Monday, 6 April 2020

*जो कहते थे मरने तक की फुर्सत नहीं है*,*वो आज मरने के डर से फुर्सत में बैठे हैं*..! *घर गुलज़ार, सूने शहर,* *बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,**आज फिर ज़िन्दगी महँगी* *और दौलत सस्ती हो गई ।**किसीके गुजर जाने के बाद शहर बंद होना बहुत बार देखा है**लेकिन कोई गुजरे नही इसलिये शहरों को बंद होते पहली बार देखा हैं।।। #covid 19 2020 .lockdown