बस यही ज़िन्दगी है ,बस यही ज़िन्दगी है ।~~~~