Wednesday, 9 December 2020

सिखों से सीखोकोई बस नहीं जली , ना उठा कहीं धुआं है, ऐसा लगा ही नहीं, कि आंदोलन हुआ है ।किसी की दुकान नहीं टूटी , नुकसान भी किसी को नहीं हुआ है, सर पर सवार खून नहीं है, मां बेटीयों को किसी ने नहीं छुआ है।लोग सड़कों पर तो पहले भी देखे हैं, पर ऐसा मंज़र कभी न हुआ है, यूं ही मिसाल नहीं देते लोग इनकी, यूंही नहीं वो गुरु का सिख हुआ है,जहां माएँ बना रही लंगर , भाई कर रहे दुआ हैं, ऐसा लगा ही नहीं, कि आंदोलन हुआ है ।