Monday, 8 February 2021

कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया । रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली । दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया । दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया। दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।मत करना गुरूर अपने आप पे ऐै इंसान . भगवान ने तेरे जैसे और मेरे जैसे न जाने कितनों को मिट्टी से बना के मिट्टी में मिला दिया।