Sunday, 16 May 2021

बहुत ही सटीक विश्लेषण मित्रों जरूर पढ़ें ❤️🙏❤️नदी से - पानी नहीं , रेत चाहिएपहाड़ से - औषधि नहीं , पत्थर चाहिएपेड़ से - छाया नहीं , लकड़ी चाहिएखेत से - अन्न नहीं , नकद फसल चाहिएउलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़रेत से पक्की सड़क , पत्थर से मकान बनाकर लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर,अब भटक रहे हैं.....!!सूखे कुओं में झाँकते, रीती नदियाँ ताकते, झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में,बिना छाया के ही हो जाती सुबह से शाम....!!!और गली-गली ढूंढ़ रहे हैं आक्सीजनफिर भी सब बर्तन खाली l सोने के अंडे के लालच में , मानव ने मुर्गी मार डाली !!!,*विचार अवश्य कीजिए।❤️ पारस गुर्जर ❤️