Wednesday, 30 June 2021

मन और मकान कोसमय-समय पर साफ करना बहुत जरूरी है क्योंकि.मकान में बेमतलब सामान और मन में बेमतलब गलतफहमियां भर जाती हैं.

जो मिला ही नहीं, उसे खोने से डर रहे हैं।जो सामने था, उसे खो दिया हमने!

Smile, because life is beautiful 😍😍😍When we start the day with a smile, our stress is reduced, our mood is good, and it makes us more attractive, helping us to stay young and positive. There are so many reasons to smile, and the benefits are amazing. Here are some of the reasons we should smile every day: Smiling slows the heart and relaxes the body, and people who smile and laugh often are less likely to develop heart disease. Smiling also reduces stress because when we smile the body releases endorphins that reduce stress hormones, and stress not only removes our happiness, it eventually gives some serious health problems. The endorphins (happy hormones) released when we smile not only help relieve stress, they improve our mood and lift our spirit. If we are feeling down, all we have to do is stop thinking, and look up and smile, and something this simple can change our day. The endorphins released from smiling and laughing also reduce pain, so if we have pain not only will we feel happier, but our pain will also decrease. People who smile appear more confident and tend to have more success in life because someone who smiles is seen as more approachable and friendly. Smiling means we are more relaxed and happier, the immune system is boosted, stress is reduced, our health increases, and we even live longer.A beautiful smile is the language of kindness. It not only warms the hearts of others, a smile is the most beautiful and sexiest curve of our body.If we start the day with a frown and start focusing on the one thing that upsets us, then our day is wasted. Life can be full of joy and laughter, or it can be full of regret and negativity, the choice is ours. So, let’s begin the day with a beautiful smile, feeling blessed and happy, because life is not always perfect, but it is always beautiful 😃😊😁😍

Saturday, 26 June 2021

आज का काम आज करो, शीघ्र करो, स्वयं करो, सुंदर करो और संपूर्ण करो। कोई भी काम अधूरा मत रखो क्योंकि बीते हुए समय को कोई भी शक्ति वापस नहीं ला सकती। जिस व्यक्ति ने “समय का महत्व " सीख लिया, उसने अपना जीवन सफल बना लियासमय को बहुमूल्य कहा गया है ..

प्रेम हर रूप में सुंदर है शर्त है उसमें कहीं छल की परछाईं न हो

बाबा फरीद ने पंजाबी में क्या खूब कहा है* -वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, *(कबर)*मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; *(लाश)*मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, *(इंसान)*अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे *(जिस्म)*ना कर बन्दया मेरी मेरी, *(पैसा)*ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; *(खाली जाना)*चार दिना दा मेला दुनिया, *(उम्र)*फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; *(मौत)*ना कर एत्थे हेरा फेरी, *(पैसे कारन झुठ, धोखे)*मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, *(लोका नाल फरेब)*तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; *(इंसान)*जात पात दी गल ना कर तू,जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, *(पाखंड)**जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,*          *बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी*।

कुछ तो लोग कहेंगे *लोगों का काम है कहना* अगर कोई व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है तो लोग कहते है कि पैसों के लिए मरा जा रहा है ।और मेहनत ना करे तो निखट्टू है, पैसा खर्च करो तो उसे फिजूलखर्ची व दिखावा कहा जाता है। और पैसा खर्च ना करे तो उसे कंजूस व मक्खीचूस कहा जाता है, अगर आपके पास पैसा बहुत है तो कहेंगे कि दो नम्बर का होगा ।और अगर पैसा कम है तो कहेंगे कि थोड़ी सूझबूझ होती तो यह हाल नहीं होता, और जिंदगी भर मेहनत से जमा किये गये पैसों के बारे मेंकहा जाता है कि बेवकूफ़ है पैसे का सुख नहीं भोगा तो कमाया ही क्यों था..।

Thursday, 24 June 2021

_*Intelligent Answers😜😜*__*Wife😡*, "Tell me who is STUPID ? You or Me?"__*Husband (Calmly)*, "Everyone knows that, you are so intelligent, you will never marry a STUPID person."_😄😄 😝😜😃😄😳😳😷😷_*What a decent way to Reply!*_😝😜🤪😲😃---------------------------------_*Wife to her Accountant Husband*_: 😲_What is Inflation?__*Husband*: Earlier you were 36-24-36._ _But now you are48-40-48._ _Though you have everything bigger than before, your value has become less than before._ _This is INFLATION .😜_-----------------------------------_*Economics is not that difficult if we have the right examples.*🤪__*Interviewer*: What is Recession?_ _*Candidate*: When "Wine & Women" get replaced by "Water & Wife", that critical phase of life is called Recession!!😜_------------------------------------_*Accountancy Fact:*😲😜🤪__What is the difference between Liability & Asset?😝__A drunken Friend is a liability.__But,__A drunken Girlfriend is an Asset._😜😜😜😜😜------------------------------------_*An Economist beautifully explained two reasons for having 2 Wives.😝😜*__A- Monopoly should be broken.__B- Competition improves the quality of service.__If u have 1 wife, She fights with u!__If u have 2 wives, They will fight for you!!🤣🤣🤣_------------------------------------_*😜👻😝😲Wonders before and after Marriage.👇🏽👻😝👻😲*_ _When you are in love,__Wonders happen.__But once you get married,__You wonder, what happened.🤣🤣🤣🤣_-------------------------------------_*😜👻😲😝Philosophy of Marriage*_ :_At the beginning, every wife treats her husband as GOD..__Later, somehow don't know why..__alphabets get reversed..😂😂😂😂_--------------------------------------_*👻😜👻😜👻Secret formula for Married Couples...*__"Love One Another"_ _And if it doesn't work, bring the last word in the middle.!!!!🤣🤣🤣🤣

उम्र कोदराज में रख देंउम्रदराज न बनें।खो जाएं जिन्दगी में,मौत का इन्तजार न करें।जिनको आना है आए,जिसको जाना है जाए,पर हमें जीना है,हैं, ये न भूल जाएं।जिनसे मिलता है प्यार,उनसे ही मिलें बार बार,कभी बचपन को जीएंतो कभी जवानी को,पर न छोड़ें बुढापे में भी सपने संजोने को।महफिलों का शौक रखें,दोस्तों से प्यार करें, जो रिश्ते हमें समझ सकेंउन रिश्तों की कद्र करें।बंधें नहीं किसी से भी,ना किसी को बँधने परमजबूर करें।दिल से जोड़ेंहर रिश्ता, और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।हँसना अच्छा होता है,पर अपनों के लिये रोया भी करें।याद आएं कभी अपने तो आँखें अपनी नम भी करें,ध्यान रखें कि जिन्दगी चार दिन की है,तो फिर शिकवे शिकायतेंकम ही करें ...*उम्र को* दराज में रख देंउम्रदराज न बनें।

Sunday, 20 June 2021

🙏 शिक्षा 🙏*एक पति ने अपने गुस्सैल पत्नी से। तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा ,"तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर बाड़े में ठोंक देना !"*🎯पत्नी को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील बाड़े की दीवार पर ठोंक दी। यह प्रक्रिया वह लगातार करती रही।🤦🏻‍♂धीरे धीरे उसकी समझ में आने लगा कि कील ठोंकने की व्यर्थ मेहनत करने से अच्छा तो अपने क्रोध पर नियंत्रण करना है और क्रमशः कील ठोंकने की उसकी संख्या कम होती गई।🙋🏻‍♂एक दिन ऐसा भी आया कि पत्नी ने दिन में एक भी कील नहीं ठोंकी।🤷🏻‍♂उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई। वे बहुत प्रसन्न हुए और कहा, "जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एक बार भी क्रोधित नहीं हुई, ठोंकी हुई कीलों में से एक कील निकाल लेना।"👱‍♀️पत्नी ऐसा ही करने लगी। एक दिन ऐसा भी आया कि बाड़े में एक भी कील नहीं बची। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई।*पति उस पत्नी को बाड़े* *में लेकर गए और कीलों के छेद* *दिखाते हुए पूछा, "क्या तुम ये छेद भर सकती हो?"*🌿पत्नी ने कहा,"नहीं जी"🌿पति ने उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा,"अब समझी, क्रोध में तुम्हारे द्वारा कहे गए कठोर शब्द, दूसरे के दिल में ऐसे छेद कर देते हैं, जिनकी भरपाई भविष्य में तुम कभी नहीं कर सकते !" *सन्देश : जब भी आपको क्रोध आये तो सोचिएगा कि कहीं आप भी किसी के दिल में कील ठोंकने तो नहीं जा रहे ?*🌹

शादी के तीसरे दिन ही, बीएड का इम्तेहान देने जाना था उसे। रात भर ठीक से सो भी नहीं पायी थी। किताब के पन्नों को पलटते हुए कब सुबह हुई पता भी नहीं चला। हल्का उजाला हुआ तो रितु जगाने के लिए आ गयी। बहुत मेहमान थे, तो सबके जागने से पहले ही दुल्हन नहा ले। नहीं तो फिर आंगन में भीड़ बढ़ जाएगी। सबके सामने गीले बाल, सिर पर पल्लू लिए बिना थोड़े निकलेगी। नहा कर अपने कमरे में बैठ कर फिर किताब में खो गयी। मुँह-दिखाई के लिए दो-चार औरतें आयी थी। सब मुँह देख कर हाथों में मुड़े-तुड़े कुछ पचास के नोट और सिक्के दे कर वहीं पर बैठ गयीं ।घड़ी में देखा तो साढ़े आठ बज़ रहे थे।नौ बजे निकलना था। तैयार होने के लिए आईने के सामने साड़ी ले कर खड़ी हो गयी। चार-पाँच बार बांधने की कोशिश की मगर ऊपर-नीचे होते हुए वो बंध न पायी। साड़ी पकड़ कर रुआंसी सी हो कर बैठ गयी। "जीजी को बोला था शादी नहीं करो मेरी अभी। इम्तेहान दे देने दो। मेरा साल बर्बाद हो जायेगा मगर मेरी एक न सुनी। नौकरी वाला दूल्हा मिला नहीं की बोझ समझ कर मुझे भेज दिया।" आंसू पोछतें हुए बुदबुदा रही थी।"तैयार नहीं हुई। बाहर गाड़ी आ गयी है। जल्दी करो न।" दूल्हे साहब कमरे में आते हुए बोले। वो चुप-चाप बिना कुछ बोले साड़ी लपेटने लगी। इतने में पीछे से सासु माँ कमरे में कुछ लेने आयी। दुल्हन को यूँ साड़ी लिए खड़ी देख कर माज़रा समझ में आ गया।वो कमरे से बाहर आ कर रितु को आवाज़ लगा कर कुछ लाने को बोली।"सुनो बेटा ये पहन कर जाओ परीक्षा देने,माथे पर ओढनी रख लेना आज हमें कोई कुछ बोलेगा तो कल को तुम मास्टरनी बन जाओगी तो सबका मुह बन्द हो जाएगा ।" अपनी बेटी वाला सूट-सलवार बहु को देते हुए बोली। उसने भीगी नज़रों से सास को देखा।सासु माँ सिर पर हाथ फेरते हुए कमरे से निकल गई,,!!

पिता एक उम्मीद हैपिता एक आस हैपरिवार की हिम्मत और विश्वास हैबाहर से सख्त अंदर से नर्म हैउसके दिल में दफन कई मर्म हैंपिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार हैपरेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार हैबचपन में खुश करने वाला खिलौना हैनींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना हैपिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी हैसबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी हैसपनों को पूरा करने में लगने वाली जान हैइसी से तो माँ और बच्चों की पहचान हैइस ग्रुप के आदरणीय बंधुओं जो मेरे पिता व भाई समान है उन सब को अंतरराष्ट्रीय पिता दिवस की मङ्गलमय शुभकामनाएं 🙏🏻💐

Friday, 18 June 2021

बहुत शौक था मुझे सबकोखुश रखने का.. होश तब आया जब खुद को ज़रूरत केवक़्त अकेला पाया..

पूरा पढ़ना और जवाब देना*यदि पत्नी किसी अन्य पुरूष से पुत्र प्राप्त कर ले, तो उस पर किसका अधिकार रहेगा..?*एक गाँव था, उसमें एक गरीब आदमी रहता था। उसकी शादी हो गई, दोनो आराम से रहने लगे।कुछ दिनों बाद वह आदमी अपनी पत्नी से बोला- मै अब बाहर व्यापार करने जा रहा हूँ, आज ही के दिन एक बरस बाद लौट आऊँगा। ऐसा कह कर पति चला गया।पति वहाँ व्यापार में व्यस्त हो गया और पत्नी यहाँ अकेली थी। पत्नी रोज सुबह नहा धोकर पैदल ही सब्जी खरीदने जाती थी।उसी बाजार में एक धनवान पुरूष भी रोज कार से सब्जी खरीदने आता था, वह रोज इस महिला को आते हुए देखता था। एक दिन वह पुरूष उस महिला से बोला- आओ मै आपको घर तक छोड़ दूँगा।नही..! मै चली जाऊँगी।डरो मत..!! मेरा घर भी उसकी अगली गली में है, मै आपको सकुशल पहुँचा दूँगा।अब वह स्त्री कार में बैठ गई, वह पुरूष शांति, विनम्रता और शालीनता के साथ उस स्त्री को उसके घर के सामने उतार कर चला गया।अब यह रोज का क्रम बन गया।एक दिन वह पुरूष उस स्त्री से स्नेह तथा आदर से बोला- आओ चाय पीकर चली जाना। स्त्री ने उसका आग्रह स्वीकार कर लिया तथा चाय पीकर चली गई।सिलसिला आगे बढ़ा, भोजन भी होने लगा। उन दोनो के मध्य प्रेम उत्पन्न हो गया और परिणाम हुआ- एक सुन्दर पुत्र।अब वह स्त्री अपने पुत्र को उस पुरूष के घर ही रखती व नित्य एक बार जाकर उसे लाड़ प्यार से दूध पिला कर लौट आती।एक बरस पूरा हो गया, पति के लौट आने की तारीख़ आ गई। पति आ गया। अब पत्नी का ध्यान पुत्र में होने के कारण वह पति की बातों पर ध्यान न दे पा रही थी। उसे अशांत व खिन्न देखकर पति ने उससे पूछा- सच सच बता क्या हुआ..?तब पत्नी से सब बात कह दी, और पुत्र की याद आना बताया।पति बोला- अपना ही पुत्र है, जा ले आ।पत्नी गई और जाकर उस पुरूष से बोली कि मेरे पति आ गये हैं, और मै अपना पुत्र लेने आई हूँ।वह पुरूष बोला- पुत्र नही दूँगा, वह मेरा है।अब स्त्री और उसका पति दोनों पुत्र माँग रहें हैं, तथा वह पुरूष पुत्र को अपने पास रखना चाहता है। मामला न्यायालय में गया। न्यायाधीश के समक्ष सबने अपने तर्क़ सुनाए।(1) पति ने कहा- *जब मेरी शादी हुई तो मेरे पास 5 एकड़ जमीन थी। मै व्यापार करने परदेश गया तथा पत्नी से यह कहकर गया कि जब बोवनी का समय आएगा तब मै आ जाऊँगा। परन्तु यदि किसी कारण न आ पाऊँ तो तू किसी से खेत बुआ लेना। बरसात शुरू हो गई और मैं न आ पाया, तो मेरी पत्नी ने मेरा खेत दूसरे से बुआ लिया। अब बोने वाला व्यक्ति कह रहा है कि फसल मेरी है। तो फसल तो खेत मालिक की ही रहेगी। बुआई करने वाला व्यक्ति चाहे तो मजदूरी ले ले। परन्तु फसल पर अधिकार तो खेत मालिक का ही रहेगा।*(2) उस पुरूष ने कहा- *मैं एक रोज सैर करने गया, सड़क पर मुझे एक खाली डिब्बी पड़ी मिली। मैने इधर उधर देखा, मुझे कोई डिब्बी का मालिक दिखाई नहीं दिया। डिब्बी सुन्दर थी। मैंने डिब्बी उठा ली तथा अपनी जेब से एक हीरा निकाल कर डिब्बी मे रख दिया। दूसरे दिन मुझे एक आदमी मिला, वह कहने लगा यह डिब्बी तो मेरी है। मैने डिब्बी मे से हीरा निकाल कर अपने पास रख लिया और डिब्बी उसके मालिक को लौटा दी। अब वह आदमी कहता है कि हीरा भी मुझे दो। हीरा तो मैने रखा था तो हीरा तो मै ही रखूँगा। उसकी डिब्बी मैं वापस देने को तैयार हूँ, पर हीरे का मालिक तो मै ही हूँ।*(3) पत्नी ने कहा- *जब मेरी शादी हुई तो मेरे पिता ने एक भैंस दी थी, भैंस दूध देती थी। एक दिन मेरे पास जामन नही था।*( दूध को जमाकर, दही बनाकर घी निकालने के लिए दूध में थोड़ा सा दही डालना पडता है, उसे जामन कहते हैं।)*मैंने एक पड़ोसी से माँगकर जामन ले लिया, तथा दूध जमा लिया। फिर मैने उस दही की देखभाल की तथा मथ कर घी निकाला। अब वह जामन देने वाला कह रहा है कि घी मेरा है। घी तो उस का ही रहेगा, जिसका दूध था। जरा सा जामन दे देने से घी उसका कैसे हो सकता है..? वह चाहे तो जामन के पैसे ले ले।* aakrati. inतीनों के अपने अपने किस्से व तर्क थे, तीनों की बात सुनकर न्यायाधीश महोदय ने सन्यास ले लिया।🚼अब पुत्र किसे मिलना चाहिये..?चिंतन करो आपका *है क्या जवाब किसी के पास..??

Wednesday, 16 June 2021

ਪੈਰ ਪਿਛਾਂਹੀਂ ਧਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਅਣਖ਼ੀ ਬੰਦਾ ਡਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ ਸਰਦਾ ਕਿੱਥੇ,ਤਪਿਆ ਸੀਨਾ ਠਰਦਾ ਕਿੱਥੇ‌।ਲੋਕ ਕਹਿਣ ਤੂੰ ਭੁੱਲ ਗਿਓਂ, ਪਰ,ਮੰਨਣ ਨੂੰ ਦਿਲ ਕਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਤੁਰਿਆ ਹੁੰਦਾ ਨਾਲ਼ ਭਰਾਵਾਂ,ਫ਼ਿਰ ਮਿਰਜ਼ਾ ਸੀ ਮਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਜਦ ਤੀਕਰ ਨਾ ਮੰਨੇ ਹਾਰਾਂ,ਸੱਚੀਂ ਬੰਦਾ ਹਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਲੱਖ ਬਚਾ ਕੇ ਵੇਖ਼ ਲਵੀਂ ਤੂੰ,ਡੁੱਬਣ ਵਾਲਾ ਤਰਦਾ ਕਿੱਥੇ।ਪੈਰ ਪਏ ਕਬਰਾਂ ਦੇ ਰਾਹੇ,ਰਸਤਾ ਮਿਲਿਆ ਘਰ ਦਾ ਕਿੱਥੇ.ਹੋਵੇ ਨਾ ਮਜਬੂਰ ਤਰਨ ਜੇ,ਫ਼ਿਰ ਬੰਦਾ ਕੁਝ ਜਰਦਾ ਕਿੱਥੇ। taranjeet singh

हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है.. अफ़वाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती हैं..

कभी-कभी शिकायत करने से अच्छा खामोश रहना होता है। क्योंकि जब फर्क ही नहीं पड़ता तो शिकायत कैसी..?

संगत का फर्क पानी की एक बूंद गरम तवे पर पड़ती है , तो मिट जाती है। कमल के पत्ते पर गिरती है तो मोती की तरह चमकने लगती है। सीप में आती है तो खुद मोती बन जाती है ।पानी की बूंद तो वही है फर्क तो बस संगत का है ।

संगत का फर्क पानी की एक बूंद गरम तवे पर पड़ती है , तो मिट जाती है। कमल के पत्ते पर गिरती है तो मोती की तरह चमकने लगती है। सीप में आती है तो खुद मोती बन जाती है ।पानी की बूंद तो वही है फर्क तो बस संगत का है ।

मैंने सबसे ज्यादा धोखा अपनी अच्छाई से खाया है, सामने वाले को वैसा ही मान लिया जैसा दिखा, लेकिन बाद में पता चला कि यहां लोग रावण से भी ज्यादा चेहरे लिएफिरते हैं !

Friday, 11 June 2021

ਇੱਕ ਵਾਰ ਬਚਪਨ ਵਿੱਚ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਰਾਤ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਟੀ ਖਾ ਰਹੇ ਸਨ , ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਮਾਂ ਨੇ ਖਾਣ ਲਈ ਸਬਜ਼ੀ ਰੱਖੀ, ਪਰ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਉਦੋਂ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਗਏ ਜਦੋਂ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਪਲੇਟ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੜੀ ਹੋਈ ਰੋਟੀ ਰੱਖੀ ਪਈ ਸੀ, ਤੇ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਵੱਲ ਦੇਖਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਉਹ ਸੜੀ ਹੋਈ ਰੋਟੀ ਆਰਾਮ ਨਾਲ ਖਾ ਰਹੇ ਸੀ,ਐਨੇ ਵਿੱਚ ਅਬਦੁਲ ਕਾਲਾਮ ਦੀ ਮਾਂ ਸੜੀ ਹੋਈ ਰੋਟੀ ਲਈ ਮਾਫੀ ਮੰਗਣ ਲੱਗਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਦੇ ਪਿਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਤਾਂ ਜਲੀ ਹੋਈ ਰੋਟੀ ਬਹੁਤ ਸਵਾਦ ਲੱਗੀ , ਫਿਰ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਦੇ ਪਿਤਾ ਅਬਦੁਲ ਕਲਾਮ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਤੁਹਾਡੀ ਮਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਘਰ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ , ਬਹੁਤ ਥੱਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਫਿਰ ਵੀ ਸਾਡੇ ਲਈ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ , ਜਲੀ ਹੋਈ ਰੋਟੀ ਸਾਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਨਹੀਂ ਪਹੁਚਾਏਗੀ , ਪਰ ਤਿੱਖੇ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸੇ ਦੇ ਦਿਲ ਨੂੰ ਠੇਸ ਪਹੁੰਚਾ ਸਕਦੇ ਹਨ , ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਔਖੇ ਹਾਲਾਤ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਓਨਾ ਦੁੱਖ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਜਿੰਨੇ ਕਿ ਇਨਸਾਨ ਦੇ ਮਾੜੇ ਬੋਲ | ਪਿਤਾ ਵੱਲੋਂ ਮਿਲੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਚੰਗੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਲੈ ਕੇ ਇੱਕ ਗਰੀਬ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਬੱਚਾ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਤੇ ਮਿਜ਼ਾਇਲ ਮੈਨ ਬਣਿਆ |......

छोड़कर एसी और कूलर, पीपल की छांव चलते हैं, शहर से जी भर गया, चलो अब गांव चलते हैं !!

पूरी दुनिया जीत सकते हैं अच्छे संस्कार से...और जीता हुआ भी हार सकते हैं अहंकार से !!

जिस व्यक्ति में अहंकार होता है , वो न अच्छा प्रेमी होता है , न अच्छाजीवनसाथी होता है , और न ही अच्छा मित्र होता है..।

प्रशंसा सेपिघलना मत और आलोचना से उबलना मत..

Thursday, 10 June 2021

🌹ॐ श्री साईंनाथाय नम:🌹🌹ॐ श्री साँईं शुभ प्रभात जी🌹:नजरो के एक इशारे से,शिर्डी में झोली भर दी जाती है.नहीं जरूरत है कहने की,शिर्डी में सूरत ही पढ़ ली जाती है...ठिकाना मिलता है शिर्डी में,हर एक आने वाले को...साईं भी देते हैं आदर,हर एक बुलाने वाले को...!!🌹"सबका मालिक एक"🌹🌹 ॐ श्री साँईं राम जी🌹

"बेटा.....भाभी.... भाभी....बाइक खडी करते हुए मोहन दरवाजे पर खडे होकर बोला...आई भैया....... सुमित्रा दरवाजे की ओर बढते हुए बोली...आ गए आप मोहन भैया ....आप मुंह हाथ धो लीजिए मे खाना लगाती हूं ......तकरीबन दो ढाई बजे प्रतिदिन की तरह दोपहर में खाना खाने फैक्ट्री से मोहन आया था ....मां बाबूजी ....कहा है भाभी....वो बुआजी आई थी परिवार सहित ...बस अभी थोड़ी देर पहले ही गई है मां बाबूजी अपने कमरे में आराम करने गए है आप बैठिए मे खाना लगाती हूं कहकर सुमित्रा रसोईघर में चली गई ....रसोई में मोहन की थाली सजाते सुमित्रा ने जैसे ही कडाही से प्लेट हटाई बमुश्किल उसमें एक कटोरी कटहल की सब्जी बची थी .....कितना पसंद है मोहन भैया को कटहल ....बडे चाव से खाते हैं कल कितने अरमानों के साथ लाए थे ...भाभी आपके हाथों से बना कटहल ....वाह....अलग ही स्वादिष्ट बनाती हो आप ....दोपहर शाम दोनों वक्त खुशी से खा लेते है मगर ....बुआजी परिवार सहित आई थी अतिथि भगवान रूप में आते हैं उन्हें भी कटहल बेहद स्वाद लगा और ....अब केवल कडाही मे एक कटोरी मात्र बचा है ...खैर मां बाबूजी सभी ने खा लिया मे और मोहन भैया ही खाना खाने से बचे है ....एक काम करती हूं उन्हें ये कटोरी भरकर दे देती हूं मे उनके फैक्ट्री वापस जाने के बाद चाय के साथ रोटियों पर नमक लगाकर खा लूंगी ...तभी ऊहह....ऊहहहह.....अरे लगता है मुन्ना उठ गया ....ऐसे ही सो गया था जरूर भूख लगी होगी ....प्लेट हाथों में लिए सुमित्रा बाहर की ओर आई....मोहन भैया आप खाइए ...और रोटियां डिब्बे में है पानी ले लेना मुन्ना भूखा है मे उसे दूध पिलाकर आती हूं ....जी भाभी....मोहन बोला....थोड़ी देर में मोहन ने आवाज लगाई ....भाभी मैने खा लिया मे जा रहा हूं दरवाजा बंद कर लीजिएठीक है भैया ...सुमित्रा बोली और बाहर आकर दरवाजा बंद करके रसोईघर में बर्तनों को समेटने चली गई जैसे ही उसने कडाही उठाई तो देखा उसमें कटहल की सब्जी लगभग उतनी ही पडी थी जितनी उसने मोहन को कटोरी में डालकर दी थी इससे पहले वो कुछ समझती उसकी नजर रोटियों के डिब्बे के ऊपर गई जिसपर एक कागज पडा था कुछ लिखा हुआ सा....ये कया है .....सुमित्रा ने कागज उठाते हुए कहा....भाभी.....जानती हो मां के बाद भाभी को मां कयो कहा जाता है कयोंकि वो आपकी तरह ममतामयी होती हैं उसमें मातृत्व होता है जानता हूं बुआजी परिवार सहित आई होगी तो सब्जी भी उसीप्रकार से लग गई होगी और आखिर में आप और मे ही बचते हैं खाने के लिए ....आखिरी बची कटहल की कटोरी आपने अपने इस बेटे के लिए रख दी ताकि वह सुकून से भरपेट खा ले ....भाभी मुन्ना रोया तो आपको उसके भूखे होने की खबर हो गई वैसे ही आपने मेरे लिए..... जब एक मां अपने बच्चों की भूख की परवाह करती हैं तो कया उन बच्चों का फर्ज नही बनता वो भी अपनी मां को भूखा ना रहने दे .....जिस हक से एक मां ने अपने बडे बेटे के लिए खाना रखा है उसी हक से एक बेटे ने अपनी मां के लिए खाना रखा है ....खा लीजिएगा ......एक बेटे की विनती है..... कागज पढ रही सुमित्रा की आँखें भीगी हुई जरूर थी मगर चेहरे पर एक प्यारी सी सुकून भरी हंसी भी थी ...और मुंह से यही शब्द निकल रहे थे मेरा बेटा....एक सुंदर रचना...

Wednesday, 9 June 2021

पापा की शर्ट (कहानी)"पापा के पास कोई और शर्ट पैंट नहीं है क्या ? जब से देख रहा हूं यही तीन चार जोड़ी कपड़े लटकाए रहते हैं ।" कोचिंग से आ कर पानी भी नहीं पिया सीधा मां को शिकायत सुनाने लगा । "क्या हुआ आज फिर किसी ने पापा पर कमेंट कर दिया क्या ?" छत से लाए कपड़ों को तह लगाते हुए मां ने कहा । "और नहीं तो क्या । पापा का नाम ही चेक शर्ट वाले अंकल रख दिया है सबने । और ना जाने क्या क्या कहते रहते हैं ।" वो एकदम से रुआंसा हो गया । मानों अभी रो देगा । "किसी के बोलने से क्या होता है । बच्चे तो ऐसे ही लड़ते हैं । तू खुद हरीश के पापा को किस नाम से बुलाता है याद है तुझे ।" वो समझ गया कि मां पापा की ही साइड लेंगी इसीलिए चुपचाप अपने कमरे में चला गया । पापा तक हर बात पहुंच जाती थी । उनका जानना ज़रूरी भी था कि उनका बेटा उनके बारे में क्या सोचता है । वो हर बात सुनते और बस मुस्कुरा कर रह जाते । इंसान अगर समझदार है तो वो कभी भी छोटी छोटी बातों पर प्रतिक्रिया नहीं देता । सारे दिन का थका हुआ होता है, चाहता है कि अब घर में कुछ ऐसा ना हो जो थकान इतनी बढ़ जाए कि फिर उतरे ही ना । ऐसा भी नहीं कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता । पड़ता है मगर वो बताते नहीं । इसी फर्क के कारण उन्हें ऐसा कुछ सुनने पर घंटे भर बाद नींद आती है । एक करवट लेटे वो सोचते रहते हैं कि आखिर बच्चों के लिए क्या ऐसा करें कि वे उनसे खुश रह सकें, उन पर गर्व कर सकें । हर तीसरे दिन मां के पास पापा की कोई ना कोई शिकायत पहुंच जाया करती थी । पापा ऐसा क्यों करते हैं, पापा के पास पुराना स्कूटर क्यों है, नई गाड़ी या बाइक क्यों नहीं ? पापा ने ये नहीं दिलाया, पापा कहीं अच्छी जगह घुमाने क्यों नहीं ले गए कभी, पापा बाक़ी दोस्तों के पापा लोग की तरह अमीर क्यों नहीं ? ऐसी ही शिकायतों के साथ हर साल की तरह ये साल भी बीत गया । बेटे का इस साल इंटर था । रिजल्ट आया तो मर मर कर पास हुआ था । मैट्रिक में जिस लड़के के 82% थे, इंटर में वो 53% पर पहुंच गया । शाम को पापा आए तो घर में मैय्यत का सन्नाटा पसरा था । बेटे साहब अपने कमरे में दुबके पड़े थे । "कहां है ?" बैग टेबल पर रखते ही पापा ने पहला सवाल यही किया । शायद ऑफिस में ही रिजल्ट देख लिया था । "जाने दीजिए ना, पहले ही बहुत डरा हुआ है ।" मां पापा के मूड को भांप गई थी इसलिए चाह रही थी कि फिलहाल बेटा इनके सामने ना ही आए तो अच्छा है । "उसे बुलाओ जल्दी और ये अपनी ममता ना साल भर के लिए बचा कर रखो । साल भर हम हर गलती माफ करते हैं । कभी बोलने नहीं जाते मगर आज तुम्हारी ये ममता एक पिता के गुस्से को रोक नहीं सकती । यहां बुलाओ उसे, अगर हम कमरे में चले गए तो आज लात बांह छिटका देंगे ।" मां समझ गई कि पिता का गुस्सा तूफान बन चुका है और उस तूफान को ये ममता का छाता रोक ना पाएगा । किसी भी घर में ऐसा समय माओं को दुविधा में डाल देता है । मां उसे कमरे से समझा बुझा कर लाई । जो अक्सर पिता के बारे में नुक्स निकालता रहता था आज एकदम सहमा हुआ सा खड़ा था । पापा ने उसे एक बार ऊपर से नीचे तक देखा । "तो फिर बताओ कि इतने कम नंबर किस वजह से आए तुम्हारे ? क्या इसका कारण ये है कि हमारे पास सिर्फ़ चार जोड़ी कपड़े ही हैं जो हमने सालों पहले सिलवाए थे ? या फिर हमारी पुरानी स्कूटर के कारण तुम नंबर ना ला पाए ? या फिर हम अमीर नहीं हैं तुम्हारे दोस्त के पापा लोग की तरह इस वजह से तुम्हारे नंबर काट लिए गए ?" पापा के इन तानों को सुन कर बेटे ने एक बार मां की तरफ देखा और फिर से सिर झुका लिया । "मन में कोई वहम हो तो चलो तुमको कल ही गांव ले चलते हैं अपने और वहां मिलवाते हैं अपने पुराने साथियों से । वे सब तुम्हें बताएंगे कि हम क्या चीज़ थे । महीने का कलेंडर बाद में बदलता था मगर हम अपने जूते और कपड़े पहले बदल लेते थे । पूरे जिले भर में इकलौती राजदूत बाइक थी हमारे पास । उसकी आवाज़ से ही कोई कह देता था कि भूरे भईया होंगे । और एक हमारे पिता जी थे वही दो जोड़ी धोती और दो चलानी गंजी लाटकाए रहते थे । तुम लोगों जितना दिमाग नहीं चढ़ा था हमारा लेकिन फिर भी सोच लेते थे कभी कभी कि आखिर पैसा रख कर करेंगे क्या, जब तन पर एक ठो अच्छा कपड़ा नहीं है ।" बेटे का सिर अभी भी झुका था । शायद वो समझ ही नहीं पा रहा था कि पापा ये सब मुझे क्यों बता रहे हैं । "वक़्त बदला, हालात भी बदल गए । पिता जी असमय चले गए । उनके जाने के बाद बुद्धि खुली । समझ आ गया कि पिता के होते तक ही मौज है उसके बाद तो जरूरतें पूरी हो जाएं वही बहुत है । खुद को जानते थे हम । पता था कि खुद को खेत में जोत कर कुछ खास कर नही पाएंगे इसलिए पढ़ाई में मन लगाने लगे । किस्मत अच्छी रही कि नौकरी मिल गई । आधी बुद्धि तो पिता जी के जाते ही खुल गई और आधी खुली जब तुम हुए ।" पापा आज अपनी पूरी भड़ास निकल देने के मूड में थे । "तुम्हारे पैदा होने के बाद हमें समझ आया कि पिता जी वो दो जोड़ी धोती और गंजी में कैसे सालों बिता देते थे । ये जो तुम अमीर घरों के बच्चों के बीच पढ़ते हुए हमारे पैंट शर्ट पर शर्मिंगी महसूस करते हो, महंगा फोन चलाते हो, वो लैपटॉप जो लिए पढ़ने के लिए हो और चलाते गेम और फिल्में हो, ये कपड़े जूते, ये सब इसीलिए हैं क्योंकि हमारे पास सालों से सिर्फ़ चार जोड़ी कपड़े हैं । हम ऐश कर पाए क्यों कि हमारे पिता के पास केवल दो जोड़ी कपड़े थे । ऐसा थोड़े ना है कि हमारा मन नहीं करता बन ठन के रहने का, अच्छा पहनने अच्छा खाने का लेकिन हम मन मारते हैं सिर्फ़ इसलिए कि तुम्हारे मन का हो सके और बदले में क्या चाहते हैं तो बस यही कि तुम पढ़ाई में अच्छा करो ।" "पापा मैं....वो...।" इससे ज़्यादा वो कुछ बोल नहीं पाया । "हां हां, बताओ क्या वो ? अरे अब तो वो ज़माना भी नहीं रहा कि तुमको सिर्फ़ पढ़ने के लिए कहें । बताओ हमको कि पढ़ाई से ध्यान हटा कर तुम कौन से खेल या कला में आगे बढ़े हो ? बताओ कि हमारी मेहनत की कमाई, हमारे त्याग और हम जो अपने ही बच्चे से बेजती सहते हैं उसके बदले क्या मिला है हमको ?" बेटे के पास इसका कोई जवाब नहीं था । वो कैसे कहता कि उसका सार ध्यान तो खुद और अपने साथ के बच्चों के बीच का फर्क नापने में गया है । "तुम पढ़ाई में अच्छे हो, ये हम जानते हैं । ना होते तो हम कुछ कहते ही नहीं । तुम अच्छा कर सकते हो लेकिन दिक्कत पता है क्या है ? तुम ना अभी से हैसीयत नापने लगे हो । इतना क्रिकेट देखते और खेलते हो कभी ये नहीं सीखे कि पहले ही ओवर में 25 30 रन बना देने वाला बड़ा खिलाड़ी नहीं होता । बड़ा खिलाड़ी वो है जो अंत तक मैदान में खड़ा रहता है और जिसका कुल स्कोर उसकी टीम को जिताता है । बेटा शुरुआत कोई नहीं देखता यहां सबको अंजाम से मतलब है । अभी से हैसीयत देखोगे तो कुछ हाथ नहीं आएगा । अभी तो वक़्त है खुद की हैसीयत बनाने का । ध्यान दो वर्ना कुछ भी हासिल नहीं कर पाओगे ।" बेटा अभी भी सिर झुकाए वहां खड़ा था । "अब जाओ, इतना ही कहने को बुलाए थे । अभी समझ आ जाए तो अच्छा है वर्ना बाद में सिवाए पछताने के कुछ कर नहीं पाओगे ।" मां कुछ नहीं बोली बस पापा को देखती रही । अगले दिन पापा ऑफिस से आए तो बेटा सिर झुकाए सामने खड़ा था । पापा ने बैग टेबल पर रखा और अपने थके शरीर को सोफे पर पटक दिया । "पापा ।" "हम्म्म्म ।""एडमिशन करा ली मैंने ।" "अच्छी बात है । कौन से सबजेक्ट लिए हो ।" "वही साइंस ही ।""इंटर में देख ही लिए हो कि साइंस नहीं हो पाएगा तो कुछ और देख लेते ।" "फिर से इंटर में ही एडमिशन लिया है । एक साल तो बर्बाद जाएगा मगर इस बार अच्छे नंबर आएंगे । पूरी मेहनत करूंगा ।" बेटे ने डरते हुए कहा । पापा मुस्कराए"पढ़ना तुमको है बेटा । हम बस ये चाहते हैं कि अच्छा बुरा के बीच का फर्क जान जाओ । और ध्यान रखना कि अगर मेहनत होती रहे तो साल कभी बर्बाद नहीं जाता ।" बेटा पिता की बातों को समझ गया था ये देख कर पिता को अच्छा लगा । कुछ देर बाद बेटा अंदर से एक लिफ़ाफ़ा ले कर आया और पापा को थमा दिया । पापा ने लिफ़ाफ़ा देखते पूछा "ये क्या है ?" इतना कहते हुए उन्होंने लिफ़ाफ़ा भी खोल लिया । "शर्ट है पापा । अपनी पॉकेट मनी से लाया हूं । समझ आ गया है कि आप मेरे लिए खुद की जरूरतों पर खर्च करने से भी डरते हैं लेकिन मैं तो अपने खर्च में कटौती कर के आपके लिए कुछ ला सकता हूं ना ।" पापा बेटे को देखते रहे । उनका मन हुआ कि उठ कर गले लगा ले उसे मगर इतना खुले नहीं थे ना उससे । "और मां के लिए ?" पीछे खड़ी मां ने खुद के आँसुओं को रोकते हुए कहा । "वो पापा ले आएंगे ना ।" इस बात पर सबके चेहरे पर हंसी आ गई । बेटा आगे क्या करेगा ये तो पता नहीं लेकिन अब से पापा की इज़्ज़त ज़रूर करेगा ये पक्का है ❣️

Monday, 7 June 2021

चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं ....! कल भी यही सच था और आज भी यही सच है :))

अवसर और परेशानियाँ ......... ... ..... एक बार एक जुते बनाने वाली कंपनी अपने दो सेल्समैन को एक आइलैंड पर भेजती है और उनसे कहती है कि चेक करो वहाँ पर हमारे बिजनेस का कितना स्कोप है |दोनों सेल्समैन जब उस आइलैंड पर पहुँचते है तो देखते है और देखकर के हैरान रह जाते है कि वहाँ पर सब लोग नंगे पाँव मतलब बिना जूतों के घूमते है | उसी वक्त पहला सेल्समैन अपने बॉस को फोन करता है और उनसे कहता है कि यहाँ पर तो कोई भी जुते पहनता ही नहीं है हमारे बिजनेस का यहाँ कोई स्कोप ही नहीं है |वहीँ दूसरा सेल्समैन अपने बॉस को फोन करता है और कहता है कि यहाँ पर हमारे बिज़नेस (जूतों) का बहुत बड़ा स्कोप है क्योंकि यहाँ पर कोई जुते पहनता ही नहीं है , किसी को जूतों के बारे में पता ही नहीं है आप अभी-के-अभी 1000 जुते भिजवा दीजिए , हम इन सबों को जूतों के बारे बताएँगे और हमारा बिजनेस और grow कर सकता है |Moral :- तो दोस्तों , आपने देखा न की यहाँ same situation में किसी को opportunity में difficulty नजर आई और किसी को difficulty में opportunity में नजर आई | तो दोस्तों , Choice आपकी है कि आपको अपनी life की हर situation में क्या देखना है opportunities को या difficulties को क्योंकि अगर अगर आप opportunities देखना चाहोगे तो आपको opportunities नजर आएगी और अगर आप problems पर focus करेंगे तो आपको problems नजर आएँगी | तो दोस्तों मेरे ख्याल से हमें अपनी life की हर situation में opportunities को ढूँढना चाहिए न की अपनी problems को देखकर दुखी होना चाहिए और अगर आप अपनी life में हमेशा opportunities पर focus करोगे तो आपको successful होने से कोई नहीं रोक पाएगा💐🌷

"संगत का फर्क" पानी की एक बूंद गरम तवे पर पड़ती है तो मिटजाती है ,"कमल के पत्ते पर गिरती है तो मोती की तरह चमकने लगती है","सीप में आती है तो खुद मोती बन जाती है " पानी की बूंद तो वही है फर्क तो बस संगत का है !!

चार दिन की जिंदगी हंसी खुशी में काट ले, मत किसी का दिल दुखा दर्द सबके बांट ले, कुछ नहीं साथ जाना एक नेकी के सिवा कर भला होगा भला, गांठ में ये बांध ले..

Thursday, 3 June 2021

पहाड़ चढ़ने वाला व्यक्ति झुककर चलता है.. और उतरने वाला अकड़ कर चलता है. कोई अगर झुककर चल रहा है, मतलब ऊँचाई पर जा रहा है.. और कोई अकड़ कर चल रहा है मतलब नीचे जा रहा है..अभिमान की ताकत फरिश्तों को भी शैतान बना देती है , और नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फरिश्ता बना देती है..।

मौसम रंग बदलता अपने नियम से..इन्सान का कोई भरोसा नहीं वो कभी भी रंग बदलता है ।

जिस देश का युवा एग्जाम कैंसल होने पर खुश हो...और गेम बैन होने पर दुःखी तो बेरोज़गार रहना लाज़मी है।

एक हिरण की दौड़ की गति 80 किमी प्रति घंटा है और एक बाघ 60 किमी प्रति घंटा है।हालांकि, अंत में, बाघ हिरण का शिकार करता है। क्योंकि ... हिरण के दिमाग में एक तरह का डर होता है कि मैं बाघ से कमजोर हूं और यह डर ही है जो उसे बार-बार पीछे मुड़कर देखने के लिए मजबूर करता है। जिसके कारण उसकी गति और मनोबल कम होने लगता है और अंत में वह उस बाघ का शिकार बन जाता है ....!कोरोना का भी यही हाल है। कोरोना की तुलना में इस बीमारी से लडने के लिए हमारे अंदर भी कई गुना अधिक प्रतिरक्षा है, मगर हमारा डर और गति केबल अपने ही मन की डर के कारण कम हो जाती है, और हम बीमार हो जाते हैं। कृपया घबराएं नहीं। सिर्फ सावधान रहने की जरूरत है। धन्यवाद।

Wednesday, 2 June 2021

एक बच्चे ने अपनी माँ को रोते देखातो पापा से पुछा माँ क्यो रोती है.??पापा ने जवाब दियासारी औरते बिना बात के रोती है..बच्चा कुछ समझ ना पाया और वो बड़ा होगया.एक दिन उसने भगवान से पूछा किऔरते क्यो रोती है बिना बात के.?भगवान ने जवाब दिया,जब मै औरत को बना रहा था,तो मैने फैसला किया कि उसेकुछ खास बनाना हैं,मैने उसके कँधे मजबूत बनाये,ताकि वहदुनियादारी का बोझ उठा सके।उसके बाहो को कोमल बनाया,ताकि बच्चो को आराम महसूस हो सके।मैने उसे इतनी आत्मशक्ति दी,ताकि वह नये जीव को धरती पर ला सके ।मैने उसे साहसी बनाया,ताकि मुशकिल वक्त मे वहचट्टान की तरह खड़ी रहे औरअपने परिजनो का ख्याल रख सके।मैने उसे संवेदनशीलऔर विवेकी बनाया,ताकि वह सबकी मदद कर सकेऔर माफ कर सके।और मैने उसकी आखो मे आँसू दिये,ताकि वो अपने दुख को कम कर सके ।!women are the bestdedicated to all women's

" सास -बहु "*एक वृद्ध माँ रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है, घर में दो बहुएँ हैं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उल्हाना देने को कहती हैं**वो कहती है आपकी माँ को मना करो इतनी रात को बर्तन धोने के लिये हमारी नींद खराब होती है साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खट्टर पट्टर शुरू कर देती है सुबह 5 बजे पूजा**आरती करके हमे सोने नही देती ना रात को ना ही सुबह जाओ सोच क्या रहे हो जाकर माँ को मना करो**बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बाते सुनाई पड़ती जो उसके कमरे हो रही थी वो छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है छोटा भाई बाहर आता है**दोनो भाई रसोई में जाते हैं, और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है , माँ मना करती पर वो नही मानते, बर्तन साफ हो जाने के बाद दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है , तो देखते हैं पिताजी भी जागे हुए हैं**दोनो भाई माँ को बिस्तर पर बैठा कर कहते हैं, माँ सुबह जल्दी उठा देना, हमें भी पूजा करनी है, और सुबह पिताजी के साथ योगा भी करेंगे* *माँ बोली ठीक है बच्चों, दोनो बेटे सुबह जल्दी उठने लगे, रात को 9:30 पर ही बर्तन मांजने लगे, तो पत्नियां बोलीं माता जी करती तो हैं आप क्यों कर रहे हो बर्तन साफ, तो बेटे बोले हम लोगो की शादी करने के पीछे एक कारण यह भी था कि माँ की सहायता हो जायेगी पर तुम लोग ये कार्य नही कर रही हो कोई बात नही हम अपनी माँ की सहायता कर देते है**हमारी तो माँ है इसमें क्या बुराई है , अगले तीन दिनों में घर मे पूरा बदलाव आ गया बहुएँ जल्दी बर्तन इसलिये साफ करने लगी की नही तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे साथ ही सुबह भी वो भी पतियों के साथ ही उठने लगी और पूजा आरती में शामिल होने लगी**कुछ दिनों में पूरे घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया बहुएँ सास ससुर को पूरा सम्मान देने लगी ।* *कहानी का सार।**माँ का सम्मान तब कम नही होता जब बहुएं उनका सम्मान नही करती , माँ का सम्मान तब कम होता है जब बेटे माँ का सम्मान नही करे या माँ के कार्य मे सहयोग ना करे ।**जन्म का रिश्ता हैं**माता पिता पहले आपके हैं*