चिंता ने चिता से मुस्कुराते हुये कहा,तू मुरदों को जलाती है मैं जिंदों को जलाती हूँ। तू एक ही बार जलाती है मैं हर रोज जलाती हूँ। तू विदा कर देती है मैं जकड़ लेती हूँ। तू मृत्यु से जुड़ी है मैं जिंदगी से जुड़ी हूँ। तू अंतिम सत्य है मैं प्रथम सत्य हूँ ।