Wednesday, 31 March 2021
Tuesday, 30 March 2021
Monday, 29 March 2021
Sunday, 28 March 2021
Saturday, 27 March 2021
घर बनाने में वक़्त लगता है ” पर मिटाने में पल नहीं लगता । दोस्ती बड़ी मुश्किल से बनती हैं , पर दुश्मनी में वक़्त नहीं लगता । गुज़र जाती है उम्र रिश्ते बनाने में , पर बिगड़ने में वक़्त नहीं लगता । जो कमाता है महीनों में आदमी , उसे गंवाने में वक़्त नहीं लगता । पल पल कर उम्र पाती है ज़िंदगी , पर मिट जाने में वक़्त नहीं लगता । जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में , जमीं पर आने में वक़्त नहीं लगता । हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में , वक़्त के गुज़रने में वक़्त नहीं लगता...!!
Friday, 26 March 2021
सभी सदस्य छत पर खुले आसमान के तले चैन की नींद सोते थे. बच्चे अपनी-अपनी फ़ेवरेट जगह पहले ही घेर लेते थे.रात में वो खुले आसमान के नीचे लेटना और तारे गिनना, पर कभी गिनती का ख़त्म न होना. साथ ही याद आता है गर्मियों की छुट्टी में बुआ और मौसी के बच्चों के साथ छत खाना-बनाना.मेरा गांव शहर और मेरी छत, आज भी मुझे दोनों की कमी खलती है.
Thursday, 25 March 2021
Wednesday, 24 March 2021
*पूरी उम्र ससुराल में गुजारी मैंने**फिर भी मायके से कफ़न मंगाना**मुझे अच्छा नहीं लगता*। *💐"मुझे अच्छा नही लगता"*💐 *मैं रोज़ खाना पकाती हू,**तुम्हे बहुत प्यार से खिलाती हूं,**पर तुम्हारे जूठे बर्तन उठाना**मुझे अच्छा नही लगता।**कई वर्षो से हम तुम साथ रहते है, लाज़िम है कि कुछ मतभेद तो होगे,**पर तुम्हारा बच्चों के सामने चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगता।**हम दोनों को ही जब किसी फंक्शन मे जाना हो,**तुम्हारा पहले कार मे बैठ कर यू हार्न बजाना**मुझे अच्छा नही लगता।**जब मै शाम को काम से थक कर घर वापस आती हूँ**तुम्हारा गीला तौलिया बिस्तर से उठाना**मुझे अच्छा नही लगता।**माना कि अब बच्चे हमारे* *कहने में नहीं है,**पर उनके बिगड़ने का सारा* *इल्ज़ाम मुझ पर लगाना**मुझे अच्छा नही लगता।**अभी पिछले वर्ष ही तो गई थी,**यह कह कर तुम्हारा,**मेरी राखी डाक से भिजवाना**मुझे अच्छा नही लगता।**पूरा वर्ष तुम्हारे साथ ही तो रहती हूँ,**पर तुम्हारा यह कहना कि,**ज़रा मायके से जल्दी लौट आना**मुझे अच्छा नही लगता।**तुम्हारी माँ के साथ तो**मैने इक उम्र गुजार दी,**मेरी माँ से दो बातें करते**तुम्हारा हिचकिचाना**मुझे अच्छा नहीं लगता।**यह घर तेरा भी है हमदम,**यह घर मेरा भी है हमदम,**पर घर के बाहर सिर्फ**तुम्हारा नाम लिखवाना**मुझे अच्छा नही लगता।**मै चुप हूँ कि मेरा मन उदास है,**पर मेरी खामोशी को तुम्हारा,**यू नज़र अंदाज कर जाना**मुझे अच्छा नही लगता।**पूरा जीवन तो मैने ससुराल में गुज़ारा है,**फिर मायके से मेरा कफन मंगवाना**मुझे अच्छा नहीं लगता
Tuesday, 23 March 2021
मौके दर मौके याद आती है हरिवंशराय बच्चन की रचना: जो बीत गई सो बात गई........¡¡जीवन में एक सितारा थामाना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गयाअम्बर के आनन को देखोकितने इसके तारे टूटेकितने इसके प्यारे छूटेजो छूट गए फिर कहाँ मिलेपर बोलो टूटे तारों परकब अम्बर शोक मनाता हैजो बीत गई सो बात गई.....जीवन में वह था एक कुसुमथे उसपर नित्य निछावर तुमवह सूख गया तो सूख गयामधुवन की छाती को देखोसूखी कितनी इसकी कलियाँमुर्झाई कितनी वल्लरियाँजो मुर्झाई फिर कहाँ खिलीपर बोलो सूखे फूलों परकब मधुवन शोर मचाता हैजो बीत गई सो बात गई.....जीवन में मधु का प्याला थातुमने तन मन दे डाला थावह टूट गया तो टूट गयामदिरालय का आँगन देखोकितने प्याले हिल जाते हैंगिर मिट्टी में मिल जाते हैंजो गिरते हैं कब उठतें हैंपर बोलो टूटे प्यालों परकब मदिरालय पछताता हैजो बीत गई सो बात गई.....मृदु मिटटी के हैं बने हुएमधु घट फूटा ही करते हैंलघु जीवन लेकर आए हैंप्याले टूटा ही करते हैंफिर भी मदिरालय के अन्दर मधु के घट हैं मधु प्याले हैंजो मादकता के मारे हैंवे मधु लूटा ही करते हैंवह कच्चा पीने वाला हैजिसकी ममता घट प्यालों परजो सच्चे मधु से जला हुआकब रोता है चिल्लाता हैजो बीत गई सो बात गई.....
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के 10 लोकप्रिय नारे,,,, भगत सिंह के नारे...इंकलाब जिंदाबादसाम्राज्यवाद का नाश हो।राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
पवित्र कमाई। जब भोजन करने बैठो, तो प्रभुको प्रणाम करके उसका धन्यवाद अवश्य करो मैं आपका दिव्य प्रसाद ग्रहण कर रहा हूँ मुझे इस लायक बनाए रखना कि मैं अपनी कमाई खाऊं, पाप की कमाई घर में न लाऊं। उसमें बेगुनाहों का खून न हो, किसी के बच्चों का हक न हो, मेरी कमाई पवित्र हो, जिससे मैं पवित्र अन्न को दिव्य प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकूं.।
Monday, 22 March 2021
नदी का पानी मीठा होता है क्योंकिवो पानी देती रहती है।सागर का पानी खारा होता है क्योंकिवो हमेशा लेता रहता है।नाले का पानी हमेशा दुर्गंध देता है क्योंकिवो रूका हुआ होता है।यही जिंदगी हैदेते रहोगे तो सबको मीठे लगोगे।लेते रहोगे तो खारे लगोगे।औरअगर रुक गये तो सबको बेकार लगोगे।निष्कर्ष : सत्कर्म ही जीवन है।.
Sunday, 21 March 2021
Saturday, 20 March 2021
सुदामा को गरीबी क्यों मिली?अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे. जितना धन उनके पास था किसी के पास नही था. लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे.आखिर क्यों मिली थी सुदामा को गरीबी?एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी. भिच्छा माँग कर जीवन यापन करती थी. एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी. छठवें दिन उसे भिच्छा में दो मुट्ठी चना मिले. कुटिया पर पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी. ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात: काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी. यह सोंचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिया और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी.ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये-इधर उधर बहुत ढूँढा चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी चोरों ने समझा इसमे सोने के सिक्के हैं इतने मे ब्राह्मणी जग गयी और शोर मचाने लगी. गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे. चोर वह पुटकी लेकर भगे. पकडे जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये. संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे.गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं चोर समझ गये कोई आ रहा है चोर डर गये और आश्रम से भागे. भागते समय चोरों से वह पुटकी वहीं छूट गयी. और सारे चोर भाग गये.इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना! कि उसकी चने की पोटली चोर उठा ले गये. तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया की ”मुझ दीनहीन असहाय के जो भी चने खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा”उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू लगाने लगी झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पोटली मिली गुरु माता ने पोटली खोल के देखी तो उसमे चने थे. सुदामा जी और कृष्ण भगवान रोज की तरह जंगल से लकडी लाने जा रहे थे.)गुरु माता ने वह चने की पोटली सुदामा जी को दे दी. और की कहा बेटा जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना. सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे. जैसे ही चने की पोटली सुदामा जी ने हाथ मे लिया वैसे ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया.सुदामा जी ने सोंचा! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनो लोग बराबर बाँट के खाना. लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी सृष्टि दरिद्र हो जायेगी. नही-नही मै ऐसा नही करुँगा मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा. मै ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा.और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए. दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया. चने खाकर लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया.
Friday, 19 March 2021
Thursday, 18 March 2021
Wednesday, 17 March 2021
Tuesday, 16 March 2021
Monday, 15 March 2021
ਅੱਜ ਇਕ ਹੋਰ ਜਾਣਕਾਰੀ ਆਪ ਜੀ ਨਾਲ ਸਾਂਝੀ ਕਰਨ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਅਕਸਰ ਇਨਸਾਨ ਤੋਂ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਪੈਸੇ ਉਧਾਰ ਮੰਗਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਕੋਈ ਪੈਸਾ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਬਹਾਨੇ ਵਜੋਂ ਇੱਕ ਮੁਹਾਵਰਾ ਜਰੂਰ ਆਖਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਹੈ 'ਮੇਰੇ ਕੋੋਲ ਕੋਈ ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਹੈ', ਭਾਵੇਂ ਇਸ ਮੁਹਾਵਰਾ ਬਾਰੇ ਕਈਆਂ ਨੂੰ ਕੁਝ ਪਤਾ ਹੀ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਪਰ ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਉਦਾਂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਆਖੇ ਜਾਂਦੇ। ਅਸਲ 'ਚ ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਦੀ ਵੀ ਕਦੇ ਬੱਲੇ ਬੱਲੇ ਹੋਇਆ ਕਰਦੀ ਸੀ। ਪਰ ਸਮੇਂ ਦੇ ਰਥ ਨਾਲ ਉਹ ਅੱਜ ਅਜਿਹੇ ਅਖਾਣਾਂ ਜਾਂ ਦੂਜਿਆਂ ਨੂੰ ਤਾਅਨੇ ਮਿਹਣੇ ਦੇਣ ਦੇ ਕੰਮ ਹੀ ਰਹਿ ਗਈ ਹੈ। ਇਸ ਲੇਖ 'ਚ ਅਸੀਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਦੱਸਾਂਗੇ ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਦਾ ਮੁੱਲ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਪੈਸੇ, ਰੁਪਏ, ਕੌਡੀ, ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕੀ ਰਿਹਾ ਹੈ।ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਤੋਂ ਕੌਡੀ ਬਣੀ ,ਕੌਡੀ ਤੋਂ ਦਮੜੀ ,ਦਮੜੀ ਤੋਂ ਧੇਲਾ ,ਧੇਲੇ ਤੋਂ ਪਾਈ ,ਪਾਈ ਤੋਂ ਪੈਸਾ ,ਪੈਸੇ ਤੋਂ ਆਨਾ ,ਆਨੇ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਰੁਪਿਆ ।ਹੁਣ ਸਭ ਦੇ ਦਿਮਾਗ 'ਚ ਆਉਂਦਾ ਹੋਏਗਾ ਕਿ ਆਖਰ ਕੌਡੀ, ਦਮੜੀ, ਪਾਈ ਤੇ ਧੇਲੇ ਦਾ ਰੁਪਏ 'ਚ ਕਿਵੇਂ ਹਿਸਾਬ ਹੁੰਦਾ ਹੋਏਗਾ, ਭਾਵ ਜਿਵੇਂ 100 ਪੈਸੇ ਦਾ 1 ਰੁਪਿੲਆ, ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ: -1 ਰੁਪਇਆ = 256 ਦਮੜੀਆਂ ,256 ਦਮੜੀਆਂ = 192 ਪਾਈ ,192 ਪਾਈ = 128 ਧੇਲੇ ,128 ਧੇਲੇ = ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਦੇ 64 ਪੈਸੇ ,64 ਪੈਸੇ (ਪੁਰਾਣੇ) = 16 ਆਨੇ ,16 ਆਨੇ = 1 ਰੁਪਇਆ ,ਹੋਰ ਸਮਝੋ :-3 ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀਆਂ = 1 ਕੌਡੀ ,10 ਕੌਡੀਆਂ = 1 ਦਮੜੀ ,2 ਦਮੜੀਆਂ = 1 ਧੇਲੇ ,3 ਪਾਈ = 1 ਪੈਸੇ (ਪੁਰਾਣੇ) ,3 ਪੈਸੇ = 1 ਆਨਾ ,16 ਆਨੇ = 1 ਰੁਪਇਆ ,ਇਸੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਰੰਸੀ ਤੋਂ ਅੱਜ ਸਾਡੀ ਆਮ ਬੋਲਚਾਲ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ 'ਚ ਅਖਾਣ ਮੁਹਾਵਰੇ ਬਣ ਗਏ ਹਨ। ਜਿਵੇਂ ਆਪਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ 'ਚੋਂ ਪ੍ਰਚਲਤ ਹੋਏ ਕੁਝ ਮੁਹਾਵਰੇ ਹੇਠਾਂ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਹੋ :-1 ਇੱਕ ਫੁੱਟੀ ਕੌਡੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਦੇਵਾਂਗਾ ।2 ਧੇਲੇ ਦਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ ਤੇਰੀ ਘਰਵਾਲੀ ।3 ਚਮੜੀ ਜਾਏ ਪਰ ਦਮੜੀ ਨਾ ਜਾਏ ।4 ਸੋਲਾਂ ਆਨੇ ਸਚ ਕਿਹਾ ।5 ਪਾਈ ਪਾਈ ਦਾ ਹਿਸਾਬ ਰੱਖਣਾ ਪੈਂਦਾ ।ਰੁਪਇਆ ਸ਼ਬਦ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਰੂਪਕਿਅਮ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੈ। ਇਸਦਾ ਮਤਲਬ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਸਿੱਕਾ। ਭਾਰਤੀ ਮੁਦਰਾ ਨੂੰ ਰੁਪਇਆ ਨਾਮ ਸ਼ੇਰ ਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ਸੀ। ਉਸਨੇ 1540-45 ਵਿੱਚ ਚਾਂਦੀ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਸਨ। 10 ਗ੍ਰਾਮ ਚਾਂਦੀ ਨਾਲ ਬਣਿਆ ਸਿੱਕਾ ਰੁਪਇਆ ਕਹਾਉਂਦਾ ਸੀ। ਮੌਜੂਦਾ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਰਿਜ਼ਰਵ ਬੈਂਕ ਆੱਫ਼ ਇੰਡੀਆ ਆਰਬੀਆਈ ਐਕਟ 1934 ਦੇ ਤਹਿਤ ਮੁਦਰਾ ਜਾਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਆਓ ਅੱਜ ਅਸੀਂ ਰੁਪਏ ਦਾ ਰੋਚਕ ਇਤਿਹਾਸ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ।ਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਨੇ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਸਿੱਕਾ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ। ਇਹ ਮੁਗਲ ਕਾਲ, ਮਰਾਠਾ ਸਾਮਰਾਜ ਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵੀ ਚੱਲਦਾ ਰਿਹਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸ਼ੇਰ ਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਨੇ ਤਾਂਬੇ ਤੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਸਿੱਕਾ ਵੀ ਚਲਾਇਆ।ਕਾਗਜ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਰੁਪਇਆ ਬੈਂਕ ਆਫ਼ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ (1770-1832), ਜਨਰਲ ਬੈਂਕ ਆੱਫ਼ ਬੰਗਾਲ ਐਂਡ ਬਿਹਾਰ (1773-75) ਤੇ ਬੰਗਾਲ ਬੈਂਕ (1784-91) ਨੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ। 1 ਅਪ੍ਰੈਲ 1935 ਨੂੰ ਰਿਜ਼ਰਵ ਬੈਂਕ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ। ਜਨਵਰੀ 1938 ਵਿੱਚ ਰਿਜ਼ਰਵ ਬੈਂਕ ਨੇ 5 ਰੁਪਏ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨੋਟ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ। ਅਗਸਤ 1940 ਵਿੱਚ 1 ਰੁਪਏ ਦਾ ਨੋਟ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। 1 ਰੁਪਏ ਨੂੰ ਪਹਿਲੇ 30 ਨਵੰਬਰ, 1917 ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ 2 ਰੁਪਏ ਤੇ 8 ਆਨਾ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਜਿਸਨੂੰ 1 ਜਨਵਰੀ , 1926 ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਘੋਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਮਾਰਚ 1943 ਵਿੱਚ ਰੁਪਏ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। 1950 ਵਿੱਚ ਆਜ਼ਾਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ 1 ਪੈਸਾ, 1.2, 1 ਤੇ 2 ਆਨਾ, 1.4, 1.2 ਤੇ 1 ਰੁਪਏ ਮੁੱਲ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ। 1953 ਵਿੱਚ ਹਿੰਦੀ ਦੇ ਨੋਟਾਂ ਉੱਤੇ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਨਾਲ ਹਿੰਦੀ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਤੇ 1954 ਵਿੱਚ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਿ ਰੁਪਏ ਦਾ ਬਹੁਵਚਨ ਰੁਪਇਆ ਹੋਵੇਗਾ। 1957 ਵਿੱਚ ਰੁਪਏ ਨੂੰ 100 ਰੁਪਏ ਨਵੇਂ ਪੈਸੇ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ। 1957 ਤੋਂ 67 ਦੇ ਵਿੱਚ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਇੱਕ, ਦੋ, ਤਿੰਨ, ਪੰਜ ਤੇ 10 ਰੁਪਏ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ। 1980 ਵਿੱਚ ਨਵੇਂ ਨੋਟ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਵਿਗਿਆਨ ਤੇ ਤਕਨੀਕੀ, ਪ੍ਰਗਤੀ ਤੇ ਭਾਰਤੀ ਕਲਾ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਕ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। 2 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨੋਟ ਉੱਤੇ ਆਰਿਆ ਭੱਟ ਦਾ ਚਿੱਤਰ, 1 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨੋਟ ਉੱਤੇ ਤੇਲ ਦੇ ਖੂਹ ਤੇ 5 ਰੁਪਏ ਉੱਤੇ ਖੇਤੀ ਵਿੱਚ ਇਸਤੇਮਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ, 20 ਰੁਪਏ ਤੇ 10 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨੋਟਾਂ ਉੱਤੇ ਮੋਰ, ਕੋਰਣਾਕ ਦਾ ਚਿੱਤਰ ਉਕਰਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਅਕਤੂਬਰ 1987 ਵਿੱਚ ਵੱਧਦੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ ਤੇ ਘੱਟਦੀ ਖਰੀਦ ਸ਼ਕਤੀ ਕਾਰਣ 500 ਰੁਪਏ ਦਾ ਨੋਟ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। ਸਾਲ 1988 ਵਿੱਚ 10, 25 ਤੇ 50 ਪੈਸੇ ਦੇ ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ। 1992 ਵਿੱਚ 1 ਰੁਪਏ ਤੇ 5 ਰੁਪਏ ਦੇ ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ।1996 ਵਿੱਚ ਗਾਂਧੀ ਸੀਰੀਜ਼ ਦੇ ਨੋਟ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ। ਸ਼ੁਰੂਆਤ 10 ਰੁਪਏ ਤੇ 500 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨੋਟਾਂ ਨਾਲ ਹੋਈ। ਸਾਲ 2005 ਤੋਂ 2008 ਦੇ ਵਿੱਚ 50 ਪੈਸੇ, 1 ਰੁਪਏ, 2 ਰੁਪਏ ਤੇ 5 ਰੁਪਏ ਦੇ ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ। 2009 ਵਿੱਚ 5 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨੋਟ ਦੀ ਫਿਰ ਤੋਂ ਛਪਾਈ ਸ਼ੁਰੂ। ਜੁਲਾਈ 2010 ਵਿੱਚ ਰੁਪਏ ਦੇ ਨਵੇਂ ਚਿੰਨ੍ਹ ਨੂੰ ਔਪਚਾਰਿਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ। 2011 ਵਿੱਚ 25 ਪੈਸੇ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਤੇ ਇਸ ਨਾਲ ਘੱਟ ਮੁੱਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸਿੱਕੇ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਗਿਆ । 50 ਪੈਸੇ ਦੇ ਸਿੱਕੇ, 1 ਰੁਪਏ, 5 ਰੁਪਏ ਤੇ 10 ਰੁਪਏ ਦੇ ਨਵੇਂ ਨੋਟਾਂ ਦੀ ਸੀਰੀਜ਼ ਜਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਜਿਸ ਤੇ ਰੁਪਏ ਦੇ ਚਿੰਨ੍ਹ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। 2012 ਵਿੱਚ ਗਾਂਧੀ ਸੀਰੀਜ਼ ਦੇ 10 ਰੁਪਏ, 20 ਰੁਪਏ, 50 ਰੁਪਏ, 100 ਰੁਪਏ, 500 ਰੁਪਏ ਤੇ 1,000 ਰੁਪਏ ਦੇ ਮੁੱਲ ਦੇ ਨੋਟਾਂ ਉੱਤੇ ਰੁਪਏ ਦੇ ਨਵੇਂ ਚਿੰਨ੍ਹ ਨੂੰ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ।----
Sunday, 14 March 2021
एक कविता मेरे बचपन के स्कूल संस्मरण से:मैं तो वही खिलौना लूंगा - सियारामशरण गुप्त मैं तो वही खिलौना लूंगा मचल गया दीना का लालखेल रहा था जिसको लेकर राजकुमार उछाल-उछाल।व्यथित हो उठी मां बेचारी- था सुवर्ण-निर्मित वह तो !‘खेल इसी से लाल, नहीं है राजा के घर भी यह तो !‘राजा के घर! नहीं-नहीं मां, तू मुझको बहकाती है,इस मिट्टी से खेलेगा क्या राजपुत्र, तू ही कह तो ।फेंक दिया मिट्टी में उसने, मिट्टी का गुड्डा तत्काल,‘मैं तो वही खिलौना लूंगा – मचल गया दीना का लाल ।‘मैं तो वही खिलौना लूंगा – मचल गया शिशु राजकुमार,‘वह बालक पुचकार रहा था पथ में जिसको बारम्बार ।‘वह तो मिट्टी का ही होगा, खेलो तुम तो सोने से ।दौड पडे सब दास-दासियां राजपुत्र के रोने से ।‘मिट्टी का हो या सोने का, इनमें वैसा एक नहीं,खेल रहा था उछल-उछलकर वह तो उसी खिलौने से ।राजहठी ने फेंक दिए सब अपने रजत-हेम-उपहार,‘लूंगा वहीं, वही लूंगा मैं! मचल गया वह राजकुमार
*तीन पहर तो बीत गये,**बस एक पहर ही बाकी है।**जीवन हाथों से फिसल गया,**बस खाली मुट्ठी बाकी है।**सब कुछ पाया इस जीवन में,**फिर भी इच्छाएं बाकी हैं**दुनिया से हमने क्या पाया,**यह लेखा - जोखा बहुत हुआ,**इस जग ने हमसे क्या पाया,**बस ये गणनाएं बाकी हैं।**इस भाग-दौड़ की दुनिया में**हमको इक पल का होश नहीं,**वैसे तो जीवन सुखमय है,**पर फिर भी क्यों संतोष नहीं !**क्या यूं ही जीवन बीतेगा,**क्या यूं ही सांसें बंद होंगी ?**औरों की पीड़ा देख समझ**कब अपनी आंखें नम होंगी ?**मन के अंतर में कहीं छिपे**इस प्रश्न का उत्तर बाकी है।**मेरी खुशियां, मेरे सपने**मेरे बच्चे, मेरे अपने**यह करते - करते शाम हुई**इससे पहले तम छा जाए**इससे पहले कि शाम ढले**कुछ दूर परायी बस्ती में**इक दीप जलाना बाकी है।**तीन पहर तो बीत गये,**बस एक पहर ही बाकी है।**जीवन हाथों से फिसल गया,* *बस खाली मुट्ठी बाकी है ।*
Saturday, 13 March 2021
*💥दुनिया का शक्ति शाली ब्यक्ति 💥**बूढ़ा पिता अपने IAS बेटे के चेंबर में जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया !**और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...**"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"?* *पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!**पिता को इस जवाब की आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया !**उनकी आँखे छलछला आई !**वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे !**उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???* *पुत्र ने इस बार कहा...* *"पिताजी आप हैैं,* *इस दुनिया के सब से* *शक्तिशाली इंसान "!**पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???**पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते हुए कहा ..**"पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,**बोलिए पिताजी" !* *पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लगा लिया !* *"तब में चन्द पंक्तिया लिखता हुं"* *जो पिता के पैरों को छूता है *वो कभी गरीब नहीं होता।**जो मां के पैरों को छूता है वो कभी बदनसीब नही होता।**जो भाई के पैराें को छुता हें वो कभी गमगीन नही होता।**जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्रहीन नहीं होता।* *जो गुरू के पैरों को छूता है* *उस जेसा कोई खुशनसीब नहीं होता.......**💞अच्छा दिखने के लिये मत जिओ* *बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ💞* *💞जो झुक सकता है वह सारी* *☄दुनिया को झुका सकता है 💞* *💞 अगर बुरी आदत समय पर न बदली जाये* *तो बुरी आदत समय बदल देती है💞* *💞चलते रहने से ही सफलता है,* *रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है 💞**💞 झूठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर है* *अच्छी सोच, अच्छी भावना,* *अच्छा विचार मन को हल्का करता है💞**💞मुसीबत सब प आती है* *कोई बिखर जाता हे* *और कोई निखर जाता हें* *💞 "तेरा मेरा"करते एक दिन चले जाना है... *जो भी कमाया यही रहे जाना हे*🙏🏼 *सदैव बुजुर्गों का सम्मान करें* 🙏🏼
Friday, 12 March 2021
Thursday, 11 March 2021
Wednesday, 10 March 2021
Tuesday, 9 March 2021
Monday, 8 March 2021
*स्त्रियाँ*, कुछ भी बर्बाद नही होने देतीं।वो सहेजती हैं।संभालती हैं।ढकती हैं।बाँधती हैं।उम्मीद के आख़िरी छोर तक।कभी तुरपाई कर के।कभी टाँका लगा के।कभी धूप दिखा के।कभी हवा झला के।कभी छाँटकर।कभी बीनकर।कभी तोड़कर।कभी जोड़कर।देखा होगा ना👱♀ ?अपने ही घर में उन्हेंखाली डब्बे जोड़ते हुए। बची थैलियाँ मोड़ते हुए। बची रोटी शाम को खाते हुए।दोपहर की थोड़ी सी सब्जी में तड़का लगाते हुए।दीवारों की सीलन तस्वीरों से छुपाते हुए।बचे हुए खाने से अपनी थाली सजाते हुए।फ़टे हुए कपड़े हों।टूटा हुआ बटन हो। पुराना अचार हो।सीलन लगे बिस्किट,चाहे पापड़ हों।डिब्बे मे पुरानी दाल हो।गला हुआ फल हो।मुरझाई हुई सब्जी हो।या फिर😧तकलीफ़ देता " रिश्ता "वो सहेजती हैं।संभालती हैं।ढकती हैं।बाँधती हैं।उम्मीद के आख़िरी छोर तक...इसलिए , आप अहमियत रखिये👱♀!वो जिस दिन मुँह मोड़ेंगीतुम ढूंढ नहीं पाओगे...।*🌹🌹HAPPY WOMAN'S DAY TO ALL POWERFUL WOMEN'S OF OUR GRP🌹🌹*🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻जय श्रीकृष्ण
औरत बिक जाती हैप्यार के दो बोल सेपति के कह देने भर सेआज खाने में मजा आ गयाबच्चे जब कहते हैमां मुझे समझती हैवो दुगने उत्साह से जुट जाती हैउनकी पसंद को खोज लाती हैसास जब कहती हैमेरी बहू औरो सी नहींवो अपनी मां को उस दिन भूल जाती हैसास से दिल का रिश्ता निभाती हैसच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती हैप्यार के दो बोल को तरस जाती हैबस खोजती है अपने सम्मान कोकभी पति की आंखो मेंकभी बच्चो के सपनो मेंओर कभी रिश्तों ओर अपनो मेंवो सब को देख खुश हो लेती हैबिना विटामिन खाए जी लेती हैसब को मुस्कराया देख खुश हो लेती हैउनके खिले चेहरे में खुद को संजो लेती हैऔरत को देह से अलग जान पाओगेतो सही मायनों में उसके प्यार को पाओगेवो खुद को मिटा कर भी खुश होती हैदर्द झेलकर भी जिंदगी देती
Sunday, 7 March 2021
. “ *The Best Lines ever said by a Man....."* When I was born, A Woman was there to hold me...... *My Mother* As I grew up as a child, A woman was there to care & play with me..... *My* *sister* I went to school, A Woman was there to help me learn...... *My Teacher* I needed compatibility, company & Love, A Woman was there for me.. *My Wife* I became tough, A Woman was there to melt me..... *My Daughter* When I will die, A Woman will be there to absorb me in....... *Motherland* If you are a Man, *value every Woman...&.* If you are a *Woman* , *feel proud to be one* *Happy Women's Day* !🌹
राम के भक्त कहाँ, बंदा-ए-रहमान कहाँतू भी हिन्दू है कहाँ, मैं भी मुसलमान कहाँतेरे हाथों में भी तिरशूल है गीता की जगहमेरे हाथों में भी तलवार है क़ुरआन कहाँतू मुझे दोष दे, मैं तुझ पे लगाऊं इलज़ामऐसे आलम में भला अम्न का इमकान कहाँअब तो शहरों के गली-कूचों में खूँ बहता हैपानीपत और पिलासी का वो मैदान कहाँकिसी मस्जिद का है गुंबद कि कलश मंदिर काइक थके-हारे परिंदे को ये पहचान कहाँ..!
Friday, 5 March 2021
,कितनी भी महंगी गाड़ी में घूम लो अंतिम सफर तो बॉस,,से बनी अर्थी पर ही करना पड़ेगा यही जीवन का सत्य है, पानी अपना पूरा जीवन पेड़ को देकर बड़ा करता है,, इसलिए शायद पानी लकड़ी को डूबने नहीं देता,, जीवन में पैसा नहीं व्यवहार कमाइए क्योंकि श्मशान ,, मैं चार करोड़ नहीं चार लोग छोड़ने जाएंगे,, जीवन में जो बात खाली पेट और खाली जेब सिखाती,, हैं वो कोई यूनिवर्सिटी या शिक्षक भी नहीं सिखा सकते,, इंसान का सबसे अच्छा साथी उसकी सेहत है अगर,, उसका साथ छूट जाए तो हर रिश्ते के लिए बोझ बन,, जाता है, अकेले चलना सीखें क्योंकि सहारा कितना भी सच्चा,, क्यों ना हो 1 दिन औकात दिखा ही देता है,, जितना डर करो ना से लग रहा है यदि इतना डर कर्मों,, से लगने लगे तो दुनिया अपने आप स्वर्ग बन जाएगी,, मुस्कुराना सीखिए रोना तो जिंदगी पैदा होते ही सिखा देती है, टेंशन डिप्रेशन और बेचैनी इंसान में तभी होती है जब,, स्वयं के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा सोचता है,, दवा जेब में नहीं शरीर में जाए तो उसका असर होता,, है वैसे ही अच्छे विचार मोबाइल में नहीं हृदय में उतरे,,तो जीवन सफल हो जाता है जय श्री राधे,
Thursday, 4 March 2021
Wednesday, 3 March 2021
#आयशा के सुसाइड पर सिर्फ इतना कहना हैं जब बेटियों को रुख़सत किया करे तो उन्हें बताया करें कि हमने अच्छा इंसान देख कर रिश्ता तय किया है,अगर बुरा निकल जाये तो वापसी का दरवाज़ाखुला है, ज़बरदस्ती अपनी बेटियों को किसी के गले बंधे रहने के लिए मजबूर न करे, वर्ना अंजाम यही होगा, माँ बाप अपनी इज़्ज़त के खातिर सोचते है बेटी का घर बना रहे वर्ना तलाक़ हो गया या छूट गयी तो लोग क्या कहेंगे रिश्तेदार क्या कहेंगे, मैं कहती हूँ लोगो को और रिश्तेदारों को एक ताक पर रख दीजिए,और ये सुनिए की आपकी बेटी क्या कहती है
Tuesday, 2 March 2021
जब बेटियों को रुख़सत किया करे तो उन्हें बताया करें कि हमने अच्छा इंसान देख कर रिश्ता तय किया है,अगर बुरा निकल जाये तो वापसी का दरवाज़ा खुला है,ज़बरदस्ती अपनी बेटियों को किसी के गले बंधे रहने के लिए मजबूर न करे, माँ बाप अपनी इज़्ज़त के खातिर सोचते है बेटी का घर बना रहे वर्ना तलाक़ हो गया या छूट गयी तो लोग क्या कहेंगे रिश्तेदार क्या कहेंगे,हम कहते हैं लोगो को और रिश्तेदारों को एक ताक पर रख दीजिए,और ये सुनिए की आपकी बेटी क्या कहती है।
Monday, 1 March 2021
#अंतिम_यात्रा_का_क्या_खूब_वर्णन_किया_है..... था मैं नींद में और. मुझे इतनासजाया जा रहा था....बड़े प्यार सेमुझे नहलाया जा रहाथा....ना जानेथा वो कौन सा अजब खेलमेरे घरमें....बच्चो की तरह मुझेकंधे पर उठाया जा रहाथा....था पास मेरा हर अपनाउसवक़्त....फिर भी मैं हर किसी केमनसेभुलाया जा रहा था...जो कभी देखतेभी न थे मोहब्बत कीनिगाहोंसे....उनके दिल से भी प्यार मुझपरलुटाया जा रहा था...मालूम नही क्योंहैरान था हर कोई मुझेसोतेहुएदेख कर....जोर-जोर से रोकर मुझेजगाया जा रहा था...काँप उठीमेरी रूह वो मंज़रदेखकर.....जहाँ मुझे हमेशा केलिएसुलाया जा रहा था.....मोहब्बत कीइन्तहा थी जिन दिलों मेंमेरेलिए.....उन्हीं दिलों के हाथों,आज मैं जलाया जा रहा था!!!👌 लाजवाब लाईनें👌 इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।"और कितना वक़्त लगेगा"। ( ऐसी कहानियां रोज़ पढ़ने के लिए मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजे )
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