एक सुबह होगीजब लोगो के कंधो पर ऑक्सिजन सिलेंडर नही दफ्तर का बैग होगागली में एंबुलेंस नही स्कूल की वैन होगीऔर भीड़ दवा खानो पे नही चाय की दुकानो पर होगी।एक सुबह होगीजब पेपर के साथ पापा को काढ़ा नही चाय मिलेगी,दादा जी बाहर निकल के बेखौफ पार्क में गोते लगाएंगे,और दादी टेरेस पर नही मंदिर में जल चढ़ा के आयेंगी।एक सुबह होगीजब हाथो में कैरम और लूडो नही बैट और बाल होगा,मैदानो में सन्नाटे नही शोर का भार होगा,और शहरो की सारी पाबंदी हटेगी और फिर से त्योहार होगा।एक सुबह होगीजब जी भर के सबको गले लगाएंगे,कड़वी यादों को दफन कर फिर से मुस्कुराएंगे,और दुनिया को कह देंगे नज़र झुका लो हम वापस आए है। 🙏🙏