Sunday 24 April 2022

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* बिस्तरों पर अब सलवटें नहीं पड़ती ना ही इधर उधर छितराए हुए कपड़े हैंरिमोट के लिए भी अब झगड़ा नहीं होता ना ही खाने की नई नई फ़रमायशें हैं*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* सुबह अख़बार के लिए भी नहीं होती मारा मारीघर बहुत बड़ा और सुंदर दिखता है पर हर कमरा बेजान सा लगता है अब तो वक़्त काटे भी नहीं कटता बचपन की यादें कुछ दीवार पर फ़ोटो में सिमट गयी हैं *मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* अब मेरे गले से कोई नहीं लटकता ना ही घोड़ा बनने की ज़िद होती हैखाना खिलाने को अब चिड़िया नहीं उड़ती खाना खिलाने के बाद की तसल्ली भी अब नहीं मिलती ना ही रोज की बहसों और तर्कों का संसार हैना अब झगड़ों को निपटाने का मजा है ना ही बात बेबात गालों पर मिलता दुलार है बजट की खींच तान भी अब नहीं है *मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*पलक झपकते ही जीवन का स्वर्ण काल निकल गया पता ही नहीं चला इतना ख़ूबसूरत अहसास कब पिघल गया तोतली सी आवाज़ में हर पल उत्साह था पल में हँसना पल में रो देना बेसाख़्ता गालों पर उमड़ता प्यार था कंधे पर थपकी और गोद में सो जाना सीने पर लिटाकर वो लोरी सुनाना बार बार उठ कर रज़ाई को उड़ाना अब तो बिस्तर बहुत बड़ा हो गया है *मेरे बच्चों का प्यारा बचपन कहीं खो गया है*अब कोई जुराबे इधर उधर नहीं फेंकता है..अब fridge भी घर की तरह खाली रहता हैबाथरूम भी सूखा रहता हैKitchen हर दम सिमटा रहता हैअब हर घंटी पर लगता है कि श्‍ाायद कोई surprise हैऔर बच्चो की कोई नयी फरमायश हैअब तो रोज सुबह शाम मेरी सेहत फोन पर पूछते हैं मुझे अब आराम की हिदायत देते हैं पहले हम उनके झगड़े निपटाते थे आज वे हमें समझाते हैं लगता है अब शायद हम बच्चे हो गए हैं *मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*