Saturday, 5 December 2020

Heat touching wordings ❤❤पंक्तियाँ जो दिल को छू गई ♥️♥️*पीठ में बहुत दर्द था*डाॅक्टर ने कहाअब और मत झुकना अब और अधिक झुकने कीगुंजाइश नहीं रहीझुकते-झुकते तुम्हारी रीढ़ की हड्डी में गैप आ गया है सुनते ही हँसी और रोना एक साथ आ गया...ज़िंदगी में पहली बार किसी के मुँह से सुन रही थीये शब्द "मत झुकना..."बचपन से तो घर के बड़े, बूढ़ों माता-पिताऔर समाज सेयही सुनती आई है,"झुकी रहना..."नारी के झुके रहने से हीबनी रहती है गृहस्थी...नारी के झुके रहने से हीबने रहते हैं संबंधनारी के झुके रहने से हीबना रहता हैप्रेम...प्यार...घर...परिवारझुकती गई,झुकते रही,झुकी रही,भूल ही गई...उसकी कहीं कोई रीढ़ भी है...और ये आज कोई कह रहा है"झुकना मत..."परेशान-सी सोच रही हैकि क्या सच में लगातार झुकने से रीढ़ की हड्डी अपनी जगह सेखिसक जाती है ?और उनमें कहीं गैप,कहीं ख़ालीपन आ जाता है ?सोच रही है...बचपन से आज तकक्या क्या खिसक गयाउसके जीवन सेकहाँ कहाँ ख़ालीपन आ गयाउसके अस्तित्व में कहाँ कहाँ गैप आ गयाउसके अंतरतम में बिना उसके जाने समझे...उसका अल्हड़पनउसके सपनेकहाँ खिसक गयेउसका मनउसकी चाहतकितने ख़ाली हो गयेउसकी इच्छा, अनिच्छा में कितना गैप आ चुकाक्या वास्तव में नारी कीरीढ़ की हड्डी भीहोती है समझ नहीं आ रहा...🙏🙏🙏🙏