Thursday, 31 December 2020
लंगर के पिज्जे तो तुम्हें दिख गये,दिसम्बर की ठंड तुम्हें दिखी नहीं।ढूंढने में लग गये तुम देशद्रोही,इन किसानों में रिटायर फौजी तुम्हें दिखे नहीं।इन्हीं के बेटे लड़ रहे हैं सरहद पर,इनके किये उपकार तुम्हें दिखे नहीं।तन-मन समर्पित है इनका इस मिट्टी को,भला क्यूँ ये किसान भाई तुम्हें दिखे नहीं।फ़ंडिंग किसने की ये तुम पूछते हो,लॉक डाउन में किये दान तुम्हें दिखे नहीं।भगत सिंह को भी टेररिस्ट कहा गया था कभी,इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें दिखे नही।मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हें दिख गईं,पैरों के जख्म तुम्हें दिखे नहीं।लंगर के काजू-बादाम तो तुम्हें दिख गये,इन बुजुर्ग किसानों के बलिदान तुम्हें दिखे नहीं।आजाओ बचा लो पूँजीपत्तियो से देश को,ऐसा ना हो कि फ़िर कभी किसान दिखे नहीं।किसान एकता जिंदाबाद👍 #supportfarmers
जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला,कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..कुछ ख्वाइशें दिल में रह जाती हैं..कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..कुछ छोड़ कर चले गये..कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर में ..कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..कुछ मुझे मिल के भूल गये..कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..कुछ शायद अनजान हैं..कुछ बहुत परेशान हैं..कुछ को मेरा इंतजार हैं ..कुछ का मुझे इंतजार है..कुछ सही हैकुछ गलत भी है.कोई गलती तो माफ कीजिये औरकुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।Happy New Year Friends
Wednesday, 30 December 2020
Tuesday, 29 December 2020
आने वाले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँस्वागत दिल से मै करूं ऐ दिसंबर! तुम जाते जाते अच्छा कर जाना। संग ले जाना इन कड़वी यादों को, सौगात खुशियों की तुम दे जाना! ऐसा साल न आये जीवन मे कभी, इंसानों को जिसने अलग किया,यादें ही रह गई दिलों मे, जिसने अपनों को खो दिया। जल्द से जल्द बीते ये अंतिम महीना, नये वर्ष की करनी हमको तैयारी, करें प्रार्थना ईश्वर से हमसब मिलकर, फिर न आये ऐसी बीमारी!!
#beti ...एक हृदयस्पर्शी कहानी.....!एक घर में एक बेटी ने जन्म लिया जन्म होते ही माँ का स्वर्गवास हो गया। बाप ने बेटी को गले से लगा लिया रिश्तेदारों ने लड़की के जन्म से ही ताने मारने शुरू कर दिए कि पैदा होते ही माँ को खा गयी।मनहूस पर बाप ने कुछ नही कहा अपनी बेटी को, बेटी का पालन पोषण शुरू किया, खेत में काम करता और बेटी को भी खेत ले जाता, काम भी करता और भाग कर बेटी को भी संभालता।रिश्तेदारों ने बहुत समझाया के दूसरा विवाह कर लो पर बाप ने किसी की नही सुनी और पूरा ध्यान बेटी की और रखा। बेटी बड़ी हुयी स्कूल गयी फिर कॉलेज।हर क्लास में फर्स्ट आयी बाप बहुत खुश होता लोग बधाइयाँ देते।बेटी अपने बाप के साथ खेत में काम करवाती, फसल अच्छी होने लगी, रिश्तेदार ये सब देख कर चिढ़ गए। जो उसको मनहूस कहते थे वो सब चिढ़ने लग गए।लड़की एक दिन अच्छा पढ़ लिख कर पुलिस में SP बन गयी।एक दिन किसी मंत्री ने उसको सम्मानित करने का फैसला लिया और समागम का बंदोबस्त करने के आदेश दिए। समागम उनके ही गाँव में रखा गया।मंत्री ने समागम में लोगों को समझाया के बेटा बेटी में फर्क नही करना चाहिए, बेटी भी वो सब कर सकती है जो बेटा कर सकता है।भाषण के बाद मंत्री ने लड़की को स्टेज पर बुलाया और कुछ कहने को कहा। लड़की ने माइक पकड़ा और कहा-मैं आज जो भी हूं अपने बाबुल (पिता) की वजह से हूं जो लोगों के ताने सह कर भी मुझे यहाँ तक ले आये। मेरे पालन पोषण के लिए दिन रात एक कर दिया।मैंने माँ नहीं देखी और न ही कभी पिता से कहा के माँ कैसी थी, क्योंकि अगर मैं पूंछती तो बाप को लगता के शायद मेरे पालन पोषण में कोई कमी रह गयी।मेरे लिये मेरे पिता से बढ़ कर कुछ नही बाप सामने लोगों में बैठ कर आंसू बहा रहा था बेटी की भी बोलते बोलते आँखे भर आयी।उसने मंत्री से पिता को स्टेज पर बुलाने की अनुमति ली। बाप स्टेज पर आया और बेटी को गले लगाकर बोला -रोती क्यों है बेटी, तू तो मेरा शेर पुत्तर है, तू ही कमजोर पड़ गया तो मेरा क्या होगा, मैंने तुझको सारी उम्र हँसते देखना है।बाप बेटी का प्यार देखकर सब की आँखें नम हो गयी। मंत्री ने बेटी के गले में सोने का मेडल डाला। लड़की ने मैडल उतार कर बाप के गले में डाल दिया।मंत्री ने कहा- ये क्या किया, तो लड़की बोली- मैडल को उसकी सही जगह पहुँचा दिया। और कहा इसके असली हकदार मेरे पिता जी हैं।समागम में तालियाँ बज उठी...!!यह उन लोगों के लिए सबक है जो बेटियों को चार दीवारी में रखना पसंद करते हैं, पर ये फूल बाहर खिलेंगे अगर आप पानी लगाकर इन फूलों की देखभाल करोगे
Monday, 28 December 2020
Sunday, 27 December 2020
👏🏼👏🏼 *बुजुर्ग पिताजी जिद कर रहे थे कि, उनकी चारपाई बाहर बरामदे में डाल दी जाये।* *बेटा परेशान था।* *बहू बड़बड़ा रही थी..... कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया.... AC TV FRIDGE सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं..?**पिता कमजोर और बीमार हैं....* *जिद कर रहे हैं, तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा।... पिता की इच्छा की पू्री करना उसका स्वभाव था।**अब पिता की एक चारपाई बरामदे में भी आ गई थी।* *हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता।* *अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते ।* *कुछ देर लान में टहलते लान में नाती - पोतों से खेलते, बातें करते,* *हंसते , बोलते और मुस्कुराते ।* *कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें भी लाने की फरमाईश भी करते ।* *खुद खाते , बहू - बेटे और बच्चों को भी खिलाते ....**धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।**दादा ! मेरी बाल फेंको। गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी,* *तो बेटा अपने बेटे को डांटने लगा...:**अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं, उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।**पापा ! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं....अंशुल भोलेपन से बोला।**क्या... "निकित ने आश्चर्य से पिता की तरफ देखा ?* *पिता ! हां बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं।* *लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।* *जब से गैलरी मे चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है।* *शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।**पिता कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था.....* *बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं**से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है....।**बुज़ुर्गों का सम्मान करें ।* *यह हमारी धरोहर है ...!**यह वो पेड़ हैं, जो थोड़े कड़वे है, लेकिन इनके फल बहुत मीठे है, और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !* _*लेख को पढ़ने के उपरांत अन्य समूहों में साझा अवश्य करें...!!**और अपने बुजुर्गों का खयाल हर हाल में अवश्य रखें...।*नमस्ते जी🙏🙏🙏🙏🔥🔥
Saturday, 26 December 2020
हम जब गुस्सा करते है, इससे हमारी ही सेहत खराब होती है। हमारे दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है और शरीर में रक्त का बहाव भी तीव्र हो जाता है ,जिससे blood-pressure भी बढ़ जाता है, और दिमाग पर भी बोझ इतना अधिक हो जाता है कि हमारे शरीर की नाड़ियो पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इससे लकवा भी हो सकता है।
Friday, 25 December 2020
Thursday, 24 December 2020
🙏Dedicated to all females ❤️❤️मुझे भी एक रविवार चाहिए, साल में बस एक दो बार ही चाहिए, खो रही हूँ अपने ही भीतर कहीं मैं, ख़ुद के साथ घण्टे दो चार चाहिए, मुझे भी एक रविवार चाहिए...सरपट दौड़ती रोज़ की सुबह नहीं, एक दिन मीठी सी भोर चाहिए, रसोई की चिंता यूँ तो कभी जाती नहीं, पर एक दिन मुझे भी अवकाश चाहिए, मुझे भी एक रविवार चाहिए...ना कपड़े, ना बर्तन, ना झाड़ू, ना कटका, ना बच्चों का होमवर्क, ना पानी का मटका, एक दिन इनकी न हो कोई फ़िक्र मुझे, एक प्याली गर्म चाय, बिस्तर पर चाहिए, मुझे भी एक रविवार चाहिए...सब बैठें हों जब साथ, मैं किचन में न रहूँ, वो बातें, वो ठहाके, जो छूट गए थे कभी, वो सब एक दिन के लिए लौटा दो मुझे, आधी हँसी नहीं, बेफ़िक्र मुस्कान चाहिए, मुझे भी एक रविवार चाहिए...घर के हर कोने में बसती है जान मेरी, मुझे प्यारी बहुत, है ये दुनिया मेरी, शिकायत नहीं है ये, है ख़्वाहिश मेरी, एक दिन मुझे भी थोड़ा आराम चाहिए, मुझे भी एक रविवार चाहिए...💔 🙏
Wednesday, 23 December 2020
न बीजेपी की कब्र खुद रही है न कांग्रेस की ,",कब्र खुद चुकी है लोकतंत्र की,"असल में यह लड़ाई बिलो की वापसी की नहीं है, ये लड़ाई उस राजनीतिक व्यवस्था से है जो लोकतंत्र को बंधक बना चुकी है ,लोकतंत्र की अलग परिभाषा गढ़ी जा चुकी है ,जिसके समर्थन में सियारो की फोज खड़ी हैं जो हर किसी का शिकार करने के लिए आमादा है एक रंगा सियार दिल्ली से हुक्की हूं चिल्लाता है बस उसकी फोज गला फाड़कर नकल करना शुरू कर देती है ,चाहे किसी पार्टी की सत्ता रही हो प्रश्न पार्टियों का नहीं है,न ही ये पार्टी का खड़ा किया हुआ आंदोलन है ,नहीं तो कब का खत्म हो चुका होता , जो पार्टी आज समर्थन कर रही है वहीं कल बिल के विरोध में थी और आज जो पार्टी विरोध कर रही है वहीं कल समर्थन में थी ,सवाल उस दृष्टिकोण का है कि सत्ता में बैठकर सत्ताधीश जनता को किस दृष्टि से देखता है ,कैसे ऐसा कोई बिल संसद में पारित हो सकता है जिसके लिए न्यायालय में जाने तक की मनाही है ।कैसे ऐसा कोई बिल संसद में व्यापार के नाम पर पारित हो सकता है जिसके केंद्र में कृषि हो जबकि कृषि संबंधित कानून राज्य का विषय है ।कैसे राज्य सभा में बिना किसी बहस के ,बिना वोट किए कानून पारित किया जा सकता है ।कैसे विरोध की आवाज को कोरॉना के नाम पर दबाया जा रहा है ,कैसे Corona के नाम पर संसद बंद कर दी गई जबकि इसी Corona समय में ही ये तीनों बिल पास किए गए ।क्या किसी देश का प्रधानमंत्री ये बोल सकता है कि उसके देश की जनता गुमराह हो गई है ।कैसे संभव है कि गाड़ी के नीचे कुत्ते के पिल्ले के आ जाने पर दर्द दिखाने वाले देश के प्रधानमंत्री के मुंह से शहीद किसानो की लिए एक शब्द भी नहीं निकले ।कैसे ऐसा कोई बिल देश की संसद में पास हो सकता है जो ये घोषणा करता है कि अनाज, चावल, प्याज आज से आवश्यक वस्तु नहीं रही ।एक ऐसे समय में जब देश में विपक्ष न के बराबर है,सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की कोई हिम्मत नहीं कर पा रहा है लोकतंत्र के सारे स्तंभ गिरा दिए गए हो लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी किसान ने उठाई है आज विपक्ष की भूमिका में किसान आकर खड़ा हो गया है ,इस आक्रोश को जितना जल्द समझेंगे उतना अच्छा होगा नहीं तो ये किसान आंदोलन इतिहास लिखने जा रहा है , ये लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है, किसानो के साथ खड़े हो जाइए नही तो कल जो होगा उसके जिम्मेदार केवल और केवल आप होंगे फैसला आपका लेना है क्योंकि देश आपका है
This is a holiday season but it doesn’t feel like one. With increasing covid cases, lockdown and the current farmers protest in India.farmers are struggling for their rights and are on the roads in freezing cold weather. My heart bleeds when I think of the people who have lost their lives during the protest. These are the people who deserve a voice and They are on the roads during the pandemic risking their lives because they know the new laws and bill will ruin the “future of their children”. 3 bills were passed in India that in their current form will result in more hardship for farmers. As such, the issue of farmer suicides in India has been grave. If these bills remain, it will become challenging for farmers to sustain. We must support and create awareness about the protest during present times. On an average one dead body of the farmer reaches Punjab everyday from the borders of Delhi. The farmers are vehemently protecting their land from industrialists and we need to support them. I believe, they need more than just prayers to win this fight. They need financial support and since they are not getting enough media coverage it’s crucial that we spread the word and create awareness. Please donate generously and share the pictures of the protest on social media. Please stand with the farmers ! Stand with humanity ! #standwithfarmerschallenge #SupportFarmersProtest #TractorToTwitterPhoto credit - Param Shiv 23 dec 2020.
This summary should also further explain all the Valid reasons behind the protest.1. Bill does not allow the farmer to approach the court. If there is a dispute, SDM will decide. If the decision is not acceptable, then the farmer must approach the Joint Secretary of central govt.a. Imagine a 2-acre farmer putting a fight with Corporations with legal departments in front of SDM OR traveling to Delhi to approach Joint Secretary2. Buyer will draw a contract and if a farmer cannot meet the agreement, then SDM can impose a fine of up to 5 lacs.a. Imagine farmer reading/negotiating Airtel or Jio contracts.b. How many of us were successful in getting these service providers a promised speed?c. Chips maker had a contract with potato farmers in Punjab, and later it rejected potatoes on the ground that potatoes are not of the same shape or size. Remember, potatoes grow in soil and are not manufactured in the cast.3. Bill waives tax (Punjab 8.5 and Haryana 6%) collected by Mandi boards from private buyers.a. This removes competition for private players from Mandi boards.b. This revenue is collected from central agencies to build rural area infrastructure. Who will now fill that tax hole?4. Bill does not guarantee MSP or mentions ita. Allows private players to buy farm produce at a lower price5. BILL removes essential commodity acta. Allow hoardings and raise prices for food items.6. Bill supporters claim that it removes the middleman (Arthiya).a. But Bill introduces now bigger sharks removing small fish.b. Arthiya works on a 1-2% service feec. He facilitates purchase from buyer bases on service fee like any other dealership or service provider.d. There is no mark up in the purchase price7. The crop being a 6-month cycle, Arthiya is like atm to farmers providing credit for 6 months cycle for inputs purchases.a. Now, with Arthiya being removed, who will provide creditb. Where does the farmer go for money to buy farm inputs and his daily needsc. Bill or Government has not created an alternative for this8. Why protests are limited to Punjab and Haryanaa. Farming is a state subject. States like Bihar had removed APMC in 2006, leaving only private players.b. Punjab and Haryana have developed a Mandi system over the years where any produce brought into Mandis cannot be purchased below MSP.c. Crops like Rice are sold in states like Bihar at a price below the MSP.d. Farmers from neighboring states sell their produce at MSP in Punjab or Haryana as these states have better Mandi system which offers MSPe. On ground Haryana BJP govt has stopped farmers from other states to sell their crops in Haryana which itself is stand opposite to Central Govts new Bills#CopiedandReposted#kisanektazindabaad#isupportfarmers#SupportFarmersProtest#kisaanektazindabad#tractor2twitter#supportkisaan#supportfarmers
*प्रेरणा दायक प्रसंग*💐🌷🌹*एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।"* *यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।**अगले दिन मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाए। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।* *अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।* *बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया।* *जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।**जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।* *यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे।* *"कर्म क्या है?"* *"हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ.।"* *हमारे सोच विचारों से ही हमारे कर्म बनते हैं।* 💐💐💐 💐
Tuesday, 22 December 2020
हाथ मे छड़ीपकडा हुआ हलबुआई का वक्तजी मे हलचल ।फटा कुर्तानङ्गे पाँवजेठ की धूपनसीब न छांव ।जोत बृषभभूखे प्यासेटपकती लारहॉपति सांसे ।सूखी रोटीछाछ या सागनिहारता मौसमअपना भाग ।गोबर की खुश्बूपसीने के स्नानसमय की बुआईबुद्धिमता की पहचान ।लहलाती फसलसीना तानसंम्पन कृषकगाँव की शान ।अतिवृष्टि या सूखाकंही मरे न भूखानोत्तंक मंडी भावफिर भी गहरा लगाव ।कंही निराई,कंही कटाईकभी सिंचाई,गोबर ढुलाईकिंटो पर करो दवाईवनचरों से अलग लड़ाई ।सर का साफाअलग पहचानसच्चाई,ईमानदारीकिसान महान । #supportkisaan
Monday, 21 December 2020
इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना😊चलती कलम छोड़ झाडू घसीटनादूध की मलाई खाना छोड़मक्खन के लिये बचत करनादुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़नाकभी साड़ी में घसीटनाकभी चुनरी खीसकने से संभालनाकिताबें छोड़गृहस्थी पढ़नाएक एक फुल्का गोल सेंकनासहेलियाँ छोड़दीवारों से बात करनाचुप रहनामस्तियाँ भुलाबड़ी होने का ढोंग करनाझुमकियों से कानों का बोझ मरनाघूंघट में खुद को गुनहगार समझनापीला रंग उड़ा कर*तुम्हारी पसंद पहननाहाथ की घड़ी उतारखनकती चूडियाँ पहननापायलों का पैरों में चुभनाकपड़ों के साथ सपने निचौड़धूप में सुखानारोज सुबह जल्दी उठनाअपनी फिक्र छोड़सबकी सुननामैथ के सवाल करते करतेअचानक दूध के हिसाब करनाइतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।😊*सभी महिलाओं को समर्पित*💐💃💃
Sunday, 20 December 2020
Saturday, 19 December 2020
10 लाख का दहेज़5 लाख का खानाघड़ी पहनायीअंगूठी पहनाईमंडे का खानाफिर सब सुसरालियो को कपड़े देना ।बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजनाबेटी हो गई कोई सज़ा हो गई।और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता हैफिर कभी नन्द आ रही है, जेठानी आ रही हैकभी चाची सास आ रही है मुमानी सास आ रही है टोलीया बनाबना के आते हैं और बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सबको आला से आला खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से वेलकमकरती है फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जातेहै फिर मंगनी हो रही है बियाह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तयहो रहे है 500 लाए या 800बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता हैशाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरीवजह से कर्ज में डूबा हैभगवान के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बापअपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके।
* कर्म - भोग * पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता - पिता , भाई - बहन , पति - पत्नि , प्रेमी - प्रेमिका , मित्र - शत्रु , सगे - सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं , सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है । * सन्तान के रुप में कौन आता है ?* वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का 'सम्बन्धी' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है -- * ऋणानुबन्ध :-* पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो , वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा , जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये । *शत्रु पुत्र :-* पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता - पिता से मारपीट , झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा । * उदासीन पुत्र :-* इस प्रकार की सन्तान ना तो माता - पिता की सेवा करती है और ना ही कोई सुख देती है । बस , उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । विवाह होने पर यह माता - पिता से अलग हो जाते हैं । * सेवक पुत्र :-* पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिए आपका पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपकी सेवा करता है । जो बोया है , वही तो काटोगे । अपने माँ - बाप की सेवा की है तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी , वर्ना कोई पानी पिलाने वाला भी पास नहीं होगा । आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती हैं । इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है । जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है । यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी । यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा और आपसे बदला लेगा । इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा ना करें । क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे , उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी । यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं । यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये । ज़रा सोचिये , "आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ? जो चले गये , वो कितना सोना - चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना - चाँदी , धन - दौलत बैंक में पड़ा रह गया , समझो वो व्यर्थ ही कमाया । औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है , खुद ही खा - कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ , वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।" मैं , मेरा , तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा , कुछ भी साथ नहीं जायेगा । साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ *नेकियाँ* ही साथ जायेंगी । इसलिए जितना हो सके *नेकी* करो *सतकर्म* करो । *📙 श्रीमद्भभगवतगीता।*
Friday, 18 December 2020
Thursday, 17 December 2020
बचपन मे जब भी कोई पूछता था,कितने भाई बहिन है,जोडने लगते थे हम सभी ,,,जल्दी जल्दी,,नन्ही नन्ही उंगलियों पे,,उंगलियाँ खत्म हो जाती,जोड़ नही क्योकिकज़िन क्या होता है ,,,पता ही नही था।माँ ने कहाये तेरे बडे भाई है ये छोटी बहन,,बस ,,हो गए हम ढेर सारे,गर्मी की छुट्टियाँ,कब आती,कब बीत जातीपता ही नही था।जब भूख लगे ,जिस घर के बाहर खेलते उसी मे घुस जाते ,वे अपने ना थे ,पता ही ना था।चाची,ताई,मासी,बुआ,ना जाने कितने अपने लोग ,कितने प्यारे रिश्ते,,एक ही टोकरी मे सजे अलग अलग फूलों की भाँति ,उतना ही अपना पन ,,उतनी ही डाँट,,परायापन क्या होता है पता ही ना था।बड़े हुए तब सुने ,,,अपने परायों के किस्से,,पर मन,वो तो रंग चुका था ,,प्यार और अपनेपन के उन रंगो मे ,जो कभी नही छूटता ,बंध चुका था उन रिश्तों की अदृश्य डोरियों मे ,जो कभी नही टूटता ।लगभग तीन चार दशको बाद ,आज,जब जीने चलेफिरसे उन पलों को ,तो इतना सुखद अहसास,,आज भी सभी,मेरे जैसे ही ,खड़े है उसी मोड पर ,एक दूसरे का इंतजार करते ,उन यादो को मुट्ठियों मे थामे खोलते उडाते से,,रंग-बिरंगी यादो की तितलियाँ,,और उन्हे पकडते हम सभी उल्लास और आन्नद से भरे हुए,सच है ,बचपन वापस तो नही लौटता ,,पर जिया जा सकता है ,उन यादों को,फिर से एकबार।ये भी सच है,,, संजोये जा सकता है,फिर से एकबारउन रिश्तों को जो पीछे छूटे से जान पडते है ,,पर कभी नही टूटे ,,,दिल के करीब जो थे।"गुज़र गया आज का दिन भी यूँ ही बेवजह,न मुझे फुर्सत मिली न तुझे खयाल आया"🌞🌞🌞🙏🙏🙏🙏🙏 🌹🌹🌹🌹🙏🙏जब किसी में गुण दिखाई दे तो मन को " कैमरा " बना लीजिए और जब किसी में " अवगुण " दिखाई दे तो " मन " को "आईना " बना लीजिए......!!🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ह्रदय स्पर्श करने वाली कविता....जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे, कहीं प्यार कहीं टकराव मिलेगा। कहीं बनेंगे संबंध अंतर्मन से तो, कहीं आत्मीयता का अभाव मिलेगा । कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो, कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा । कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो, कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा । कहीं बनेंगे पराए रिश्तें भी अपने तो कहीं अपनों से ही खिंचाव मिलेगा। कहीं होगी खुशामदें चेहरे पर तो, कहीं पीठ पे बुराई का घाव मिलेगा। तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे, जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा। रख स्वभाव में शुद्धता का 'स्पर्श तू, अवश्य जिंदगी का पड़ाव मिलेगा ।
पोस्ट_अच्छे_से_पढ़ो 😃💐🙏🙏आजकल जहां देखो लड़के लडकिया भाग कर शादी कर रहे हैं। और ऐसे नीच कर्म करना बहादुरी समझते है मुझे एक बात बताओ जब तुम्हारी औकात ही नहीं है घरवालों का सामना करने की या उन्हें सच बताने की तो प्यार ही क्यू करते हो??मा बाप अपनी पूरी ज़िंदगी तुम्हारे लिए जीते मरते हैं जो चाहते हो लाते है। इसीलिए की तुम बड़े होकर उन्हें धोका देकर भाग जाओ? ये प्यार नही यह एक हवस और गंदी मानसिकता है जो दो घर की इज्जत नर्क बन जाती है प्रेम शब्द को हवस का नाम ऐसे ही गिरे हुए लोग दिये है जो आज के समय में सच्चे प्रेम का भी कोई भरोसा और इज्जत नही करता हैकल की आई लड़की और लड़के को तुम धोका नहीं दे सकते इतना महान तुम्हारा प्यार है जो माता पिता से भी बढ कर?? लेकिन जो तुम्हारे सहारे जीते हैं और जो तुम्हारे लिए जीते है उनको धोका दे सकते हो। वाहआजकल लड़के लडकिया पैदा बाद में होते हैं और प्यार पहले हो जाता हैं। एक बात बताओ क्या माँ बाप से ज्यादा प्यार तुम्हे कोई दे सकता हैं। माँ बाप अपने लिए बाद में पहलेतुम्हारी ख़्वाहिशों को पूरा करते हैं और बदले में मांगते ही क्या हैं तुमसे ???मां बाप का सर ऊँचा करने की जहग तुम उनको शर्मसार करते हो समाज के सामने।कहा जाओगे भाग कर और कब तक भागोगे। ???तुम्हारे लिए माँ बाप से जरूरी कल के आये लोग हैं। अरे कुछ तो शर्म करो कि समाज में मुंह दिखाने लायक रह सको खुद तो निकल के कुते कुतिया जैसा जिंदगी जी लेते हो और माता पिता कि जिंदगी समाज के सामने हमेशा के लिए झुका देते हो क्या यही है तुम्हारे प्यार कि औकात??मुझे नहीं पता मेरी पोस्ट से किस किसको बुरा लगेगा लेकिन प्यार करना है तो हिम्मत रखो भागना कायरो का काम है।और अगर मा बाप ना माने तो तुम क्या अपनी एक खुशी उनको नहीं दे सकते जो पूरी ज़िंदगी तुम्हारे लिए जीते हैं।बुरा_लगे_तो_माफ_करना
Wednesday, 16 December 2020
वो भी एक मां है #सासयों सास को बदनाम ना करोबहुत बड़ा दिल रखती हैजीवन की जमा पूंजी सब दे देती हैसौप देती जो कभी उसका थाजिस घर की मालकिन थी वोथाल सजा ,तेरे हाथों के निशानतेरी आरती उतारघर की चाबी भी सौप देती अपना सब देकर नजर तो रखेंगीतुझे आजमाने के लिए तेरी परीक्षा भी तो लेगीअपनी मालकियत के कुछ अनुभव भी तुम्हे देंगीकभी तुमसे रूठ जाएं तोप्यार से मना लेनाये अनमोल रिश्ता हैप्यार से सजा लेनाकितना बड़ा दिल होगाजो अपना जिगर का टुकड़ातुम्हे सौप देती हैबदले में बस कभी कभी उसकी टोह लेती हैसास तेरे सुहाग की दुआ करती हैउसके लिए खुद दुख सहती हैहां कभी सुना देती हैथोड़ा बडबडा भी लेती हैपर सर दर्द में चाय भी बना के देती हैतेरे बेटा होने पे वो भी नाच लेती हैकभी कभी तो तेरे बच्चौ संगवो भी बचपन जी लेती हैउसका भी दिल होता हैवो जताती नहींकभी बताती नहींचुपके से तेरे लिए वो दुआ करती हैतेरी गृहस्थी से एक वो ही हैजो कभी जलती नही🙏🙏
Tuesday, 15 December 2020
🙏🏻जैसे फोन से परेशान होकर साइलेंट पर रखा जाता है तो क्या फ़ोन या मैसेज नहीं आते ?आते हैं पर उनकी आवाज आप तक नहीं आती , इसी तरह यह शरीर भी एक यन्त्र है इसमें मन एक फ़ोन की तरह है इसमें अनन्त विचार, लहरें,मन में खट-पट होती रहती है क्या हमें मन को साइलेंट पर रखना आता है? कठिन है पर असम्भव नहीं, जैसे फोन पर मैसेज आते रहते हैं इसी तरह मन में विचार तो आयेंगे पर इन विचारों को साक्षी की तरह देखने की कला आनी चाहिए,तब ये आयेंगे तो सही, पर साइलेंट रहेंगे,पर यह कला " सतगुरु जी " के अलावा कोई नहीं सिखा सकता🙏🏻
Monday, 14 December 2020
Sunday, 13 December 2020
औरत बिक जाती हैप्यार के दो बोल सेपति के कह देने भर सेआज खाने में मजा आ गयाबच्चे जब कहते हैमां मुझे समझती हैवो दुगने उत्साह से जुट जाती हैउनकी पसंद को खोज लाती हैसास जब कहती हैमेरी बहू औरो सी नहींवो अपनी मां को उस दिन भूल जाती हैसास से दिल का रिश्ता निभाती हैसच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती हैप्यार के दो बोल को तरस जाती हैबस खोजती है अपने सम्मान कोकभी पति की आंखो मेंकभी बच्चो के सपनो मेंओर कभी रिश्तों ओर अपनो मेंवो सब को देख खुश हो लेती हैबिना विटामिन खाए जी लेती हैसब को मुस्कराया देख खुश हो लेती हैउनके खिले चेहरे में खुद को संजो लेती हैऔरत को देह से अलग जान पाओगेतो सही मायनों में उसके प्यार को पाओगेवो खुद को मिटा कर भी खुश होती हैदर्द झेलकर भी जिंदगी देती हैकाश उसके मोल को समझ पाओउसके पास जा कभी प्यार से बतलाओउसके कहे को हल्के में ना उड़ाओउसे भी अपनी तरह काबिल बताओ
Saturday, 12 December 2020
10 लाख का दहेज़5 लाख का खानाघड़ी पहनायीअंगूठी पहनाईमंडे का खानाफिर सब सुसरालियो को कपड़े देना ।बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजनाबेटी हो गई कोई सज़ा हो गई।और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता हैफिर कभी नन्द आ रही है, जेठानी आ रही हैकभी चाची सास आ रही है मुमानी सास आ रही है टोलीया बनाबना के आते हैं और बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सबको आला से आला खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से वेलकमकरती है फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जातेहै फिर मंगनी हो रही है बियाह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तयहो रहे है 500 लाए या 800बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता हैशाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरीवजह से कर्ज में डूबा हैभगवान के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बाप, कर्ज में डूबा ना हो वअपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके।बदलाव एक कोशिश#####
Friday, 11 December 2020
ज़फरनामा फिर से गढ़ा जा रहा है। अनपढ़ औरंगज़ेब से कहाँ पढ़ा जा रहा है।उसे ऊंची आवाज़ मैं सुनाना भी पड़ेगा। और मतलब समझाना भी पड़ेगा। ये हिन्द की ज़मीं है। ना पहले थी। ना ज़ुल्म की अब कमी है। वक़्त हर ज़ालिम का सिमटता चला जायेगा। ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ेगा तो मिटता चला जायेगा। खून फिर खून है बहेगा तो रुकता चला जायेगा।
Thursday, 10 December 2020
Wednesday, 9 December 2020
सिखों से सीखोकोई बस नहीं जली , ना उठा कहीं धुआं है, ऐसा लगा ही नहीं, कि आंदोलन हुआ है ।किसी की दुकान नहीं टूटी , नुकसान भी किसी को नहीं हुआ है, सर पर सवार खून नहीं है, मां बेटीयों को किसी ने नहीं छुआ है।लोग सड़कों पर तो पहले भी देखे हैं, पर ऐसा मंज़र कभी न हुआ है, यूं ही मिसाल नहीं देते लोग इनकी, यूंही नहीं वो गुरु का सिख हुआ है,जहां माएँ बना रही लंगर , भाई कर रहे दुआ हैं, ऐसा लगा ही नहीं, कि आंदोलन हुआ है ।
Monday, 7 December 2020
किसान नहीं ,तो अन्न नहीं यह लड़ाई किसी मज़हब की नहीं है ।यह लड़ाई है हकूमत के साथ अपने हक़ को मांगने की।सारे भारत के किसान इकट्ठे एक जुट हो कर अपना हक़ मांग रहे हैं गवर्नमेंट से । आज किसानों की बारी है कल को किसी और की बारी आ सकती है .! कृपया कानून समझने की कोशिश करें और सबसे निवेदन है की किसानों का साथ दीजिये ! धन्यवाद 🙏beautiful life skl
Sunday, 6 December 2020
💙💙💙💙वाहेगुरूजी 💙💙💙💙✍️जिस दिन हमारी मौत होती है, हमारा पैसा बैंक में ही रहा जाता है।जब हम जिंदा होते हैं तो हमें लगता है कि हमारे पास खर्च करने को पया॔प्त धन नहीं है।जब हम चले जाते है तब भी बहुत सा धन बिना खर्च हुये बच जाता है।एक चीनी बादशाह की मौत हुई। वो अपनी विधवा के लिये बैंक में 1.9 मिलियन डालर छोड़ कर गया। विधवा ने जवान नौकर से शादी कर ली। उस नौकर ने कहा -"मैं हमेशा सोचता था कि मैं अपने मालिक के लिये काम करता हूँ अब समझ आया कि वो हमेशा मेरे लिये काम करता था।"सीख 👇ज्यादा जरूरी है कि अधिक धन अर्जन कि बजाय अधिक जिया जाय। अच्छे व स्वस्थ शरीर के लिये प्रयास करिये।मँहगे फ़ोन के 70% फंक्शन अनोपयोगी रहते है।मँहगी कार की 70% गति का उपयोग नहीं हो पाता।आलीशान मकानो का 70% हिस्सा खाली रहता है।पूरी अलमारी के 70% कपड़े पड़े रहते हैं।पूरी जिंदगी की कमाई का 70% दूसरो के उपयोग के लिये छूट जाता है।70% गुणो का उपयोग नहीं हो पातातो 30% का पूर्ण उपयोग कैसे हो :-स्वस्थ होने पर भी निरंतर चैक अप करायें।प्यासे न होने पर भी अधिक पानी पियें।जब भी संभव हो, अपना अहं त्यागें ।शक्तिशाली होने पर भी सरल रहे ।धनी न होने पर भी परिपूण॔ रहें।बेहतर जीवन जीयें !काबू में रखें - प्रार्थना के वक़्त अपने दिल को !काबू में रखें - खाना खाते समय पेट को !काबू में रखें - किसी के घर जाएं तो आँखों को !काबू में रखें - महफ़िल मे जाएं तो ज़बान को !काबू में रखें - पराया धन देखें तो लालच को !भूल जाएं - अपनी नेकियों को, भूल जाएं - दूसरों की गलतियों को, भूल जाएं - अतीत के कड़वे संस्मरणों को, छोड दें - दूसरों को नीचा दिखाना !छोड दें - दूसरों की सफलता से जलना !छोड दें - दूसरों के धन की चाह रखना !छोड दें - दूसरों की चुगली करना !छोड दें - दूसरों की सफलता पर दुखी होना ! यदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं, घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं ! यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैंतो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में शामिल हैं ! यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैंतो आप उन लाखों लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें !जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में नहीं हैंबल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के अन्य हजारों कारणों में है !यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैंतो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते !अगर आपको यह सन्देश बार बार मिले तो परेशान होने की बजाय आपको खुश होना चाहिए ! एक खूबसूरत सोच अगर कोई पूछे कि जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ? .... .... तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वो प्रभु की मेहेरबानी थी। क्या खुबसूरत रिश्ता है मेरे और मेरे भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगती नहीं और कम वो देता नहीं...✍”. !! जीवन के तीन मंत्रआनंद में - वचन मत दीजिये क्रोध में - उत्तर मत दीजिये दुःख में - निर्णय मत लीजिये जीवन मंत्र १) धीरे बोलिये 👉 शांति मिलेगी२) अहम छोड़िये 👉 बड़े बनेंगे३) भक्ति कीजिए 👉 मुक्ति मिलेगी४) विचार कीजिए 👉 ज्ञान मिलेगा५) सेवा कीजिए 👉 शक्ति मिलेगी६) सहन कीजिए 👉 देवत्व मिलेगा७) संतोषी बनिए 👉 सुख मिलेगा "इतना छोटा कद रखिए कि सभी आपके साथ बैठ सकें। और इतना बड़ा मन रखिए कि जब आप खड़े हो जाऐं, तो कोई बैठा न रह सके।" शानदार बात झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह "कचरा" साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है, तो खुद कचरा हो जाती है। इस लिये, हमेशा संगठन से बंधे रहें , बिखर कर कचरा न बने !!🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Saturday, 5 December 2020
Heat touching wordings ❤❤पंक्तियाँ जो दिल को छू गई ♥️♥️*पीठ में बहुत दर्द था*डाॅक्टर ने कहाअब और मत झुकना अब और अधिक झुकने कीगुंजाइश नहीं रहीझुकते-झुकते तुम्हारी रीढ़ की हड्डी में गैप आ गया है सुनते ही हँसी और रोना एक साथ आ गया...ज़िंदगी में पहली बार किसी के मुँह से सुन रही थीये शब्द "मत झुकना..."बचपन से तो घर के बड़े, बूढ़ों माता-पिताऔर समाज सेयही सुनती आई है,"झुकी रहना..."नारी के झुके रहने से हीबनी रहती है गृहस्थी...नारी के झुके रहने से हीबने रहते हैं संबंधनारी के झुके रहने से हीबना रहता हैप्रेम...प्यार...घर...परिवारझुकती गई,झुकते रही,झुकी रही,भूल ही गई...उसकी कहीं कोई रीढ़ भी है...और ये आज कोई कह रहा है"झुकना मत..."परेशान-सी सोच रही हैकि क्या सच में लगातार झुकने से रीढ़ की हड्डी अपनी जगह सेखिसक जाती है ?और उनमें कहीं गैप,कहीं ख़ालीपन आ जाता है ?सोच रही है...बचपन से आज तकक्या क्या खिसक गयाउसके जीवन सेकहाँ कहाँ ख़ालीपन आ गयाउसके अस्तित्व में कहाँ कहाँ गैप आ गयाउसके अंतरतम में बिना उसके जाने समझे...उसका अल्हड़पनउसके सपनेकहाँ खिसक गयेउसका मनउसकी चाहतकितने ख़ाली हो गयेउसकी इच्छा, अनिच्छा में कितना गैप आ चुकाक्या वास्तव में नारी कीरीढ़ की हड्डी भीहोती है समझ नहीं आ रहा...🙏🙏🙏🙏
मर्द इसे कहते हैं.........🤵किसी ने ...मेरे ऊपर हँसकर कहा बीबी के लिए इतना करेगा तो जोरू का गुलाम बन जायगा .....अगर उसके आगे हर बार झुका तो मर्द के नाम पर दाग लग जायगा जब तुझसे अपनी औरत ही बस में नहीं हो सके तो तू क्या मर्द बन पाएगा .....मैं छोटे शब्दो में छोटा जवाब दे गया .......मैं उसकी गलतियों पर मारकर मर्द ना बन पाउ पर उसको प्यार से समझाकर उसका दोस्त बन जाउंगा ........उसकी खुशी के लिये हर बार झुक जाऊगा तो मर्द नहीं उसका प्यार बन जाउंगा उसकी हर बातो को बड़े प्यार से सुन जाऊ तो मर्द नहीं अपने पन का एहसास उसको हमेशा दिलाऊंगा.......उसके हर दुःख हर तकलीफ में उसके साथ खड़ा हो जाऊगा तो मर्द नहीं उसका पति बन जाउंगा ..... उसके हर एहसास हर जज्बातो को दिल से समझ जाऊ तो उसको हमेशा अपना बनाऊँगा .....मर्द बनू या ना बनू पर उसकी जिंदगी खुशीयो से भर जाये ऐसा उनका हम सफर बन जाउंगा ......,.लक्ष्मी कहते है घर की ओरतो को तो उनको लक्ष्मी अपने घर की बनाऊगा उसका भी हक होगा मुझ पर ऐसा उसको एहसास दिलाऊंगा .......उसको मारकर मैं अपनी लक्ष्मी को कैसे रुसवा कर पाउंगा .....कभी सुना है की भगवान को कोई मारता है तो मैं अपनी लक्ष्मी पर कैसे हाथ उठाऊंगा ....मर्द की मर्दानगी कुत्तो में नहीं शेरो में आजमाई जाती है ....लड़की और औरत पर हाथ उठाकर तो बुजदिली कहलायी जाती हैघर की औरतो को दिल से समझकर तो मर्द की सच्ची शान कहलायी जाती है ...🙏🙏Respect woman 🙏🙏
_चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने__अपनी पत्नी से कहा : हमारे ज़माने में__मोबाइल नहीं थे...__*पत्नी*_ : _पर ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर_ _मैं पानी का ग्लास लेकर_ _दरवाज़े पे आती और__आप आ पहुँचते...__*पति*_ : _मैंने तीस साल नौकरी की__पर आज तक मैं ये नहीं समझ__पाया कि__मैं आता इसलिए तुम__पानी लाती थी__या तुम पानी लेकर आती थी_ _इसलिये मैं आता था...__*पत्नी*_ : _हाँ... और याद है..._ _तुम्हारे रिटायर होने से पहले__जब तुम्हें डायबीटीज़ नहीं थी_ _और मैं तुम्हारी मनपसन्द खीर बनाती_ _तब तुम कहते कि__आज दोपहर में ही ख़्याल आया__कि खीर खाने को मिल जाए_ _तो मज़ा आ जाए...__*पति*_ : _हाँ... सच में...__ऑफ़िस से निकलते वक़्त__जो भी सोचता,__घर पर आकर देखता__कि तुमने वही बनाया है...__*पत्नी*_ : _और तुम्हें याद है__जब पहली डिलीवरी के वक़्त__मैं मैके गई थी और__जब दर्द शुरु हुआ__मुझे लगा काश...__तुम मेरे पास होते...__और घंटे भर में तो..._ _जैसे कोई ख़्वाब हो...__तुम मेरे पास थे...__*पति*_ : _हाँ... उस दिन यूँ ही ख़्याल__आया__कि ज़रा देख लूँ तुम्हें...__*पत्नी*_ : _और जब तुम__मेरी आँखों में आँखें डाल कर_ _कविता की दो लाइनें बोलते...__*पति*_ : _हाँ और तुम__शरमा के पलकें झुका देती__और मैं उसे__कविता की 'लाइक' समझता...__*पत्नी*_ : _और हाँ जब दोपहर को चाय_ _बनाते वक़्त__मैं थोड़ा जल गई थी और_ _उसी शाम तुम बर्नोल की ट्यूब_ _अपनी ज़ेब से निकाल कर बोले.._ _इसे अलमारी में रख दो...__*पति*_ : _हाँ... पिछले दिन ही मैंने देखा था_ _कि ट्यूब ख़त्म हो गई है...__पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए.._ _यही सोच कर मैं ट्यूब ले आया था...__*पत्नी*_ : _तुम कहते ...__आज ऑफ़िस के बाद__तुम वहीं आ जाना_ _सिनेमा देखेंगे और__खाना भी बाहर खा लेंगे...__*पति*_ : _और जब तुम आती तो__जो मैंने सोच रखा हो_ _तुम वही साड़ी पहन कर आती...__फिर नज़दीक जा कर_ _उसका हाथ थाम कर कहा :__हाँ, हमारे ज़माने में__मोबाइल नहीं थे...__पर...__हम दोनों थे!!!__*पत्नी*_ : _आज बेटा और उसकी बहू__साथ तो होते हैं पर...__बातें नहीं व्हाट्सएप होता है...__लगाव नहीं टैग होता है...__केमिस्ट्री नहीं कमेन्ट होता है...__लव नहीं लाइक होता है...__मीठी नोकझोंक नहीं_ _अनफ़्रेन्ड होता है...__उन्हें बच्चे नहीं कैन्डीक्रश सागा,__टैम्पल रन और सबवे सर्फ़र्स चाहिए...__*पति*_ : _छोड़ो ये सब बातें...__हम अब Vibrate Mode पर हैं...__हमारी Battery भी 1 लाइन पे है...__अरे!!! कहाँ चली?__*पत्नी*_ : _चाय बनाने...__*पति*_ : _अरे... मैं कहने ही वाला था__कि चाय बना दो ना...__*पत्नी*_ : _पता है...__मैं अभी भी कवरेज क्षेत्र में हूँ__और मैसेज भी आते हैं...__दोनों हँस पड़े...__*पति*_ : _हाँ, हमारे ज़माने में__मोबाइल नहीं थे..._😊🙏😊🙏😊🙏वाक़ई बहुत कुछ छुट गया और बहुत कुछ छुट जायेगा,,, ,,शायद हम अंतिम पीढ़ी है जिसे प्रेम, स्नेह, अपनेपन ,सदाचार और सम्मान का प्रसाद वर्तमान पीढ़ी को बाटना पड़ेगा ।। जरूरी भी है*_To every lovely couple._*
Friday, 4 December 2020
Thursday, 3 December 2020
बांसुरी के तीन गुण पहला- बांसुरी में गांठ नहीं है, जो संकेत है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो, यानि मन में बदले की भावना मत रखो।दूसरा गुण- बिना बजाये ये बजती नहीं है, मानो ये बता | रही है कि जब तक आवश्यक नही हो, ना बोलें।और तीसरा- जब भी बजती है, मधुर ही बजती है। अर्थात जब भी बोलो... मीठा ही बोलो।
*एक गरीब एक दिन एक सिक्ख के पास अपनी जमीन बेचने गया, बोला सरदार जी मेरी 2 एकड़ जमीन आप रख लो.* *सिक्ख बोला, क्या कीमत है ?* *गरीब बोला, 50 हजार रुपये.**सिक्ख थोड़ी देर सोच कर बोला, वो ही खेत जिसमें ट्यूबवेल लगा है ?* *गरीब: जी. आप मुझे 50 हजार से कुछ कम भी देंगे, तो जमीन आपको दे दूँगा.**सिक्ख ने आँखें बंद कीं, 5 मिनट सोच कर बोला: नहीं, मैं उसकी कीमत 2 लाख रुपये दूँगा.* *गरीब: पर मैं तो 50 हजार मांग रहा हूँ, आप 2 लाख क्यों देना चाहते हैं ?**सिक्ख बोला, तुम जमीन क्यों बेच रहे हो ?**गरीब बोला, बेटी की शादी करना है इसीलिए मज़बूरी में बेचना है. पर आप 2 लाख क्यों दे रहे हैं ?**सिक्ख बोला, मुझे जमीन खरीदनी है, किसी की मजबूरी नहीं. अगर आपकी जमीन की कीमत मुझे मालूम है तो मुझे आपकी मजबूरी का फायदा नहीं उठाना, मेरा वाहेगुरू कभी खुश नहीं होगा.* *ऐसी जमीन या कोई भी साधन, जो किसी की मजबूरियों को देख के खरीदा जाये वो जिंदगी में सुख नहीं देता, आने वाली पीढ़ी मिट जाती है.* *सिक्ख ने कहा: मेरे मित्र, तुम खुशी खुशी, अपनी बेटी की शादी की तैयारी करो, 50 हजार की व्यवस्था हम गांव वाले मिलकर कर लेंगे, तेरी जमीन भी तेरी ही रहेगी.* *मेरे गुरु नानक देव साहिब ने भी अपनी बानी में यही हुक्म दिया है.**गरीब हाथ जोड़कर नीर भरी आँखों के साथ दुआयें देता चला गया।* *ऐसा जीवन हम भी बना सकते हैं.**बस किसी की मजबूरी न खरीदें, किसी के दर्द, मजबूरी को समझ कर, सहयोग करना ही सच्चा तीर्थ है, एक यज्ञ है. सच्चा कर्म और बन्दगी है.* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Wednesday, 2 December 2020
आर जे प्रेजेंट........जीवन जीने की कला........50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l ** सु:खमय वृद्धावस्था **---------------------------------1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें !2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं ! 4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें ! 7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩🏫👨🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷♂ परेशानियां चलती रहतीं हैं !11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें ! 12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा ! 13 :- किसी भी तरह के टकराव 🤫🤔 को टालें एंव तनाव रहित जीवन को जिएं ! 😊14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं 💁♀🤦🏻♂🙅♀भी नहीं, इस बात का विश्वास करें ! 15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक 🚗🏡💰👩👩👦👦🙋♀🙋♂ पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !! 🙏😊🙏😊🙏😊🙏😊🙏जय जय सीताराम...जय श्री कृष्ण........
Tuesday, 1 December 2020
Monday, 30 November 2020
सतगुरु नानक परगटया..।।मिटी धुंध जग चानण होआ..।।धन धन श्री गुरू नानक देव जी के प्रकाश उत्सव की आप सभी को लख-लख बधाईयां...।। सतनाम श्री वाहेगुरु जी..।।SAT GURU NANAK PARGATIYAA..!MITTI DHUNDH JAGG CHAANAN HOAAA..!!DHAN DHAN SHRI GURU NANAK DEV JI KE PARKASH UTSAV KI AAP SABHI KO LAKH LAKH VADHAYIA..!!SATNAM SHRI WAHEGURU JI..!!!#waheguruji#DhanGuruNanak
Saturday, 28 November 2020
Friday, 27 November 2020
Thursday, 26 November 2020
Wednesday, 25 November 2020
Tuesday, 24 November 2020
Monday, 23 November 2020
कल सैलून वाले क़ी दुकान पर एक स्लोगन पढा़ ..🤔"हम दिल का बोझ तो नहीं पर सिर का बोझ जरूर हल्का कर सकते हैं "..🤣लाइट क़ी दुकान वाले ने बोर्ड के नीचे लिखवाया ..🙄"आपके दिमाग की बत्ती भले ही जले या ना जले,परंतु हमारा बल्ब ज़रूर जलेगा ".. 🤣चाय के होटल वाले ने काउंटर पर लिखवाया ..🤪"मैं भले ही साधारण हूँ, पर चाय स्पेशल बनाता हूँ।"🤣🤣🤣🤣🤣एक रेस्टोरेंट ने सबसे अलग स्लोगन लिखवाया ..🙄"यहाँ घऱ जैसा खाना नहीं मिलता, आप निश्चिंत होकर अंदर पधारें।"इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर स्लोगन पढ़ा तो मैं भाव विभोर हो गया ..🙄"अगर आपका कोई फैन नहीं है तो यहाँ से ले जाइए "..😂😂😂😂गोलगप्पे के ठेले पर एक स्लोगन लिखा था ..😜"गोलगप्पे खाने के लिए दिल बड़ा हो ना हो, मुँह बड़ा रखें, पूरा खोलें" ..🤣🤣🤣🤣फल भंडार वाले ने तो स्लोगन लिखने की हद ही कर दी ..😅"आप तो बस कर्म करिए, फल हम दे देंगे ".. 🤣🤣🤣घड़ी वाले ने एक ग़ज़ब स्लोगन लिखा ..?"भागते हुए समय को बस में रखें, चाहे दीवार पर टांगें, चाहे हाथ पर बांधें..."..🤣🤣🤣🤣ज्योतिषी ने बोर्ड पर स्लोगन लिखवाया ..😅"आइए .. मात्र 100 रुपए में अपनी ज़िंदगी के आने वाले एपिसोड देखिए ..."🤣🤣🤣बालों के तेल क़ी एक कंपनी ने हर प्रोडक्ट पर एक स्लोगन लिखा ..😜"भगवान ही नहीं, हम भी बाल बाल बचाते हैं।" ..😂😂😂😂अंत में शराब की दुकान पर लिखा सबसे अच्छा सबसे बढ़िया स्लोगन- "बोतल शराब की ख़ुद "ख़ाली" होकर🍾दूसरों को "फ़ुल" कर देती है !! परोपकार की जय!!!🤗🤗🤗🤗🤗 ".. 🤣🤣
एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी: राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी जीत से प्रसन्न था और उसने हर्षवर्धन के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा...यदि तुम एक प्रश्न का जवाब हमें लाकर दे दोगे तो हम तुम्हारा राज्य लौटा देंगे, अन्यथा उम्र कैद के लिए तैयार रहें।प्रश्न है.. एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?इसके लिए तुम्हारे पास एक महीने का समय है हर्षवर्धन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया..वे जगह जगह जाकर विदुषियों, विद्वानों और तमाम घरेलू स्त्रियों से लेकर नृत्यांगनाओं, वेश्याओं, दासियों और रानियों, साध्वी सब से मिले और जानना चाहा कि एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ? किसी ने सोना, किसी ने चाँदी, किसी ने हीरे जवाहरात, किसी ने प्रेम-प्यार, किसी ने बेटा-पति-पिता और परिवार तो किसी ने राजपाट और संन्यास की बातें कीं, मगर हर्षवर्धन को सन्तोष न हुआ।महीना बीतने को आया और हर्षवर्धन को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला..किसी ने सुझाया कि दूर देश में एक जादूगरनी रहती है, उसके पास हर चीज का जवाब होता है शायद उसके पास इस प्रश्न का भी जवाब हो..हर्षवर्धन अपने मित्र सिद्धराज के साथ जादूगरनी के पास गए और अपना प्रश्न दोहराया।जादूगरनी ने हर्षवर्धन के मित्र की ओर देखते हुए कहा.. मैं आपको सही उत्तर बताऊंगी परंतु इसके एवज में आपके मित्र को मुझसे शादी करनी होगी ।जादूगरनी बुढ़िया तो थी ही, बेहद बदसूरत थी, उसके बदबूदार पोपले मुंह से एक सड़ा दाँत झलका जब उसने अपनी कुटिल मुस्कुराहट हर्षवर्धन की ओर फेंकी ।हर्षवर्धन ने अपने मित्र को परेशानी में नहीं डालने की खातिर मना कर दिया, सिद्धराज ने एक बात नहीं सुनी और अपने मित्र के जीवन की खातिर जादूगरनी से विवाह को तैयार हो गयातब जादूगरनी ने उत्तर बताया.."स्त्रियाँ, स्वयं निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं | "यह उत्तर हर्षवर्धन को कुछ जमा, पड़ोसी राज्य के राजा ने भी इसे स्वीकार कर लिया और उसने हर्षवर्धन को उसका राज्य लौटा दियाइधर जादूगरनी से सिद्धराज का विवाह हो गया, जादूगरनी ने मधुरात्रि को अपने पति से कहा..चूंकि तुम्हारा हृदय पवित्र है और अपने मित्र के लिए तुमने कुरबानी दी है अतः मैं चौबीस घंटों में बारह घंटे तो रूपसी के रूप में रहूंगी और बाकी के बारह घंटे अपने सही रूप में, बताओ तुम्हें क्या पसंद है ?सिद्धराज ने कहा.. प्रिये, यह निर्णय तुम्हें ही करना है, मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया है, और तुम्हारा हर रूप मुझे पसंद है ।जादूगरनी यह सुनते ही रूपसी बन गई, उसने कहा.. चूंकि तुमने निर्णय मुझ पर छोड़ दिया है तो मैं अब हमेशा इसी रूप में रहूंगी, दरअसल मेरा असली रूप ही यही है।बदसूरत बुढ़िया का रूप तो मैंने अपने आसपास से दुनिया के कुटिल लोगों को दूर करने के लिए धरा हुआ था ।अर्थात, सामाजिक व्यवस्था ने औरत को परतंत्र बना दिया है, पर मानसिक रूप से कोई भी महिला परतंत्र नहीं है।इसीलिए जो लोग पत्नी को घर की मालकिन बना देते हैं, वे अक्सर सुखी देखे जाते हैं। आप उसे मालकिन भले ही न बनाएं, पर उसकी ज़िन्दगी के एक हिस्से को मुक्त कर दें। उसे उस हिस्से से जुड़े निर्णय स्वयं लेने दें।
Sunday, 22 November 2020
Saturday, 21 November 2020
Friday, 20 November 2020
Thursday, 19 November 2020
Wednesday, 18 November 2020
Tuesday, 17 November 2020
Monday, 16 November 2020
Sunday, 15 November 2020
Saturday, 14 November 2020
एक दिया ऐसा भी हो , जोभीतर तलक प्रकाश करे ,एक दिया मुर्दा जीवन में ,फिर आकर कुछ श्वास भरे |एक दिया सादा हो इतना ,जैसे साधु का जीवन ,एक दिया इतना सुन्दर हो ,जैसे देवों का उपवन |एक दिया जो भेद मिटाए ,क्या तेरा क्या मेरा है ,एक दिया जो याद दिलाये ,हर रात के बाद सवेरा है |एक दिया उनकी खातिर हो ,जिनके घर में दिया नहीं ,एक दिया उन बेचारों का ,जिनको घर ही दिया नहीं |एक दिया सीमा के रक्षक ,अपने वीर जवानों का ,एक दिया मानवता-रक्षक ,चंद बचे इंसानों का |एक दिया विश्वास दे उनको ,जिनकी हिम्मत टूट गयी ,एक दिया उस राह में भी हो ,जो कल पीछे छूट गयी |एक दिया जो अंधकार का ,जड़ के साथ विनाश करे ,एक दिया ऐसा भी हो , जोभीतर तलक प्रकाश करे ||आपको दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की अग्रिम ढेंरों बधाई एवं शुभकामनाएं ! 🌹🙏🙏🙏🙏🌹
Friday, 13 November 2020
खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है। हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लीजिये🙏बाल रंगने है तो रंगिये, वज़न कम रखना है तो रखिये, मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहनिए,बच्चों की तरह खिलखिलाइये, अच्छा सोचिये, अच्छा माहौल रखिये, शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,कोई तेल बाल नही उगाता, कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। ये सब कुदरती होता है। उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....फिर भी हम सुंदर हैं, अपनी सुंदरता को पहचानिए।दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं ...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,यह खाओ, वो मत खाओ ठंडा खाओ, गर्म पीओ, कपाल भाती करो, सवेरे नीम्बू पीओ,रात को दूध पीओज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो दाहिने से सोइये ,बाहिने से उठिए,हरी सब्जी खाओ, दाल में प्रोटीन है,दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। *भोजन का संबंध मन से होता है* *और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।**मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,टहलने जाइये, लाइट कसरत करिये,व्यस्त रहिये, खुश रहिये,शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये
Thursday, 12 November 2020
Tuesday, 10 November 2020
Monday, 9 November 2020
Sunday, 8 November 2020
Saturday, 7 November 2020
Friday, 6 November 2020
Wednesday, 4 November 2020
Tuesday, 3 November 2020
"ये गृहणियाँ भी थोड़ी पागल होती हैं"-----------------------------------------------सलीके से आकार दे कररोटियों को गोल बनाती हैंऔर अपने शरीर को हीआकार देना भूल जाती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं।।ढेरों वक्त़ लगा कर घर काहर कोना कोना चमकाती हैंउलझी बिखरी ज़ुल्फ़ों कोज़रा सा वक्त़ नही दे पाती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं।।किसी के बीमार होते हीसारा घर सिर पर उठाती हैंकर अनदेखा अपने दर्दसब तकलीफ़ें टाल जाती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं ।।खून पसीना एक करसबके सपनों को सजाती हैंअपनी अधूरी ख्वाहिशें सभीदिल में दफ़न कर जाती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं।।सबकी बलाएँ लेती हैंसबकी नज़र उतारती हैंज़रा सी ऊँच नीच हो तोनज़रों से उतर ये जाती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं।।एक बंधन में बँध करकई रिश्तें साथ ले चलती हैंकितनी भी आए मुश्किलेंप्यार से सबको रखती हैंये गृहणियाँ भीथोड़ी पागल सी होती हैं।।मायके से सासरे तकहर जिम्मेदारी निभाती हैकल की भोली गुड़िया रानीआज समझदार हो जाती हैंये गृहणियाँ भी.....वक्त़ के साथ ढल जाती हैं।।Author: Unknown
Monday, 2 November 2020
Sunday, 1 November 2020
Saturday, 31 October 2020
Friday, 30 October 2020
I have been wearing a mask in stores (and limiting my trips) since March when this whole thing went down. I’m not sure how being considerate to others for the common good is now being mocked by some who are calling it “living in fear”, but it needs to stop.... When I wear a mask over my nose and mouth in public and in the stores/supermarkets/pharmacies/offices - I want you to know the following:💥 I'm educated enough to know that I could be asymptomatic and still give you the virus.💥 No, I don't "live in fear" of the virus; I just want to be part of the solution, not the problem.💥 I don't think the "government controls me". I'm an adult contributing to the security in our society and I want to teach others the same.💥 If we could all live with the consideration of others in mind, the whole world would be a much better place.💥 Wearing a mask doesn't make me weak, scared, stupid or even "controlled". It makes me caring and responsible.💥 When you think about your appearance, discomfort, or other people's opinion of you, imagine a loved one - a child, father, mother, grandparent, aunt, uncle or even a stranger - placed on a ventilator, alone without you or any family member allowed at their bedside..... Ask yourself if you could have helped them a little by wearing a mask.Feel free to copy and paste. I did.
Thursday, 29 October 2020
Wednesday, 28 October 2020
Tuesday, 27 October 2020
समुद्र के किनारे एक लहर आई। वो एक बच्चे की चप्पल अपने साथ बहा ले गई। बच्चे ने रेत पर अंगुली से लिखा-“समुद्र चोर है।” उसी समुद्र के दूसरे किनारे पर कुछ मछुआरों ने बहुत सारी मछली पकड़ी। एक मछुआरे ने रेत पर लिखा-“समुद्र मेरा पालनहार है।”एक युवक समुद्र में डूब कर मर गया। उसकी मां ने रेत पर लिखा-“समुद्र हत्यारा है।”दूसरे किनारे पर एक ग़रीब बूढ़ा, टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था। उसे एक बड़ी सीप में अनमोल मोती मिला। उसने रेत पर लिखा-“समुद्र दानी है।”अचानक एक बड़ी लहर आई और सारे लिखे को मिटा कर चली गई।लोग समुद्र के बारे में जो भी कहें, लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है। अपना उफान और शांति वह अपने हिसाब से तय करता है।अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी के निर्णय पर अपना ध्यान ना दें। जो करना है अपने हिसाब से करें। जो गुज़र गया उसकी चिंता में ना रहें। हार-जीत, खोना-पाना, सुख-दुख इन सबके चलते मन विचलित ना करें। अगर जिंदगी सुख शांति से ही भरी होती तो आदमी जन्म लेते समय रोता नहीं। जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरे समय को ज़िंदगी कहते हैं।‘कुछ ज़रूरतें पूरी, तो कुछ ख़्वाहिशें अधूरी...इन्ही सवालों का संतुलित जवाब है।*–ज़िंदगी !
Monday, 26 October 2020
कौआ एकमात्र ऐसा पक्षी है, जो बाज़ पर चोंच मारने की हिम्मत करता है, वह बाज़ की पीठ पर बैठता है और उसकी गर्दन पर काटता है, लेकिन बाज़ जवाब नहीं देता ,और न ही कौआ से लड़ता है और न ही कौआ पर अपना समय बर्बाद करता है। बस अपने पंख खोलता है और आसमान में ऊँचा उठना शुरू कर देता है। उड़ान जितनी ऊँची होती है, उतना ही मुश्किल होता है ऊपर साँस लेना और फिर आक्सीजन की कमी के कारण कौआ गिर जाता है....!कौआ के साथ अपना समय बर्बाद करना बंद करो,बस खुद ऊंचाइयों पर चले जाओ ,अपने काम मे लगे रहो, वे ऐसे ही मिट जाएंगे!!🙏🏻
*पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*************************भारतीय पिता पुत्र की जोड़ी भी बड़ी कमाल की जोड़ी होती है ।दुनिया के किसी भी सम्बन्ध में, अगर सबसे कम बोल-चाल है, तो वो है पिता-पुत्र की जोड़ी में ।घर में दोनों अंजान से होते हैं, एक दूसरे के बहुत कम बात करते हैं, कोशिश भर एक दूसरे से पर्याप्त दूरी ही बनाए रखते हैं।बस ऐसा समझो किदुश्मनी ही नहीं होती।माहौल कभी भी छोटी छोटी सी बात पर भी खराब होने का डरसा बना रहता है और इन दोनों की नजदीकियों पर मां की पैनी नज़र हमेशा बनी रहती है।ऐसा होता है जब लड़का,अपनी जवानी पार कर, अगले पड़ाव पर चढ़ता है, तो यहाँ, इशारों से बाते होने लगती हैं, या फिर, इनके बीच मध्यस्थ का दायित्व निभाती है माँ ।पिता अक्सर पुत्र की माँ से कहता है, जा, "उससे कह देना"और, पुत्र अक्सर अपनी माँ से कहता है, "पापा से पूछ लो ना"इन्हीं दोनों धुरियों के बीच, घूमती रहती है माँ । जब एक, कहीं होता है, तो दूसरा, वहां नहीं होने की, कोशिश करता है,शायद, पिता-पुत्र नज़दीकी से डरते हैं ।जबकि, वो डर नज़दीकी का नहीं है, डर है, माहौल बिगड़ने का । भारतीय पिता ने शायद ही किसी बेटे को, कभी कहा हो, कि बेटा, मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ , जबकि वह प्यार बेइंतहा ही करता है।पिता के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी वही होता है,क्योंकि, पिता, हर पल ज़िन्दगी में, अपने बेटे को, अभिमन्यु सा पाता है ।पिता समझता है,कि इसे सम्भलना होगा, इसे मजबूत बनना होगा, ताकि, ज़िम्मेदारियो का बोझ, इसको दबा न सके । पिता सोचता है,जब मैं चला जाऊँगा, इसकी माँ भी चली जाएगी, बेटियाँ अपने घर चली जायेंगी,तब, रह जाएगा सिर्फ ये, जिसे, हर-दम, हर-कदम, परिवार के लिए, अपने छोटे भाई के लिए,आजीविका के लिए,बहु के लिए,अपने बच्चों के लिए, चुनौतियों से,सामाजिक जटिलताओं से, लड़ना होगा ।पिता जानता है कि, हर बात, घर पर नहीं बताई जा सकती,इसलिए इसे, खामोशी से ग़म छुपाने सीखने होंगें ।परिवार और बच्चों के विरुद्ध खड़ी, हर विशालकाय मुसीबत को, अपने हौसले से, दूर करना होगा।कभी कभीतो ख़ुद की जरूरतों और ख्वाइशों का वध करना होगा । इसलिए, वो कभी पुत्र-प्रेम प्रदर्शित नहीं करता।पिता जानता है कि, प्रेम कमज़ोर बनाता है ।फिर कई बार उसका प्रेम, झल्लाहट या गुस्सा बनकर, निकलता है, वो गुस्सा अपने बेटे कीकमियों के लिए नहीं होता,वो झल्लाहट है, जल्द निकलते समय के लिए, वो जानता है, उसकी मौजूदगी की, अनिश्चितताओं को । पिता चाहता है, कहीं ऐसा ना हो कि, इस अभिमन्यु की हार, मेरे द्वारा दी गई, कम शिक्षा के कारण हो जाये,पिता चाहता है कि, पुत्र जल्द से जल्द सीख ले, वो गलतियाँ करना बंद करे,हालांकि गलतियां होना एक मानवीय गुण है,लेकिन वह चाहता है कि उसका बेटा सिर्फ गलतियों से सबक लेना सीख ले।सामाजिक जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं, रिश्ते निभाना भी सीखे,फिर, वो समय आता है जबकि, पिता और बेटे दोनों को, अपनी बढ़ती उम्र का, एहसास होने लगता है, बेटा अब केवल बेटा नहीं, पिता भी बन चुका होता है, कड़ी कमज़ोर होने लगती है ।पिता की सीख देने की लालसा, और, बेटे का, उस भावना को नहीं समझ पाना, वो सौम्यता भी खो देता है, यही वो समय होता है जब, बेटे को लगता है कि, उसका पिता ग़लत है, बस इसी समय को समझदारी से निकालना होता है, वरना होता कुछ नहीं है,बस बढ़ती झुर्रियां और बूढ़ा होता शरीर जल्द बीमारियों को घेर लेता है । फिर, सभी को बेटे का इंतज़ार करते हुए माँ तो दिखती है, पर, पीछे रात भर से जागा, पिता नहीं दिखता, जिसकी उम्र और झुर्रियां, और बढ़ती जाती है, बीमारियांभी शरीर को घेर रहीं हैं। पिता अड़ियल रवैए का हो सकता है लेकिन वास्तव में वह नारियल की तरह होता है।कब समझेंगे बेटे, कब समझेंगे बाप, कब समझेगी दुनिया.पता है क्या होता है, उस आख़िरी मुलाकात में, जब, जिन हाथों की उंगलियां पकड़, पिता ने चलना सिखाया था, वही हाथ, लकड़ी के ढेर पर पड़ेपिता को लकड़ियों से ढकते हैं,उसे घी से भिगोते हैं, और उसे जलाते हैं, इसे ही पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाना कहते हैं। ये होता है,हो रहा है, होता चला जाएगा ।जो नहीं हो रहा,और जो हो सकता है,वो ये, कि, हम जल्द से जल्द, कहना शुरु कर दें,हम आपस में, कितना प्यार करते हैं?और कुछ नहीं तो कम से कम घर में हंस के मुस्कुरा कर बात तो की ही जा सकती है, सम्मान पूर्वक।फिर, समय निकलने के बाद पश्चाताप वश यह ना कहना पड़े-हे मेरे महान पिता.. मेरे गौरव, मेरे आदर्श, मेरा संस्कार, मेरा स्वाभिमान, मेरा अस्तित्व...मैं न तो इस क्रूर समय की गति को समझ पाया.. और न ही, आपको अपने दिल की बात, भीकह पाया...................... *एक पिता द्वारा प्रेषित*
Sunday, 25 October 2020
Saturday, 24 October 2020
Friday, 23 October 2020
Thursday, 22 October 2020
Tuesday, 20 October 2020
Monday, 19 October 2020
*-कभी तानों में कटेगी,**कभी तारीफों में;**ये जिंदगी है यारों,**पल पल घटेगी !!**-पाने को कुछ नहीं,**ले जाने को कुछ नहीं;**फिर भी क्यों चिंता करते हो,**इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,**ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!**बार बार रफू करता रहता हूँ,**..जिन्दगी की जेब !!**कम्बखत फिर भी,**निकल जाते हैं...,**खुशियों के कुछ लम्हें !!**-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...**ख़्वाहिशों का है !!**ना तो किसी को गम चाहिए,**ना ही किसी को कम चाहिए !!**-खटखटाते रहिए दरवाजा...,**एक दूसरे के मन का;**मुलाकातें ना सही,**आहटें आती रहनी चाहिए !!**-उड़ जाएंगे एक दिन ...,**तस्वीर से रंगों की तरह !**हम वक्त की टहनी पर...*,*बेठे हैं परिंदों की तरह !!**-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!**बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!**घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।**संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!**-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",**ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";**बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!*
Sunday, 18 October 2020
Saturday, 17 October 2020
Friday, 16 October 2020
Thursday, 15 October 2020
Sunday, 11 October 2020
Friday, 9 October 2020
मिठास 〰〰〰〰 चाय का कप लेकर आप खिड़की के पास बैठे हों और बाहर के सुंदर नज़ारे का आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..; और तभी फिर से किचन मेँ जाकर चीनी डालने का आलस आ गया.... आज फीकी चाय को जैसे तैसे पी गए,कप खाली कर दिया तभी आपकी नज़र कप के तल में पड़ी बिना घुली चीनी पर पडती है..!! मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड गये...चम्मच होता तो मिला लेता हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है... सुख ही सुख बिखरा पड़ा है हमारे आस पास... लेकिन, बिन घुली उस चीनी की तरह !! थोड़ा सा ध्यान दें- किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए ! अपनो की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना चाहिए ! रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा मान अपमान ? बस अपनों के दिल मे रहना आना चाहिए...! जितना हो सके...."सरल" बनने की कोशिश करें..."स्मार्ट" नही,क्योंकि....हमें "ईश्वर" ने बनाया है..."किसी electronic company" ने नही..😀🙏🙏🙏🙏🙏
Thursday, 8 October 2020
#पत्नि_हो_तो_ऐैसीबेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था .... ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी।मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की, खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।"*बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी । बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती .....वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है, मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।"*और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।"*आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे..... उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था।.....तभी खुशबू खाने का टिफिन लेकर आई और बोली, "अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो । कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको।.... मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। ".......पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे।*"कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये , देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं।"......पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ को सहलाने लगी।*"सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू ।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।"*"इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?"*"अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?"*"तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।"*"क्या मतलब?"*"तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।" खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया।*"खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े.... आज वही काम आए हैं। "*सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रही थी।{दोस्तो स्टोरी कैसी लगी... ?} ( कैसा लगा ये प्रसंग ? कॉमेंट कर के बताइएे, दोस्तों इस पोस्ट को शेयर करने में मेरी मदद करे...
Wednesday, 7 October 2020
#जीवन_की_मुस्कान......💐💐💐 🖋🖊एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है? उस व्यक्ति ने कहा- "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा।इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।"वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?" उसने कहा-"मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।"पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा-"मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ।अभी मेरे पास पैसे नहीं है,इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।"मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।" होटलवालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए। समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S.की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची।सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया।उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं।मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए,मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी।आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ।आप दोनो का एहसान में सदैव याद रखूंगी।आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी।कल आप दोनों को "" श्रेष्ठ नागरिक "" का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा। शिक्षा-- किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें।संभव है आपके कारण कोई गुदड़ी का लाल अपनी मंजिल तक पहुंच जाए। 卐🙏अनुकरणीय🙏शेयर जरूर करें......⤴️➡️
*चश्मा- एक लघुकथा*******************जल्दी -जल्दी घर के सारे काम निपटा, बेटे को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस जाने का सोच, घर से निकल ही रही थी कि...फिर पिताजी की आवाज़ आ गई,*"बहू, ज़रा मेरा चश्मा तो साफ़ कर दो ।"*और बहू झल्लाती हुई....सॉल्वेंट ला, चश्मा साफ करने लगी। इसी चक्कर में आज फिर ऑफिस देर से पहुंची।पति की सलाह पर अब वो सुबह उठते ही पिताजी का चश्मा साफ़ करके रख देती, लेकिन फिर भी घर से निकलते समय पिताजी का बहू को बुलाना बन्द नही हुआ।समय से खींचातानी के चलते अब बहू ने पिताजी की पुकार को अनसुना करना शुरू कर दिया ।आज ऑफिस की छुट्टी थी तो बहू ने सोचा -घर की साफ- सफाई कर लूँ ।अचानक,पिताजी की डायरी हाथ लग गई । एक पन्ने पर लिखा था-दिनांक 23/2/15 आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सर पर रख देता । वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा...।आज पिताजी को गुजरे ठीक 2 साल बीत चुके हैं। अब मैं रोज घर से बाहर निकलते समय पिताजी का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर रख दिया करती हूँ। उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में.....।जीवन में हम कुछ महसूस नहीं कर पाते और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुकी होती हैं ......Start valuing your relations before it's too late🙏💐सुप्रभात 👨👩👧👦🌹
Monday, 5 October 2020
Sunday, 4 October 2020
Saturday, 3 October 2020
Friday, 2 October 2020
Thursday, 1 October 2020
🙏🙏🌹🌹 अधिकमास की वार्ता 🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🙏एक घर मे दोई सास बहू रहती थी । सास ने बहु से कहा , बहु अब कल सी अधिकमास लग रहा है तो मैं सुबह से अधिकमास नहाउंगी रोज । तो बहु ने कहा माताजी ये अधिकमास कई होय म्हारे भी बताओ तो सास बोली कि जिस महीने संक्रांति नही होती वो अधिकमास होता और इसको पुरषोत्तम मास भी कहते है । पुरषोत्तम मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने नारायण , तरायण और परायण करना चाहिए । तो बहु बोली माँ नारायण , तरायण और परायण कैसो करणु । तो सास बोली कि सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने तालाब में नहानु उसके बाद नारायण यानी सूर्य नारायण को पानी चढ़ाओ और ध्रुव तारा को दर्शन करो , परायण मतलब की रामायण को मास परायण करो 🙏🏻बहु ने कहा कि माँ मैं भी करूंगी तो सास बोली नही नही तू भी करेगी तो घर को सुबह को काम कुन करेगा । तो बहु भी बिचारि डर गई ।दूसरे दिन सासुजी तो 4 बजे उठी ने तालाब में गया नहाने तो बहु भी पीछे ही उठ गयी और मटके के निचे का कुंडा का पानी भरा उससे नहा ली । और नारायण , तरायण कर लिया । सब जल्दी जल्दी कर लिया कि कहि सासुजी आ गयी तो लड़ेगी । ऐसे करते करते दो तीन दिन निकले । साथ मे काम भी करती । रोज कुएं का पानी भरने जाती । गुंडी बेड़ा से पानी भी भरती । एक दिन कुएं का पानी लेने गयी तो उससे बेड़ा नही उठ रहा था रोज तो उठा कर ले जाती थी आज क्यों नही उठा पा रही मैं , बहु सोच में पड़ गयी । उसने इधर उधर देखा तो एक नोजवान लड़का दिखाई दिया , तो उसने उसे बुलाया और कहा भाई मुझे ये गुंडी बेड़ा उठवा दो रोज उठा लेती हूं पर आज नही उठा पा रही 🤔 तो नोजवान ने उसकी मदद की और साथ मे कहता चला गया कि " सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड " 🤔 एक दिन, 2 दिन , रोज ही ये नियम बन गया कि बहु से बेड़ा नही उठता और वही लड़का उसकी मदद करता और वही बोलता चला जाता कि 😌सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड 😔 एक दिन बहु ने उससे पूछा कि भाई तो ऐसा क्यों बोलता है तो वह बोला कि तुम रोज नहाती हो ना कुंडे के पानी से । बहु ने पूछा कि तुझे कैसे पता और क्या नाम है तुम्हारा ? तो वह बालक मधुर मुस्कान से बोला मेरा नाम दामोदर है । और कहते ही अपना विराट रूप दिखा दिया । बहु तो देखते ही रह गयी और भगवान के श्री चरणों मे गिर गयी और कहने लगी । माफ करना प्रभु 🙏🏻🙏🏻 मैने अज्ञानता वश आपको नही पहचाना 🌹🙏🏻 इधर सासु माँ को भी बीस , पच्चीस दिन हो गए तो उसने बहु से कहा कि कल मैं अधिकमास का जोड़ा जिमाउंगी तो कल 5 पकवान बनाना । अब बहु तो चिंता में पड़ गयी कि अधिकमास तो मैं भी कर रही हु मैं जोड़ा कहा से जिमाउंगी 🤔😔 सोचते हुए रात गयी सुबह वैसे ही नारायण , तरायण किया और पानी लेने गयी कुएं पर । देखा तो दामोदर वही था तो उसको अपनी समस्या बताई । 🙏🏻 अब दामोदर ने कहा की बहन चिंता क्यों कर रही है मै हु ना मैं आ जाऊँगा जोड़ा जीमने , तो बहु बोली मैं कैसे बुलाने आऊँगी तो दामोदर ने कहा कुछ नही 2 थाली परोस कर तुलसी वृन्दावन में रख देना और घंटी बजा देना तो मैं आ जाऊँगा । ☺️ बहु बोली ठीक है ।अब दूसरे दिन भी जल्दी नारायण ,तरायण किया और 5 पकवान बना लिये सासु जी से कहा कि बुला लाओ , भोजन तैयार है ।सास ने भी जोड़े कोआगे बिठाया और थाली परोस दी । बहु भी पीछे के दरवाजे से तुलसी वृन्दावन में 2 थाली लेकर गयी और गरुड़ घंटी बजा दी 🙏🏻 राधा कृष्ण आ गए बहु के लिए जोड़ा जीमने 🙏🏻रसोई में बैठे भोजन करने लगे । बहु भाग भाग कर आगे सास जी के जोड़े को भी परोस रही और रसोई में बैठे दामोदर राधा को भी परोस रही । आगे बहु ने देखा कि सासु माँ ने तो जोड़े को टका ( पैसा ) कपड़ा सब दे रही तो अंदर आकर सोचने लगी कि मैं दामोदर को क्या दूंगी तो भगवान समझ गए । प्रभु ने कहा तुलसी लाकर मेरे हाथ मे पर अर्पण करो । तो बहु झट झट तुलसी का पत्ता लाई और राधा दामोदर के हाथ पर रख दिया तो देखा कि तुलसी तो सोने का टका बन गयी ।🙏🏻🙏🏻मजे में दोनो जोड़े जिम लिए और चले गए अब सासु जी ने कहा कि चल बहु अपन दोनो भी भोजन करते है । तो इधर रसोई में देखा तो 2 थाली भरी हीरे , मोती , माणिक , कलश भी सोने का हो गयाऔर जाते हुए भगवान के पद चिन्ह 😳🤔🙏🏻🙏🏻 मिले ।सासु जी को आश्चर्य हुआ बहु से पूछा तो बहु ने पूरी बात बताई ।सास बोली बहु तू बड़ी भागवान है तेरे लिए भगवान श्री कृष्ण स्वयं राधा के साथ आये 🙏🏻🙏🏻। सास , बहु दोनो का अधिकमास संपन्न हुआ । कहता , सुनता , हुंकार भरता , कहानी पड़ता सभी बहनों को पुरषोत्तम मास सफल होय 🙏🏻🌹🌹🙏बोलो राधे कृष्णा की जय🙏🏻🌹
Excellent Poem By ...Shri. Gulzaar Ji ...Heart Touching....!*ऐ उम्र !**कुछ कहा मैंने,**पर शायद तूने सुना नहीँ..!**तू छीन सकती है बचपन मेरा,**पर बचपना नहीं..!!**हर बात का कोई जवाब नही होता...,**हर इश्क का नाम खराब नही होता...!**यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले....,**मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...!**खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है....!**हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है....!**जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,**असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है....!**किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!**दुआ में अपनी मौत मांगी,**खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर...!**उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी...!**हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता....!**हर एक इन्सान बुरा नही होता.**बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....!**हर बार कुसुर हवा का नही होता.. !!* *✍- गुलजार🌾*✍
Wednesday, 30 September 2020
Tuesday, 29 September 2020
*💥क्रोध💥*************एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।**संत ने सेठ से अनाज लिया और कहा कि ठीक है पूछो। सेठ ने कहा कि मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं?**संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले कि ने मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया।**ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया। उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और बोला कि तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसी बोल रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। संत चुपचाप सुन रहे थे। उन्होंने एक भी बार पलटकर जवाब नहीं दिया।**कुछ देर बाद सेठ का गुस्सा शांत हो गया, तब संत ने उससे कहा कि भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे। अगर इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता।**क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है और शांति हर विवाद को खत्म कर सकती है। अगर हम क्रोध ही नहीं करेंगे तो कभी भी वाद-विवाद नहीं होगा। जीवन में सुख-शांति चाहते हैं तो क्रोध को नियंत्रित करना चाहिए। क्रोध को काबू करने के लिए रोज ध्यान करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें।**कथा की सीख:*****************इस प्रसंग का सार यह है कि घर-परिवार हो या कार्यस्थल हमें शांत रहना चाहिए। अगर कोई गुस्सा कर भी रहा है तो हमें उसका जवाब शांति से देना चाहिए। जैसे ही हमने शांति को छोड़ा और क्रोध किया तो छोटी सी बात भी बड़ा नुकसान कर सकती है।*🌹जय महाकाल 🙏
पारिवारिक संबंधों में मत-भेद भले हो, मन-भेद न हो।*************हम अपने जीवन में बहुत सारी खट्टी-मीठी बातें लेकर घूमते रहते हैं और उन्हें बार-बार याद करके दुःखी-सुखी होते रहते हैं। हमारी यादों में मीठी यादें भी होती है, लेकिन कड़वी यादों के सामने मीठी यादें प्रायः भूल जाती है। इन यादों के कारण हम अपने जरूरी कार्यों में एकाग्रचित्त नहीं हो पाते, किसी भी काम में मन लगाकर नहीं कर पाते क्योंकि हमारा मन इन दुःखी करने वाली बातों के कारण परेशान और अस्थिर बना रहता है। समय बीतने के साथ हमारा दुःख भले ही कम हो जाता है, लेकिन उन बातों को लेकर हम रोते रहते हैं और उन्हें कभी सुलझाते नहीं हैं। होता यह है कि जिस क्षण हम किसी से झगड़ते हैं, लड़ते हैं, वह क्षण तो बीत जाता है, लेकिन इसके कारण हम अपने जीवन के वर्तमान क्षणों को प्रभावित करते रहते हैं। वह अतीत में होने वाले लड़ाई-झगड़ा हमारे साथ इस कदर जुड़ जाता है कि हम उसे भूल नहीं पाते, जैसे वही हमारा साथी हो, जबकि हमें उसे भुला देना चाहिए और अपने जीवन के हर पल को नई मुस्कुराहट के साथ जीना चाहिए। जो बीत गया उससे सीखना चाहिए कि हमसे गलतियां कहाँ-कहाँ पर हो जाती है और वह दोहराई न जाए इसके लिए प्रयास करना चाहिए। यदि हम अपनी गलतियों को सुधारेंगे नहीं, दूसरों को माफ नहीं करेंगे, अपने आप को ही सबसे सही मानेंगे और दूसरों को हमेशा अपने आगे झुकाने का प्रयास करेंगे, दूसरों को अपने अनुसार चलाएंगे तो फिर परिवार में सही सामंजस्य मधुरता कैसे बन पाएगी? यदि परिवार के सदस्य आपस में ही एक दूसरे को नहीं समझेंगे, एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान नहीं करेंगे और मनमानी करते रहेंगे तो परिवार में कलह होना स्वाभाविक है। अतः परिवार की कलह को यदि दूर करना है तो प्यार, सम्मान, स्नेह, माधुर्य व आत्मीयता का जीवन में समावेश करना चाहिए। इसके साथ ही परिवार के हर सदस्य को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध होना चाहिए और उसके लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए, अन्यथा एक ही व्यक्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों के भरण पोषण व निर्वाह का भार पड़ेगा और वह मानसिक रूप से बोझिल महसूस करेगा। पारिवारिक संबंध होते ही ऐसे हैं, जहाँ किसी भी तरह का आडंबर नहीं होता। यहाँ व्यवहार, वार्तालाप, रहन-सहन सब स्वाभाविक होता है और यही कारण है कि इन संबंधों में अपनापन होता है।-
Monday, 28 September 2020
Sunday, 27 September 2020
बिटिया दिवस की हार्दिक शुभकामनाए बेटियाँ घर में संगीत की तरह है... जब बोलती बिना रुके ओर सब कहते हैं.. चुप भी कर जावो.. जब खामोश रहती हैं तो माँ कहती हैं.. तबियत ठीक है ना... पापा कहते घर में खामोशी क्यों हैं. भाई कहता हैं ..नाराज हो क्या.. जब शादी कर दी जाती सब कहते है. घर की रौनक चली गई.. सच में बिटिया न रुकने वाला संगीत है ..
Saturday, 26 September 2020
Friday, 25 September 2020
#beti ...एक हृदयस्पर्शी कहानी.....!एक घर में एक बेटी ने जन्म लिया जन्म होते ही माँ का स्वर्गवास हो गया। बाप ने बेटी को गले से लगा लिया रिश्तेदारों ने लड़की के जन्म से ही ताने मारने शुरू कर दिए कि पैदा होते ही माँ को खा गयी।मनहूस पर बाप ने कुछ नही कहा अपनी बेटी को, बेटी का पालन पोषण शुरू किया, खेत में काम करता और बेटी को भी खेत ले जाता, काम भी करता और भाग कर बेटी को भी संभालता।रिश्तेदारों ने बहुत समझाया के दूसरा विवाह कर लो पर बाप ने किसी की नही सुनी और पूरा ध्यान बेटी की और रखा। बेटी बड़ी हुयी स्कूल गयी फिर कॉलेज।हर क्लास में फर्स्ट आयी बाप बहुत खुश होता लोग बधाइयाँ देते।बेटी अपने बाप के साथ खेत में काम करवाती, फसल अच्छी होने लगी, रिश्तेदार ये सब देख कर चिढ़ गए। जो उसको मनहूस कहते थे वो सब चिढ़ने लग गए।लड़की एक दिन अच्छा पढ़ लिख कर पुलिस में SP बन गयी।एक दिन किसी मंत्री ने उसको सम्मानित करने का फैसला लिया और समागम का बंदोबस्त करने के आदेश दिए। समागम उनके ही गाँव में रखा गया।मंत्री ने समागम में लोगों को समझाया के बेटा बेटी में फर्क नही करना चाहिए, बेटी भी वो सब कर सकती है जो बेटा कर सकता है।भाषण के बाद मंत्री ने लड़की को स्टेज पर बुलाया और कुछ कहने को कहा। लड़की ने माइक पकड़ा और कहा-मैं आज जो भी हूं अपने बाबुल (पिता) की वजह से हूं जो लोगों के ताने सह कर भी मुझे यहाँ तक ले आये। मेरे पालन पोषण के लिए दिन रात एक कर दिया।मैंने माँ नहीं देखी और न ही कभी पिता से कहा के माँ कैसी थी, क्योंकि अगर मैं पूंछती तो बाप को लगता के शायद मेरे पालन पोषण में कोई कमी रह गयी।मेरे लिये मेरे पिता से बढ़ कर कुछ नही बाप सामने लोगों में बैठ कर आंसू बहा रहा था बेटी की भी बोलते बोलते आँखे भर आयी।उसने मंत्री से पिता को स्टेज पर बुलाने की अनुमति ली। बाप स्टेज पर आया और बेटी को गले लगाकर बोला -रोती क्यों है बेटी, तू तो मेरा शेर पुत्तर है, तू ही कमजोर पड़ गया तो मेरा क्या होगा, मैंने तुझको सारी उम्र हँसते देखना है।बाप बेटी का प्यार देखकर सब की आँखें नम हो गयी। मंत्री ने बेटी के गले में सोने का मेडल डाला। लड़की ने मैडल उतार कर बाप के गले में डाल दिया।मंत्री ने कहा- ये क्या किया, तो लड़की बोली- मैडल को उसकी सही जगह पहुँचा दिया। और कहा इसके असली हकदार मेरे पिता जी हैं।समागम में तालियाँ बज उठी...!!यह उन लोगों के लिए सबक है जो बेटियों को चार दीवारी में रखना पसंद करते हैं, पर ये फूल बाहर खिलेंगे अगर आप पानी लगाकर इन फूलों की देखभाल करोगे
Thursday, 24 September 2020
Wednesday, 23 September 2020
budapa..... सुबह सुबह किसी ने द्वार खटखटाया, मैं लपककर आयी,जैसे ही दरवाजा खोलातो सामने “बुढ़ापा खड़ा” था,भीतर आने के लिए, जिद पर अड़ा था..😔मैंने कहा :नहीं भाई ! अभी नहीं 😔“अभी तो “मेरी उमर” ही क्या है..''वह हँसा और बोला :बेकार कि कोशिश ना कर, मोहतरमा,मुझे रोकना नामुमकिन है... मैंने कहा :".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,अभी तक “दूसरो के लिए जी” रही हूँ ..अब अकल आई है तो कुछ दिनअपने लिए और दोस्तों के साथ भी जीने दे..''बुढ़ापा हंस कर बोला :अगर ऐसी बात है तो चिंता मत कर..उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी मगर बुढ़ापा नहीं आएगा, तू जब तक “दोस्तों” के साथ जियेगीखुद को जवान ही पाएगी..Dedicated to my beautiful friends 🥰❤️
school time. पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें ।*पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ।*"पुस्तक के बीच विद्या , *पौधे की पत्ती* *और मोरपंख रखने* से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"। कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था ।*हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था ।**माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी , न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी* । सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । *एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा* हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं । *स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?*पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी , "पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" , पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा। *हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था* ।आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं ।*हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे ।*कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे ।अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।*हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए ।* Copied..👨🎨👩🏻🚒"REMEMBER YOUR CHILDHOODS" 😎😎😎😎
Tuesday, 22 September 2020
Monday, 21 September 2020
Sunday, 20 September 2020
Saturday, 19 September 2020
Friday, 18 September 2020
Thursday, 17 September 2020
मार्मिक संदेश ..... 🙏🏻🙏🏻आज ऊपर बैठी रूह ने ... बड़ा ठहाका लगाया है. देखो .. आज मेरे बच्चों ने पंडित को बुलाया है.कितने जतन से पकवान बनाया है, और बड़े ही आदर भाव से खिलाया है. जिसके लिए मुझे तरसाया था .. वही सब आज बनायाहै. और तो और .... कौवे और कुत्ते को भी दावत में बुलाया है बड़े ही प्यार से इनको भी खाना खिलाया है. जगह नहीं थी मेरे लिए घर में वृद्धाश्रम पहुँचाया था, आज मेरा फोटो भगवान के साथ ही लगाया है. पैसा ही नहीं था मेरे लिए आज पंडित को हरा नोट सरकाया है. देखो !! कैसे दिखावा कर रहे हैं, अपने आप से ही छलावा कर रहे हैं. ये सब मेरे सताने के डर से कर रहे हैं. अरे ! इन्हें इतना भी नहीं पता, क्या माँ-बाप होते हैं कभी खफ़ा ? बस ... सभी बच्चों से ... 📍 इतनी सी गुज़ारिश है 📍 मेरे साथ रहने वालों की भी सिफ़ारिश है. मरने के बाद नहीं, माँ-बाप का जीते जी करो सम्मान. नहीं चाहते हैं वो पैसे, न चाहें पकवान.. बस थोड़ा सा समय निकालो, थोड़ी सी घर में जगह दो, और ... रखो उनका ध्यान..!!🙏🏻🙏🏻
Wednesday, 16 September 2020
Tuesday, 15 September 2020
Monday, 14 September 2020
Sunday, 13 September 2020
Saturday, 12 September 2020
-हंसो ऐसे कि आप 10 साल के हो -पार्टी ऐसे करो कि आप 20 साल के हो -घूमो ऐसे कि जैसे आप 30 साल के हो -सोचो ऐसे कि जैसे आप 40 साल के हो -सलाह ऐसे दो कि जैसे आप 50 साल के हो -परवाह ऐसे करो कि जैसे आप 60 साल के हो -प्यार ऐसे करो की जैसे आप 70 के साल के हो -जियो ऐसे कि जैसे आज आपकी जिंदगी का आखरी दिन हो...यकीन मानो दोस्तों हमेशा खुश रहोगे!
Friday, 11 September 2020
*🙏बुजुर्गों का सम्मान....🙏**छोटे ने कहा," भैया, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया करो."**गौरव बोला, " ले तो जायें पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा.* *याद है, पिछली बार जब हम तीनों ने डिनर लिया था, तब सोलह सौ का बिल आया था.* *हमारे पास अब इतने पैसे कहाँ बचे हैं.**" पिंकी ने बताया," मेरे पास पाकेटमनी के कुछ पैसे बचे हुए हैं."* *तीनों ने मिलकर तय किया कि इस बार दादी को भी लेकर चलेंगे,* *इस बार मँहगी पनीर की सब्जी की जगह मिक्सवैज मँगवायेंगे और आइसक्रीम भी नहीं खायेंगे.**छोटू, गौरव और पिंकी तीनों दादी के कमरे में गये और बोले,**"दादी इस' संडे को लंच बाहर लेंगे, चलोगी हमारे साथ."**दादी ने खुश होकर कहा," तुम ले चलोगे अपने साथ."* *"हाँ दादी "**संडे को दादी सुबह से ही बहुत खुश थी.* *आज उन्होंने अपना सबसे बढिया वाला सूट पहना, हल्का सा मेकअप किया, बालों को एक नये ढंग से बाँधा.* *आँखों पर सुनहरे फ्रेमवाला नया चश्मा लगाया.**यह चश्मा उनका मँझला बेटा बनवाकर दे गया था जब वह पिछली बार लंदन से आया था.* *किन्तु वह उसे पहनती नहीं थी, कहती थी, इतना सुन्दर फ्रेम है, पहनूँगी तो पुराना हो जायेगा.* *आज दादी शीशे में खुद को अलग अलग एंगिल से कई बार देख चुकी थी और संतुष्ट थी.**बच्चे दादी को बुलाने आये तो पिंकी बोली,"अरे वाह दादी, आज तो आप बडी क्यूट लग रही हैं".**गौरव ने कहा," आज तो दादी ने गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा पहना है. क्या बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड को भी बुला रखा है क्या."* *दादी शर्माकर बोली, " धत."**होटल में सैंटर की टेबल पर चारो बैठ गए.* *थोडी देर बाद वेटर आया, बोला, " आर्डर प्लीज ".* *अभी गौरव बोलने ही वाला था कि दादी बोली," आज आर्डर मैं करूँगी क्योंकि आज की स्पेशल गैस्ट मैं हूँ."* *दादी ने लिखवाया- दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता वैजेटेबिल वाला, सलाद, पापड, नान बटरवाली और मिस्सी रोटी.**हाँ खाने से पहले चार सूप भी.**तीनों बच्चे एकदूसरे का मुँह देख रहे थे.**थोडी देर बाद खाना टेबल पर लग गया.**खाना टेस्टी था,* *जब सब खा चुके तो वेटर फिर आया, "डेजर्ट में कुछ सर".* *दादी ने कहा, " हाँ चार कप आइसक्रीम ".* *तीनों बच्चों की हालत खराब, अब क्या होगा, दादी को मना भी नहीं कर सकते पहली बार आईं हैं.**बिल आया,**इससे पहले गौरव उसकी तरफ हाथ बढाता,**बिल दादी ने उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं करूँगी.**बच्चों मुझे तुम्हारे पर्स की नहीं,**तुम्हारे समय की आवश्यकता है,* *तुम्हारी कंपनी की आवश्यकता है.* *मैं पूरा दिन अपने कमरे में अकेली पडे पडे बोर हो जाती हूँ.**टी.वी. भी कितना देखूँ,,**मोबाईल पर भी चैटिंग कितना करूँ.**बोलो बच्चों क्या अपना थोडा सा समय मुझे दोगे,"**कहते कहते दादी की आवाज भर्रा गई.* *पिंकी अपनी चेयर से उठी,**उसने दादी को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर दादी के गालों पर किस करते हुए बोली," मेरी प्यारी दादी जरूर."**गौरव ने कहा, " यस दादी, हम प्रामिस करते हैं, कि रोज आपके पास बैठा करेंगे* *और तय रहा कि हर महीने के सैकंड संडे को लंच या डिनर के लिए बाहर आया करेंगे और पिक्चर भी देखा करेंगे."**दादी के होठों पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई,**आँखों में फ्लैशलाइट सी चमक आ गई और चेहरे की झुर्रियाँ खुशी के कारण नृत्य सा करती महसूस होने लगीं...-**मित्रों,**बूढ़े मां-बाप रूई के गठठर समान होते है,**शुरू में उनको बोझ नहीं महसूस होता, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जैसे रुई भीग कर बोझिल होने लगती है. वैसे जिंदगी की थकान बोझ लगती है।**बुजुर्ग समय चाहते हैं पैसा नही,**पैसा तो उन्होंने सारी जिंदगी आपके लिए कमाया-की बुढ़ापे में आप उन्हें समय देंगे।* *यदि वृक्ष से फल न मिले,**तो कोई बात नहीं,* *किन्तु छाया सकून प्रदान करती है।।.अच्छे दोस्त के वाल से।
Thursday, 10 September 2020
गुलज़ार जी की लिखित पंक्तियाँ :- *स्त्री तुम* *पुरुष न हो पाओगी....*ज्ञान की तलाश क्या सिर्फ बुद्ध को थी?क्या तुम नहीं पाना चाहती वो ज्ञान?किन्तु जा पाओगी,अपने पति परमेश्वरऔर नवजात शिशु को छोड़कर....तुम तो उनपर जान लुटाओगी....उनके लिये अपने भविष्य को दाँव पर लगाओगी...उनकी होठों कीएक मुस्कुराहट के लिएअपनी सारी खुशियों की बलि चढ़ाओगी....*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी....*क्या राम बन पाओगी????क्या कर पाओगी अपने पति का परित्याग,उस गलती के लिए जो उसने की ही नहीं????ले पाओगी उसकी अग्निपरीक्षाउसके नाज़ायज़ सम्बधों के लिए भी????क्षमा कर दोगी उसकी गलतियों के लिए,हज़ार गम पीकर भी मुस्काओगी....*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी....*क्या कृष्ण बन पाओगी????जोड़ पाओगी अपना नाम किसी परपुरुष के साथ????जैसे कृष्ण संग राधा....अगर तुम्हारा नाम जुड़ा....तो तुम चरित्रहीन कहलाओगी....तुम मुस्कुराकर बात भी कर लोगी,तो भी कलंकिनी कुलटा कहलाओगी....*स्त्री तुम* *पुरुष न हो पाओगी........*क्या युधिष्ठिर बन पाओगी????जुए में पति को हार जाओगी?????तुम तो उसके सम्मान की खातिर,दुर्गा चंडी हो जाओगी...खुद को कुर्बान कर जाओगी......मौत भी आये तो ,उसके समक्ष अभय खड़ी हो जाओगी।*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी.......**रहने दो तुम**ये सब...क्योंकि...*तुम सबल हो,तुम सरल हो,तुम सहज हो,तुम निश्चल हो,तुम निर्मल हो,तुम शक्ति हो,तुम जीवन हो,तुम प्रेम ही प्रेम हो,*ईश्वर की अद्भुत सुंदरतम**कृति हो तुम....* *"स्त्री हो तुम"*
Wednesday, 9 September 2020
Tuesday, 8 September 2020
Monday, 7 September 2020
Sunday, 6 September 2020
Saturday, 5 September 2020
Friday, 4 September 2020
Thursday, 3 September 2020
#ढाई____अक्षर .... ढाई अक्षर का वक्र,और ढाई अक्षर का तुंड।ढाई अक्षर की रिद्धि,और ढाई अक्षर की सिद्धि।ढाई अक्षर का शंभु,और ढाई अक्षर की सत्तिढाई अक्षर का ब्रम्हाऔर ढाई अक्षर की सृष्टि।ढाई अक्षर का विष्णुऔर ढाई अक्षर की लक्ष्मीढाई अक्षर का कृष्णऔर ढाई अक्षर की कांता।(राधा रानी का दूसरा नाम)ढाई अक्षर की दुर्गाऔर ढाई अक्षर की शक्तिढाई अक्षर की श्रद्धाऔर ढाई अक्षर की भक्तिढाई अक्षर का त्यागऔर ढाई अक्षर का ध्यान।ढाई अक्षर की तृप्तिऔर ढाई अक्षर की तृष्णा।ढाई अक्षर का धर्मऔर ढाई अक्षर का कर्मढाई अक्षर का भाग्यऔर ढाई अक्षर की व्यथा।ढाई अक्षर का ग्रन्थ,और ढाई अक्षर का संत।ढाई अक्षर का शब्दऔर ढाई अक्षर का अर्थ।ढाई अक्षर का सत्यऔर ढाई अक्षर का मिथ्या।ढाई अक्षर की श्रुतिऔर ढाई अक्षर की ध्वनि।ढाई अक्षर की अग्निऔर ढाई अक्षर का कुंडढाई अक्षर का मंत्रऔर ढाई अक्षर का यंत्र।ढाई अक्षर की सांसऔर ढाई अक्षर के प्राणढाई अक्षर का जन्मढाई अक्षर की मृत्युढाई अक्षर की अस्थिऔर ढाई अक्षर की अर्थीढाई अक्षर का प्यारऔर ढाई अक्षर का स्वार्थ।ढाई अक्षर का मित्रऔर ढाई अक्षर का शत्रुढाई अक्षर का प्रेमऔर ढाई अक्षर की घृणा।जन्म से लेकर मृत्यु तकहम बंधे हैं ढाई अक्षर में।हैं ढाई अक्षर ही वक़्त में,और ढाई अक्षर ही अंत में।समझ ना पाया कोई भीहै रहस्य क्या ढाई अक्षर में।
Wednesday, 2 September 2020
Tuesday, 1 September 2020
हमारे घर के हॉल में दो पंखे लगे हैं, जिनमें एक ही अक्सर चलता है और वही धूल लगकर गंदा हो जाता है। जबकि जो नही चलता वह साफ रहता है बाहर से आने वाले उसी साफ दिखने वाले पंखे की तारीफ करते हैं जो नही चलता और कहते हैं कि उसी की तरह इस पंखे को साफ रखा करो!क्या *जवाब* दूं? उन्हें कैसे समझाऊं कि जो *जिम्मेदारी* लेता है वही गंदा होता है *"मशहूर हुए वो जो कभी क़ाबिल ना थे और तो और.... कमबख़्त मंजिल भी उन्हें मिली जो दौड़ में कभी शामिल ना थे..!
Monday, 31 August 2020
Sunday, 30 August 2020
❣️*पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*❣️-------------------------------भारतीय पिता पुत्र की जोड़ी भी बड़ी कमाल की जोड़ी होती है ।❤️️घर में दोनों अंजान से होते हैं,एक दूसरे के बहुत कम बात करते हैं, कोशिश भर एक दूसरे से पर्याप्त दूरी ही बनाए रखते हैं।बस ऐसा समझो कि दुश्मनी ही नहीं होती।❤️️माहौल कभी भी छोटी छोटी सी बात पर भी खराब होने का डर सा बना रहता है और इन दोनों की नजदीकियों पर मां की पैनी नज़र हमेशा बनी रहती है।❤️️ऐसा होता है जब लड़का,अपनी जवानी पार कर, अगले पड़ाव पर चढ़ता है, तो यहाँ, इशारों से बाते होने लगती हैं, या फिर, इनके बीच मध्यस्थ का दायित्व निभाती है माँ ।❤️️पिता अक्सर पुत्र की माँ से कहता है, जा, "उससे कह देना"और, पुत्र अक्सर अपनी माँ से कहता है, "पापा से पूछ लो ना"इन्हीं दोनों धुरियों के बीच, घूमती रहती है माँ । ❤️️जब एक, कहीं होता है, तो दूसरा, वहां नहीं होने की, कोशिश करता है,शायद, पिता-पुत्र नज़दीकी से डरते हैं।जबकि, वो डर नज़दीकी का नहीं है, डर है, माहौल बिगड़ने का । ❤️️भारतीय पिता ने शायद ही किसी बेटे को, कभी कहा हो, कि बेटा, मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ...जबकि वह प्यार बेइंतहा ही करता है।पिता के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी वही होता है,क्योंकि, पिता, हर पल ज़िन्दगी में, अपने बेटे को, अभिमन्यु सा पाता है ।❤️️पिता समझता है,कि इसे सम्भलना होगा, *इसे मजबूत बनना होगा,* ताकि, ज़िम्मेदारियो का बोझ, इसको दबा न सके । ❤️️पिता सोचता है,जब मैं चला जाऊँगा, इसकी माँ भी चली जाएगी, बेटियाँ अपने घर चली जायेंगी,तब, रह जाएगा सिर्फ ये, जिसे, हर-दम, हर-कदम, परिवार के लिए, अपने छोटे भाई के लिए,आजीविका के लिए,बहु के लिए,अपने बच्चों के लिए, *चुनौतियों से, सामाजिक जटिलताओं से, लड़ना होगा ।*❤️️पिता जानता है कि, हर बात, घर पर नहीं बताई जा सकती,इसलिए इसे, खामोशी से ग़म छुपाने सीखने होंगें ।❤️️परिवार और बच्चों के विरुद्ध खड़ी...हर विशालकाय मुसीबत को, अपने हौसले से...दूर करना होगा।❤️️कभी कभी तो ख़ुद की जरूरतों और ख्वाइशों का वध करना होगा । इसलिए, वो कभी पुत्र-प्रेम प्रदर्शित नहीं करता।❤️️पिता जानता है कि, प्रेम कमज़ोर बनाता है ।फिर कई बार उसका प्रेम, झल्लाहट या गुस्सा बनकर, निकलता है, ❤️️वो गुस्सा अपने बेटे कीकमियों के लिए नहीं होता,वो झल्लाहट है, जल्द निकलते समय के लिए, वो जानता है, उसकी मौजूदगी की, अनिश्चितताओं को । ️पिता चाहता है, कहीं ऐसा ना हो कि, इस अभिमन्यु की हार, *मेरे द्वारा दी गई,**कम शिक्षा के कारण हो जाये...*❤️️पिता चाहता है कि, पुत्र जल्द से जल्द सीख ले, वो गलतियाँ करना बंद करे,हालांकि गलतियां होना एक मानवीय गुण है,लेकिन वह चाहता है कि *उसका बेटा सिर्फ गलतियों से सबक लेना सीख ले।*सामाजिक जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं, रिश्ते निभाना भी सीखे,R❤️️फिर, वो समय आता है जबकि, पिता और बेटे दोनों को, अपनी बढ़ती उम्र का, एहसास होने लगता है, बेटा अब केवल बेटा नहीं, पिता भी बन चुका होता है, कड़ी कमज़ोर होने लगती है।❤️पिता की सीख देने की लालसा, और, बेटे का, उस भावना को नहीं समझ पाना, वो सौम्यता भी खो देता है, यही वो समय होता है जब, *बेटे को लगता है कि,**उसका पिता ग़लत है,* बस इसी समय को समझदारी से निकालना होता है, वरना होता कुछ नहीं है,बस बढ़ती झुर्रियां और बूढ़ा होता शरीर जल्द बीमारियों को घेर लेता है । फिर, *सभी को बेटे का इंतज़ार करते हुए माँ तो दिखती है,* पर, *पीछे रात भर से जागा,**पिता नहीं दिखता,* जिसकी उम्र और झुर्रियां, और बढ़ती जाती है, बीमारियां भी शरीर को घेर रहीं हैं।*❤️पिता अड़ियल रवैए का हो सकता है लेकिन वास्तव में वह नारियल की तरह होता है।*कब समझेंगे बेटे, कब समझेंगे बाप, कब समझेगी दुनिया ????❤️पता है क्या होता है, उस आख़िरी मुलाकात में, जब, जिन हाथों की उंगलियां पकड़, पिता ने चलना सिखाया था, वही हाथ, लकड़ी के ढेर पर पड़ेपिता को लकड़ियों से ढकते हैं,उसे घी से भिगोते हैं, और उसे जलाते हैं, *इसे ही पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाना कहते हैं।*ये होता है,हो रहा है, होता चला जाएगा ।❤️जो नहीं हो रहा,और जो हो सकता है,वो ये, कि, *हम जल्द से जल्द,**कहना शुरु कर दें,**हम आपस में,* *कितना प्यार करते हैं?*और कुछ नहीं तो कम से कम घर में हंस के मुस्कुरा कर बात तो की ही जा सकती है,सम्मान पूर्वक।*समस्त पिता एवं पुत्रो को समर्पित🙏💐,#Beautifullife.
Saturday, 29 August 2020
Friday, 28 August 2020
आज का ज्ञान ~ क्रीम लगाओ ~~~~ लड़की पटाओपाउडर लगाओ ~~~ लड़की पटाओडीयोडरंट लगाओ ~~ लड़की पटाओफैयर&हैंडसम लगाओ ~ लड़की पटाओकोक पेप्सी पियो ~ ~ लड़की पटाओ दिमाग की बत्ती जलाओ ~ लड़की पटाओ एंटी डैंड्रफ शैम्पू लगाओ ~ लड़की पटाओ कोई भी चिप्स खाओ ~ लड़की पटाओ मंजन करो, कुल्ला करो, ताजा साँसों से ~ लड़की पटाओ फोन में फ्री स्कीम का रिचार्ज कराओ और ~ लड़की पटाओ हद तो तब हो गयी, जब ... पुरुषों के वस्त्रों से भी लड़की पट रही है. इनके विज्ञापनों में खास बात ये है, कि आपको कुछ करना नहीं है, सिर्फ ...👆 ~ इन चीजों को इस्तेमाल करो ~ लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी. आखिर ... क्या हो गया है ? हमारे मीडिया और समाज को. क्या ज़िंदगी का एक ही मकसद है ~ ~ लड़की पटाओ ~ लगता है ~ भारत में सभी उत्पादों के ~ विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है ~👉 ~ लड़की पटवाना ~. 〰〰〰〰 पटती होंगी ... तुम्हारे पश्चिम में ~ इस तरह लड़कियाँ ~ ... लेकिन ... माफ़ करना ... मेरे भारत की बहन-बेटियाँ इतनी गिरी हुई नहीं हैं, जिन्हें तुम इस तरह पटाने के तरीके बता रहे हो.अफ़सोस ~ कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के फिल्मी लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं, और औरत को इतना नीचा समझते हैं.. 〰〰〰〰〰विदेशी कम्पनियों ने ये सब शुरू किया. अब कुछ भारतीय कम्पनियाँ भी उन्हीं की नकल कर रही हैं.और ... अंग्रेजों के गुलाम लोग इसी को फैशन कह रहे हैं.. 〰〰〰〰〰 👇 इनके खिलाफ 👇 सबको खड़ा होना पड़ेगा. भारत ~ धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक देश है. पश्चिम की तरह अय्याश देश नहीं. ये वहाँ की मानसिकता ... भारत में पैदा करना चाहते हैं. 👇 आज महिला 👇 भोग की वस्तु बन गयी है. ~~ इन्ही सब की साजिश से ~~ ~ जागो भारत ~ वन्दे मातरम ~
*इसे पढे़ं और सेव कर सुरक्षित कर लेवे। सोशल मीडया पर ऐसी पोस्ट बहुत कम ही आती है।*विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान )■ क्रति = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग■ 2 त्रुति = 1 लव ,■ 1 लव = 1 क्षण■ 30 क्षण = 1 विपल ,■ 60 विपल = 1 पल■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,■ 7 दिवस = 1 सप्ताह■ 4 सप्ताह = 1 माह ,■ 2 माह = 1 ऋतू■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,■ 4 युग = सतयुग■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग■ 76 महायुग = मनवन्तर ,■ 1000 महायुग = 1 कल्प■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है lदो लिंग : नर और नारी ।दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर... हैं ।यह आपको पसंद आया हो तो अपने बन्धुओं को भी शेयर जरूर कर अनुग्रहित अवश्य करें यह संस्कार का कुछ हिस्सा है 🙏
=वैचारिक आकलन =एक पुत्र अपने पिता के विषय में उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है....*4 वर्ष :* मेरे पापा महान है ।*6 वर्ष :* मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है।। *10 वर्ष :* मेरे पापा अच्छे है, परन्तु गुस्से वाले है।*12 वर्ष :* मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे ।*16 वर्ष :* मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान ही नही है !*18 वर्ष :* मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिड़े और अव्यवहारिक होते जा रहे है।*20 वर्ष :* ओहो... अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है....मालुम नही मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती है।*25 वर्ष :* मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते है, कौन जाने, कब वो दुनिया को समझ सकेंगे।*30 वर्ष :* मेरे छोटे बेटे को सम्भालना मुश्किल होता जा रहा है... बचपन में मै अपने पापा से कितना डरता था ?*40 वर्ष :* मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था, आजकल के लड़को में कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नही है।*50 वर्ष :* मुझे आश्चर्य होता है, मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेल कर हम चार भाई-बहनो को बड़ा किया, आजकल तो एक सन्तान को बड़ा करने में ही दम निकल जाता है।*55 वर्ष :* मेरे पापा कितनी दूरदृष्टि वाले थे, उन्होंने हम सभी भाई-बहनो के लिये कितना व्यवस्थित आयोजन किया था, आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपुर्वक जीवन जी सकते है।*60 वर्ष :* मेरे पापा महान थे, वे जिन्दा रहे तब तक हम सभी का पूरा ख्याल रखा। सच तो यह है की..... पापा ( पिता ) को अच्छी तरह समझने में पुरे 60 साल लग गये ।कृपया आप अपने पापा को समझने में इतने वर्ष मत लगाना, समय से पहले समझ जाना।क्योंकि हमारे पिता हमारे बारे में कभी भी गलत विचार नही रखते सिर्फ हमारे विचार उनके प्रति गलत होते है जो हमे समय निकल जाने के बाद अहसास होता है।अपने पिता का सम्मान करे और उनके विचार का सम्मान करै
Thursday, 27 August 2020
इन्सानियत को मार के इँसान मर रहा है,शैतान रूपी जानवर सँग वो जिन्दा हो रहा है।ये कैसी विडम्बना है ये कैसा जमाना हैं,हर तरफ छल की राहें और झूँठ का तराना हैं।हैवानों की बस्ती है यहाँ हवशी निगाहें हैं,गुल-गुलशन क्या करे जब जहरीली हवाएँ हैं।निर्दोंष कि फरियाद को मिलता नहीं सहारा,जज्बातों को कफन देके रोता है बेसहारा।सूना हुआ सफर है जल के सुलगती रातें,अब साए से डर लगता मायावी है जग की बाते।इस भूल-भुलैया में भटका हुआ मुसाफिर,पग पग पर मिल जाते हैं वहशी दरिन्दे काफिर..!!
पिता जिद कर रहा था कि उसकी चारपाई गैलरी में डाल दी जाये।* *बेटा परेशान था।* *बहू बड़बड़ा रही थी..... कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया.... सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं?* *पिता कमजोर और बीमार हैं....* *जिद कर रहे हैं, तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा। पिता की इच्छा की पू्री करना उसका स्वभाव था।* *अब पिता की चारपाई गैलरी में आ गई थी।* *हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता* *अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते ।* *कुछ देर लान में टहलते । लान में खेलते* *नाती - पोतों से बातें करते ,* *हंसते , बोलते और मुस्कुराते ।* *कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें* *लाने की फरमाईश भी करते ।* *खुद खाते , बहू - बटे और बच्चों को भी खिलाते ....* *धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।* *दादा ! मेरी बाल फेंको... गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी,* *तो बेटा अपने बेटे को डांटने लगा...:* *अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं, उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।* *पापा ! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं....अंशुल भोलेपन से बोला।* *क्या... "निकित ने आश्चर्य से पिता की तरफ देखा ?* *पिता ! हां बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं।* *लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।* *जब से गैलरी मे चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है।* *शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।* *पिता कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था.....* *बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं* *से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है....।* *#बुज़ुर्गों_का_सम्मान_करें ।* *#यह_हमारी_धरोहर_है ...!* *यह वो पेड़ हैं, जो थोड़े कड़वे है, लेकिन इनके फल बहुत मीठे है, और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !* *और_अपने_बुजुर्गों_का_खयाल_हर_हाल_में अवश्य_रखें...।🙏
Wednesday, 26 August 2020
Tuesday, 25 August 2020
Monday, 24 August 2020
Sunday, 23 August 2020
Saturday, 22 August 2020
किसी की सहायता करते समय यह मत सोचिये कि वह भविष्य मे वह आपके काम आएगा। बस सहायता करके भूल जाइए। क्योंकि यह आशा का भाव ही भविष्य में आपके दुख का कारण बनता है। आप जो भी कर रहे हैं वह परमात्मा देख रहा है.. उससे छिपा नहीं है। दूसरे जो कर रहे है उसे भी वह देख रहा है। नाकिसी को जताइए और न ही किसी को बताइये .. बस इतना विश्वास रखिये कि जब ईश्वर ने उसकी सहायता के लिए आपको भेजा , तो निश्चित है कि जब आपको आवश्यकता होगी वह किसी ना किसी को भेजेगा।
Thursday, 20 August 2020
Wednesday, 19 August 2020
Tuesday, 18 August 2020
Monday, 17 August 2020
एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो-बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है! अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी "पानी" डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे।कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी।राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है।दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं।दरअसल ऐसा इसलिये हुआ कि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है।जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और हमारी इसी सोच की वजह से स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं।अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरे देश में भी ऐसा बदलाव ला सकते हैं जिसकी आज ज़रूरत है।.........
Sunday, 16 August 2020
Saturday, 15 August 2020
Friday, 14 August 2020
Thursday, 13 August 2020
Wednesday, 12 August 2020
Tuesday, 11 August 2020
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