Wednesday, 13 November 2024

RESPONSIBILITIES OF A FATHER IN A FAMILY: PRIMARY RESPONSIBILITIES:1. Providing financial support2. Emotional guidance and support3. Disciplining and setting boundaries4. Role-modeling values and behavior5. Protecting and ensuring family safetyEMOTIONAL SUPPORT:1. Listening and validating feelings2. Offering comfort and reassurance3. Encouraging open communication4. Supporting partner's emotional needs5. Modeling healthy emotional expressionDISCIPLINE AND GUIDANCE:1. Setting clear expectations and rules2. Teaching life skills and values3. Encouraging responsibility and independence4. Modeling respectful communication5. Providing constructive feedbackFINANCIAL PROVISION:1. Managing household finances2. Providing for family's basic needs3. Planning for future financial security4. Saving for children's education5. Ensuring family's economic stabilityROLE-MODELING:1. Demonstrating integrity and honesty2. Modeling respectful relationships3. Teaching respect for authority4. Encouraging physical and mental well-being5. Embodying values and principlesPARENTING PARTNERSHIP:1. Co-parenting with mother2. Sharing childcare responsibilities3. Collaborating on discipline and guidance4. Supporting partner's parenting style5. Maintaining united front in parentingCOMMUNITY INVOLVEMENT:1. Participating in children's activities2. Volunteering in community or school3. Building relationships with neighbors4. Role-modeling social responsibility5. Fostering community connectionsPERSONAL GROWTH:1. Pursuing personal interests and hobbies2. Continuing education and self-improvement3. Maintaining physical and mental health4. Setting boundaries and prioritizing self-care5. Seeking support and resources when neededINFLUENCING CHILDREN'S DEVELOPMENT:1. Shaping moral and ethical values2. Encouraging educational and career goals3. Modeling healthy relationships4. Teaching life skills and independence5. Fostering emotional intelligenceREMEMBER:1. Fatherhood is a unique and vital role.2. Emotional support is crucial for family well-being.3. Partnership with your spouse is essential.4. Role-modeling values and behavior shapes children's development.5. Seeking support is a sign of strength. #beautifullife motivationalquotes

परिंदे कभी एक दूसरे के पंख नहीं, कुतरते हमेशा साथ उड़ते हैं...

Friday, 8 November 2024

ढेर सारी किताबें पढ़ कर आईएएस, आईपीसी, डाक्टर, इंजीनियर, बड़े-छोटे अधिकारी बन जाइए लेकिन दिमाग में अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता और जाति का जहर भरा हो तो सब बेकार है और वह किताबी ज्ञान गधे पर लदी किताबों के बोझ से ज्यादा और कुछ नहीं है ।

कुछ रिश्ते किराये के मकान की तरह होते हैं , कितना भी सजा लो अपने नहीं होते.. ।।

मुझे वो लोग बुरा कहते हैं, जिनका बुरा मैंने आज तक सोचा भी नहीं..।

ये जो हालात हैं मेरे, एक दिन सुधर जायेंगे, लेकिन तब तक कई चहेरे मेरे दिल से उतर जायेंगे...

Wednesday, 6 November 2024

एक कमरा थाजिसमें रहता था मैंमाँ-बाप के संगफिर विकास का फैलाव आयाविकास उस कमरे में नहीं समा पायाजो चादर पूरे परिवार के लिए बड़ी पड़ती थीउस चादर से बड़े हो गए हमारे हर एक के पाँवलोग झूठ कहते हैं कि दीवारों में दरारें पड़ती हैंहक़ीक़त यह है कि जब दरारें पड़ती हैंतब दीवारें बनती हैं!पहले हम सब लोग दीवारों के बीच में रहते थेअब हमारे बीच में दीवारें आ गईंयह समृध्दि मुझे पता नहीं कहाँ पहुँचा गईपहले मैं माँ-बाप के साथ रहता थाअब माँ-बाप मेरे साथ रहते हैंफिर हमने भी बना लिया एक मकानएक कमरा अपने लिएएक-एक कमरा बच्चों के लिएएक वो छोटा-सा ड्राइंगरूमउन लोगों के लिए जो मेरे आगे हाथ जोड़ते थेएक वो अन्दर बड़ा-सा ड्राइंगरूमउन लोगों के लिएजिनके आगे मैं हाथ जोड़ता हूँपहले मैं फुसफुसाता थातो घर के लोग जाग जाते थेमैं करवट भी बदलता थातो घर के लोग सो नहीं पाते थेऔर अब!जिन दरारों की वजह से दीवारें बनी थींउन दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं।अब मैं चीख़ता हूँतो बग़ल के कमरे से ठहाके की आवाज़ सुनाई देती हैऔर मैं सोच नहीं पाता हूँ कि मेरी चीख़ की वजह से वहाँ ठहाके लग रहे हैंया उन ठहाकों की वजह से मैं चीख रहा हूँ!आदमी पहुँच गया हैं चांद तकपहुँचना चाहता है मंगल तकपर नहीं पहुँच पाता सगे भाई के दरवाज़े तकअब हमारा पता तो एक रहता हैपर हमें एक-दूसरे का पता नहीं रहता!और आज मैं सोचता हूँजिस समृध्दि की ऊँचाई पर मैं बैठा हूँउसके लिए मैंने कितनी बड़ी खोदी हैं खाईयाँअब मुझे अपने बाप की बेटी सेअपनी बेटी अच्छी लगती हैअब मुझे अपने बाप के बेटे सेअपना बेटा अच्छा लगता हैपहले मैं माँ-बाप के साथ रहता थाअब माँ-बाप मेरे साथ रहते हैंअब मेरा बेटा भी कमा रहा हैकल मुझे उसके साथ रहना पड़ेगाहक़ीक़त यही है दोस्तोंतमाचा मैंने मारा हैतमाचा मुझे खाना भी पड़ेगा..!🙏🏻🌹🙏🏻

Tuesday, 29 October 2024

*कृपया बिना रोए पढ़ें। यह मेसेज मेरे दिल को छू गया है*जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई! अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया कीजिए। आपकी सुविधा - असुविधा, आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हैं। उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है। वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है !घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था।उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:में अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे।तो मैं जा रही हूँ।जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जीयेंगे ऐसा वचन दिया था पर अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझको पता नहीं था।मुझे जाने दो।अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। बहुत दर्द हो रहा है मुझे।लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती।मुझे जाने दोबेटा और बहू रो रहे हैं देखो। मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता बा बा बा कर रहा है उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों।मुझे जाने दोअभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी तब उसे संभालना और शांत करना। और आपभी बिल्कुल नही रोना।मुझे जाने दोजिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम में डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल लेना।मुझे जाने दोआपने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं।मुझे जाने दोआपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नहीं खाना अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहू पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं यह समझ कर जीना सीख लेना।मुझे जाने दोबेटा और बहू कुछ बोले तोचुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नहीं होना। मुझे जाने दोअपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जिएं ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना लेकिन कभी कमजोर नही होना।मुझे जाने दोमेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नहीं। सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहू भूल जाये तो सामने से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।मुझे जाने दोबुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे धीरे से चलना।यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।मुझे जाने दोशाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तभी पानी पी लेना।अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं उसका ध्यान रखना।मुझे जाने दोशादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नहीं मिलेगी।मुझे जाने दोउठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना किसी की प्रतीक्षा नही करना।मुझे जाने दोऔर हाँ .... एक बात तुमसे छिपाई है मुझे माफ कर देना।आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये हैं। मेरी दादी ने सिखाया था। एक - एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया। इसमें से पाँच - पाँच लाख बहू और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना अपने लिए।मुझे जाने दोभगवान की भक्ति और पूजा करना भूलना नही। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे !!मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना। *मुझे जाने दो* *मुझे जाने दो*अगर आपका *दिल* कहे तो इसे आगे फारवर्ड करना।🙏🙏 🙏🙏

कोई सोच रहा है, धनतेरस पर कितना "सोना" खरीदना है,कोई सोच रहा है, ठंड शुरू हो गई है, कहाँ "सोना" है।

तमाशा तो ज़िन्दगी का हुआ है मगर अफ़सोस सारे कलाकार अपने ही निकले.

Friday, 25 October 2024

🔆 आदमी को यह नहीं पता कि उसके नीचे एक नाग छिपा है।🔆 औरत को यह नहीं मालूम कि एक भारी पत्थर आदमी को कुचल रहा है।🔆 औरत सोचती है: "मैं गिरने वाली हूँ! नाग मुझे काट लेगा, और मैं चढ़ नहीं सकती! आदमी थोड़ी और ताकत क्यों नहीं लगाता और मुझे ऊपर खींचता?"🔆 आदमी सोचता है: "मुझे इतना दर्द हो रहा है! फिर भी मैं तुम्हें जितना हो सके खींच रहा हूँ! तुम थोड़ी मेहनत क्यों नहीं करती?" 🥲इस कहानी का नैतिक है— हम एक-दूसरे के दबाव और पीड़ा को नहीं देख सकते। यह जीवन है, चाहे वह काम हो, परिवार हो, भावनाएँ हों या दोस्ती। हमें एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए। ☝️👍थोड़ी समझ और धैर्य से जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है।

Wednesday, 23 October 2024

##50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इसे अवश्य पढ़ें, क्योंकि यह उनके भावी जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है...1 : अपने स्वयं के स्थायी स्थान पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें ! 2 : अपना बैंक बैलेंस और भौतिक अमूल्य संपत्ति सदा अपने पास रखें ! 3 : अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है !4 : उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल करें जो आपको जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हैं !5 : किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 : अपनी संतानों के जीवन मे दखल अन्दाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से अपना जीवन जियें ! 7 : अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने, सम्मान पाने का प्रयास ना करें !8 : लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 : प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहां तक कि भगवान से भी नही, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी या हिम्मत ! 10 : अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें, चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार पौष्टिक भोजन खायें और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! 11 : अपने जीवन से कभी थकें नहीं हमेशा प्रसन्न रहें ! 12 : प्रतिवर्ष अपने जीवनसाथी के साथ भ्रमण, तीर्थयात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जायें, इससे आपका जीवन जीने का नजरिया बदलेगा.13 : किसी भी टकराव को टालें एवं तनाव रहित जीवन जियें ! 14 : जीवन में स्थायी कुछ भी नही है, चिंतायें भी नहीं इस बात का विश्वास करें ! 15 : अपनी सामाजिक, पारिवारिक जिम्मेदारियों को रिटायरमेंट से पहले पूरा कर लें, याद रखें जब तक आप जीना शुरू नही करते हैं तब तक आप जीवित नही हैं ! खुशनुमा जीवन की शुभकामनाओं के साथ..@everyone #beautifullife #hindimotivation

Sunday, 20 October 2024

यह लेख उन लोगों के लिए है जो रिश्तों को लेकर भ्रमित हैं। किसी भी रिश्ते में विश्वास सबसे पहली चीज है। यही भरोसा रिश्ते की नींव होता है, बिना भरोसे का रिश्ता टिकता नहीं है। ▪️रिश्ता दूसरा है सम्मान। यदि कोई दूसरे का सम्मान नहीं करता तो सम्मान के बिना कोई रिश्ता टिकता नहीं है। ▪️रिश्ते का तीसरा हिस्सा त्याग है। अगर दो लोग यह त्याग नहीं कर सकते तो रिश्ता टिक नहीं पाता। ▪️रिश्ते में तीसरा व्यक्ति। रिश्ते में किसी तीसरे व्यक्ति को न आने दें। तो रिश्ता टिक नहीं पाएगा. अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर⬇️ ▪️उपरोक्त 4 शब्द रिश्ते में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि आप उपरोक्त तीन बातों का पालन नहीं करते हैं तो वैवाहिक जीवन शुरू करना बहुत कठिन है। ▪️दांपत्य जीवन में कई परेशानियां आएंगी, हर चीज में दोष मानकर अलग न हों। यह जानने का प्रयास करें कि गलती कहां है। आप देखेंगे कि आप समस्या का समाधान स्वयं कर सकते हैं। ▪️आप अपनी गलती जानते हैं और फिर चुप हो जाते हैं, आप देखेंगे कि सब कुछ बहुत आसान हो गया है। ▪️रिश्ते में किसी तीसरे व्यक्ति को न आने दें, बात-बात पर खुद ही सुलझाने की कोशिश करें। ▪️तलाक के बारे में कभी सोचना भी मत। तलाक से कभी शांति नहीं मिल सकती। आप सोचते हैं कि अगर मैं तलाक दे दूंगा तो शायद मैं मुक्त हो जाऊंगा। वास्तव में ऐसा कभी नहीं होता। समाज में एक/दो तलाकशुदा भाई-बहनों से पूछिए कि आप कैसे हैं? उनके अपने परिवार और समाज के साथ उनके रिश्ते की कल्पना करें और समाज उन्हें किस नजरिए से देखता है, इसका प्रमाण आपको खुद मिल जाएगा। आपके रिश्ते में क्या समस्या है? आप क्यों ब्रेकअप करना चाहते हैं इसका समाधान खोजें। उन चीजों को छोड़ने की कोशिश करें, आप देखेंगे कि समाधान आपके हाथ में है। क्रोध/घमंड/जिद को त्यागें और अपनों के साथ रहना सीखें। आप देखेंगे कि संसार में आप जैसा सुखी व्यक्ति दूसरा कोई नहीं होगा। ▪️यदि आप इन शब्दों को स्वीकार नहीं कर सकते, तो परिवार आपके लिए नहीं है आप कभी भी कहीं भी खुश नहीं रहेंगे। ▪️संसार के सभी लोगों का कल्याण हो।#motivational #photochallenge #entertainment #gharkekahani #follower #postiviti सी

Saturday, 19 October 2024

कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 50 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ... और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि ... "दुख की बात है .. वह हमारे साथ नहीं रही " ... दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. _ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ _वह कहती रहती थी .. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, .. मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "।मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि क्या परिवार को किसी सहारे की जरूरत है. मुझे लगा कि उनके पति बहुत परेशान होंगे .. अचानक से सारी ज़िम्मेदारियों को निभाना है, उम्र बढ़ने के साथ साथ .. माता-पिता, बच्चे, अपनी नौकरी , इस पर अकेलापन उम्र .. कैसे होंगे बेचारे ?फोन कुछ समय के लिए बजा ..नही उठाया ... एक घंटे के बाद उन्होंने वापस कॉल किया.. उसने माफी मांगी कि वह मेरे कॉल का जवाब नहीं दे पाए. क्यूँकि अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलना शुरू किया था और दोस्तों से मिलना वग़ैरह भी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका समय ठीक से गुजर जाए। यहां तक कि उन्होंने पुणे में ट्रान्स्फ़र करवा लिया। इसलिए अब ट्रैवल नही करना पड़ता ।"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;उन्होंने जवाब दिया, एक रसोइया रख लिया है .. थोड़ा और पेमेंट किया तो वह किराने का सामान और सब्ज़ी फल वग़ैरह भी ला देगा । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए फ़ुल टाइम केयर टेकर रख ली थी। "ठीक चल रहा है ... बच्चे भी ठीक हैं। जीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है “... उन्होंने कहा।मैं मुश्किल से एक-दो वाक्य बोल पायी और हमारी बात पूरी हो गयी ।मेरी आंखों में आंसू आ गए।मेरी सहेली मेरे ख्यालों में आ रही थी ... उसने अपनी सास की छोटी सी बीमारी के लिए हमारे स्कूल के पुनर्मिलन को छोड़ दिया था। वो अपनी भतीजी की शादी में नही गयी क्योंकि उसको अपने घर में मरम्मत के काम की देखरेख करनी थी।वह कई मजेदार पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा थी और उसे खाना बनाना था, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था ...उसने हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।आज मुझे उसका कहने का मन हो रहा है ।।यहाँ कोई भी अपरिहार्य नहीं है।और कोई भी याद नहीं किया जाएगा .. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम है।शायद यह सांत्वना है .. या यूँ कहें की हमारे समझने का तरीक़ा... जब आप दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं उसके मरने के बाद उन्होंने दो और नौकरानियाँ रख ली गईं और घर ठीक चल रहा था इसीलिये मन का यह वहम हटा दो कि मैं अपरिहार्य हूं और मेरे बिना घर नहीं चलेगा ........... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... अतः 👇सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए समय निकालें ..अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहें ... बात करें, हंसें और आनंद लेंअपने शौक़ पूरे करो, अपने जुनून को जियो, अपनी जिंदगी को जिओहर किसी को आपकी ज़रूरत है, लेकिन आपको भी अपनी देखभाल और प्यार की ज़रूरत है।हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन हैज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है💃🏾💃🏾#हर_बेटी_मेरी#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है 🇮🇳कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है🥹🥺 वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है🥹🥹🥺🥺हम वह आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखें हैं.बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को संभव होता देखा है.● हम वो आखिरी पीढ़ी हैंजिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।● हम वो आखिरी लोग हैं…जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, लँगड़ी टांग, आइस पाइस, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे, सितोलिया जैसे खेल खेले हैं।● हम वो आखिरी पीढ़ी के लोग हैंजिन्होंने चिमनी , लालटेन, कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।● हम उसी पीढ़ी के लोग हैं…जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।● हम उस आखिरी पीढ़ी के लोग हैंजिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी, किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती घोटी है।जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है. और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई हैजो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे. और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर, खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया हैंजिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

Thursday, 17 October 2024

*श्री हरिवंश राय बच्चन जी की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Wednesday, 16 October 2024

WHEN I AM GONEWhen I leave, I don't want you to be too sad. Stay silent, save the words, and remember the happy moments that warm the soul. When I fall asleep, let me rest. I'm gone for a reason. If you miss me, don't say anything. In silence, look for my presence in my house, my books, my letters, and my photos, as well as in those papers that I wrote in a hurry.Wear my shirts, my sweater, and my jacket. Walk in my shoes. My room is yours, as are my pillow and my bed. If it's cold, wrap yourself in my scarves. Enjoy the chocolate and wine I left. Listen to that song I loved so much, use my perfume, and take care of my plants.If they bury my body, don't be afraid. Run free and let your tears flow. Let the wind caress your face. Feel the poetry, music, and singing. Kiss the earth, drink the water, and learn the language of the birds. If you miss me deeply, try to hide it and look for me in the children, the coffee, the radio, and those places where I used to hide. Never say the word 'death.' Sometimes being forgotten is sadder than dying many times and still being remembered.When I fall asleep, bring flowers to my grave and shout with all your might that life goes on. The flame of life does not go out just because I am not there. Those who "live" never die completely; they only fall asleep momentarily. Eternal sleep is just an excuse.When I leave, extend your hand, and you will feel my touch. You will know that I will always be by your side. And one day, with a smile, you will feel that I have returned to stay with you forever.✍🏻 Worth Sharing

ईमानदारी से रिश्ते निभाने वाले लोग ही, अक्सर ज्यादा रोया करते हैं.!!

KEEP YOUR CIRCLE SMALLA Short Valuable StoryA young girl asked an elderly woman: "Do I really need friends in life?"The elderly woman responded:"Yes. Life is truly very rough. There should be someone by your side with whom you can talk for hours without feeling that they would judge you; on whose shoulders you can cry, one who will give you emotional support. When no one will be there for you, they should be there. One who should help you share the good times and overcome the difficult ones."The young girl asked:"Is it true that a fake friend is more dangerous than an enemy?"The elderly woman responded:"Yes. It's because you know who your enemy is and you're not going to let them get close to you. But a false friend is pretending while getting your trust. They find out your vulnerabilities, your secrets and your dreams. They know which button to press and how to stab you in the back."The young girl asked: "How do I avoid being surrounded by fake friends?"The elderly woman paused for a short moment, then asked,"Between a small garden and a forest, which one has more snakes and scorpions?"The young girl responded:"The forest, sure!"The elderly woman smiled, and then said:"Good! When you keep your circle of friends small like a small garden, the less snakes and scorpions you have to worry about, even rats. The fewer people you hang out with, the fewer problems you have to deal with. When I was young, I had a very big group of friends. But as I grew old and wise with experience, my circle of friends became smaller. I realized that quality outweighs quantity when it comes to friendship. Don’t fool yourself by holding onto the illusion that everyone is your friend. You may have numerous acquaintances, but real friends will always be just a few people you love and trust. The best way to prevent yourself from falling into the fake friend trap is by being more mindful about the size of your circle."✍🏻 Worth Sharing #story #beautifullifeskl

Tuesday, 15 October 2024

ईमानदारी से रिश्ते निभाने वाले लोग ही, अक्सर ज्यादा रोया करते हैं.!!

जिंदगी में कुछ सीखो या ना सीखो,मगर लोगों को पहचानना जरूर सीखो,क्यूंकि लोग जो दिखते हैं वैसे होते नहीं है।

सिर्फ धोखा देना ही धोखा नहीं होता..बल्कि किसी के साथ अपनेपन का झूठा नाटक करना उससे भी बड़ा धोखा होता है.. #jhooth #rishtey #beautifullife #hindisuvichar

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

When Parents die 💔, nothing is the same anymore. We can no longer be children, we will no longer feel carried away by their hugs, kisses and words of encouragement. It seems like life is getting harder because their protective love is no longer there. When parents are no longer with us, we are orphans and that is hard regardless of age. Even though you created your family, the face of your parents is ingrained in you for eternity. All people, even if we are adults, have this living child inside us who wants to be protected all the time by his parents. Turning to their unconditional love whenever necessary, but when they are gone, that option is no longer possible...!!! 😭#Beautifullife #motivationalquotes

Monday, 14 October 2024

"बचपन तो मेरा बहुत अच्छा था। लेकिन जब माता-पिता का तलाक हुआ तो हम भाईयों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी। उस ज़माने में तलाक आज की तरह कोई नॉर्मल बात नहीं थी।" कुछ साल पहले रतन टाटा जी ने एक इंटरव्यू में ये बातें कही थी। उस इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपने जीवन की कई बातों पर रोशनी डाली थी। उन्होंने बताया था कि माता-पिता के तलाक के बाद उनकी दादी ने उनका बहुत ख्याल रखा। जब उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी तब स्कूल के दूसरे बच्चे उनके बारे में तरह-तरह की बातें करते थे। कुछ लड़के छेड़ते थे। तो कुछ उकसाने की कोशिश करते थे। उन बातों पर रतन टाटा को बहुत गुस्सा आता था। लेकिन दादी उस वक्त उन्हें शांत रहने को कहती थी। दादी कहती थी कि किसी भी कीमत पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है। उस इंटरव्यू में रतन टाटा ने पिता संग अपने रिश्तों पर भी बात की थी। रतन टाटा ने बताया था कि मैं वॉयलिन बजाना सीखना चाहता था। पिता कहते थे कि पियानो सीखो। मैं अमेरिका में पढ़ना चाहता था। पिता मुझे ब्रिटेन भेजना चाहते थे। मुझे आर्किटेक्ट बनना था। लेकिन पिता ज़िद करते थे कि मैं इंजीनियर ही बनूं। मगर बाद में दादी की मदद से मैं अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी पढ़ने गया। शुरू में मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। लेकिन बाद में मैंने आर्किटेक्चर में डिग्री ली।#ratantata#tata#ratantatasir#everyonefollowers

Sunday, 13 October 2024

स्वाद छोड़ दो तो शरीर को लाभ हैं विवाद छोड़ दो तो संबंधों को लाभ हैं और अगर व्यर्थ चिंता छोड़ दो तो पूरे जीवन को लाभ हैं।

झूठ और बेईमानी का कार्य करके एक इंसान दूसरे इंसान को धोखा दे सकता हैन्याय करने वाले उस ईश्वर को नहीं!!

मुश्किलें नहीं आयेंगी तो निखरोगे कैसे, कौन अपना है कौन नहीं समझोगे कैसे, डरते ही रहोगे गिरने से तो आगे बढ़ोगे कैसे, तपोगे नहीं जब तक तो सोने सा चमकोगे कैसे।।

"होशियार" होना अच्छी बात है पर दुसरो को "मूर्ख" समझना बेवकूफी है..

दुनिया की सबसे कमजोर चीज शराफत है जिसका फायदा अक्सर घटिया लोग उठाते हैं...

Saturday, 12 October 2024

*जीवन के इन तीन चरणों में दुखी न हों:**(1) पहला कैंप :-58 से 65 वर्ष*कार्यस्थल आपसे दूर हो जाता है।अपने करियर के दौरान आप चाहे कितने भी सफल या शक्तिशाली क्यों न हों, आपको एक साधारण व्यक्ति ही कहा जाएगा। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी या व्यवसाय की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें*(2) दूसरा कैंप :-65 से 72 वर्ष*इस उम्र में, समाज धीरे-धीरे आपको दूर कर देता है। आपके मिलने-जुलने वाले दोस्त और सहकर्मी कम हो जाएँगे और आपके पिछले कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो।यह न कहें कि "मैं था..." या "मैं कभी था..." क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं पहचानेगी, और आपको इसके बारे में बुरा नहीं मानना चाहिए!*(3) तीसरा कैंप :-72 से 77 वर्ष*इस कैंप में, परिवार धीरे-धीरे आपको दूर कर देगा। भले ही आपके कई बच्चे और नाती-नातिन हों, लेकिन ज़्यादातर समय आप अपने साथी के साथ या अकेले ही रह रहे होंगे।जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!और अंत में 77+ के बाद,धरती आपको नष्ट करना चाहती है। इस समय, दुखी या शोक मत करो, क्योंकि यह जीवन का अंतिम चरण है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!*इसलिए, जब तक हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जिएँ!**आपका**जो पसंद है वो खाएँ,**पीएँ, खेलें और जो पसंद है वो करें।**खुश रहें, खुशी से जिएँ..**प्रिय वरिष्ठ नागरिक भाइयों और बहनों*,*उपरोक्त लेख लेखक द्वारा बहुत बढ़िया लिखा गया है।* *लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई*।58+ के बाद दोस्तों का एक समूह बनाएँ और कभी-कभार एक निश्चित स्थान पर, एक निश्चित समय पर मिलते रहें। टेलीफोनिक संपर्क में रहें। पुराने जीवन के अनुभवों को याद करें और एक-दूसरे के साथ साझा करें।*हमेशा खुश रहें।🙏*#motivational #highlightseveryone #followers #entertainment #beautifullife #hindisuvichar

Monday, 7 October 2024

(मालिक बदलते रहते हैं कमाई की हद तय करो)💯💥100 साल से ज्यादा एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती जमीन....😳जब ये मकान बनना शुरू हुआ होगा तो घर वालों ने कितने शौक से बनाया होगा कितनी शिद्दत से इसकी सजावट की होगी । बीवी कहती होगी यहां ये डिज़ाइन बनाना है यहां पर ये दरवाज़ा लगना है और यहाँ पर ऐसी खिड़की रखनी है.आह चले गए ना सब. यहां से सब को जाना है ज़मीन और मकान के लिए न लड़ा करो मालिको। ज़मीन 100 साल से ऊपर एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती है। 👌💯मालिक बदलते रहते हैं कमाई की हद तय करोजीना सीखो एक उम्र के बाद अपनी मर्जी से कहीं जा भी नही सकोगे। आज खुद के लिए वक्त नहीं निकलता कल कहीं गिर ना जाओ कहीं खो ना जाओ, नही पापा वहां नही जाना है आकर बीमार पड़ जाओगे। बच्चे भी फिर बहाना लगा देंगे । और अगर गलती से जिद्द कर के चले भी गए और कहीं चोट लग गई या बीमार हो गए तो वही बच्चे बहू सो ताने देने लगेंगे हमने तो पहले ही रोका था अब कौन करेगा इनका । बच्चे देखें या इन्हें। अगली बार से ऐसे करेंगे तो मैं नही करूंगी करके बहू भी पल्ला झाड़ लेगी। जब तक जियो जी भर कर जियो। क्योंकि जिनके लिए जोड़ रहे हो कल वही तुम्हे आराम नही करने देंगे।उनसे पूछ कर आराम करना होगा।""ये दुनियां एक नाटक है अपना किरदार निभाते चलो तुम इस नाटक का हिस्सा भर हो## । किसी बेतहाशा कमाने वाले से उसके अंतिम दिनों के समय पूछना क्या मिला जोड़ते जोड़ते सपने मारते मारते जीकर।वो कहेगा तजुर्बा और तजुर्बा यही कहता है एक उम्र के बाद ये बातें आम हो जाती है।💯💥💪#beautifullife #hindisuvichar

"सफलता की शुरुआत"1. सबसे पहले अपना लक्ष्य बनाओ।2. आलस को जिंदगी से निकाल दो।3. हमेशा अपने गोल पर फोकस करते रहो।4. समय को मैनेज करना सीखो5. ध्यान से सुनना सीखो।6. सेल्फ कॉन्फिडेंस होना चाहिए।7. सबके प्रति अच्छे भाव रखो।8. ईमानदारी से रहना सीखो।9. बोलने का तरीका सीखो।10. सकारात्मक रहना सीखो11. हमेशा सीखते रहे।12. खुद को मजबूत और बेहतर समझे।

Thursday, 3 October 2024

मेरे घर के आगे रोज कोई नींबू जिसके अंदर शायद सिंदूर लगा रहता है, फेक कर चला जाता था। मैं इन सारी चीजों को नहीं मानता, और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। सुबह घर में झाड़ू लगाते वक्त जब बाहर के गेट को खोलकर मेरी पत्नी कूड़ा बाहर कूड़ेदान में डालने जाती है, तो मुख्य द्वार पर ठीक सामने रोज उसे वह नींबू दिखता, जिसे कि वह हाथ भी नहीं लगती। बाद में सड़क के साफ सफाई के वक्त वह वहां से हट जाता है, या किसी गाड़ी के पहियों के नीचे आकर खत्म हो जाता। लगातार 1 हफ्ते से ऐसा कुछ मेरे घर में हो रहा था। मेरी पत्नी बहुत परेशान हो चुकी थी ,और रोज मुझसे इस बात के लिए बहस करती थी, की पता करो यह सब कौन कर रहा है, पर मैं उसे सिर्फ यही कहता था, यह सब काला जादू वगैरह कुछ नहीं होता। सब मन का वहम होता है । अगर ऐसा होने लगे तो हर कोई दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर ले। जो ऐसा कर रहा है, उसे करने दो। उसे अपने मन की तसल्ली मिलने दो। हमारा कुछ नहीं बिगड़ने वाला। होगा वही जो प्रभु चाहेंगे। लेकिन मेरी पत्नी को कितना भी समझा लो, वह इन सारी दकियानूस बातों को मानती थी । उसने जिद पकड़ ली, कि अब तो उसे पता करना ही है, कि यह सब कुछ कौन कर रहा है, नहीं तो वह हमारे घर में कुछ अनर्थ हो जाएगा। इन सब पर यकीन ना होते हुए भी ,पत्नी की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा, और मैंने अगले दिन अपने घर के हाल के बाहर सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल करवा दिए, जो की सड़क तक की रिकॉर्डिंग आराम से कर सकता था । किसी पड़ोसी को खबर नहीं लगने दी, कि हमने कैमरे लगवाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। अगले दिन सुबह फिर नींबू हमारे गेट पर था, और हमने सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी ,देखकर हमारे होश उड़ गए। उस नींबू को मेरे छोटे भाई ने लाकर मेरे मुख्य द्वार के आगे रखा था। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था, की बगल के घर में रहने वाला मेरा छोटा भाई ऐसा कैसे कर सकता है? मुझे इन सारी चीजों पर कोई विश्वास नहीं था। लेकिन फिर भी आज मुझे दुख हो रहा था, इस बात का, की आखिर मेरे छोटे भाई ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मेरी पत्नी भी यह सब कुछ देखकर हैरान थी। हम दोनों भाइयों के बीच कभी कोई विवाद नहीं रहा था, किसी भी बात को लेकर। माता-पिता के गुजरने के बाद सारी संपत्ति हम दोनों ने बराबर बराबर बाटी थी, और आपस में प्यार मोहब्बत से रहते थे। आज दिल टूट सा गया था। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया। मेरी पत्नी को गुस्सा आ रहा था ,और वह अपने देवर देवरानी से लड़ने के लिए जाना चाह रही थी। लेकिन मैंने उससे बोला तुम चुप रहो, और अपना काम करो। मैं छोटे से बात करके देख लूंगा । पत्नी ने बोला अब बात करने वाली कोई बात नहीं है। यह बहुत बड़ी बात है । सगा भाई होकर वह ऐसा कैसे कर सकता है? मैंने किसी तरह से अपनी पत्नी को समझा बूझाकर ,उसे घर के कामों में व्यस्त कर दिया, और अपने छोटे भाई के पास गया। भाई ने हमेशा की तरह बहुत प्यार से मुझसे बात की, और अपनी पत्नी से मेरे लिए चाय बनाने को कहा। थोड़ी देर में चाय आ गई। मैं भाई से इधर-उधर की बात करने के बाद मुख्य मुद्दे पर आ गया, और बोला कि मेरे घर के मुख्य द्वार पर रोज कोई सिंदूर लगा हुआ नींबू फेंक कर जा रहा है। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंमेरा भाई अनजान बनते हुए बोल रहा था ,अच्छा, ऐसा कौन कर सकता है? उसके बाद मैंने आराम से बोला ,यही जानने के लिए कल मैंने अपने घर में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल करवाए थे, अब तो मेरे भाई के चेहरे का रंग उड़ गया था। उसे समझ में नहीं आ रहा था ,वह क्या बोले? वह मुझसे नज़रे नहीं मिला पा रहा था। मैंने अपने भाई से पूछा, कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई थी, कि उसने मेरे साथ ऐसा किया? मैंने अपने भाई से साफ-साफ बोला ,देख भाई मैं इन सब बातों पर विश्वास तो बिल्कुल भी नहीं करता, लेकिन तुझे यह सब करता देख आज मेरा दिल में बहुत दर्द हुआ है। हजारो टुकड़े हो गए हैं मेरे दिल के। बस इतना बता दे ,कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई, कि तुमने मेरे साथ ऐसा किया? मेरा भाई और उसकी पत्नी मुझसे नजरे नहीं मिल पा रहे थे। धीरे-धीरे हकलाते हुए मेरे भाई ने बोला, भैया आपने कुछ भी नहीं किया है। बस आपकी दुकान, मेरी दुकान से ज्यादा अच्छी चलती है, और आपकी आमदनी मेरी आमदनी से दुगनी है। मैं भी चाहता था, कि मेरी आमदनी बढ़ जाए। किसी ने मुझे बताया था, कि अगर मैं नींबू में सिंदूर लगाकर आपके घर के सामने रख दूंगा, और आपने अगर उसे छू लिया, तो उसके प्रभाव से आपका भाग्य मुझे मिल जाएगा, और मेरी दुकान भी आपकी दुकान की तरह अच्छी चलने लगेगी । कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंबस भाई मैं यही चाहता था । मैं हैरान था ,अपने भाई की बातें सुनकर। मेरा भाग्य लेने के लिए, मेरे भाई ने काले जादू का इस्तेमाल किया। फिर भी खुद को संभालते हुए मैंने अपने भाई से बोला ,भाई अगर यही बात थी, तो एक बार मुझसे बोल कर तो देखा होता, मैं तो खुद अपने हाथों से इस नींबू को उठा लेता, तुझे यह सब करने की जरूरत ही नहीं पड़ती, कहकर मैंने अपनी जेब में हाथ डाला ,और भाई ने आज सुबह जो नींबू मेरे गेट पर फेंका था, वह अपनी जेब से निकाल कर भाई के सामने अपना हाथ खोल दिया। भाई ने जैसे ही देखा ,कि मैंने वह नींबू अपने हाथों में पकड़ रखा है, वह हैरानी से मेरी ओर देखने लगा। मैने बोला जब मुझे पता चला कि यह सब कुछ तूने किया है ,मुझे लगा जरूर तुझे कुछ जरूरत होगी, जिसकी वजह से तू यह सब कुछ कर रहा है, तो मुझे तो तेरे लिए इसे छूना ही होगा। इसीलिए मैंने इसे उठाकर अपनी जेब में रख लिया, ताकि तेरी जो भी इच्छा है वह पूरी हो जाए। भाई कभी उस नींबू को देख रहा था, और कभी मेरे मेरा चेहरा देख रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था, कि मैं ऐसा कुछ कर सकता था। मैंने बोला तू मेरा छोटा भाई है, और तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। बस एक बार विश्वास करके मुझसे बात तो की होती, मैं उसी वक्त यह नींबू और सिंदूर लेकर उसे अपने जेब में रख लेता, ताकि मेरा भाग्य तुझे मिल जाए। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंमेरा भाई शर्म से जमीन में गड़ने को था। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, और मैं अब अपने घर की ओर जा रहा था, यह बोलते हुए, की अगर फिर कभी किसी भी चीज की जरूरत हो ,या कोई भी जादू टोना करना हो, जिससे तुम्हारा कुछ फायदा हो ,तुम सीधे-सीधे मुझसे बात करना, वादा करता हूं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा ,और मैं अपने घर की ओर जाने लगा। लेकिन पीछे से मेरे भाई ने मेरे पैर पकड़ लिये, और रोने लगा। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। वह बोल रहा था भाई मैं तो सच में आपसे ज्यादा भाग्यशाली हूं, जो मुझे आपके जैसा बड़ा भाई मिला है। मुझसे अधिक भाग्यशाली दुनिया में और कौन होगा? मैंने अपने भाई को उठाकर गले से लगा लिया, और भाई ने मेरे हाथों से वह नींबू लेकर डस्टबिन में फेंक दिया।

Wednesday, 2 October 2024

#story #kahan बहु हम तुम्हारे साथ नहीं बल्कि तुम हमारे साथ रहती हो....!!संध्या आरती का समय हो चुका था। निर्मला जी और उनके पति भंवरलाल जी ने घर में दीया बत्ती की और फिर संध्या आरती के लिए मंदिर चले गए जो कि घर के पास ही था। पर जाने से पहले घर की बहू सुनीता को आवाज़ लगा गए कि हम मंदिर जाकर आ रहे हैं। लेकिन सुनीता अपने कमरे से निकलकर बाहर ही नहीं आई। वो अक्सर ही ऐसा करती थी। इसलिए निर्मला जी और भंवर लाल जी ने दरवाजा बंद किया और अपने दो साल के पोते समर को लेकर दोनों वहां से रवाना हो गए। जब तक दोनों लौट कर वापस आए तब तक बेटा सूरज भी घर पर आ चुका था। उसे देखते ही भँवरलाल जी खुशी खुशी प्रसाद लेकर उसकी तरफ बढ़े," अरे बेटा, तु आ गया। ले प्रसाद खा। आज तो मंदिर में बहुत ही सुंदर झांकी सजी थी। समर तो देखते ही खुश हो गया। तू और बहू भी जाकर देख आ"लेकिन सूरज ने प्रसाद ना लेकर चिल्लाना शुरु कर दिया," पापा, कब तक चलेगा ये सब। आप लोगों को घर की शांति रास नहीं आती ना। अब मैं ऑफिस में काम करूं या फिर आप लोगों के घर के मैटर सॉल्व करता फिरुँ"उसकी बात सुनकर जैसे भंवर लाल जी को जोरदार झटका लगा हो। वो चुपचाप जड़त्व वही खड़े रह गए। तब निर्मला जी बोली," अरे बात क्या हुई है वो तो बता। क्यों चिल्ला रहा है"" अच्छा! नाटक तो आप ऐसे कर रही है जैसे आपको कुछ पता ही नहीं है। कब तक मैं आप लोगों का बोझ अपने सिर पर ढोती रहूं। नौकरानी बनाकर रख दिया है मुझे। आप अलग क्यों नहीं हो जाती। कम से कम हम तो आजादी से जिंदगी जिए। खुद की जिंदगी तो जी ही ली। अब शांति से हमें तो रहने दो"सूरज के बोलने के पहले ही सुनीता बीच में बोल पड़ी। उसकी बात सुनकर निर्मला जी हैरानी से पूछने लगी,"बेटा मुझे तो अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि तू किस बात से नाराज है। और हमने ऐसी कौन सी टोका टाकी की है तुझ पर जिससे तेरी आजादी में खलल पड़ गया"निर्मला जी ने कहा तो सुनीता ने सूरज की तरफ पलट कर कहा," देख लो अपनी मां के नाटक। आपको तो यही लगता है कि ये मुझ पर टोका टाकी नहीं करती है। अरे सुबह सिर्फ इतनी सी बात थी कि मैं दाल चावल बना रही थी। बहुत दिनों से खाने की इच्छा कर रही थी। लेकिन तुम्हारी मां ने मुझे बनाने तक नहीं दिया। अब बताओ क्या मैं अपनी मर्जी से दाल चावल बना कर नहीं खा सकती। यही औकात है मेरी इस घर में"कहती कहती सुनीता आंखों में आंसू भर लाई। जिसे देखकर सूरज और भड़क गया," मां बहू को बेटी नहीं समझती हो तो बहू तो समझो। आखिर वो भी इंसान है। अरे एक दाल चावल की क्या औकात जो आपने इतनी सी बात पर इसका दिल दुखा दिया। मेरी कमाई का क्या फायदा अगर मेरी ही पत्नी दाल चावल के लिए तरस रही है तो"सूरज की बात सुनकर निर्मला जी ने इतना ही कहा," मैंने बहू को दाल चावल बनाने के लिए मना नहीं किया था। मैंने सिर्फ ये कहा था कि बहू हमारे लिए रोटी बना लेना क्योंकि हमें चावल पचते नहीं है"" हाँ तो? इसका तो यही मतलब है ना कि आपने मुझे रोटी बनाने के लिए कहा, चावल नहीं"" बहु बात का क्यों बतंगड़ बना रही हो। मतलब तो तुमने अपनी मर्जी से निकाला हैं"अब की बार भंवर लाल जी ने कहा।" पापा आप बीच में मत बोलिए। अभी मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूं"सूरज ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की तो भंवर लाल जी ने पलटकर कहा," क्यों ना बोलूं? जब तुम अपनी पत्नी के लिए बोल रहे हो तो मैं भी अपनी पत्नी के लिए बोलूंगा"" तो फिर ठीक है पापा। आप अपने ईगो के साथ खुश रहिए। हमें अपनी आजादी के साथ खुश रहने दीजिए। हमें नहीं रहना आपके साथ। हम अलग हो जाएंगे"सूरज ने दो टूक जवाब दिया।" ठीक है, तुम अलग होना चाहते हो तो अलग हो जाओ। क्या हमें समझ में नहीं आ रहा है कि आए दिन छोटी-छोटी बातों पर जो बतंगड़ हो रहा है घर में, वो किस लिए हो रहा है"कहकर भंवर लाल जी अपने कमरे में आ गए। पीछे-पीछे निर्मला जी समझाने के लिए कमरे में आई तो भंवर लाल जी ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया," निर्मला अपनी मां की ममता से उठ कर देखो। तुम्हें समझ नहीं आ रहा कि रोज छोटी-छोटी बातों पर बतंगड़ क्यों बन रहा है। घर में तमाशा होता है। क्यों नहीं समझती कि वो लोग तो हम लोगों के साथ रहना ही नहीं चाहते। और सबसे बड़ी बात उन्हे यह गलतफहमी है कि हम लोग उनके साथ रहते हैं, तो हमारा खर्चा वो लोग उठा रहे हैं"आखिर भंवर लाल जी के कहने पर निर्मला जी भी चुप हो गई। आखिर कुछ दिनों से यही सब तो हो रहा था घर में। कल घर में मटर पनीर की सब्जी बनी थी तो सुनीता ने निर्मला जी और भंवर लाल जी को खाना परोसा। उनकी थाली में सिर्फ मटर थे, पनीर का एक टुकड़ा तक नहीं था। जब निर्मला जी ने कहा तो सुनीता ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा," माँ जी पनीर इतना सा ही था, समर ने खा लिया" तब भी निर्मला जी चुप हो गई। अब क्या इतना भी उन्हें समझ में नहीं आता कि एक दो साल का बच्चा जो कि खाना भी खुद से नहीं खाता, अकेले ही भला ढाई सौ ग्राम पनीर खा सकता है क्या, वो भी सब्जी में डाला हुआ?और भी ऐसी कई सारी छोटी छोटी बातें जो अक्सर घर में होने लगी थी। निर्मला जी और भंवर लाल जी को समझ में आ रहा था कि आखिर दोनों क्या चाहते हैं पर फिर भी दोनों चुप थे। लेकिन आज तो सूरज ने मुंह पर बोल ही दिया।खैर, दूसरे दिन ही सूरज और सुनिता ने अपना सारा सामान ऊपर वाले माले में शिफ्ट कर लिया। दोनों के ही माथे पर कोई शिकन तक नहीं थी। बल्कि चेहरे पर एक सुकून था। जैसे उनकी मन की मुराद पूरी हो गई हो। उस समय हैरान परेशान बस घर में कोई था तो वो थी निर्मला जी। जो उन्हें रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी। पर कोई रूकना चाहे तो रुके ना, जिसके मन की मंशा पूरी हो वो भला क्यों रुके। निर्मला जी ने बड़ी उम्मीद से भंवर लाल जी की तरफ देखा कि वो बच्चों को रोक लेंगे लेकिन वो तटस्थ खड़े रहे। अब तो सुनीता और और सूरज की मौज ही मौज थी। लेट तक सोना, मन हुआ तो घर पर खाना बनाया नहीं तो बाहर से मंगा लेना, कुछ दिन तो जैसे ऐशो आराम में ही बीते। यहां तक कि समर को अपने मायके छोड़ कर आए दिन शॉपिंग करना, बाहर घूम कर आना, बाहर ही खाना खाकर आना, कुछ दिन तो ये सब अच्छा लगा।लेकिन लोग भूल जाते हैं कि रहना तो उन्हें धरती पर ही है। हर इंसान की अपनी एक सीमा होती है। जैसे ही पंद्रह बीस दिन बीते, सुनीता के मायके में उसकी भाभी ने साफ कह दिया कि रोज-रोज बच्चे को यहाँ छोड़कर ना जाया करें। हमें भी बहुत से काम होते हैं। इतना ही घूमने फिरने का शौक है तो बच्चे को अपने साथ लेकर ही घुमा फिरा करो।यहां तक कि ऑफिस लेट पहुंचने के कारण और आए दिन छुट्टी लेने के कारण भी सूरज को ऑफिस में अच्छी खासी डांट पड़ चुकी थी।अब जाकर आटे दाल का भाव पता चल रहा था। कभी सिलेंडर तो कभी बिजली का बिल, कभी सब्जियां तो कभी घर का राशन, छोटे बच्चे के साथ आए दिन के खर्चे। दिन में ही दोनों को तारे नजर आने लगे थे। आए दोनों में चिक चिक शुरू हो गई। पहले तो भंवर लाल जी घर का अधिकतर खर्चा उठा लेते थे तो अपने पास होती सेविंग को देखकर दोनों को लगता कि हम सब खर्चा उठा सकते हैं। लेकिन अब असलियत पता चल रही थी।अभी दोनों चिक चिक करके मुंह फुला कर बैठे ही थे कि इतने में निर्मला जी ने दरवाजा खटखटाया। सूरज में जाकर दरवाजा खोला तो निर्मला जी को खड़ी देखकर हैरान रह गया। इससे पहले कि वो कुछ बोलता निर्मला जी ने बिजली का बिल निकाल कर उसे देते हुए कहा," बेटा ये बिजली का बिल आया है, इसे जमा करवा देना"कहकर वो वापस नीचे आ गई। " ये क्या ₹5000 का बिल?"₹5000 का नाम सुनते ही सुनीता भी खड़ी हो गई। अब सूरज और सुनीता भी नीचे आ गए। और आते ही सुनीता बोली," ये क्या है पापा जी, आपने ये बिजली के बिल हमारे पास क्यों पहुंचा दिया? हम क्यों आपका बिल भरेंगे"उसकी बात सुनकर भंवर लाल जी बोले,"देखो बहू हमारे हिस्से का बिल हम दे रहे हैं। ये तो तुम्हारे हिस्से का बिल है। तुम शायद भूल रही हो कि दोनों माले के मीटर अलग-अलग है"" अरे तो ₹5000? क्या हम ₹5000 की बिजली फूँक गए? जरूर आपका बिल भी उसी में मिला हुआ होगा"सुनीता अभी भी मानने को तैयार नहीं थी। भँवर लाल जी मुस्कुरा कर बोले," बहु ये जो तुम रात रात भर टीवी देखती हो, पंखे कूलर चालू करके छोड़ जाती हो तो बिजली का बिल इतना आएगा ही ना। वैसे भी पाँच हजार तो बहुत कम है। कई बार तो आठ हजार दस हजार का बिल आता था, जो मैं भरता था"अब तो सुनीता की आवाज तक नहीं निकल रही थी।" ऐसे कैसे घर चलेगा भला" अचानक सूरज ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा" बेटा तुम्हें लगता है ना कि घर के बड़े बुजुर्ग बहुत टोका टाकी करते हैं। असल में वो लोग होते हैं तो तुम कई चीजों से बच जाते थे। कई चीजों के खर्चे तो हम ही करते थे पर तुम्हें लगता था कि तुम हमें संभाल रहे हो। हमारी जिम्मेदारी उठा रहे हो। पर बहु तुम ये भूल गई कि तुम हमारे साथ रहती थी, हम तुम्हारे साथ नहीं"" माँ जी मुझे माफ कर दो। मुझे सब समझ में आ गया। मायके वालों से रिश्ते बिगड़े सो अलग, यहाँ खुद की गृहस्थी भी नहीं संभाल पाई"सुनीता ने माफी मांगते हुए कहा तो सूरज बोला," मां क्या हम दोबारा साथ नहीं रह सकते"" नहीं बेटा, तुम अपने आजादी के साथ रहो। हमें अपने हिसाब से रहने दो"अब की बार भँवरलाल जी ने कहा।" पर पापा गलती तो बच्चों से ही होती है। माफ कर दो"सूरज ने हाथ जोड़ते हुए कहा।" देख बेटा, तू मेरा बेटा है इसलिए तुझे माफ भी कर दिया। लेकिन रही बात साथ रहने की तो अब नहीं। एक बार बर्दाश्त कर चुके पर अब बर्दाश्त नहीं होगा। और वैसे भी तुम्हें गृहस्थी संभालनी आनी ही चाहिए। हम लोगों की छांव में तुम ये सब नहीं सीख पाए। एक ही मकान में तो है, माले अलग हुए तो क्या हुआ। भविष्य का मुझे पता नहीं। लेकिन अभी फिलहाल तो दोबारा एक साथ नहीं"आखिर भंवर लाल जी के कहने पर सूरज उनकी बात को समझ गया और चुपचाप उनके पैर छूकर ऊपर वाले माले पर चला गया। अब कम से कम एक ही बिल्डिंग में अलग-अलग माले पर रहने के बावजूद वो लोग एक तो थे।#bahu #beta #SaaS #sasur #hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

भरोसा तोड़ने वाले से बड़ा मूर्ख कोई दूसरा नहीं हो सकता क्योंकि वो अपने स्वार्थ के लिए एक अच्छे इंसान को खो देता है

Tuesday, 1 October 2024

महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ:1. "अहिंसा के पुजारी, सत्य के राह दिखाने वाले, गांधी जी की शिक्षाएँ आज भी हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।"2. "जिसने लाठी-गोली नहीं, सत्य और अहिंसा से स्वतंत्रता दिलाई, वह महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के सबसे उज्ज्वल सितारे हैं।"3. "गांधी जी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई की राह कठिन हो सकती है, परन्तु अंततः वही विजय दिलाती है।"4. "वह व्यक्ति जिसने अपने विचारों और कर्मों से पूरी दुनिया को बदलने का साहस दिखाया, वह थे महात्मा गांधी।"5. "महात्मा गांधी का हर शब्द, हर कार्य, हमें मानवता, करुणा और सहनशीलता का पाठ पढ़ाता है।"#GandhiJayanti #Gandhi #2october #gandhiji

Monday, 30 September 2024

#pati #patni #story #beautifullife #hindisuvichar #kahan. कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 50 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ... और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि ... "दुख की बात है .. वह हमारे साथ नहीं रही " ... दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. _ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ _वह कहती रहती थी .. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, .. मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "।मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि क्या परिवार को किसी सहारे की जरूरत है. मुझे लगा कि उनके पति बहुत परेशान होंगे .. अचानक से सारी ज़िम्मेदारियों को निभाना है, उम्र बढ़ने के साथ साथ .. माता-पिता, बच्चे, अपनी नौकरी , इस पर अकेलापन उम्र .. कैसे होंगे बेचारे ?फोन कुछ समय के लिए बजा ..नही उठाया ... एक घंटे के बाद उन्होंने वापस कॉल किया.. उसने माफी मांगी कि वह मेरे कॉल का जवाब नहीं दे पाए. क्यूँकि अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलना शुरू किया था और दोस्तों से मिलना वग़ैरह भी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका समय ठीक से गुजर जाए। यहां तक कि उन्होंने पुणे में ट्रान्स्फ़र करवा लिया। इसलिए अब ट्रैवल नही करना पड़ता ।"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;उन्होंने जवाब दिया, एक रसोइया रख लिया है .. थोड़ा और पेमेंट किया तो वह किराने का सामान और सब्ज़ी फल वग़ैरह भी ला देगा । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए फ़ुल टाइम केयर टेकर रख ली थी। "ठीक चल रहा है ... बच्चे भी ठीक हैं। जीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है “... उन्होंने कहा।मैं मुश्किल से एक-दो वाक्य बोल पायी और हमारी बात पूरी हो गयी ।मेरी आंखों में आंसू आ गए।मेरी सहेली मेरे ख्यालों में आ रही थी ... उसने अपनी सास की छोटी सी बीमारी के लिए हमारे स्कूल के पुनर्मिलन को छोड़ दिया था। वो अपनी भतीजी की शादी में नही गयी क्योंकि उसको अपने घर में मरम्मत के काम की देखरेख करनी थी।वह कई मजेदार पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा थी और उसे खाना बनाना था, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था ...उसने हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।आज मुझे उसका कहने का मन हो रहा है ।।यहाँ कोई भी अपरिहार्य नहीं है।और कोई भी याद नहीं किया जाएगा .. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम है।शायद यह सांत्वना है .. या यूँ कहें की हमारे समझने का तरीक़ा... जब आप दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं उसके मरने के बाद उन्होंने दो और नौकरानियाँ रख ली गईं और घर ठीक चल रहा था इसीलिये मन का यह वहम हटा दो कि मैं अपरिहार्य हूं और मेरे बिना घर नहीं चलेगा ........... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... अतः 👇सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए समय निकालें ..अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहें ... बात करें, हंसें और आनंद लेंअपने शौक़ पूरे करो, अपने जुनून को जियो, अपनी जिंदगी को जिओहर किसी को आपकी ज़रूरत है, लेकिन आपको भी अपनी देखभाल और प्यार की ज़रूरत है।हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है। #story #,pati #,patni ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है💃🏾💃🏾#हर_बेटी_मेरी#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

जिस पर अहंकार का साया होता है,, उसके लिए अपना भी पराया होता है...

Friday, 27 September 2024

जब अक्ल पर पर्दा पड़ता है तो सबसे पहले समझाने वाला ही बुरा लगता है...

कभी किसी के सामने अपनी सफाई पेश मत करना क्योंकि जिसे तुम पर विश्वास है उसे जरुरत नहीं और जिसे तुम पर विश्वास नहीं वो मानेगा ही नहीं...

बहुत नम्रता चाहिए रिश्ते निभाने के लिए,, छल कपट से तो.. महाभारत रची जाती है..!

ज़िंदगी में कुछ शिकायतें बनी रहे तो बेहतर है …चाशनी में डूबे रिश्ते अक्सर वफ़ादार नहीं होते …

जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, पर किसी की मजबूरी का नहीं, अगर जिंदगी मौका देती है, तो धोखा भी देती है।

श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा"अरे! भाई बुढापे का कोई ईलाज नहीं होता . अस्सी पार चुके हैं . अब बस सेवा कीजिये ." डाक्टर पिता जी को देखते हुए बोला ."डाक्टर साहब ! कोई तो तरीका होगा . साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है .""शंकर बाबू ! मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकता हूँ . बस आप इन्हें खुश रखिये . इस से बेहतर और कोई दवा नहीं है और इन्हें लिक्विड पिलाते रहिये जो इन्हें पसंद है ." डाक्टर अपना बैग सम्हालते हुए मुस्कुराया और बाहर निकल गया .शंकर पिता को लेकर बहुत चिंतित था . उसे लगता ही नहीं था कि पिता के बिना भी कोई जीवन हो सकता है . माँ के जाने के बाद अब एकमात्र आशीर्वाद उन्ही का बचा था . उसे अपने बचपन और जवानी के सारे दिन याद आ रहे थे . कैसे पिता हर रोज कुछ न कुछ लेकर ही घर घुसते थे . बाहर हलकी-हलकी बारिश हो रही थी . ऐसा लगता था जैसे आसमान भी रो रहा हो . शंकर ने खुद को किसी तरह समेटा और पत्नी से बोला -"सुशीला ! आज सबके लिए मूंग दाल के पकौड़े , हरी चटनी बनाओ . मैं बाहर से जलेबी लेकर आता हूँ ."पत्नी ने दाल पहले ही भिगो रखी थी . वह भी अपने काम में लग गई . कुछ ही देर में रसोई से खुशबू आने लगी पकौड़ों की . शंकर भी जलेबियाँ ले आया था . वह जलेबी रसोई में रख पिता के पास बैठ गया . उनका हाथ अपने हाथ में लिया और उन्हें निहारते हुए बोला -"बाबा ! आज आपकी पसंद की चीज लाया हूँ . थोड़ी जलेबी खायेंगे ."पिता ने आँखे झपकाईं और हल्का सा मुस्कुरा दिए . वह अस्फुट आवाज में बोले -"पकौड़े बन रहे हैं क्या ?""हाँ, बाबा ! आपकी पसंद की हर चीज अब मेरी भी पसंद है . अरे! सुषमा जरा पकौड़े और जलेबी तो लाओ ." शंकर ने आवाज लगाईं ."लीजिये बाबू जी एक और . " उसने पकौड़ा हाथ में देते हुए कहा."बस ....अब पूरा हो गया . पेट भर गया . जरा सी जलेबी दे ." पिता बोले .शंकर ने जलेबी का एक टुकड़ा हाथ में लेकर मुँह में डाल दिया . पिता उसे प्यार से देखते रहे ."शंकर ! सदा खुश रहो बेटा. मेरा दाना पानी अब पूरा हुआ ." पिता बोले."बाबा ! आपको तो सेंचुरी लगानी है . आप मेरे तेंदुलकर हो ." आँखों में आंसू बहने लगे थे .वह मुस्कुराए और बोले - "तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है . अगला मैच खेलना है . तेरा पोता बनकर आऊंगा , तब खूब खाऊंगा बेटा ."पिता उसे देखते रहे . शंकर ने प्लेट उठाकर एक तरफ रख दी . मगर पिता उसे लगातार देखे जा रहे थे . आँख भी नहीं झपक रही थी . शंकर समझ गया कि यात्रा पूर्ण हुई . तभी उसे ख्याल आया , पिता कहा करते थे -"श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा कौआ बनकर , जो खिलाना है अभी खिला दे ."माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखे। #shradh #beautifullife #suvichar #hindi #श्राद्ध #

जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, पर किसी की मजबूरी का नहीं, अगर जिंदगी मौका देती है, तो धोखा भी देती है।

Wednesday, 25 September 2024

ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त ज़रुर होना चाहिए, जिससे आप जब चाहें कॉल कर सकें, मैसेज कर सकें, सलाह-मशवरा ले सकें, सुख-दुःख बाँट सकें, डांट सकें, लड़ सकें, कंधे पर सिर रख कर रो सकें, खुलकर हँस सकें, घूम सकें, जब चाहें मिल सकें, बेझिझक होकर निःसंकोच सब कुछ उसे बता सकें बिना इस बात की परवाह किये कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोचेगा...? अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो वाकई आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं..हो सके तो किसी के अच्छे दोस्त बनिए, किसी को सुनने का प्रयास करिए, क्योंकि अधिकांश लोग अकेलेपन के अवसाद से ग्रसित हैं, आये दिन आत्महत्याएँ होती हैं, कभी सोचा है क्यों?? क्योंकि इनके पास सुनाने वाले तो बहुत हैं पर सुनने वाला कोई नहीं...!#काश मेरा भी कोई ऐसा दोस्त होता..!! ❤️❤️💓❤️💓❤️💓❤️#depression

याद रखना मां बाप उम्र से नहीं फिक्र से बूढ़े होते हैं, जब बच्चा रोता हैं तो पूरी बिल्डिंग को पता चलता हैं, लेकिन साहब जब मां बाप रोते हैं, तो बाजू वाले को भी पता नहीं चलता हैं, ये जिंदगी की सच्चाई हैं..!!#beautifullife #motivationalquotes

Saturday, 21 September 2024

कहने से कठिन सुनना होता है, और सुनने से कठिन सहना, किन्तु सबसे कठिन होता है, सब भूल जाना और सामान्य रहना !

माता-पिता के साथ बिताए हुए पल संभाल कर रखना। क्योंकि यह पल आपको याद तो आएंगे पर वापस नहीं आएंगे।। #beautifullife #hindisuvichar

उपवास करना है तोविचारों का करें भूखे रहने सेभगवान खुश होते तो ग़रीब सबसेसुखी होते।

सवाल घमंड का नहीं इज्जत का है, कोई अगर लहजा बदले तो हम रास्ता बदल लेते हैं !!

जिंदगी में "चालाकियां कितनी भी कर लो लेकिन तुम्हें मिलेगा तो तुम्हारी - "नियत" के हिसाब से ही।

Monday, 16 September 2024

एक फकीर ने सत्य कहा था कि चिंता मत कर वो भी रोएगा, जो आज तुझे रुला रहा है...

🌷🌿बहुत कठिन है किसी का सब कुछ स्वीकार करना उसका क्रोध, घृणा, अवहेलना, विछोह और कटु वचन।उसका बिछड़कर पुनः मिलना फिर क्षमा कर देना।पर यदि प्रेम में हो तो ये सब भी सुखद ही लगता है। प्रेम इंसान को सहनशील बनाता है। जिसने प्रेम में मिले पीड़ा, क्रोध, विछोह स्वीकारा न हो, आंसुओं के भय से रिश्ता संवारा न हो टूट कर पुनः जोड़ना और अपने प्रेम को सहेजना सीखा न हो .. वो प्रेम नहीं बस आकर्षण है।किसी का जाना और पुनः लौट आना उसकी गलतियों को भुला कर पुनः स्वीकार करना ये केवल वही कर सकता है जो अथाह और निःस्वार्थ प्रेम करता है🌷🌿💓💓

Sunday, 15 September 2024

#Umar #60sal सठिया जाना उतना भी बुरा नही जितना आप समझ बैठे हैं।साठ का बंदा यदि गाँठ का पूरा हो तो वो आपके चरण स्पर्श का अधिकारी भी है और आपको सरेबाजार गरिया देने का हक भी रखता है।उसके बाल धूप मे सफेद नही होते उसकी अकलमंदी की डाई से जगमगाते हैं।वो जो कहता है वो आकाशवाणी होती है।वो मानता है कि वो जो कह गया है वही सही है और जो उसे गलत मानते है वो मुश्किल में पड़ते हैं।पुराने जमाने मे इस उम्र तक आते आते बंदा या तो दीवार पर टँगी फोटो का हिस्सा होता था या खाँसते खखराते किसी खटिया पर झूला झूलता था।पर आजकल ऐसा है नही।आजकल इस उम्र वाले पार्कों में दौड़ते है ,दौड़ कर सीढ़ियाँ चढ़ते है और वो सब करते है जो जिसकी हसरत उनकी अपनी नौजवानी के दिनों मे बाकी रह गई थी।राजनीति हो ,धर्म हो शिक्षा हो या बिज़नेस हो।ये हर जगह काबिज है।और किसी भी सूरत में कमउम्रों को इन इलाक़ों में घुसने नही देते।और तो और हिंदी फ़िल्मों के टाप स्टार भी यही हैं और मोटे मेहनताने के साथ अपने से आधी उम्र की लड़कियों से इश्क फ़रमाने के मजे भी यही लूट रहे हैं।आजकल किसी भी टूरिस्ट प्लेस पर चले जाइए।पहाड़ हो समंदर हो रेगिस्तान हो।आप वहाँ रंगीन फूलदार टी शर्ट पहने बुज़ुर्गवारों का जमावड़ा ही पाएँगे।वो दुनिया देख रहे हैं और दुनिया उन्हें देख रही है।बीयर बार रेस्टोरेन्ट होटले इन्हीं की दम पर गुलज़ार है आजकल।उनकी जेबें भरी हुई हैं।उन्होंने ख़र्च करना सीख लिया है।और बाज़ारों मे जितनी भी दम बची है उनकी वजह भी यही हैं।मंदिर मस्जिद नई उम्र के लड़कों के लिए छोड़ देता है वो।खुद किसी ऊँची इमारत के टॉप फ़्लोर पर रहता हुआ कभी कभार भगवान को धन्यवाद कहता है।किताबें पढ़ता है।लता रफ़ी के साथ सुनिधि चौहान को सुनता है।थियेटरों मे जाने के बजाय नेटफ्लिक्स पर हॉलीवुड की मूवीज देखता है।दवाएँ लेने के बावजूद मनचाहा खाता पीता है वो।घूमता है मौज करता है ,खर्च करता है।किसी से नहीं डरता।अपने नाती पोतों के साथ खेलता है और उससे भी ज़्यादा सुखी होता है जितने की आप उम्मीद नही कर रहे होते है।वो बस इतना चाहता है कि लोग उसे पचास का समझे।पैंतालीस टाईप की निगाह से देखें।साठ का समझे भी तो मुँह बंद रखें।उससे उसके रिटायरमेंट बीमा और बीमारियों की चर्चा न करें।वसीयत की बात करना तो ज़हर होगा आपके लिए।उसकी तारीफ़ करें पर मन मे उसके प्रति दया करूणा जैसे विचार न रखे।यकीन करें वो भी कभी जवान था और आपसे ज़्यादा ही था और इस बात की भी पूरी गुंजाइश है कि वो आज भी आपसे ज़्यादा ही हो।साठ साल का बंदा यदि खुशमिजाज है।और फिर यदि ताने देने मे माहिर और जेब से भरा पूरा भी है तो उसे बुजुर्ग मानना आपको दिक़्क़त में डाल सकता है।खुद को बुजुर्ग मानने मे उसकी हेठी होती है।वो होता है पर मानता नही।और यदि वो नही मानता तो उससे इन सभी नाज़ुक मुद्दों पर चर्चा करना नुक़सान का सौदा हो सकता है।ऐसे मे आपकी जान पहचान के।आसपास के।खानदान का कोई बंदा साठ का हो जाए तो ऊपर लिखी मेरी ये हिदायतें ज़रूर पढ़ लें।यह यकीनन आपके हक में अच्छा होगा।#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

Saturday, 14 September 2024

#pati#patni #story #beautifullife #hindi #पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है।** 🌍 राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया अदा कीजिए। 🙏 आपकी सुविधा-असुविधा, आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। 😔 वह आपके सुख में खुश और आपके दुःख में दुःखी होती है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं, लेकिन उसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता। 🍵 चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ—ये सब उसकी दिनचर्या बन जाती हैं। 😓 और हम? "कब अक्ल आएगी तुम्हें?" जैसे ताने मारते हैं। 😠 असल में, उसके पास बुद्धि है और उसी की वजह से आप खुशहाल जीवन जी रहे हैं। वरना दुनिया में आपको कोई नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है! 💔 घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का अंतिम दर्शन* चल रहा था। उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते-जाते जो कह रही है, उसका वर्णन: "मैं जा रही हूँ, अब फिर कभी नहीं मिलेंगे। जिस दिन शादी के फेरे लिए थे, उस वक्त साथ-साथ जीने का वचन दिया था, पर अब अकेले जाना पड़ रहा है। मुझे जाने दो। अपने आंगन में अपना शरीर छोड़कर जा रही हूँ। 😢 बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैं मजबूर हूँ। अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नहीं मान रहा, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती। मुझे जाने दो। बेटा और बहू रो रहे हैं, देखो। 😭 मैं ऐसा नहीं देख सकती और उन्हें दिलासा भी नहीं दे सकती हूँ। पोता 'बा बा बा' कर रहा है, उसे शांत करो। हाँ, और आप भी मन मजबूत रखना और ढीले न होना। मुझे जाने दो। अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी। उसे संभालना और शांत करना। और आप भी बिल्कुल नहीं रोना। 😔 मुझे जाने दो। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है, वह यहाँ से ऊपर गया है। धीरे-धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नहीं करना। और इस जीवन में फिर से काम में डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल लेना। मुझे जाने दो। आपने इस जीवन में मेरी बात कभी नहीं मानी। अब जिद छोड़कर विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़कर जाते हुए मुझे बहुत चिंता हो रही है, लेकिन मैं मजबूर हूँ। 😥 मुझे जाने दो। आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा मत खाना, अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय देर से मिले तो बहू पर गुस्सा मत करना। अब मैं नहीं हूँ, यह समझकर जीना सीख लेना। मुझे जाने दो। बेटा और बहू कुछ कहें तो चुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा मत करना। 😊 हमेशा मुस्कुराते रहना, कभी उदास मत होना। मुझे जाने दो। अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जीना, ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आए तो चुपचाप रो लेना, लेकिन कभी कमजोर मत होना। मुझे जाने दो। मेरा रूमाल कहाँ है, मेरी चाबी कहाँ है—अब ऐसे चिल्लाना नहीं। 😅 सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहू भूल जाए तो खुद से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले, प्यार से खा लेना और गुस्सा मत करना। मेरी अनुपस्थिति खलेगी, पर कमजोर मत होना। मुझे जाने दो। बुढ़ापे की छड़ी भूलना नहीं और धीरे-धीरे चलना। 😌 अगर बीमार हो गए और बिस्तर पर लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा। मुझे जाने दो। रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी पास में रख लेना। प्यास लगे तो ही पानी पी लेना। अगर रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं, इसका ध्यान रखना। मुझे जाने दो। शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। ❤️ परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उन फूलों की सुगंध मुझे नहीं मिलेगी। मुझे जाने दो। अब सुबह कोई नहीं कहेगा कि उठो, सुबह हो गई। अब अपने आप उठने की आदत डाल लेना। किसी की प्रतीक्षा मत करना। मुझे जाने दो। और हाँ, एक बात छिपाई है, माफ कर देना। आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किए हैं। 😇 मेरी दादी ने सिखाया था। एक-एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया। इसमें से पाँच-पाँच लाख बहू और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना अपने लिए। मुझे जाने दो। भगवान की भक्ति और पूजा करना मत भूलना। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे! मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ कर देना।"🙏#पत्नी_की_महत्ता #जीवन_का_सच्चा_साथ #परिवार_का_आधार**

दुश्मन से ज़्यादा उस इंसान से सतर्क रहो, जो आपके दुश्मन का भी दोस्त हो और आपका भी दोस्त हो।

Thursday, 12 September 2024

एक अज्ञात कवि की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Tuesday, 10 September 2024

सीमा जी अरे आपको किसने कह दिया कि हम अपना मकान बेचने वाले हैं। हम अपने बेटे के घर जरूर जा रहे हैं, पर मकान नहीं बेचेंगे। वसुधा जी गुस्से में बोली।अरे नहीं बहन... थोड़ी उड़ती -उड़ती बातें सुनाई दी थी कान में। तो मैंने सोचा चलूँ मिल भी लूँ और पूछ भी लूँ।नहीं !नहीं सीमा जी इस घर में पूरी जिंदगी बिता दी। अपने मेहनत की कमाई से जिसे बनवाया उसको अपने जीते जी नहीं बेचूंगी। समर के पापा भी यही चाहते हैं। बनारस शहर में मकान कुछ ही लोगों का होता है, और हमारे कई रिश्तेदार भी यही हैं। यह सब बातें सुन थोड़ी देर में सीमा जी चाय पी कर चली गई।रात में दोनों अनिल जी व वसुधा जी सोने के लिए बिस्तर पर लेट गए। अनिल जी करवट बदल रहे थे। वसुधा जी बोली नींद नहीं आ रही क्या? हां......अब बेटे ने आकर अपने पास रहने को कह दिया। हम अपना घर छोड़कर रह पाएंगे क्या वसुधा? हम लोग क्यों बीमार रहने लगे? देखो वसुधा मैं अपनी दवा करा कर ठीक होते ही अपने घर आ जाऊंगा। दुखी मन से बोले।अरे अनिल जी आप इतना विचलित क्यों हो रहे हैं? बेटे ने इतने प्यार से टिकट भेज कर बुलाया है तो जाना तो पड़ेगा ना।यही तो.... तभी तो मैं भी मना नहीं कर पाया। कल की टिकट है अनिल जी भारी मन से बोले।अपने सारे जरूरी सामान रख ली वसुधा। थोड़ी देर में अनिल जी ने पूछा।हां रख लिया और अपने लड्डू गोपाल जी भी। शादी के बाद से मैं अभी तक उनकी सेवा कर रही थी इसलिए इनको भी अपने साथ रख लिया। इन्होंने ही मेरी जिंदगी इतने आराम से बिना कोई विपदा के चलाया है।अगले दिन की ट्रेन पकड़कर वसुधा जी व अनिल जी अब ना जाने कब तक के लिए अपने घर को छोड़ बेटे के घर मुंबई रहने चले गए।समर ने मुंबई शहर में एक तीन कमरे का फ्लैट ले रखा था। उसमें समर, शुभी व उनके दो प्यारे-प्यारे बच्चे रहते थे काजल और अभी। जब दोनों छोटे थे तो साथ रहते थे पर अब गेस्ट रूम खाली रहने से दोनों ने एक-एक कमरे ले लिए थे ।शुभी ने 9 साल की काजल को बोला कि मैंने तुम्हारा सामान अभी भैया के कमरे में शिफ्ट कर दिया है और अब तुम हमारे कमरे में आकर रहना।पर मम्मा अब तो मैं बड़ी हो गई। मैं कई महीने से वहां रह रही थी।कोई बात नहीं बेटा... अब आपके दादा-दादी रहेंगे वहां।ठीक है मम्मा मैं... आपके कमरे में आ जाऊंगी।काजल शुभी के साथ रहना शुरू कर दी।समर और शुभी दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। वह सुबह निकल जाते और शाम तक वापस आते। घर में काम वालों की कमी नहीं थी सफाई ,बर्तनों, खाने के लिए शुभी ने कामवाली बाई लगा रखी थी। बेटा बहू के ऑफिस जाने से तथा बच्चों के स्कूल चले जाने से अनिल जी व वसुधा जी को शुरु- शुरु में तो ठीक लगा। पर कुछ दिनों बाद उन्हें अपने पड़ोसियों, घर तथा शहर की बहुत याद आने लगी। बड़े शहरों में लोग ज्यादा बिजी होने से आसपास के लोगों से मिलने नहीं आते। यहां यही लाइफ स्टाइल है अकेले रहना। बहुत ही खालीपन लगता था दोनों को।बेटे समर को कुछ दिनों में उनकी मायूसी का अंदाजा हुआ उसने बोला आपकी उम्र के लोग नीचे सोसाइटी में सुबह टहलते हैं। आप लोग भी चले जाया करिए।अगले दिन से दोनों लोग वॉक पर जाने लगे। धीरे-धीरे उनके दोस्त बनने लगे तथा उनका मन लगने लगा।एक दिन अनिल जी अपने कुछ दोस्तों को लेकर घर आ गए। समर घर से ही ऑफिस का काम कर रहा था उसने देखा कई लोगों को पापा लेकर आ गए घर में, और सब बहुत ही शोर गुल कर रहे थे। जिससे उसको ऑफिस के काम में तथा बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई जो चल रही थी उसमें दिक्कत होने लगी। उसे यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।दो -चार बार ऐसे और होते ही उसने पापा से बोल दिया। पापा आप इन लोगों से नीचे ही मिल लिया करें। ऊपर लाने की कोई जरूरत नहीं। यहां कोई किसी को अपने घर नहीं बुलाता।पर बेटा अब ऐसे ही तो हमारा समय बीतेगा। जब हम उन्हें बुलाएंगे, तभी तो वह हमें बुलाएंगे।नहीं पापा यह सब छोटे शहर में ही होता है। बड़े शहरों में लोग अपने काम से काम रखते हैं। वैसे भी बनारस में आसपास सारे अपने रिश्तेदार होने से वह अक्सर आकर मिल लिया करते थे। आप को लोगों से जितना मिलना है आप नीचे ही मिले या फोन पर बात कर लिया करिए। समर इस तरह से उखड़ कर बोला।अनिल जी व वसुधा जी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उस रात वह दोनों ठीक से सो नहीं पाए। उन्हें लग रहा था कि उन्होंने यहाँ रहने का सोच के कुछ ग़लत तो नहीं किया। उनका मन किया कि जल्द अपने घर चले जाएं पर सोचा कि अभी कहेंगे तो बेटे को बुरा लगेगा।वसुधा जी का भी मन कम लगे। ना करने को कोई काम, ना किसी से मिलना जुलना, बस फोन पर ही अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बातों में लगी रहती।एक दिन फोन पर बात कर रही थी शुभी ने सुन लिया। बाद में उसने भी टोकते हुए बोली "मेरी घर की बात आप किसी को भी ना बताया करें।वसुधा जी भी मायूस रह गईं, बहुत बंधापन व अनजानापन लगने लगा था उस घर में। ऐसा लगा कि खूब सुख सुविधा तो है पर अपनी इच्छाओं पर किसी ने लगाम लगा दिया हो।तभी एक दिन लैंडलाइन पर बनारस जहाँ उनका घर था वहां से फोन आया। सौभाग्य से समर के व्यस्त होने से अनिल जी ने फोन उठा लिया। फोन करने वाले ने बताया कि मैं प्रॉपर्टी डीलर बोल रहा हूं। आपके मकान के बहुत अच्छे दाम मिल रहे हैं समर जी।मैं अनिल बोल रहा हूं समर के पापा ने बोला।प्रॉपर्टी डीलर बोला मुझे समर जी से बात करनी है।अनिल जी बोले कौन से मकान की बात कर रहे होअरे जो लहुराबीर पर है। समर जी ने बोला था कस्टमर ढूंढने के लिए। बहुत ही मोटी पार्टी मिली है। सुनते ही अनिल जी को मानो काटो तो खून नहीं। उनकी जान बसती थी उस मकान में। उन्होंने तुरंत गुस्से से तेज आवाज में बोला नहीं हमें कोई मकान नहीं बेचना कह फोन काट दिया ।उनकी तेज आवाज से समर वा वसुधा जी दौड़ते हुए आए। क्या हुआ पापा? अनिल जी की सांस फूलने लगी। वह वही निठाल सोफे पर होकर बैठ गए।बताइए किसका फोन था पापा।" समर भी घबराहट में प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहा था। वसुधा जी दौड़ के पानी लेने गई। पानी पीने के बाद अनिल जी ने अपने को संभाला।पापा कैसी तबीयत है अनिल जी थोड़ी देर बाद गहरी सांस लेते हुए बोला मैं बिल्कुल ठीक हूं। पापा किसका फोन था?प्रॉपर्टी डीलर का.... मकान बेचने को तुमने बोला है? मैं अपने जीते जी उस मकान को नहीं बेच सकता। मुझे अब जाना है अपने घर। बेटा हमारा टिकट करवा दो।वसुधा जी भी बोली हां बेटा कई महीने हो गए। कुछ दिन वहां पर भी रह आए। तेरे पापा की तबीयत भी दवा से बहुत बेहतर हो गई है। अब हमें जाने दे।समर ने कहा आप लोग यही रहिए।नहीं बेटा फिर आएंगे अभी हमें जाना है। कह अनिल जी और वसुधा जी के आंखों में आंसू आ गए।अरे पापा मम्मी आप लोग इतने मायूस मत होइए। मैं आज ही आपका टिकट करा देता हूं। मुझे लगा अब हम लोग साथ ही रहेंगे। तो वह मकान बेच दूं। समर अपनी बात की सफाई देते हुए बोला।अनिल जी फिर गुस्से से बोले मुझसे पूछे बिनापापा के इस भाव को देखकर समर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बोला माफ कर दीजिएगा पापा। मुझसे गलती हो गई ।अनिल जी बोले वह मेरी और तेरी मां की खून पसीने की कमाई का बना हमारा एक खूबसूरत सपना है। उसे तुम हमारे मरने के बाद ही बेचना, अभी नहीं। समर आंखों में आंसू लेकर गिड़गिड़ाते हुए पापा के पैरों पर आ गया था। फिर बोला माफ कर दीजिए पापा। आगे से ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा।ठीक है बेटा... पर अभी तो हमें जाना है। हमें अपने घर की याद आ रही है।समर ने अगले हफ्ते का उनका बनारस जाने का टिकट करा दिया। आज बहुत ही खुश थे। अनिल जी व वसुधा जी अपने घर जाने के एहसास से। वो दोनों फिर से वही अपनी आजादी, अपनी छूटी दुनिया व अपनी कर्मस्थली से जो मिलने वाले थे। चाहे कितने भी ऐशो आराम मिल जायें पर व्यक्ति तभी सुकून पाता है जब उसे बन्दिशों की बेड़ियोँ से स्वतंत्रता मिलती है।

चित्र नही चरित्र की पूजा करो, व्यक्ति नही व्यक्तित्व की पूजा करो ।

रोती हुई आंखें कभी झूठ नहीं बोलती क्योंकि आंसू तभी आते हैं जब अपना कोई दर्द देता है।।

Monday, 9 September 2024

अहंकार में तीनों गए धन, वैभव और वंश यकीन ना आये तो देख लो रावण, कौरव और कंस.

जो मनुष्य जीवन में सत्य का मार्ग चुनता हैं, उसका सफ़र ईश्वर तक पहुँचकर ही समाप्त होता हैं।

खटकते हैं उनको जहाँ हम झुकते नहीं हैं । बाकी जिनको अच्छे लगते हैं वो कहीं झुकने भी नहीं देते ।

##*वर्तमान समाज में पैर पसारते कलयुग के अशुभ लक्षण*1. कुटुम्ब कम हुआ 2. सम्बंध कम हुए 3. नींद कम हुई. 4. बाल कम हुए 5. प्रेम कम हुआ 6. कपड़े कम हुए 7. शिष्टाचार कम हुआ 8. लाज-लज्जा कम हुई 9. मर्यादा कम हुई 10. बच्चे कम हुए 11. घर में खाना कम हुआ 12. पुस्तक वाचन कम हुआ 13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15. चलना कम हुआ 16. खानपान की शुद्धता कम हुई 17. खुराक कम हुई 18. घी-मक्खन कम हुआ 19. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए 20. सुख-चैन कम हुआ 21. अतिथि कम हुए 22. सत्य कम हुआ 23. सभ्यता कम हुई 24. मन-मिलाप कम हुआ 25. समर्पण कम हुआ 26. बड़ों का सम्मान कम हुआ। 27 सहनशक्ति कम हुई । 28 धैर्य कम हुआ 29 श्रद्धा-विश्वास कम हुआ ।और भी बहुत कुछ कम हुआ जिससे जीवन सहज था, सरल था।संतान को दोष न देंबालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम' में पढ़ाया...'अंग्रेजी' बोलना सिखाया।'बर्थ डे' और 'मैरिज एनिवर्सरी'जैसे जीवन के 'शुभ प्रसंगों' को 'अंग्रेजी कल्चर' के अनुसार जीने को ही 'श्रेष्ठ' माना।माता-पिता को 'मम्मी' और'डैड' कहना सिखाया।जब 'अंग्रेजी कल्चर' से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको 'समय' नहीं देता, आपकी 'भावनाओं' को नहीं समझता, आप को 'तुच्छ' मानकर 'जुबान लड़ाता' है और आप को बच्चों में कोई 'संस्कार' नजर नहीं आता है, तब घर के वातावरण को 'गमगीन किए बिना'... या...'संतान को दोष दिए बिना'...कहीं 'एकान्त' में जाकर 'रो लें'...क्योंकि...पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,'भारतीय संस्कारों' के बजाय,मंदिर जाने की जगह,'केक' कैसे काटा जाता है सिखाने वाले आप ही हैं...'हवन कुण्ड में आहुति' कैसे दी जाए... 'मंत्र, आरती, हवन, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...केवल 'फर्राटेदार अंग्रेजी' बोलने को ही,अपनी 'शान' समझने वाले भी शायद आप ही हैं...बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे'प्रणाम-आशीर्वाद' के बदले'बाय-बाय' कहना सिखाने वाले आप...परीक्षा देने जाते समय'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने' के बदले'Best of Luck'कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...बालक या बालिका के 'सफल' होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर 'खुशियाँ' मनाने के बदले...'होटल में पार्टी मनाने' की 'प्रथा' को बढ़ावा देने वाले आप...बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...'कुल देवता / देव दर्शन' को भेजने से पहले... 'हनीमून' के लिए 'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट' भेजने की तैयारी करने वाले आप...ऐसी ही ढेर सारी 'अंग्रेजी कल्चर्स' को हमने जाने-अनजाने 'स्वीकार' कर लिया है...अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के 'पैर छूने' में भी 'शर्म' आती है...गलती किसकी..? मात्र आपकी '(माँ-बाप की)'...अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा' है... कामकाज हेतु इसे 'सीखना'है,अच्छी बात है परइसकी 'संस्कृति' को,'जीवन में उतारने' की तो कोई बाध्यता नहीं थी? अपनी समृद्ध संस्कृति को त्यागकर नैतिक मूल्यों,मानवीय संवेदनाओं से रहित अन्य सभ्यताओं की जीवनशैली अपनाकर हमनें क्या पाया? अवैध संबंध? टूटते परिवार? व्यसनयुक्त तन? थकेहारे मन? छलभरे रिश्ते? अभद्र,अनुशासनहीन संतानें? असुरक्षित समाज? भयावह भविष्य?*एक बार विचार अवश्य कीजिएगा कि* *संस्कारवान पीढ़ी क्यों आवश्यक है... ##hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात #hindimotivationalstatus #9sep2024

Sunday, 8 September 2024

पति का हाथ पकड़ कर उसकी प्रेमिका को सौंप आई एक पत्नीबोली पकड़ो, संभालो, यह अब तुम्हारा हुआइसे गैस, बीपी, कोलेस्ट्रॉल, डॉयबिटीज़ और बावासीर हैफलां फलां दवाईयाँ है, समय से देनाखाने में नमक ज़्यादा हो तो थाली फ़ेक देता है, तुम ख़्याल रखनाहर रात पीठ दिखाकर सोता है,पूरी रात खर्राटे भरता है और गैस छोड़ता है,सुबह उठते ही फोन पे लगता है और रात मे सोने से पहले तक फोन नहीं छोड़तातुमसे ही तो प्रेम प्रेम खेलता हैथककर फोन ही इसे छोड़कर बिस्तर पर गिर जाता हैतुम एडजस्ट कर लेनाकर ही लोगीतुम्हारी वॉट्सऐप चैट पढ़ी मैंनेतुमने लिखा था आई लव यूतो लव शव में तो क्या खर्राटे, क्या गैसनाक के बाल जिस ट्रिमर से काटता है, उसे समय पर चार्ज करती रहनातलवों की मालिश रोज़ करना, वरना नींद नहीं आयेगी इसेगाली देने में पीएचडी की है इसनेतुम्हें शायद न बके दोएक महीनेपर जब बके तो गर्दन नीचे करके सुन लेना वरना तो तुम्हें मार भी सकता हैले जाओ इसेइसे तुम जीत चुकी होपरंतु सेक्स करने से पहले प्रोटेक्शन रख लेना, तीन बार अलग अलग औरतों के साथ अलग अलग होटलों में पाया गया हैबहादुर हो तुम, ठीक आदमी चुना तुमनेतुम्हें जो हार तोहफे में दिया है, उसे मेरे पिता ने कर्ज़ लेकर बनवाया था, तुम पहनना, बेच न देना, पिता स्वर्ग से तुम्हें भी आशीष देंगेपत्नियाँ अब क्लेश नहीं कर रहींरोना, पीटना, मन्नत, धागे कुछ नहीं कर रहींएक्सट्रा मैरिटल अफेयर के पता चलते ही प्रेमिकाओं को सौंप कर आ रही हैंकोई कह रहा था "वैसी" औरतों को प्रेमिका नहीं कहते, उनके लिए कुछ और शब्द है।क्या शब्द है वो? उसका पहले पुल्लिंग वर्ज़न तो बनाओबनाओ पहले पुल्लिंग वर्ज़न और बताओ "वैसे" यानि उस तरह के पुरूष को क्या कहते हैं?

शादी की सुहागसेज पर बैठी एक स्त्री का पति जब भोजनका थाल लेकर अंदर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया रोमांचित उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यहीं बुला लेते तो हम तीनों साथ बैठकर भोजन करते। पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होंगी आओ हम साथ में भोजन करते है प्यार से, उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नहीं मैंने उन्हें खाते हुए नहीं देखा है, तो पति ने जवाब दिया कि क्यों तुम जिद कर रही हो शादी के कार्यों से थक गयी होंगी इसलिए सो गई होंगी, नींद टूटेगी तो खुद भोजन कर लेंगी। तुम आओ हम प्यार से खाना खाते हैं। उस स्त्री ने तुरंत Divorce लेने का फैसला कर लिया और Divorce लेकर उसने दूसरी शादी कर ली और इधर उसके पहले पति ने भी दूसरी शादी कर ली। दोनों अलग- अलग सुखी घर गृहस्ती बसा कर खुशी खुशीरहने लगे।इधर उस स्त्री के दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील और आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री ६० वर्ष की हुई तो वह बेटों को बोली में चारो धाम की यात्रा करना चाहती हूँ ताकि तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना कर सकूँ। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारों धाम की यात्रा पर निकल गये। एक जगह तीनों माँ बेटे भोजन के लिए रुके और बेटे भोजन परोस कर मां से खानेकी विनती करने लगे। उसी समय उस स्त्री की नजर सामने एक फटेहाल, भूखे और गंदे से एक वृद्ध पुरुष पर पड़ी जो इस स्त्री के भोजन और बेटों की तरफ बहुत ही कातर नजर से देख रहा था। उस स्त्री को उस पर दया आ गईं और बेटों को बोली जाओ पहले उस वृद्ध को नहलाओ और उसे वस्त्र दो फिर हम सब मिलकर भोजन करेंगे। बेटे जब उस वृद्ध को नहलाकर कपड़े पहनाकर उसे उस स्त्री के सामने लाये तो वह स्त्रीआश्चर्यचकित रह गयी वह वृद्ध वही था जिससे उसने शादी की सुहागरात को ही divorce ले लिया था। उसने उससे पूछा कि क्या हो गया जो तुम्हारी हालत इतनी दयनीय हो गई तो उस वृद्ध ने नजर झुका के कहा किसब कुछ होते ही मेरे बच्चे मुझे भोजन नहीं देते थे, मेरा तिरस्कार करते थे, मुझे घर से बाहर निकाल दिया। उस स्त्री ने उस वृद्ध से कहा कि इस बात का अंदाजा तो मुझेतुम्हारे साथ सुहागरात को ही लग गया था जब तुमने पहले अपनी बूढ़ी माँ को भोजन कराने के बजाय उस स्वादिष्ट भोजन की थाल लेकर मेरेकमरे में आ गए और मेरे बार-बार कहने के बावजूद भी आप ने अपनी माँ का तिरस्कार किया। उसी का फल आज आप भोग रहे हैं।जैसा व्यहवार हम अपनेबुजुर्गों के साथ करेंगे उसीदेखा-देख कर हमारे बच्चोंमें भी यह गुण आता है किशायद यही परंपरा होती हैसदैव माँ बाप की सेवा हीहमारा दायित्व बनता हैजिस घर में माँ बाप हँसते हैवहीं प्रभु बसते है!

Saturday, 7 September 2024

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l ** सु:खमय वृद्धावस्था **---------------------------------1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें !2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं ! 4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें ! 7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩‍🏫👨‍🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷‍♂ परेशानियां चलती रहतीं हैं !11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵‍♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें ! 12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा ! 13 :- किसी भी तरह के टकराव 🤫🤔 को टालें एंव तनाव रहित जीवन को जिएं ! 😊14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं 💁‍♀🤦🏻‍♂🙅‍♀भी नहीं, बात का विश्वास करें ! 15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक 🚗🏡💰👩‍👩‍👦‍👦🙋‍♀🙋‍♂ पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !! 🙏😊🙏😊🙏😊🙏😊🙏

Friday, 6 September 2024

ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं…और क्या जुर्म है पता ही नहीं…

पुरुष के पास पैसा हो तो औरत नंगी हो जाती है,और अगर पैसे ना हो तो पुरुष नंगा हो जाता है... जब एक पुरूष की एक महिला से शादी की बात चल रही थी, तो लगता था कि ये वही लड़की है जिसे भगवान ने उसके लिए बनाया है..जल्दी ही वे इतना घुल मिल गए, की जिम्मेदारियों की बाते शारीरिक संबंध तक पहुंच गईं..अब तो मानो ऐसा लगता था जैसे कि बस जल्दी शादी हो..पुरुष का कहना था कि वो मुझसे ज्यादा मेरे मां बाप को प्यार करेगी एक पुरुष को क्या चाहिए ऐसी लड़की जो उसे जी भर शारीरिक सुख दे उसका और उसके मां बाप का ध्यान रख सके...दोनों की शादी होती है, और उनके बीच सब अच्छा चलता है, शादी के बाद ही पता चला कि जिस चीज को करने की आदमी को इतनी जल्दी होती है, उससे कहीं ज्यादा तड़प एक औरत में होती है.. पुरुष को भी महिला पर इतना प्यार आता था, कि मन करता था उसकी हर ख्वाइश पूरी करे और प्रयास भी करता था..लेकिन समय के साथ जिम्मेदारियां बड़ी और पुरुष ने महिला को बोला कि हम दोनों को जीवन साथ काटना है इस लिए खर्चे पर थोड़ा ध्यान देना होगा.. इसे सुन के उसने तुरंत बोला कि अब क्या कटौती करनी है , ऑलरेडी मन मार कर रहती हूं..पुरुष ने मन में सोचा कि वह तो इसकी हर ख्वाइश पूरी करता है फिर ये ऐसे कैसे बोल सकती है कि मन मार के रहती हूं...पुरुष बोला आखिर क्या कमी है जो तुम बोल रही हो मन मार के रहती हो..उसने पुरुष को गिनाया, की मैं भी बड़ी गाड़ी में घूमना चाहती हूं मैं भी चाहती हूं कि साल में कम से कम ४- ५ ट्रिप करूं मैं भी चाहती हूं कि मेरा घर सजा रहे . मैं मेकअप के सामान ब्रांडेड इस्तेमाल करूं..पुरुष बोला खुद ३००० की लिपस्टिक लगाती हो ५००० का पाऊडर और क्या चाहिए जवाब में महिला ने ऐसी बात बोली मानो एहसान गिना रही हो।कि किसी चीज की डिमांड नहीं करती है...और पुरुष को खुद पर आत्म ग्लानि होने लगी कि उसकी पत्नी की ख्वाइश वह पूरा नहीं कर पा रहा, पुरुष ने दोबारा बात नहीं की इस बारें में... और साइड में भी २-३ काम करना शुरू किया, जिससे एडिशनल अर्निंग हो जाए, तभी उसका बर्थडे आने वाला था, उसने एक ड्रेस पसंद की थी दुकान पर जिसकी कीमत १२००० रूपये थी.. पुरुष ऑफिस से आता है, और वो पुरुष गले लगाती है, पानी देती है, और बोलती है पैसे देदो, जाके ड्रेस लेलूँ..पुरूष भी मजाक के मूड में था, और बोला कि अरे डियर पैसे तो नहीं हो पाएं हैं क्यों कि इस महीने सैलेरी मिलने में काफी दिक्कत होगी....इस बार साथ में बर्थडे मनाते हैं ड्रेस तुम अगले महीने ले लेना और साथ में अपनी महंगी वाली लिपस्टिक भी...तभी वो पुरुष को अपने से दूर जाने को बोलने लगी... क्या यार आपसे एक चीज बोली थी वो भी आपने लाकर दी, मैने शॉप वाले को बोल के रखा था ले लुंगी बेचना मत...अब बेइज्जती हो गई तुरंत पुरुष बोला, कि अरे इसमें बेइज्जती कैसी शॉप है, बिक भी जाए तो फिर उसी में का मंगवा लेना... अच्छा मंगवा लूंगी और जो मैने अपने फ्रेंड्स को बोला है कि मैं बर्थडे में वही ड्रेस पहनूंगी उसका क्या क्या ये मेरी बेइज्जती नहीं हैइस बात पर पुरुष बोला तो क्या मैं चोरी करने जाऊं अगर ऑफिस में वेतन लेट हो रहा तो मेरी क्या गलती है...उसने तुरंत बोला यार तुम्हारा हर बार का नाटक यही है एक तो मैं कभी कुछ मांगती नहीं हूं और मांग रही हूं तो तुम ऐसी बात कर रहे हो...हट जाओ मुझसे बात मत करना और पूरी शाम उसने पुरुष से बात नहीं की। रात में भी ठीक से खाना नहीं बनाया और बेड रूम में चली गई पुरुष भी सोने वाला था और उसे 12000 रुपए ड्रेस के और 10000 पार्टी के दिए..पैसे देखते ही उसने पुरुष को बोला कि अरे बाबू जब पैसे लाए थे तो बताया क्यों नहीं और गले लगा कर सोरी बोलने लगी,और बोला ना जाने क्या क्या बोल दिया आप को बाबू पुरुष कुछ बोला नहीं सो गया,अगले दिन सुबह उठते ही उसने पुरुष को सॉरी बोला और करीब आके शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की,पर इस बार पुरूष का अंदर से मन भी नहीं था पुरूष ने उससे मना कर दिया..ऑफिस जाते टाइम महिला ने पुरूष को बोला गलती हो गई माफ कर दो,पुरुष बोला गलती तुमसे नहीं हुई है मुझसे हुईं है तुम मुझसे प्यार करती ही नहीं तुम्हें बस मेरे पैसे से प्यार है और पुरुष ऑफिस चला गया और सोचने लगा कि आजकल की महिलाएं ऐसी हैं, की अगर मेरे पास पैसा है तो वो मेरे लिए नंगी हो जाएंगी और अगर मेरे पास पैसे ना हो तो मुझे नंगा कर देगी पुरूष शाम को घर आया पर बात नहीं की 3 दिन बाद उसका बर्थडे था, अच्छे से मनाया और घर आके बोला कि अब बैंगलोर में नहीं रहूंगा, पुरुष ने ऑफिस से वर्क फ्रॉम होम ले लिया है.. अब पुरूष बोला गांव चल कर मां बाप के साथ रहूंगा, महिला बोली अरे क्यों वहां इतनी दिक्कत है, लाइट नहीं रहती है फिर मैने बोला कि ठीक है मां बाप को यहां बुला लेते हैं इसपर महिला का जवाब आया कि अरे वो यहां आएंगे तो उनका मन नहीं लगेगा बड़ी बड़ी बंद बिल्डिंग में गांव के खुले मौसम में रहने वाले कहा रह पाएंगे. पुरुष बोला बस इसी लिए उनके पास जाना है क्यों कि वो मुझसे बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं मेरे पैसे पर तुमसे पहले उनका अधिकार है..ऐसा बोल के पुरुष ने सामान पैक किया और बोला चलना है तो चलो यहां रहना है तो यहां रहो..महिला ने चलने को मना कर दिया, पुरुष भी उसे वहीं छोड़ के घर आगया..घर आकर पापा और मां को बात बताई तो उन्होंने पुरूष को ही गलत समझा.. पर पुरुष सच्चाई जनता था, उसे बुलाया पर वो नहीं आई कुछ दिन पुरुष पैसे भेजता था, लेकिन ४ महीने बाद जब उसने एक बार ये भी बोला कि उसे भी साथ आके रहना है तो पुरुष ने भी पैसे। देने बंद कर दिए.. जैसे ही पैसे बंद हुए उसका महिला का चेहरा सामने आया उसने पुरुष पर ही केस किया कि शादी के बाद भी पत्नी को शारीरिक सुख देने में समर्थ नहीं है इस लिए उसे तलाक चाहिए और बदले में हर महीने एक फिक्स धनराशि कोर्ट में जब पुरुष ने अपनी बात रखी कि ये मुझसे नहीं सिर्फ मेरे पैसे से प्यार करती थी..और ये मेरे मां बाप के साथ नहीं रहना चाहती थी, तो पता चला ऐसा तो कोई कानून नहीं है जिसमें महिला को मां बाप की सेवा करना जरूरी हो.. पुरुष केस हार गया और आज भी हर महीने ४०००० महिला को देता है और अपने मां बाप के साथ गांव में रहता है एक बात पता चली बहुत खुश मुनासिब होते हैं वो लोग जिनको प्रेम करने वाली पत्नी मिलती हैं क्यों की आज के समय में सिर्फ 2 लोग ही हैं जो बिना किसी स्वार्थ के आपसे प्रेम करते हैं और बदले में किसी चीज की उम्मीद नहीं रखते वो हैं माता पिता एक बार गांव की कम सुंदर दिखने वाली लड़की से व्याह कर लेना पर शहर की सुंदर लड़कियों से करने से पहले १० बार सोचना..

1. पहले के जमाई के जब आने का पता चलता तो ससुर जी दाढ़ी बनाकर और नए कपङे पहनकर स्वागत के लिए कम्पलीट रहते थे ।2. जमाई आ जाते तो बहुत मान मनवार मिलती और छोरी दौड़कर रसोई में घुस जाती थी ।सासुजी पानी पिलातीं और धीरे से कहती :-“आग्या कांई ?”3. आने का समाचार मिलते ही गली मोहल्ले के लोग चाय के लिए बुलाते थे,और काकी सासुजी या भाभियां तो आटे का हलवा भी बनाती थी ।4. जमाई खुद को ऐसा महसूस करता था कि वो पूरे गांव का जमाई है ।5. जमाई के घर में आने के बाद घर के सब लोग डिसिप्लिन में आ जाते थे।6. जमाई बाथरूम से निकलते तो उनके हाथ सन्तूर साबुन से धुलवाते, भले खुद उजाला साबुन से नहाते थे ।7. जमाई अगर रात में रुक जाते तो सुबह उनका साला पेस्ट और ब्रश हाथ में लेकर आस पास घूमता रहता था ।8. जब जमाई का अपनी बीवी को लेकर जाने का समय हो जाता तो वो स्कूटर को पहले गैर में डालकर भन्ना भोट निकालते थे, जिससे उनका ससुराल में प्रभाव बना रहता था ।.अब आज के जमाई की दुर्दशा :-------------------------------------1. आज के जमाई से कोई भी लुगाई लाज नहीं करती है, खुद की बीवी भीसलवार कुर्ते में आस पास घूमती रहती है ।.काकी सासुजी और भाभी कोई दूसरी रिश्तेदारी निकाल कर बोलती हैं :- ” अपने तो जमाई वाला रिश्ता है ही नहीं ।”.2. साला अगर कुंवारा है और अगर उसकी सगाई नहीं हो पा रही है तो इसका ताना जमाई को सुनाया जाएगा :- “तुम्हारा हो गया इसका भी तो कुछ सेट करो ।”.3. पानी पीना हो तो खुद रसोई में जाना पड़ेगा, कोई लाकर देने वाला नहीं है ।.4. ससुराल पक्ष की किसी शादी में जमाई को इसीलिए ज्यादा मनवार करके बुलाया जाता है ताकि जमाई बच्चों को संभाल सके, बीवी और सासुजी आराम से महिला संगीत में डांस कर सके।.5. जरा सा अगर बीवी को ससुराल में कुछ कह दिया तो सासुजी की तरफ से तुरंत जवाब आता हैं, ”एक से एक रिश्ते आऐ थे, पर ये ही मिला था छोरी को दुखी करने के लिए,

एक शिक्षक कहा करते थे, आप जीवन में कुछ भी करें, लेकिन आपको खुश करने के लिए किसी और को खोजने की कोशिश न करें। कभी भी किसी पर इस हद तक निर्भर न रहें कि आपकी उम्मीदें पूरी न होने पर आप उदास हो जाएं। विशेषकर मानसिक रूप से. आप परेशान हैं, हेमंत का संगीत सुनें, अपने लिए एक गर्म कप कॉफी बनाएं, दोपहर की मीठी धूप में खुद से बात करें, अपने पसंदीदा लेखक की किताब पढ़ें। अगर आपमें कोई खास रचनात्मकता है तो खुद को उसमें व्यस्त रखें। 🥀 दूसरों पर व्यंग्य करके स्टेटस लिखना, अपने दुख, कमजोरी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना किसी बुद्धिमान व्यक्ति का काम नहीं है। अगर आप बहुत परेशान हैं तो कमरे में अंधेरा कर दें और चुपचाप बैठ जाएं। अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना करें. यादें ताजा करें, हंसें, रोएं, जो भी हो, अपने साथ एक खूबसूरत रिश्ता बनाएं ताकि दुख के दिनों में आपको कंधे की जरूरत न पड़े। अगर आप किसी चीज में सफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, अगर आप असफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, खुद से एक वादा करें। लेकिन किसी और की नज़रों में अपनी पूर्णता खोजने की कोशिश न करें। आपको कष्ट तब होगा जब दूसरों की नजरें आपके दोषों में आपके गुण नहीं ढूंढ पाएंगी, यदि आप ढूंढ सकते हैं, तो आप ढूंढ सकते हैं। रेस्तरां में अकेले खाना खाना सामान्य होना चाहिए, पार्क में अपने साथ समय बिताना क्यों हास्यास्पद होगा? यदि संभव हो तो वित्तीय लोगों को भी खुद को स्थापित करना चाहिए। ताकि आप गंभीर मूड स्विंग्स में खुद को चॉकलेट दे सकें, आप अपने जन्मदिन पर खुद को एक उपहार दे सकें या वंचित बच्चों के साथ जन्मदिन की खुशी साझा कर सकें, आप अपनी पसंदीदा पोशाक खरीद सकें, भले ही आप अपने लिए पैसे बचा सकें।कभी-कभी अपने आप को कुछ फूल दीजिए। घर के एक कोने में फूल होंगे, मनमोहक खुशबू फैलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। हर किसी को खुश रखना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, हर किसी को खुश रखना दुनिया में किसी के लिए भी संभव नहीं है। जहां आप नहीं कह सकते, वहां "नहीं" कहना सीखें। मेरे माता-पिता मेरी कद्र नहीं करते, मेरे दोस्त मुझे समय नहीं देते, मेरे करीबी मुझसे ठीक से बात नहीं करते, मेरे लिए उनके पास समय नहीं है, इससे कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी भाषा में ध्यान दूसरों के लिए अनावश्यक तनाव मात्र है। दूसरों को परेशान क्यों करें? एक खूबसूरत व्यक्तित्व होना मुश्किल नहीं है, बस खुद से इतना प्यार करें कि दूसरों की नजरों में अपने लिए प्यार ढूंढने की जरूरत न पड़े। चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में लोगों का दिमाग प्लास्टिक की तरह हो गया है। इसलिए खुद को अपने तक ही सीमित रखना बेहतर लगता है।

Thursday, 5 September 2024

घर में बंटवारा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारदो भाईयों में कलह हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारपड़ोसी से झगड़ा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारअपने बलात्कार के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारअपनी छेड़खानी के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारसमाज में नैतिक पतन के लिए भी स्त्रियों की आज़ाद ख़याली ज़िम्मेदारमल्लब पुरुष तो भोला भाला बच्चा है, निरीह प्राणी है. सारा दोष स्त्रियों का है! है कि नहीं? कुछ लोग मेरी पोस्ट पे कमेंट भी कर देते हैं कि सारे अपराधों की जड़ हैं: जर, जोरू, ज़मीन! मतलब कि स्त्री को ये समाज धन और ज़मीन की तरह ही एक वस्तु मानकर समस्याओं की जड़ मानता है!भारतीय मर्द वास्तव में इस धरती के सबसे अजीब जंतु हैं!

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , पहला चरण - कैंची दूसरा चरण - डंडा तीसरा चरण - गद्दी ...*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।**"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !*पहला चरण कैंची**दूसरा चरण डंडा**तीसरा चरण गद्दी।*● *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैंCopy paste 🙂🙂

Wednesday, 4 September 2024

*बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।* एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, *छोड़ दीजिए* बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, *छोड़ दीजिए।* गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, *छोड़ दीजिए।* एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, *छोड़ दीजिए।* अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ दीजिए।* हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, *छोड़ दीजिए।* बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड दीजिए।* मैसेज अच्छा लगे तो ठीक, न लगे तो फारवर्ड करने का विचार, *छोड़ दीजिये।* #budahpa

*उन सभी बेटे,बहुओं और बेटी,दामादों से मेरा निवेदन है कि यदि आपके साथ रहने वाले वृद्ध माता पिता आर्थिक रूप से पूरी तरह आप पर आश्रित हैं,उनकी कोई पेंशन/ब्याज रूपी कोई आमदनी नही है तो अपनी हैसियत के अनुसार उनके हाथ में कुछ रुपए जेब खर्च की तरह अवश्य रखें।**अपने स्वाभिमान के चलते वो आपसे कभी कहेंगे नही किंतु हाथ में पैसे की जरूरत सबको होती है।**कुछ खाने पीने की इच्छा होने पर,कुछ छोटा मोटा खर्च,नाती पोतों को कुछ खिलाने,खिलौना दिलाने की इच्छा होने पर आर्थिक परवशता होने की वजह से मन मसोस कर रह जाना,हर बात पर मुँह ताकना,छोटे छोटे खर्च के लिए मुँह खोलकर बार बार पैसे मांगना कितना खलता है वो हम आप शायद उनकी जगह पर होंगे तभी समझ सकेंगे।**साथ ही ऐसे माता पिता से मिलने जब बेटी-दामाद या वो बेटे बहू जाएं जो उनके साथ नही रहते तो उनको कुछ पैसे अवश्य देकर आएं या प्रति महीने थोड़ा जेब खर्च उनके अकाउंट में डाल दें ताकि एक ही बेटे या बेटी पर ही सारा खर्च न पड़े।**कोई भी बुजुर्ग फिजूल खर्च नही करते उन्होने तो पहले ही अपनी* *आवश्यकता को सिमित कर लिया है सिर्फ खाने के मामले मे थोडी ईच्छा रहती है क्योकि ज़िन्दगी भर बच्चो का भविष्य ,पढ़ाई ,शादी-ब्याह, पोते पोती,दोहिता दोहिति, के ख्वाहिश पुरी करने मे लगा दी सोचा उम्र तो पडी है बाद मे अराम से खायेंगे लेकिन अफसोस वह समय कभी आता नही और बुढापा और शारीरिक कष्ट धेर लेते है और धुमने* *खाने,दान करना ,सामाजिक कार्य, के लिए बजट नही होता**खुद्दार आदमी के लिए पैसे मागना बहुत मुश्किल है और गल्ती से माग भी ले तो मिलते नही है या अभी नही अगले महीने और अगला महीना कभी आता नही*🙏🙏🙏🙏

Tuesday, 3 September 2024

ज़िन्दगीजिनके पास अपने हैं, वो अपनों से झगड़ते हैं... जिनका कोई नहीं अपना, वो अपनों को तरसते हैं..। कल न हम होंगे न गिला होगा। सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें। * जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।

*मुंशी प्रेमचंद जी की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Sunday, 1 September 2024

भारत में अगर आप 10km तक गाड़ी बिना गाली दिए चला सकते हो .. तो आप खुद को छोटा - मोटा संत मान सकते हो .................. ......#successstory

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l ** सु:खमय वृद्धावस्था **---------------------------------1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें !2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं ! 4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें ! 7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩‍🏫👨‍🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷‍♂ परेशानियां चलती रहतीं हैं !11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵‍♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें ! 12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा ! 13 :- किसी भी तरह के टकराव 🤫🤔 को टालें एंव तनाव रहित जीवन को जिएं ! 😊14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं 💁‍♀🤦🏻‍♂🙅‍♀भी नहीं, बात का विश्वास करें ! 15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक 🚗🏡💰👩‍👩‍👦‍👦🙋‍♀🙋‍♂ पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !! 🙏😊🙏😊🙏😊🙏😊🙏#Repost #हर_बेटी_मेरी

Saturday, 31 August 2024

मन एक ऐसी जमीन हैजहां आप ; जैसी मानसिकता का बीज बोयेंगे, आपको वैसा ही फल प्राप्त होगा ।

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹🌹सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और🌹तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है, 🌹और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,🌹हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.🌹‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है, 🌹अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है, 🌹खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है. देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है, 🌹फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है, और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.🌹एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है, 🌹बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,🌹और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,🌹लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है, दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,🌹पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं, "काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,🌹अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,🌹हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है,पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹बुढापे मे माँ बाप जब बीमार रहते हैं तो एक एक दिनबहुत डरावना लगता हैं🙏 मेरे अनमोल रतनमाँ पापा भगवान् आपको ठीक रखे 🙏🙏देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिस उनकी ही राह पर आना पड़ रहा है। 😊1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना।5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना। इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।आभार स्वदेशी ❤️🙏#जीवनशैली #रसोई #रसोईघर #गांव #ग्रामीण #बर्तन #चूल्हा #दैनिक #दैनिकजीवन

कहानी: जो दिल को छू जाए #गायत्री_निवास : एक बेहद मार्मिक कहानी पढ़िए एक थोड़ी सी पुरानी कहानी , बिलकुल ही एक नये अंदाज में और जानिए कि क्यूं जरूरी है घर में बड़े बुजुर्गों की उपस्थिति??? बच्चों को स्कूल बस में बैठाकर वापस आकर शालू खिन्न मन से टैरेस पर जाकर बैठ गयी। सुहावना मौसम, हल्के बादल और पक्षियों का मधुर गान कुछ भी उसके मन को वह सुकून नहीं दे पा रहे थे, जो वो अपने पिछले शहर के घर में छोड़ कर आयी थी। शालू की इधर-उधर दौड़ती सरसरी नज़रें थोड़ी दूर पर एक पेड़ की ओट में खड़ी एक बुढ़िया पर ठहर गयी। वह सोचने लगी ‘ओह! फिर वही बुढ़िया, आखिर वह क्यों इस तरह से उसके घर की ओर ताकती है?’ शालू की उदासी बेचैनी में तब्दील हो गयी, मन में शंकाएं पनपने लगीं। इससे पहले भी शालू उस बुढ़िया को तीन-चार बार नोटिस कर चुकी थी। शालू को पूना से गुड़गांव शिफ्ट हुए पूरे दो महीने हो गये थे , मगर अभी तक वह यहां ठीक से एडजस्ट नहीं हो पायी थी। पति सुधीर का बड़े ही शॉर्ट नोटिस पर तबादला हुआ था इसलिए वो तो आते ही अपने काम और ऑफ़िशियल टूर में व्यस्त हो गए। उधर बेटी शैली का तो पहली क्लास में आराम से एडमिशन हो गया, मगर सोनू को बड़ी मुश्किल से पांचवीं क्लास के मिड सेशन में एडमिशन मिला। वो दोनों भी धीरे-धीरे रूटीन में आ रहे थे लेकिन शालू ? शालू की स्थिति तो उस पौधे की तरह हो गयी थी जिसे जड़ से उखाड़ कर दूसरी ज़मीन पर रोप दिया गया हो ,जो अभी भी नयी ज़मीन नहीं पकड़ पा रहा था। सब कुछ कितना सुव्यवस्थित चल रहा था पूना में? उसकी अच्छी जॉब थी। घर संभालने के लिए अच्छी मेड थी जिसके भरोसे वह घर और रसोई छोड़कर सुकून से ऑफ़िस चली जाती थी। घर के पास ही बच्चों के लिए एक अच्छा-सा डे केयर भी था। स्कूल के बाद दोनों बच्चे शाम को उसके ऑफ़िस से लौटने तक वहीं रहते थे। लाइफ़ बिल्कुल सेट थी, मगर सुधीर के एक तबादले की वजह से सब गड़बड़ हो गया। यहां न आस-पास कोई अच्छा डे केयर है और न ही कोई भरोसे लायक मेड ही मिल रही है। उसका करियर तो चौपट ही समझो और इतनी टेंशन के बीच ये विचित्र बुढ़िया? कहीं छुपकर घर की टोह तो नहीं ले रही? वैसे भी इस इलाके में चोरी और फिरौती के लिए बच्चों का अपहरण कोई नयी बात नहीं है। सोचते-सोचते शालू परेशान हो उठी। दो दिन बाद सुधीर टू

एक शिक्षक कहा करते थे, आप जीवन में कुछ भी करें, लेकिन आपको खुश करने के लिए किसी और को खोजने की कोशिश न करें। कभी भी किसी पर इस हद तक निर्भर न रहें कि आपकी उम्मीदें पूरी न होने पर आप उदास हो जाएं। विशेषकर मानसिक रूप से. आप परेशान हैं, हेमंत का संगीत सुनें, अपने लिए एक गर्म कप कॉफी बनाएं, दोपहर की मीठी धूप में खुद से बात करें, अपने पसंदीदा लेखक की किताब पढ़ें। अगर आपमें कोई खास रचनात्मकता है तो खुद को उसमें व्यस्त रखें। 🥀 दूसरों पर व्यंग्य करके स्टेटस लिखना, अपने दुख, कमजोरी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना किसी बुद्धिमान व्यक्ति का काम नहीं है। अगर आप बहुत परेशान हैं तो कमरे में अंधेरा कर दें और चुपचाप बैठ जाएं। अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना करें. यादें ताजा करें, हंसें, रोएं, जो भी हो, अपने साथ एक खूबसूरत रिश्ता बनाएं ताकि दुख के दिनों में आपको कंधे की जरूरत न पड़े। अगर आप किसी चीज में सफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, अगर आप असफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, खुद से एक वादा करें। लेकिन किसी और की नज़रों में अपनी पूर्णता खोजने की कोशिश न करें। आपको कष्ट तब होगा जब दूसरों की नजरें आपके दोषों में आपके गुण नहीं ढूंढ पाएंगी, यदि आप ढूंढ सकते हैं, तो आप ढूंढ सकते हैं। रेस्तरां में अकेले खाना खाना सामान्य होना चाहिए, पार्क में अपने साथ समय बिताना क्यों हास्यास्पद होगा? यदि संभव हो तो वित्तीय लोगों को भी खुद को स्थापित करना चाहिए। ताकि आप गंभीर मूड स्विंग्स में खुद को चॉकलेट दे सकें, आप अपने जन्मदिन पर खुद को एक उपहार दे सकें या वंचित बच्चों के साथ जन्मदिन की खुशी साझा कर सकें, आप अपनी पसंदीदा पोशाक खरीद सकें, भले ही आप अपने लिए पैसे बचा सकें।कभी-कभी अपने आप को कुछ फूल दीजिए। घर के एक कोने में फूल होंगे, मनमोहक खुशबू फैलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। हर किसी को खुश रखना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, हर किसी को खुश रखना दुनिया में किसी के लिए भी संभव नहीं है। जहां आप नहीं कह सकते, वहां "नहीं" कहना सीखें। मेरे माता-पिता मेरी कद्र नहीं करते, मेरे दोस्त मुझे समय नहीं देते, मेरे करीबी मुझसे ठीक से बात नहीं करते, मेरे लिए उनके पास समय नहीं है, इससे कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी भाषा में ध्यान दूसरों के लिए अनावश्यक तनाव मात्र है। दूसरों को परेशान क्यो

Friday, 30 August 2024

मैं पुरुष हूँ।मैं भी घुटता हूँ, पिसता हूँ, टूटता हूँ , बिखरता हूँ,भीतर ही भीतर, रो नही पाता, कह नही पातापत्थर हो चुका, तरस जाता हूँ पिघलने को,क्योंकि मैं पुरुष हूँ।मैं भी सताया जाता हूँ, जला दिया जाता हूँ,उस दहेज की आग में, जो कभी मांगा ही नही था।स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का,तिनका-तिनका कमाया था जिसे मैंने,मगर आह नही भर सकता,क्योकि मैं पुरुष हूँ।मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की,हमेशा धकेल दिया जाता हूँ रिश्तों का वजन बांध कर,जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी।कभी अपना दर्द बता नही सकता,किसी भी तरह जता नही सकता,बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ।क्योंकि मैं पुरुष हूँ।हाँ, मेरा भी होता है बलात्कार,उठा दिए जाते है मुझ पर कई हाथ,बिना वजह जाने, बिना बात की तह नापे,लगा दिया जाता है सलाखों के पीछे कई धाराओं में,क्योंकि मैं पुरुष हूँ।सुना है, जब मन भरता है, तब आँखों से बहता है,मर्द होकर रोता है, मर्द को दर्द कब होता है,टूट जाता है तब मन से, आंखों का वो रिश्ता, तब हर कोई कहता है,हर स्त्री स्वेत स्वर्ण नही होती,न ही हर पुरुष स्याह कालिख,मुझे सही गलत कहने वालों,पहले मेरे हालात क्यों नही जांचते?क्योंकि मैं पुरुष हूँ? #man #admi #purash

अगर आपने सफर शुरू कर ही दिया है तो बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वापस आने में जितनी दूरी तय होगी क्या पता मंजिल उससे भी पास हो..#beautifullife #hindisuvichar #motivation

स्त्रियांबाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती हैऔर तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।स्त्रियांकिचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती हैऔर तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???स्त्रियांबाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???स्त्रियांबच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???स्त्रियांकही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।स्त्रियांबच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।स्त्रियां दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार 😘 करती है............ ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... .....नोट-- यह पोस्ट सभी गृह कार्य में दक्ष गृहणियों को ही समर्पित है।।झाड़ू-पोछा चौंका बर्तन और कपड़े नौकरानी से साफ करने वाली ना भावुक हों..!!🙏🙏🙏🙏🙏#हर_बेटी_मेरी

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹🌹सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और🌹तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है, 🌹और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,🌹हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.🌹‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है, 🌹अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है, 🌹खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है. देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है, 🌹फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है, और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.🌹एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है, 🌹बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,🌹और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,🌹लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है, दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,🌹पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं, "काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,🌹अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,🌹हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है,पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..#maabaap #beautifullife #hindisuvichar

Wednesday, 28 August 2024

घर से भागी हुई बेटी का बाप इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ आदमी होता है, पहले तो वो महीनों तक अपने घर से बाहर ही नहीं निकलता है और जब बाहर निकलता है तो हमेशा सिर झुकाकर चलता है। आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे बस यही लगता है कि जैसे लोग उसी को देखकर हस रहे हों, जिंदगी भर किसी से तेज आवाज में बात नहीं करता क्योंकि डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले घुट घुट कर जीता है और अंदर ही अंदर रोता रहता है।एक बाप अपनी बेटी की मोहब्बत से नहीं डरता बल्कि अपनी बेटी के लूट जाने से डरता है ।सभी बेटियों से निवेदन है कृपया ऐसी नौबत ना आने दे।

Monday, 26 August 2024

कहीं आप अपनी पत्नी के साथ गलत तो नहीं कर रहे? आज कुछ ऐसे पति भी हैं जो पढ़े-लिखे हैं और अपनी पत्नी की मानसिक अशांति या आंतरिक खुशी का कारण नहीं जानते या समझने की कोशिश भी नहीं करते। सच बताऊं तो कई पति ऐसे होते हैं जिन्हें अगर उनकी पत्नी यह कहे कि मैं तुम्हारे साथ मानसिक रूप से अच्छी नहीं हूं तो उन्हें आश्चर्य होता है, तब पति सोचते हैं और अपनी पत्नियों से कहते हैं कि मैं तुम्हारे भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले रहा हूं तो तुम अच्छी क्यों नहीं हो? उन्हें इन बातों की परवाह ही नहीं है. लेकिन कोई भी लड़की अपने पति के घर सिर्फ भोजन और कपड़े के लिए नहीं आती है। एक लड़की अपने पिता के घर में भी बिना भोजन और आवश्यकता के नहीं रहती है, चाहे वह कहीं भी हो, ईश्वर उसकी जीविका प्रदान करता है क्या आपकी पत्नी कम से कम एक बार अच्छी है? वह वास्तव में आपसे क्या चाहती है? क्या वह आपसे खुश है? अगर आप अपनी पत्नी से दूरियां बनाते हैं तो आप खुद को ही नुकसान पहुंचाएंगे। आप अपनी पत्नी की मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करें। प्यार करते समय आप जिस तरह से एक लड़की की पसंद-नापसंद का पता लगाते हैं। अगर पत्नी को समय दिया होता तो इतने रिश्ते नहीं टूटते. दुनिया में ऐसी बहुत सी लड़कियाँ हैं जो अपने पति के प्रति वफादार होती हैं, अगर उनके पति बुरे हैं और समय नहीं देते हैं, तो वे कभी भी दूसरे लड़कों के साथ समय नहीं बिताएँगी...!! लेकिन पति इतने असफल होते हैं कि वो ये समझने की कोशिश भी नहीं करते कि ऐसा क्यों हो रहा है. इसलिए अपनी गलती के कारण किसी लड़की को दिन-ब-दिन मानसिक पीड़ा सहना अनुचित है। इसलिए अपनी पत्नी का अच्छे से ख्याल रखें। पति-पत्नी का रिश्ता ईश्वर द्वारा दिया गया एक आशीर्वाद है और यदि ईश्वर के किसी सेवक को ठेस पहुँचती है, तो ईश्वर ऐसा करेगा पीड़ित। अब समय है अपनी पत्नी से पूछने का और उसके अंदर के दर्द को बाहर लाने का। #patiptani

Sunday, 25 August 2024

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर हर दिन सुबह के वक्त एक कार आकर रुकती थी। उसमें से एक युवा व्यक्ति उतरता, और वृद्धाश्रम के बगीचे में बैठी एक बुजुर्ग महिला के पास जाकर बैठ जाता। दोनों के बीच धीमी-धीमी आवाज़ में बातें होतीं, और फिर कुछ देर बाद वह युवक उठकर चला जाता। यह दृश्य अब वृद्धाश्रम के सभी निवासियों के लिए एक परिचित और रोजमर्रा का हिस्सा बन गया था। धीरे-धीरे, सबको यह भी पता चल गया कि वह बुजुर्ग महिला, उस युवक की माँ है।आज सुबह का दृश्य भी कुछ वैसा ही था, लेकिन आज युवक अपनी माँ के सामने घुटनों के बल बैठा था, बार-बार उनके पैरों को पकड़कर माफी मांग रहा था। वृद्धाश्रम के गेट कीपर, रघु, जो हमेशा अपने काम में तल्लीन रहता था, आज इस दृश्य को देखकर विचलित हो गया। उसने पास ही बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति से कहा, "लोग कहते हैं कि औलाद बदल जाती है, लेकिन यहाँ तो कुछ और ही कहानी नजर आ रही है।"बुजुर्ग व्यक्ति, जो जीवन के अनुभवों से समृद्ध था, हल्की मुस्कान के साथ बोला, "जो तुम्हारी आंखें देख रही हैं, वह पूरा सच नहीं है। यहाँ आने वाले हर व्यक्ति की एक कहानी होती है, और उस कहानी में बहुत कुछ छिपा होता है।"जब युवक वहां से चला गया, तो रघु अपने मन की जिज्ञासा को रोक नहीं सका और वह सीधे उस बुजुर्ग महिला के पास पहुंच गया। "ताई," उसने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछा, "जो लड़का आपसे मिलने आता है, वह आपका बेटा है न?"बुजुर्ग महिला ने सिर हिलाकर सहमति दी, लेकिन कोई शब्द नहीं बोले।रघु ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "ताई, आपका बेटा तो बहुत अच्छा है। देखिए, कितनी मिन्नतें कर रहा है। क्या वह आपको यहां से ले जाना चाहता है?"बुजुर्ग महिला ने एक बार फिर से सिर हिला दिया, लेकिन उसके चेहरे पर एक गहरी उदासी छाई हुई थी। अब तक, आसपास कुछ और बुजुर्ग महिला-पुरुष आकर उनके पास खड़े हो गए थे।एक बुजुर्ग व्यक्ति, जो अपने अनुभवों का ढेर अपने कंधों पर उठाए था, बोला, "कहते हैं कि औरत वसुधा की तरह धैर्यवान होती है, लेकिन आपको देखकर ऐसा नहीं लगता।"बुजुर्ग महिला, जो अब तक सबकी बातें चुपचाप सुन रही थी, किसी को कोई जवाब नहीं दे रही थी। एक और व्यक्ति ने कहा, "अब जमाना बदल गया है। सहनशीलता बीते दिनों की बात हो गई है। आजकल की महिलाएं भी पुरुषों की तरह स्वतंत्रता चाहती हैं। हर कोई आजादी चाहता है—किसी को माँ-बाप से और किसी को अपने बच्चों से!"यह सब सुनकर बुजुर्ग महिला की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने फिर भी अपने होंठ सी लिए।अगले दिन फिर वही कार वृद्धाश्रम के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई। इस बार उस युवक के साथ एक महिला भी थी, जो अपनी गोद में एक छोटे से बच्चे को लेकर आई थी। दोनों वृद्धाश्रम के अंदर आए और महिला ने बच्चे को बुजुर्ग महिला की गोद में रखते हुए, पैरों पर गिरकर रोते हुए कहा, "माँजी, हमें माफ कर दीजिए। हमारे साथ घर चलिए, आपको अपने पोते की कसम है।"इस दृश्य को देखकर रघु, जो हमेशा से बुजुर्ग महिला के प्रति सम्मान रखता था, अपने आंसू रोक नहीं पाया। उसने गुस्से में आकर कहा, "ताई नहीं जाना चाहती, तो क्यूँ उन्हें जबरदस्ती ले जाना चाहते हो? तुम जैसे बच्चे भगवान सबको दें। वर्ना आजकल तो बच्चे जानबूझकर माँ-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ जाते हैं।"इस बार बुजुर्ग महिला का धैर्य टूट गया। उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। अपने आंचल से आंसू पोंछते हुए उसने रुंधे गले से कहा, "आप शायद नहीं जानते रघुजी! जब मेरे पति इस दुनिया से चले गए, तो मेरी सारी जमा-पूंजी इन लोगों ने ले ली। रोज़ एक निवाले के लिए मुझे घंटों इंतजार करना पड़ता था। ये लोग मुझे दिन-रात खरी-खोटी सुनाते, और रातों में खून के आंसू रुलाते। अंत में, इन्होंने मुझसे कहा कि या तो मैं उनकी शर्तों पर चलूं या घर छोड़ दूं। मैंने घर छोड़ दिया, क्योंकि मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। आज ये लोग माफी मांगने नहीं आए हैं। इन्हें मुझसे कोई प्रेम नहीं, बल्कि इन्हें बच्चे को संभालने के लिए एक आया चाहिए। इसीलिए यह नाटक आपके सामने कर रहे हैं।"बुजुर्ग महिला की इस बात ने वहां खड़े सभी लोगों को सन्न कर दिया। रघु, जो हमेशा से लोगों के प्रति दयालु रहा था, आज इस सचाई से बेहद दुखी हो गया। उसने सोचा, जो आँखें देख रही थीं, वह सच नहीं था। कभी-कभी, जो दिखाई देता है, वह सच्चाई से बहुत दूर होता है। आज, वृद्धाश्रम के हर निवासी ने एक कड़वी सच्चाई को समझा—कि जब रिश्ते स्वार्थ की बुनियाद पर टिकते हैं, तो वे केवल एक दिखावा बनकर रह जाते हैं। #hindistory

Tuesday, 20 August 2024

कोई दुख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं.. हारा वही जो लड़ा नहीं..

आज के जमाने में खुश वही है,, जो मतलबी है !!

The narcissist does not want a partner, they want a servant, a pawn in their game of self-aggrandizement, a mere reflection of their own magnificence. They crave a devoted follower, a loyal subject, a constant admirer, and a perpetual source of supply for their insatiable ego.They seek someone to:- Cater to their every whim- Anticipate their every need- Fulfill their every desire without question or hesitation- Idolize them, worship them, and put them on a pedestal- Be their echo chamber, their yes-person, their enabler, and their accompliceThe narcissist sees their partner as an extension of themselves, a tool to be used for their own gratification, a means to an end, not an end in themselves. They don't see their partner as a person with their own:- Thoughts- Feelings- Needs- DesiresBut as a mere object to be manipulated, controlled, and exploited. And when the partner finally realizes that they are nothing more than a servant, a slave to the narcissist's ego, and tries to break free, the narcissist will stop at nothing to keep them in their place.They will use:- Guilt- Anger- Manipulation- Gaslighting- Emotional blackmail- Even violenceto maintain their control and dominance. So, if you find yourself in a relationship with a narcissist, remember that you are not a partner, but a servant, and that your only value lies in your ability to serve their ego. Break free, take back your life, and never look back.Copied

Tuesday, 13 August 2024

*पीले पत्ते और हमारे बुजुर्ग*🍁*पौधों की टहनियों पर लगे पीले पत्ते* *मत तोड़ो तुम....!**चंद रोज में....**खुद ब खुद झड़ जाएंगे ।**बैठा करो....,**कुछ तो अपने बुजुर्गों के पास तुम,**एक दिन खुद ही ये चुप हो जाएंगे ।**खर्चने दो.....**उन्हें बेहिसाब तुम यारों !**एक दिन.....,**सब तुम्हारे लिए छोड़ जाएंगे ।**मत टोको, मत रोको उनको बार बार**बात दुहराने पर.....,**एक दिन हमेशा के लिए वे ख़ामोश हो जायेंगे ।**इनका आशीर्वाद सर पर ले लिया करो तुम ,**वर्ना फ़िर ये तस्वीरों में ही नज़र आयेंगे ।**खिला दो उनको कुछ उनकी ही पसंद का.... ,**वरना फिर श्राद्ध में भी देखना वे खाने नहीं आयेंगे ।**पौधों की टहनियों पर लगे पीले पत्ते...**मत तोड़ो तुम.....।*चंद रोज मे..... |खुद ब खुद झड़ जायेंगे l

Tuesday, 30 July 2024

Middleclassमिडिल-क्लास" मतलब थोडी सी अमीरी थोडी सी गरीबी का होना,,,😎😎😎ये किसी वरदान से कम नहीं है कभी बोरियत नहीं होती. जिंदगी भर कुछ ना कुछ आफत लगी ही रहती है, न इन्हें तैमूर जैसा बचपन नसीब होता है न अनूप जलोटा जैसा बुढ़ापा, फिर भी अपने आप में उलझते हुए व्यस्त रहते हैं.★ मिडिल क्लास होने का भी अपना फायदा है. चाहे BMW का भाव बढ़े या AUDI का या फिर नया i phone लाँच हो जाये, कोई फर्क नहीं पड़ता.★ मिडिल क्लास लोगों की आधी जिंदगी तो ... झड़ते हुए बाल और बढ़ते हुए पेट को रोकने में ही चली जाती है. मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िन्दगी तो "बहुत महँगा है" बोलने में ही निकल जाती है. इनकी "भूख" भी ... होटल के रेट्स पर डिपेंड करती है. दरअसल महंगे होटलों की मेन्यू-बुक में मिडिल क्लास इंसान 'फूड-आइटम्स' नहीं बल्कि अपनी "औकात" ढूंढ रहा होता है.★ इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता. "जिम्मेदारियाँ" जिंदगी भर परछाईं की तरह पीछे लगी रहती हैं. मध्यम वर्गीय दूल्हा-दुल्हन भी मंच पर ऐसे बैठे रहते हैं मानो जैसे किसी भारी सदमे में हों. अमीर शादी के बाद चलता बनते हैं , और मिडिल क्लास लोगों की शादी के बाद टेन्ट बर्तन वाले पीछे पड़ जाते हैं. मिडिल क्लास बंदे को पर्सनल बेड और रूम भी शादी के बाद ही अलाॅट हो पाता है. एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी गीजर बंद करके तब तक नहाता रहता है जब तक कि नल से ठंडा पानी आना शुरू ना हो जाए. रूम ठंडा होते ही AC बंद करने वाला मिडिल क्लास आदमी चंदा देने के वक्त नास्तिक हो जाता है, और प्रसाद खाने के वक्त आस्तिक.★ दरअसल मिडिल-क्लास तो चौराहे पर लगी घण्टी के समान है, जिसे लूली-लगंड़ी, अंधी-बहरी, अल्पमत-पूर्णमत हर प्रकार की सरकार पूरा दम से बजाती है.★ मिडिल क्लास को आज तक बजट में वही मिला है, जो अक्सर हम 🔔 मंदिर में बजाते हैं. 🔔 फिर भी हिम्मत करके मिडिल क्लास आदमी पैसा बचाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन बचा कुछ भी नहीं पाता.★ हकीकत में मिडिल मैन की हालत पंगत के बीच बैठे हुए उस आदमी की तरह होती है जिसके पास पूड़ी-सब्जी चाहे इधर से आये, चाहे उधर से उस तक आते-आते खत्म हो जाती है.★ मिडिल क्लास के सपने भी लिमिटेड होते हैं❤️💔 "टंकी भर गई है, जीमोटर बंद करना है" गैस पर दूध उबल गया है, चावल जल गया है,इसी टाईप के सपने आते हैं. दिल में अनगिनत सपने लिए बस चलता ही जाता है ... चलता ही जाता है. और चला जाता है❤️💔ये मिडिल क्लास आदमी🙂🙂🙂🙏🙏 😃😃😃👍

पिछले 10 सालों में एक पीढी आई है जिनमे न जाने क्यों सारे रिश्तेदारों के लिए एक घृणा भरी हुई है। कोई रिश्तेदार घर मे आये तो अपने कमरे में छुप जाने को " कूल" माना जाता है।कोई रिश्तेदार अगर अच्छे भाव से भी पूछ लें कि क्या पढ़ाई चल रही है या नौकरी का क्या हो रहा है तो बच्चों को गुस्सा आ जाता है। मुझे लगता है पूछने वाले के इटेंशन से ज्यादा खुद के फ्रस्ट्रेशन के कारण इनको गुस्सा आता है।किसी भी खुशी या दुख में रिश्तेदार ही काम आते हैं।कुछ लोग irritating या जलने वाले हो सकते हैं, अधिकतर रिश्तेदार भला ही चाहते हैं। _______________________हम सभी बचपन से किसी ना किसी के मुँह से ये सुनते हुए ही आ रहे हैं कि कोई सगा नहीं/ कोई किसी के काम नहीं आता/ रिश्तेदार बस नाम के होते हैं आदि इत्यादि।फलस्वरूप हम शुरू से ही अपने रिश्तेदारों को भी शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। ऐसी सोच डाल देने से स्वस्थ रिश्ते नहीं पनपते। अब जब हम ही हाथ पीछे खींच के रखेंगे तो सामने वाला भी हमारी ओर हाथ क्यूँ बढ़ाएगा?कितना अच्छा हो कि हम बच्चों को शुरू से प्यार और सहयोग सिखाएँ तो ये नफ़रत ही उत्पन्न नहीं हो।जबकि हर इंसान प्यार चाहता है, पर पहल नहीं करता। क्योंकि शक का चश्मा चढ़ा हुआ है आँखों पर। सबने ख़ुद को रोक रखा है।

*ना जाने किसकी रचना है ?**बहुत ही उम्दा लिखा है, झिंझोड कर रख दिया 😥* ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ ❓​ *कुछ रह तो नहीं गया. !* ❓ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ तीन महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जाने वाली माँ को दाई ने पूछा ~ कुछ रह तो नहीं गया ? पर्स, चाबी सब ले लिया ना ? अब वो कैसे हाँ कहे ? पैसे के पीछे भागते-भागते सब कुछ पाने की ख्वाहिश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है, वही रह गया है !😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा ~ भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना ? चेक करो ठीक से ..! बाप चेक करने गया, तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे. सब कुछ तो पीछे रह गया. 21 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था, लाड़ से, वो नाम पीछे रह गया, और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था, वो नाम भी पीछे रह गया अब. भैया, देखा ? कुछ पीछे रह तो नहीं गया ? बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आँसू छुपाता बाप जुबाँ से तो नहीं बोला, पर दिल में एक ही आवाज थी ~ सब कुछ तो यहीं रह गया .!😔 बड़ी तमन्नाओं के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था, और वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया. पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था, और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया ~ सब कुछ चेक कर लिया ना ? कुछ रह तो नहीं गया ? क्या जबाब देते, कि अब अब छूटने को बचा ही क्या है ..!😔 सेवानिवृत्ति की शाम पी.ए. ने याद दिलाया ~ चेक कर लें सर ..! कुछ रह तो नहीं गया ? थोड़ा रूका, और सोचा कि पूरी जिन्दगी तो यहीं आने-जाने में बीत गई. अब और क्या रह गया होगा ?😔 श्मशान से लौटते वक्त बेटे ने ... फिर से गर्दन घुमाई, एक बार पीछे देखने के लिए ... पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया. भागते हुए गया पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की .... और वापिस लौट आया. दोस्त ने पूछा ~ कुछ रह गया था क्या ? भरी आँखों से बोला ~ नहीं , कुछ भी नहीं रहा अब. और जो कुछ भी रह गया है, वह सदा मेरे साथ रहेगा .!😌एक बार ... समय निकालकर सोचें, शायद ... पुराना समय याद आ जाए, आँखें भर आएं, और आज को जी भर जीने का !!.. मकसद मिल जाए ..!! यारों ! क्या पता ? कब इस जीवन की शाम हो जाये. इससे पहले कि ऐसा हो सब को गले लगा लो, दो प्यार भरी बातें कर लो. ताकि ... कुछ छूट न जाये ..!!! •┈┈┈•✦✿✦•┈┈┈•🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पिछले 10 सालों में एक पीढी आई है जिनमे न जाने क्यों सारे रिश्तेदारों के लिए एक घृणा भरी हुई है। कोई रिश्तेदार घर मे आये तो अपने कमरे में छुप जाने को " कूल" माना जाता है।कोई रिश्तेदार अगर अच्छे भाव से भी पूछ लें कि क्या पढ़ाई चल रही है या नौकरी का क्या हो रहा है तो बच्चों को गुस्सा आ जाता है। मुझे लगता है पूछने वाले के इटेंशन से ज्यादा खुद के फ्रस्ट्रेशन के कारण इनको गुस्सा आता है।किसी भी खुशी या दुख में रिश्तेदार ही काम आते हैं।कुछ लोग irritating या जलने वाले हो सकते हैं, अधिकतर रिश्तेदार भला ही चाहते हैं। _______________________हम सभी बचपन से किसी ना किसी के मुँह से ये सुनते हुए ही आ रहे हैं कि कोई सगा नहीं/ कोई किसी के काम नहीं आता/ रिश्तेदार बस नाम के होते हैं आदि इत्यादि।फलस्वरूप हम शुरू से ही अपने रिश्तेदारों को भी शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। ऐसी सोच डाल देने से स्वस्थ रिश्ते नहीं पनपते। अब जब हम ही हाथ पीछे खींच के रखेंगे तो सामने वाला भी हमारी ओर हाथ क्यूँ बढ़ाएगा?कितना अच्छा हो कि हम बच्चों को शुरू से प्यार और सहयोग सिखाएँ तो ये नफ़रत ही उत्पन्न नहीं हो।जबकि हर इंसान प्यार चाहता है, पर पहल नहीं करता। क्योंकि शक का चश्मा चढ़ा हुआ है आँखों पर। सबने ख़ुद को रोक रखा है।

*ना जाने किसकी रचना है ?**बहुत ही उम्दा लिखा है, झिंझोड कर रख दिया 😥* ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ ❓​ *कुछ रह तो नहीं गया. !* ❓ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ तीन महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जाने वाली माँ को दाई ने पूछा ~ कुछ रह तो नहीं गया ? पर्स, चाबी सब ले लिया ना ? अब वो कैसे हाँ कहे ? पैसे के पीछे भागते-भागते सब कुछ पाने की ख्वाहिश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है, वही रह गया है !😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा ~ भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना ? चेक करो ठीक से ..! बाप चेक करने गया, तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे. सब कुछ तो पीछे रह गया. 21 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था, लाड़ से, वो नाम पीछे रह गया, और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था, वो नाम भी पीछे रह गया अब. भैया, देखा ? कुछ पीछे रह तो नहीं गया ? बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आँसू छुपाता बाप जुबाँ से तो नहीं बोला, पर दिल में एक ही आवाज थी ~ सब कुछ तो यहीं रह गया .!😔 बड़ी तमन्नाओं के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था, और वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया. पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था, और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया ~ सब कुछ चेक कर लिया ना ? कुछ रह तो नहीं गया ? क्या जबाब देते, कि अब अब छूटने को बचा ही क्या है ..!😔 सेवानिवृत्ति की शाम पी.ए. ने याद दिलाया ~ चेक कर लें सर ..! कुछ रह तो नहीं गया ? थोड़ा रूका, और सोचा कि पूरी जिन्दगी तो यहीं आने-जाने में बीत गई. अब और क्या रह गया होगा ?😔 श्मशान से लौटते वक्त बेटे ने ... फिर से गर्दन घुमाई, एक बार पीछे देखने के लिए ... पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया. भागते हुए गया पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की .... और वापिस लौट आया. दोस्त ने पूछा ~ कुछ रह गया था क्या ? भरी आँखों से बोला ~ नहीं , कुछ भी नहीं रहा अब. और जो कुछ भी रह गया है, वह सदा मेरे साथ रहेगा .!😌एक बार ... समय निकालकर सोचें, शायद ... पुराना समय याद आ जाए, आँखें भर आएं, और आज को जी भर जीने का !!.. मकसद मिल जाए ..!! यारों ! क्या पता ? कब इस जीवन की शाम हो जाये. इससे पहले कि ऐसा हो सब को गले लगा लो, दो प्यार भरी बातें कर लो. ताकि ... कुछ छूट न जाये ..!!! •┈┈┈•✦✿✦•┈┈┈•🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पाप शरीर नहीं करता विचार करते हैंऔर गंगा विचारों को नहीं शरीर को धोती है

Saturday, 27 July 2024

THE BEST MARRIAGE ADVICE EVER!Choose to love each other even in those moments when you struggle to like each other. Love is a commitment, not a feeling.Always answer the phone when your husband/wife is calling, and when possible, try to keep your phone off when you’re together with your spouse.Make time together a priority. Budget for a consistent date night. Time is the “currency of relationships,” so consistently invest time in your marriage.Surround yourself with friends who will strengthen your marriage and remove yourself from people who may tempt you to compromise your character.Make laughter the soundtrack of your marriage. Share moments of joy, and even in the hard times, find reasons to laugh.In every argument, remember that there won’t be a “winner” and a “loser.” You are partners in everything, so you’ll either win together or lose together. Work together to find a solution.Remember that a strong marriage rarely has two strong people at the same time. It’s usually a husband and wife taking turns being strong for each other in the moments when the other feels weak.Prioritize what happens in the bedroom. It takes more than sex to build a strong marriage, but it’s nearly impossible to build a strong marriage without it!Remember that marriage isn’t 50-50; divorce is 50-50. Marriage has to be 100-100. It’s not splitting everything in half but both partners giving everything they’ve got!Give your best to each other, not your leftovers after you’ve given your best to everyone else.Learn from other people, but don’t feel the need to compare your life or your marriage to anyone else’s. Comparison puts your focus on the wrong person.Don’t put your marriage on hold while you’re raising your kids, or else you’ll end up with an empty nest and an empty marriage.Never keep secrets from each other. Secrecy is the enemy of intimacy.Never lie to each other. Lies break trust, and trust is the foundation of a strong marriage.When you’ve made a mistake, admit it and humbly seek forgiveness. You should be quick to say, “I was wrong. I’m sorry. Please forgive me.”When your husband/wife breaks your trust, give them your forgiveness instantly, which will promote healing and create the opportunity for trust to be rebuilt. You should be quick to say, “I love you. I forgive you. Let’s move forward.”Be patient with each other. Your spouse is always more important than your schedule.Model the kind of marriage that will make your sons want to grow up to be good husbands and your daughters want to grow up to be good wives.Never talk badly about your spouse to other people or vent about them online. Protect your spouse at all times and in all places.Always wear your wedding ring. It will remind you that you’re always connected to your spouse and remind the rest of the world that you’re off limits!Connect into a community of faith. A good church can make a world of difference in your marriage and family.Pray together. Every marriage is stronger with God in the middle of it.When you have to choose between saying nothing or saying something mean to your spouse, say nothing every time!Never consider divorce as an option. Remember that a “perfect marriage” is just two imperfect people who refuse to give up on each other.

स्त्री एक किताब की तरह होती है जिसे देखते हैं सबअपनी अपनी जरूरतों के हिसाब सेकोई सोचता है उसे एक घटिया और सस्ते उपन्यास की तरहतो कोई घूरता है उत्सुक साएक हसीन रंगीन चित्रकथा समझकरकुछ पलटते हैं इसके रंगीन पन्नेअपना खाली वक्त गुजारने के लिएतो कुछ रख देते हैंघर की लाइब्रेरी में सजाकरकिसी बड़े लेखक की कृति की तरहस्टेटस सिंबल बनाकरकुछ ऐसे भी हैंजो रद्दी समझकरपटक देते हैंघर के किसी कोने मेंतो कुछ बहुत उदार होकरपूजते हैं मन्दिर मेंकिसी आले में रखकरगीता कुरान बाइबिल जैसे किसी पवित्र ग्रंथ की तरहस्त्री एक किताब की तरह होती हैजिसे पृष्ठ दर पृष्ठ कभी कोई पढ़ता नहींसमझता नहीं आवरण से लेकर अंतिम पृष्ठ तकसिर्फ देखता हैटटोलता हैऔर वो रह जाती हैअनबांची अनअभिव्यक्तअभिशप्त सीब्याहता होकर भी कुंवारी सीविस्तृत होकर भी सिमटी सीछुए तन में एकअन छुया मन लिए सदा ही स्त्री

Thursday, 11 July 2024

*उम्रदराज* न बनें*उम्र को दराज़* में रख दें। खो जाएं ज़िन्दगी में,*मौत का इन्तज़ार न करें*जिनको आना है आए,जिसको जाना है जाए।*पर हमें जीना है*। ये न भूल जाएं।जिनसे मिलता है प्यार, उनसे ही मिलें बार बार। महफिलों का शौक रखें*दोस्तों से प्यार करें* जो रिश्ते हमें समझ सकें,उन रिश्तों की कद्र करें।*बंधें नहीं किसी से भी,*ना किसी को बँधने परमजबूर करें।दिल से जोड़ें हर रिश्ता, और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।*हँसना अच्छा होता है*पर अपनों के लिये,रोया भी करें। याद आएं कभी अपने तो,आँखें अपनी नम भी करें। *ज़िन्दगी चार दिन की है,*तो फिर शिकवे शिकायतेंकम ही करें। *उम्र को दराज़ में रख दें*उम्रदराज़ न बनें !! *हमेशा मुस्कुराते रहिए* ❣️❣️

Saturday, 6 July 2024

मुझे अपनी पड़ोस में रहने वाली महिला इसीलिए अच्छी नहीं लगती थी क्यूँकि वो अपने बच्चों को आया के पास छोड़ कर नौकरी करने जाती थी। मैं ही क्या, किसी को भी उसे ग़ैर ज़िम्मेदार कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई।मैं एक सहेली से इसलिए नाराज़ थी कि वो पढ़ाई करते हुए प्रेम में थी।एक स्त्री से इसीलिए नाता तोड़ दिया था क्यूँकि उसने अपने वैवाहिक जीवन को तोड़ने का निर्णय लिया, ज़रा भी मुश्किल नहीं हुई उसे कलुषित घोषित करने में, आसान था,सिर्फ़ इसीलिए क्यूँकि पहल एक स्त्री ने की। मैं उस स्त्री से इसलिए ख़फ़ा थी क्यूँकि उसके ससुराल वाले उसे खुश नहीं थे, मैंने ये कभी जानना ही नहीं चाहा कि क्या वो खुश है अपने ससुराल वालों से, ज़रूरी लगा ही नहीं कभी।संस्कार हीन समझा उन स्त्रियों को को अच्छा खाना नहीं बना पायी। कभी ये दिखा ही नहीं की वो ख़ुद को एक अच्छी इंजीनियर या डॉक्टर बना पायी है। उन स्त्रियों को हिक़ारत की नज़र से देखना जो अपने घर में ख़ुशियाँ नहीं बिखेर पायी। नैतिकता और समाज के पहनाये चश्मों से ना जाने कितनी ही स्त्रियों को मैंने ग़लत देखा और ग़लत समझा, शायद उन्होंने भी ठीक इसी तरह बहुत सी स्त्रियों को ग़लत समझा होगा, इस शृंखला में ना जाने कितनी ही स्त्रियाँ अलग-थलग हुई होंगी। मेरा उन सब से क्षमा माँगने का दिल करता है, उनका पक्ष भी सुनने का मन करता है,उनकी पीड़ा को, उनके भावों को,उनके अभावों को, जानने का मन करता है।कितना ही समय लगता है दूसरों का जीवन सिर्फ़ देख कर उसके बारे में राय बना लेने में और उसे अच्छे या बुरे किसी एक श्रेणी में डाल देने में?हम नाम मात्र की भी कोशिश नहीं करते, किसी के जीवन को, उसके मनोभाव को समझने की, हम हमेशा जल्दी में होते हैं, अच्छा ढूँढने में, ख़ुद से ऊपर, ख़ुद से अच्छा, सर्वश्रेष्ठ को ढूँढते रहते हैं, और उसी के साथ रहना चाहते हैं, उसी को चाहना चाहते हैं, लेकिन उन सबका क्या जो अपने जीवन संघर्ष में मदद चाहते हैं, शायद उनका पीड़ित होना भी हमारी इसी खोज का नतीजा है,समाज ने निःसंकोच बना डाली स्त्रियाँ जो स्त्रियों से बैर कर सके, ताकि ये समाज चल सके।ये जिम्मेदारियां ये रिश्ते नाते,सबमें मेरी ही कमी क्यूं निकाली जाती है,क्या मैं इन सबका हिस्सा नहीं,क्या मुझे अपना समझा ही नहीं गया,हां मैं परिपक्व नहीं हूं,नही हूं पारंगत हर काम में में,हर रिश्ते नाते को निभाने में,मगर कोई मां के पेट से तो सीखकर नही आता न,तो मेरी कमियों पर मुझे ,ताने क्यूं सुनाए जाते हैं,मुझे समझाया भी तो जा सकता है,प्यार से संभाला भी तो जा सकता है,मेरी गलतियों पर चीखने की जगह,कोशिश अच्छी है ,ये भी तो कहा जा सकता है,मैं नहीं रही भरे पूरे परिवार में,तो मुझे रिश्तों की इतनी समझ भी नही,मगर अपनी ममता से ,मुझे भी रिश्तों का पाठ पढ़ाया तो जा सकता है,जहां लगे की मुझसे भूल हो सकती है,वहां मेरे साथ खड़े रहकर ,बिगड़े हालातों को संभाला तो जा सकता है,और मेरी कमियों पर ,क्यूं कहते हैं की मां ने ,कुछ सिखाया नही तुमको,बजाय ये कहने के,मुझे अपनी बेटी का दर्जा ,भी तो दिया जा सकता है,सब छोड़ छाड़कर आना ,इतना आसान तो नही होता न,अपने अपनो के बगैर रहना ,तो फिर ससुराल बनने से पहले ,मुझे मायके जैसा लाड भी तो दिया जा सकता है,(उन लड़कियों के लिए जिन्हे ससुराल में कोई समझने वाला नही मिलता,जिन्हे जाते ही सौंप दी जाती है जिम्मेदारियों की गठरी वो भी पूरी उम्मीदों के साथ)

Wednesday, 3 July 2024

अपनी सत्तर बरस की " माँ " को देखकरक्या सोचा है कभी ...?वो भी कभी कालेज में कुर्ती और ,स्लैक्स पहन कर जाया करती थी..तुम हरगिज़ नहीं सोच सकते .. कितुम्हारी "माँ" भी कभी घर के आँगन मेंचहकती हुई, उधम मचाती दौड़ा करती थी ..तोघर का कोना - कोना गुलज़ार हो उठता था...किशोरावस्था में वो जब कभीअपने गिलों बालों में तौलिया लपेटेछत पर आती गुनगुनानी धूप में सुखाने जाती थी, तो ..न जाने कितनी पतंगे आसमान में कटने लगती थी..क्या सोचा है कभी ...?तुमने तो कभी ये भी नहीं सोचा होगा, कितुम्हारे आने की दस्तक देती उसप्रसव पीड़ा के उठने परकैसे दाँतों पर दाँत रख अस्पताल की चौखट पर गई होगीक्या सोच सकते हो कभी ..?अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धितुम्हें मानकर अपनी सारी शैक्षणिक डिगरियाँ जिस संदूक में अखबार के पन्नो मेंलपेटकर ताला बंद की थीउस संदूक की चाभी आज तक उसने नहीं ढूँढी...और तुमउसके झुर्रिदार काँपते हाथों, क्षीण याददाश्त,कमजोर नज़र और झुकी हुई कमर को देखकरउनसे कतराकर खुद पर इतराते हो ये बरसों का सफ़र है ...! कभी तुम भी सफर के साथी बनोगे 🙏🙏😔😔 क्या तुमने कभी सोचा है 🙏 ...!!

Monday, 24 June 2024

एक बार एक राज-महल में कामवाली बाई का लड़का खेल रहा था, खेलते खेलते उसके हाथ में एक हीरा आ गया, वो दौड़ता दौड़ता अपनी माँ के पास ले गया, माँ ने देखा और समझ गयी कि ये हीरा है तो उसने झूठमुठ का बच्चे को कहा कि ये तो कांच का टुकड़ा है और उसने उस हीरे को महल के बाहर फेंक दिया,और थोड़ी देर के बाद वो बाहर से हिरा उठा कर चली गयी, और उसने उस हीरे को एक सोनी को दिखाया, सोनी ने भी यही कहा ये तो कांच का टुकड़ा है और उसने भी बाहर फेंक दिया, वो औरत वहां से चली गयी बाद में उस सोनी ने वो हिरा उठा लिया और जोहरी के पास गया और जोहरी को हीरा दिखाया। जोहरी को पता चल गया की ये तो एक नायाब हीरा है और उसकी नियत बिगड़ गयी और उसने भी सोनी को कहा की ये तो कांच का टुकड़ा है और उसने उठा के हीरे को बाहर फेंक दिया और बाहर गिरते ही वो हिरा टूट कर बिखर गया!एक आदमी इस पूरे वाकये को देख रहा था, उसने जाके हीरे को पूछा, जब तुम्हे दो बार फेका गया तब नहीं टूटे और तीसरी बार क्यों टूट गए?हीरे ने जवाब दिया:- ना वो औरत मेरी कीमत जानती थी और नाही वो सोनी। मेरी सही कीमत वो जोहरी ही जानता था और उसने जानते हुए भी मेरी कीमत कांच की बना दी बस मेरा दिल टूट गया और में टूट के बिखर गया!जब किसी इन्सान की सही कीमत जानते हुए भी लोग नाकारा कहते है तो वो भी हीरे की तरह टूट जाता है और कभी आगे नहीं बढ़ सकता है,इसलिये अगर आपके आसपास कोई भाई-बहन बेटी बहु या कोई भी हो अगर वो अपने हुनर को निखारते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करता है तो उसका हौसला बढाओ, support करो और यह ना भी कर सको तो कम से कम हीरे को काच बताकर तोड़ने का काम भी मत करो!🙏🏻 हीरा खुद एक दिन अपनी जगह ले लेगा!👍🏻#story

Saturday, 25 May 2024

टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए, किसी को लग ना जाये इसलिए सबसे दूर हो गए

ससुराल में साली काबाग़ में माली काहोंठो में लाली कापुलिस में गाली कामकान में नाली काकान में बाली कापूजा में थाली काखुशी में ताली का ------ बड़ा महत्व है।फलों में आम काभगवान में राम कामयखाने में जाम काफैक्ट्री में काम कासुर्ख़ियों में नाम काबाज़ार में दाम कामोहब्ब्त में शाम का ------- बड़ा महत्व है।व्यापार में घाटा कालड़ाई में चांटा कारईसों में टाटा काजूतों में बाटा कारसोई में आटा का ----- बड़ा महत्व है।फ़िल्म में गाने काझगड़े में थाने काप्यार में पाने काअंधों में काने कापरिंदों में दाने का ----- बड़ा महत्व है।ज़िंदगी में मोहब्ब्त कापरिवार में इज्ज़त कातरक्की में किसमत कादीवानो में हसरत का ------ बड़ा महत्व है।पंछियों में बसेरे कादुनिया में सवेरे काडगर में उजेरे काशादी में फेरे का ------ बड़ा महत्व है।खेलों में क्रिकेट काविमानों में जेट काशरीर में पेट कादूरसंचार में नेट का ----- बड़ा महत्व है।मौजों में किनारों कागुर्वतों में सहारों कादुनिया में नज़ारों काप्यार में इशारों का ------ बड़ा महत्व है।खेत में फसल कातालाब में कमल काउधार में असल कापरीक्षा में नकल का। ----- बड़ा महत्व है।ससुराल में जमाई कापरदेश में कमाई काजाड़े में रजाई कादूध में मलाई का ----- बड़ा महत्व है।बंदूक में गोली कापूजा में रोली कासमाज में बोली कात्योहारों में होली काश्रृंगार में रोली का ----- बड़ा महत्व है।बारात में दूल्हे कारसोई में चूल्हे का ------- बड़ा महत्व है।सब्जियों में आलू काबिहार में लालू कामशाले में बालू काजंगल में भालू काबोलने में तालू का ------- बड़ा महत्व है।मौसम में सावन काघर में आँगन कादुआ में दामन कालंका में रावन का ------- बड़ा महत्व है।चमन में बहार काडोली में कहार काखाने में अचार कामकान में दीवार का ----- बड़ा महत्व हैसलाद में मूली काफूलों में जूली कासज़ा में सूली कास्टेशन में कूली का ------ बड़ा महत्व है।पकवानों में पूरी कारिश्तों में दूरी काआँखों में भूरी कारसोई में छूरी का ---- बड़ा महत्व है।माँ की गोदी कादेश में मोदी का ----- बड़ा महत्व है।खेत में साप कासिलाई में नाप का टीवीखानदान में बाप का ----- बड़ा महत्व हे। 🙏🙏🌹 राम राम जी 🌹

Saturday, 18 May 2024

#baap #beti #,rishta #beautifullife बेटी की विदाई के वक्त बाप ही सबसे आखिरी में रोता है, क्यों, चलिए आज आप विस्तारित रूप से समझिए।बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर बाप उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर करके रोता है।माँ बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप और बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है।हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता और मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए, नजर अंदाज कर देता है।बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है, पर अगर बिटिया ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है और जेब में रूपया हो या न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है।दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले तो भी वो हार नही मानता, पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं।और बेटी भी जब घर में रहती है, तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, "पापा को आने दे फिर बताती हूं।"बेटी घर में रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रहता है।बेटी की जब शादी में विदाई होती है तब वो सबसे मिलकर रोती तो है, पर जैसे ही विदाई के वक्त कुर्सी समेटते बाप को देखती है, जाकर झूम जाती है, और लिपट जाती है, और ऐसे कसके पकड़ती है अपने बाप को जैसे माँ अपने बेटे को। क्योंकि उस बच्ची को पता है, ये बाप ही है जिसके दम पर मैंने अपनी हर जिद पूरी की थी।खैर बाप खुद रोता भी है, और बेटी की पीठ ठोक कर फिर हिम्मत देता है, कि बेटा चार दिन बाद आ जाऊँगा, तुझको लेने और खुद जान बूझकर निकल जाता है, किसी कोने में और उस कोने में जाकर वो बाप कितना फूट फूट कर रोता है, ये बात सिर्फ एक बेटी का बाप ही समझ सकता है।जब तक बाप जिंदा रहता है, बेटी मायके में हक़ से आती है और घर में भी ज़िद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि मेरे बाप का घर है। पर जैसे ही बाप मरता है और बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि, सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई है।और वो बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है, क्योंकि उस दिन उसका बाप ही नहीं उसकी वो हिम्मत भी मर जाती हैं।आपने भी महसूस किया होगा कि बाप की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई- भाभी के घर वो जिद नहीं करती जो अपने पापा के वक्त करती थी, जो मिला खा लिया, जो दिया पहन लिया क्योंकि जब तक उसका बाप था तब तक सब कुछ उसका था यह बात वो अच्छी तरह से जानती है। आगे लिखने की हिम्मत नहीं है, बस इतना ही कहना चाहती हूं कि बाप के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है, पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए बाप दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है। बाप बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है।

Thursday, 16 May 2024

मेरी बेटी बड़ी हो गई,साथ मेरे खड़ी हो गई।डांट देती मुझे ऐसे,मेरी वो सहेली हो गई।बीपी शुगर क्यों बड़ाई आपने,क्यों मीठा खाया आपने ।पहन लेती हो कुछ तो भी कपड़े बेतुके ,मैं दिलाऊ तुम्हें कुछ ढंक के।हो जाती हैं नाराज मुझसे,मैं फिर करती हूं बात उससे।कुर्ती पहन रखी इतनी बड़ी,जी लो खुद के लिए दो घड़ी। सफेद बाल क्यों रख रखे?मेंहदी लगाने से क्यों डर रहे । सहज योग, मेडिटेशन क्यों नही करते,अपने आप को पॉजिटिव क्यो नही रखते।मॉर्निंग वाक पर जाओ,अपना मन ध्यान योग पर लगाओ।नेगेटिव विचार मन से हटा दो,अपना मन भक्ति में लगा दो।मेरी हर कमी पुरी हो गई,मेरी बेटी बड़ी हो गई। दुनियां से लड़ेगी मेरे लिए,मेरे कंधे से ऊंची हों गई,मैरी बिटिया मुझसे समझदार हो गई।।#maa #beti.

Tuesday, 7 May 2024

जानने की आकांक्षा सुख दुख से ऊपर नहीं ले जाती जाननें के बाद ये समाप्त होता हैजो जैसा चल रहा उसे स्वीकार करना जैसे एक बच्चा कर लेता है कभी रो कर कभी हँस कर इसलिए ही वह बेफिक्र रहता है.. क्योंकि पाने या खोने या मान लेने के लिए वो बुद्धि को ज्यादा देर तक नहीं लगाता बच्चा गफ़लत में ही अपना बचपन व्यतीत कर देता है.. और बचपन अच्छा होता है मुद्दा ये नहीं है , ...मुद्दा ये है की किसी भी विषय पर ज्यादा देर विश्लेषण नहीं करना ही बचपन है. #beautifullife #bachpan #Hindisuvihar #Adhyatama

❤️ एक औरत की कमी तब अखरती हैजब वो चली जाती है, और वापस लौट कर नहीं आतीछत पर लगे जाले व आँगन की धूलहटाने में संकोच आता है।" तुम्हारी ये सफाई " कहने का मौकानहीं मिल पाता !!😢एक औरत की कमी तब अखरती हैजब कालरों की मैल छुटाने मेंपसीना छूट जाता हैचूडियां साथ में नहीं खनकतीउसका "मेहनतकश" होना याद आता है !!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब घर में देर से आने पररोटियां ठंडी हो जाती है सब्जियों मेंतुम्हारी पसंद का जायका नहीं रहताऔर तुमसे यह कहते नही बनता"मुझे ये पसंद नहीं "!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब बच्चा रात को ज़ोर से रोता हैआप अनमने से उठ जाते होऔर यह नहीं कह पाते"कितनी लापरवाह हो तुम"!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप रात में अकेले सोते हैंकरवट बदलते रहते हैं बगल मेंपर हाथ धरने पर कुछ नहीं मिलता!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब त्यौहारों के मौसम मेंनयी चीज़ों के लिए कोई नहीं लड़ताऔर तुमसे ये कहते नही बनता"और पैसे नहीं हैं "!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप गम के बोझ तले दबे होते हैं ,निपट अकेले रोते हैंऔर आपके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होताआप किसी से कुछ नहीं कह पातेहाँ, औरत की कमी तब अखरती जरूर है!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... हर उस औरत की कमी अखरती है जो संस्कारी, गृहकार्य में दक्ष तथा हर रिश्ते को बखूबी निभाना जानती है। #beautifullife #hindisuvichsr

Monday, 6 May 2024

जानने की आकांक्षा सुख दुख से ऊपर नहीं ले जाती जाननें के बाद ये समाप्त होता हैजो जैसा चल रहा उसे स्वीकार करना जैसे एक बच्चा कर लेता है कभी रो कर कभी हँस कर इसलिए ही वह बेफिक्र रहता है.. क्योंकि पाने या खोने या मान लेने के लिए वो बुद्धि को ज्यादा देर तक नहीं लगाता बच्चा गफ़लत में ही अपना बचपन व्यतीत कर देता है.. और बचपन अच्छा होता है मुद्दा ये नहीं है , ...मुद्दा ये है की किसी भी विषय पर ज्यादा देर विश्लेषण नहीं करना ही बचपन है. #beautifullife #bachpan #Hindisuvihar #Adhyatama

शब्द और रिश्ते की कीमत तभी पता चलती है जब दोनों निकल जाएं, एक मुंह से तो दूसरा जीवन से।

Friday, 3 May 2024

If someone misses, then the person certainly will look for you and make a call. If the person needs you, the man will tell about that firmly. Do not go looking for proofs of care. The person certainly will relate to you with warmth if the person cares. If it didn’t occur, then the person doesn’t deserve your attention. Do not waste your time to the people who do not value your presence in their life. Stay with those people who appreciate you and who surround with you of love. Your time is not endless, and you should spend it with the people who need that, as well as who you need too.Beautifullifeskl

उर्दू के टीचर ने सवाल पूछा-*नाकाम इश्क़"* और *मुकम्मल इश्क़* में क्या फर्क होता है?स्टूडेंट ने जवाब दिया:*नाकाम इश्क* बेहतरीन शायरी करता है, ग़ज़ल गाता है, पहाड़ों में घूमता है, उम्दा शराब पीता है..*मुकम्मल इश्क, सब्ज़ी के साथ मुफ्त में धनिया कैसे मिले,रास्ते से ब्रेड लाने, और दाल में नमक ज़्यादा/कम , संडे को पंखा साफ़ करने, घर के मच्छर मारने, में दम तोड़ देता है..*😜😁🙏🏻

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता. वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.⚱फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.⚱लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.🏺गिलास और लोटे के पानी में अंतर---+---+---+---+---+---+---+---+---+---गिलास के पानी और लोटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. 🏺सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. "पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना".अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है, आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.🏺दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया .क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.🏺इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा , मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.🏺इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लोटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.🏺अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है. तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें. लोटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें. तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लोटे को वापिस लाइए और प्रयोग करें।। Beautifullifeskl.

Thursday, 18 April 2024

एक सेवक ने अपने गुरू को अरदास की, जी मैं सत्सँग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला सतगुरु ने प्यार से पूछा, बेटा तुम्हे क्या चाहिए ?सेवक बोलामैं तो बहुत ही ग़रीब हूँ दाता सतगुरु ने हँस कर पूछा, बेटा तुम्हें कितने पैसों की ज़रूरत है ?सेवक ने अर्ज की, सच्चे पातशाह, बस इतना बख्श दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत हो ।गुरु ने पूछा और ज़्यादा की भूख तो नहीं है बेटा ?सेवक हाथ जोड़ के बोला नहीं जी, बस इतना ही बहुत है ।गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ, जहाँ ये बुझ जाये, वहाँ खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना I अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना, लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फँस जाओगे ।सेवक बहुत खुश हो कर चल पड़ा जहाँ मोमबत्ती बुझ गई, वहाँ खोदा, तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला बहुत खुश हुआ और सतगुरु का शुक्राना करने लगा थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जा कर ऐश करूँगा I मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा हीरे मोती मिल गये ।खुशी बहुत बढ़ गई, मग़र मन की भूख भी बढ़ गई ।तीसरी मोमबत्ती जलाई और उत्तर दिशा में चला वहाँ से भी बेशुमार धन मिल गया।सोचने लगा के चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा के लिये गुरू ने मना किया था, सोचा, शायद वहाँ से भी क़ोई अनमोल चीज़ मिलेगी ।मोमबत्ती जलाई और चला दक्षिण दिशा की ओर, जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से ख़ुदाई करने लगा I खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गयाअंदर एक और दरवाजा दिखाई दिया उसे खोल के अन्दर चला गया।अँधेरे कमरे में उसने देखा, एक आदमी चक्की चला रहा हैसेवक ने पूछा भाई तुम कौन हो ?चक्की चलाने वाला बहुत खुश हो कर बोला, ओह ! आप आ गये ?यह कह कर उसने वो चक्की गुरू के सेवक के आगे कर दीसेवक कुछ समझ नहीं पाया,सेवक चक्की चलाने लगा,सेवक ने पूछा भाई तुम कहाँ जा रहे हो ?अपनी चक्की सम्भालो,आदमी ने केहा,मैने भी अपने सतगुरु का हुक्म नहीं माना था, और लालच के मारे यहाँ फँस गया था, बहुत रोया, गिड़गिड़ाया, तब मेरे सतगुरु ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहाँ आयेगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगीआज तुमने भी अपने गुरु के हुक्म को नहीं माना है, अब भुगतो सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगावो आज भी इंतज़ार कर रहा है, कि कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आयेगा, तभी उसकी मुक्ति हैहमेशा सतगुरु की रज़ा में राज़ी रहना चाहिए, सतगुरू को सब कुछ पता है, कि उनके बच्चों को, कब और क्या चाहिए जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज़्यादा है, बस अब सब्र करो और प्रेम से सत्संग सिमरन करो। अपने गुरु परमात्मा की दी हुई राह पर चलो।जय गुरु जी 🙏🙏#Guru # Greed

Tuesday, 16 April 2024

"ना छेड़ क़िस्सा-ए-उल्फ़त बड़ी लम्बी कहानी है"... मैं ज़माने से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है। #beautifullifeskl

NOBODY IS YOUR ENEMY*ANYONE THAT ANNOYS YOU* --is teaching you patience and calmness.*ANYONE THAT ABANDONS YOU* --is teaching you how to stand up on your own feet.*ANYBODY THAT OFFENDS YOU* --is teaching you forgiveness and compassion.*ANYTHING THAT YOU HATE* --is teaching you, unconditional love.*ANYTHING THAT YOU FEAR* --is teaching you the courage to overcome your fears.*ANYTHING YOU CAN'T CONTROL* --is teaching you to let go.*ANY "NO" YOU GET FROM HUMAN* --is teaching you to be independent.*ANY PROBLEM YOU'RE FACING* --is teaching you how to get a solution to problems.*ANY ATTACK YOU GET FROM PEOPLE* --is teaching you the best form of defence.*ANYONE WHO LOOKS DOWN ON YOU* --is teaching you to look up to CREATOR ( *GOD* ). Always look out for the lesson in every situation you face in every phase of life.Be polite, calm, gentle and thankful to God because He will be with you to the end.Life had taught me lessons. I do not see people at my cross road, because humans are not reliable. I only see God as the author and finisher of my faith.*R E F L E C T I O N S**When you live your life without anyone betraying, hurting, disappointing, disgracing or offending you, then it means you never did anything worthy.* *The beauty of life, is that it comes with disappointments and betrayals, from people you least expect.**Unfortunately, some of us spend so much time crying over these betrayals and disappointments, and end up becoming victims of all circumstances.* *Remember One Thing:* *Holding unto anger is like knocking your head on the wall and expecting the other person to feel the pain. You are only hurting yourself.**The fact is that the world is full of annoying, naughty, stupid and ungrateful people, and you will always come across them at one point or another in life. But the best thing to do, is to deal with them with wisdom and maturity.**You can’t get everyone to love you, think like you or behave like you... never.Patrick

Monday, 15 April 2024

लड़के ! हमेशा खड़े रहेखड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रहीबस उन्हें कहा गया हर बारचलो तुम तो लड़के होखड़े हो जाओछोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहेकक्षा के बाहर.. स्कूल विदाई परजब ली गई ग्रुप फोटो,लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहेवे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..कॉलेज के बाहर खड़े होकर,करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,एक झलक, एक हाँ के लिएअपने आपको आधा छोड़ वे आज भीवहीं रह गए हैं...बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे,मंडप के बाहर बारात का स्वागत करने के लिएखड़े रहे रात भर हलवाई के पास,कभी भाजी में कोई कमी ना रहेखड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाएखड़े रहे विदाई तकदरवाजे के सहारे और टैंट केअंतिम पाईप के उखड़ जाने तकबेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगीवे खड़े ही मिलेंगे...वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर वे खड़े रहेबहन के साथ घर के काम में,कोई भारी सामान थामकरवे खड़े रहेमाँ के ऑपरेशन के समयओ. टी.के बाहर घंटों. वे खड़े रहेपिता की मौत परअंतिम लकड़ी के जल जाने तकवे खड़े रहे ,अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी मेंलड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,क्या यह अकड़ती नहीं.....?- #marad #boys #gents #admit

Wednesday, 10 April 2024

लोग अकेलेपन से त्रस्त है , अकेलेपन को दूर करना चाहते हैं,किसी से मन की कह हल्के हो लेना चाहते हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है इसीलिये कोई पेड़ पौधों से बातें कर रहा है कोई कुत्ते बिल्ली से। मन तो है किसी से बोलें पर समस्या है कि बोलें किससे।भाग कर रिश्तेदारों के पास बोलने जाता है, रिश्तेदार पुराने बही खाते संभाले बैठे साहूकार की तरह हैं, तेरे पिताजी ने तेरी शादी में हमें नहीं बुलाया था जैसी बरसों पुरानी शिकायतों के बंडल निकल आते हैं। इंसान वहां गया था मन हल्का करने और बोझ लिए वापिस लौट आता है।फिर इंसान पड़ोसी के पास जाता है, उसके पास भी कई शिकायतें हैं, पानी को लेकर पार्किंग को लेकर। दोस्तों के पास अब समय नहीं रहा । सहकर्मी तो ऑफिस की बातों के अलावा कुछ सुनते समझते नहीं। हममें से ज्यादातर के जीवनसाथी की रुचियाँ बिल्कुल भिन्न है, आप संगीत की बात करो, वो आज खाने में क्या बनाना है के यक्ष प्रश्न पर अटकी है या आप कोई कविता सुनाना चाहती हैं और वो ट्वेंटी ट्वेंटी के मैच में उलझा है।घबराया इंसान यहां सोशल मीडिया पर आता है, अपने मन की बात यहां कह हल्का हो लेता है। धीरे धीरे उसकी बात सुनने या उसकी जैसी कहने वाले लोगों का एक ग्रुप बनता जाता है। यहां अतीत के उलाहने नहीं हैं, यहां पानी और पार्किंग के झगड़े नहीं हैं, रुचियां समान हैं तभी एक चौपाल सजाए बैठे हैं । यहां जुड़ना सरल है और निकलना उससे भी सरल, कुछ चुभे, बस अनफ़्रेंड करो और भूल जाओ, ज्यादा बुरा लगता हो तो ब्लॉक मारो, मिट्टी पाओ।किसी की कोई बड़ी अपेक्षा नहीं, किसी के ताने नहीं। किसी से आजीवन जुड़े रहने की कोई मजबूरी नहीं।लोग कहते हैं ये दुनिया नकली है मैं कहता हूं यही दुनिया असली है यहां किसी को कुछ खोने पाने का डर नहीं है । जिसे असली जीवन में किसी अखबार में एक लाइन लिखने को नहीं मिल सकती वो यहां चंद्रकांता संतति रच दे कौन रोकता है, सब अपनी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन यहां कर दें समान अवसर है। यदि बन्दा बस अपना मन हल्का करने के उद्देश्य से यहां है, किसी लाइक कमेन्ट फॉलोवर्स की विशाल संख्या की अपेक्षा नहीं है तो उसके लिए यह नकली दुनिया स्वर्ग है।संदीप साहनी

जज:औरत से” हां तो आपके तलाक की जमीन क्या है….? ”औरत :” जमीन शहर के बीचों बीच एक बहुत बड़ा आलीशान बंगला है…और उसके साथ थोड़ी सी खाली जामीन हैं…”जज :” नहीं…नहीं….!! मेरे कहने का मतलब है कि तलाक के लिए ग्राउंड क्या क्या हैं….?? ”औरत :” ग्राउंड तो बंगले के साथ ही है…पर बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है….”जज :” आप समझ नहीं रही हैं…….मैं आधार की बात कर रहा हूँ……”औरत :” आधार कार्ड तो बना हुआ है लेकिन उनका कैमरा अच्छा न होने से फोटो अच्छी नही आई……..”जज:” तलाक की नींव क्या चीज है……?? ”औरत:” नींव काफी गहरी है….आप चिंता ना करें….”जज:” देवी जी आप तलाक क्यों लेना चाहती हैं…….?? ”औरत :” तलाक मैं नहीं मेरे पति लेना चाहते हैं….”जज ( औरत के पति से ) :” आपके अपनी पत्नी से तलाक लेने की वजह क्या है….?? ”पति — यही मगज़मारी जो अभी आपके साथ हुई, मेरे साथ रोज़ होती है..जज की आंख मे आंसू आ गये।😂😂

Friday, 5 April 2024

I grew up in Punjab India, and I never once questioned my mother's income or my father's!! It was never a discussion. 🙆‍♀️We ate homemade meals (which was not an optional choice).🙆‍♀️ We didn't talk unless told to, hence we were known as the silent generation. We never touched anything that did not belong to us.🙆‍♀️ We never opened a refrigerator at anyone's house unless asked to do so.🙆‍♀️ We were taught to respect other people's property. And we were rewarded for acting properly.🙋‍♀️We grew up during a time when we did odd jobs and helped with all chores. 🙋‍♀️We by no means were given everything we wanted. We went outside a lot to play, run with friends, play hide and seek, or go bike riding.🙋‍♀️ We rarely just sat inside. Bottled water was unheard of. If we had a soft drink, it was in a glass bottle, and we didn’t break the bottle when finished. We saved the bottle for the return money.🙋‍♀️We had to tell our parents where we were going, who we were going with, and be home before dark.🙆‍♀️ We LEARNED from our parents instead of disrespecting them and treating them as if they knew absolutely nothing. What they said was LAW and we /you did not question it and you had better know it!🙆‍♀️ We watched what we said around our elders and neighbors because we knew if we DISRESPECTED any grown-up, we would get a real good whooping, it wasn't called abuse, it was called discipline! 🤷‍♀️We held the doors for others and carried the shopping into the house. We gave up our seats for an older person without being asked.🙆‍♀️ You didn't hear swear words on the radio, in songs, or on TV.“Please" and "Thank you" were part of our daily vocabulary!🙋‍♀️The world we live in now is just so full of people who hate and disrespect others. Friends, consider Re-posting if you're thankful for your childhood. I will never forget where I came from and only wish children and people nowadays had half the chance at the fun and respect for real life we grew up with! And we were never bored!!! 🙆‍♀️🙋‍♀️🤷‍♀️

Wednesday, 3 April 2024

एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्यक्या है?बुद्ध ने उसे एक Stone दियाऔर कहा : जा और इस stone कामूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यानरखना stone को बेचना नही है Iवह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पासलेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसेमुझे दे जा"आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखाऔर कहा"एक बोरी आलू ले जा औरइस stone को मेरे पास छोड़ जा"आगे एक सोना बेचने वाले केपास गया उसे stone दिखाया सुनारउस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेचदे" lउसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे देया बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरूने इसे बेचने से मना किया है lआगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stoneदिखाया lजौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहलेउसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उसबेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका lफिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमतीरुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भीइसकी कीमत नही लगाई जा सकतीये तो बेसकीमती है l"वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पासआया lअपनी आप बिती बताई और बोला"अब बताओ भगवान ,मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?बुद्ध बोले :संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे"की बताई lसब्जी वाले के पास गया उसनेइसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई lआगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔरजौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया lअब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है lतू बेशक हीरा है..!!लेकिन,सामने वाला तेरी कीमत,अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत सेलगाएगा।घबराओ मत दुनिया में..तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।Respect Yourself,Love ur selfYou are Unique!

Sunday, 24 March 2024

#maa #mother मां के जाने के बाद मायके छूट जाते हैं मां नहीं है फिर भी मां की याद आती है, ठंड का मौसम होता था, बेफिक्र मां की शाल ओढ लिया करते थे, मां के साथ रजाई में छुप जाया करते थे, रजाई की गर्मी से अधिक मां का साथ अच्छा लगता था, सर्दी जाने कहां गुम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था, मां के साथ कुछ भी बात कर सकते थे, मां कभी बुरा नहीं मानती, बिना कहें बिना जाने सब कुछ जान जाती थी, अपनी मां को मां कहूं या जादूगर बिन मांगे सब कुछ पातें थे, पिता से बहुत कुछ सीखा, संयम, सीखने की शक्ति, माफ करने का गुण, वे कहा करते थे बोलने वाला अपना मुंह गंदा करता है, अपशब्द हमारे शरीर पर कहीं चिपक गए क्या, चिपक गए हो तो ढूंढ कर मुझे लौटा दो, हम हंस पड़ा करते थे, भूल जाओ वह इंसान ऐसा ही है, वह बदलने वाला नहीं खुद को बदल डालो, मां की साड़ी पहन जब मैं गुड़िया गुड़िया खेला करती थी मां साड़ी गंदी होने पर डाटा नहीं करती थी, प्यार किया करती थी, मेरी लाडो रानी ब्याह कर कहीं और चली, ऐसे मीठे संवाद कहती थी, कई वर्ष बीत गए उनसे बिछड़े हुए, उनसी ममता फिर कहीं मिली नहीं, बहुत चाहने वाले हैं फिर भी मां तो मां होती है, मेरे लिए तो सारा जहां थी, अल्प बचत करने का गुण उन्होंने सिखाया भविष्य में बड़ी बचत बनकर तुम्हारे काम आएगा, छोटी-मोटी बातें लेकिन महत्वपूर्ण कहा करती थी, वर्तमान नहीं भविष्य भी सवरेगा अगर मेरी बात पर ध्यान दोगे, मन में कोई स्वास्थ्य नहीं होता है, निस्वार्थ सिर्फ आपका भला चाहती है, पिता आसमान थे जिनकी छत्र छाया मे दुख कभी देखा नहीं, बहुत सौभाग्यशाली रही उन्हीं के हाथों मेरी डोली विदा हुई, जरा सी बात पर रूठ जाऊं तो दौड़ कर गले लगा लेती थी, क्या है क्या हुआ मेरी लाडो रानी चल तुझे कुछ दिलाऊ, मां तेरे हाथ के बने स्वेटर पहनकर बड़े हुए, फुर्सत में बैठना उन्हें पसंद नहीं होता था, कुछ ना कुछ किया करती थी, हर गुण था उन में तभी मुझे मोहब्बत थी उनसे, आज भी हैं, हमेशा रहेगी, अपनी मां का ही अंश हूं ,मां की ही परछाई खुद को कहती हूं..!!

Wednesday, 20 March 2024

रिश्ता _नहीं _सौदा _था. लडके के पिता ने पंडित जी को एक लडकी देखने को कहा ! पण्डित जी बोले हाँ एक लडकी है. अभी कुछ दिनों पहले उसके पिता ने भी एक लडका देखने को कहा था. एक दिन तय हुवा और शादी हो गयी. सब कुछ ठीक चल रहा था कि कुछ महीनो बाद. लडका लडकी मे आये दिन.झगडा होने लगा. वह लडका रोज नशे में घर आता और पत्नी से मारपीट करता वह उसे शारीरिक और मांसिक रूप से परेशान करता... वहीं बहू भी न सास देखती न ससुर अपने पति के जाते ही अपने स्कूल के एक मित्र के साथ फ़ोन पर लग जाती और भूल जाती की वह अब किसी की पत्नी किसी की बहू है. एक दिन उन दोनों के बीच झगडा शुरू हुआ और दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे. गुस्से में आकर लडकी ने आत्महत्या कर ली. लडके को पुलिस ले गयी. अब दोनों घरो के लोग एक दूसरे को गाली देने लगे खानदान को गरियाने लगे मामला कोर्ट पहुंचा. जज सहाब ने सभी को उपस्थित रहने को कहा और उस पंडित को भी बुलाने को कहा जिसने रिश्ता करवाया था..... पंडित जी आये. वकील से पहले जज साहब ही पूछ बैठे ये रिश्ता तुम ने करवाया था.? दोनो घर बर्बाद हो गये. इन लोगों का कहना है की आपको सब पता था फ़िर भी.? पंडित जी ने कहा जज सहाब ये रिश्ता नहीं था. #सौदा था...... क्योंकि लडकी के माता पिता ने कहा.. लडका पैसे वाला हो परिवार छोटा हो. जमीन जायदाद हो. और सास ससुर न भी हो तो कोई बात नहीं... वही लडके के माँ बाप बोले. लडकी दिखने में सुन्दर हो खानदान हमारी बराबरी का हो. लडके को दहेज में गाडी मिले. बाकी हमे कोई सिकायत नहीं.. और मैने ये सौदा करवा दिया. साहब इसे रिश्ता नाम देकर. रिश्ते शब्द को अपमानित न करें. अगर इन लोगों को रिश्ता करवाना होता तो लडकी वाले मुझसे कहते... कि लडका बेशक गरीब हो मगर मेहनती हो भरा पूरा परिवार हो. ऐसा घर हो जहाँ मेरी बेटी हंस कर खिलखिलाकर रहे जिस घर में गाड़ी न हो मगर खुशी और संस्कार हो. वही लडका वाले कहते...... बहू बेशक गरीब घर की हो मगर संस्कार हो जो भरे पूरे परिवार से हो जो घर को घर बनाकर रखे. कुछ न हो देने के लिए मगर बडो का अदब और अतिथि का आदर सत्कार हो. बहू धनवान नहीं गुणवान हो. तब कहीं जाकर ये रिश्ता कहलाता जज साहब. और आजकल तो रिश्ते कम और सौदा अधिक होता है. इन के माता पिता भी बराबर के दोषी है इस तरह के मानसिकता वाले लोगों को जरूर सजा मिलनी चाहिए.. जज सहाब सोच में पड गये. बोले पंडित जी आपने मेरे हृदय में भी एक चुभन पैदा कर दी क्योंकि मैने भी अपने बच्चों को सब कुछ दिया आज का आधुनिक माहौल भी दिया. मगर संस्कार देने में शायद मै भी चूक गया....!!

Thursday, 7 March 2024

बाबूजी ने करवट बदली और खखारे, ज़ोर लगा कर लरज़ते सुर में बोले,बेटा! आठ मार्च तो कल ही है ना? मैंने झुंझलाहट में भरकर, लहजे में कुछ तेज़ी लाकर, कहा कि कितनी बार बताऊं। ये ही काम बचा है मेरा, टेप करा कर रख देता हूं, उसको ही तुम सुनते रहना, मेरा पीछा छोड़ो बाबा। आठ मार्च को क्या है ऐसा? क्या कोई जागीर मिलेगी? ख़ामोशी छा गई थी कुछ पल। पहले गीली आंखें पोंछीं, लहजे में फिर शहद घोल कर, सहमें सहमें आहिस्ता से, बोले मेरा जनम दिवस है, कल मैं पचहत्तर का हूंगा। ज़हरीले से सुर में मैंने,चुटकी लेते हुए कहा था, तुम्हें बुढ़ापे में भी बाबा, कितनी चाहत है जीने की,अरे ज़िन्दगी में से बाबा, एक साल कम हो जाएगा। बाबूजी फिर प्यार से बोले, बेटा जब तू बच्चा था ना, मेरी गोद में बैठ के तेरा, रोज़ाना का काम यही था, मेरा बर्डे कब है बाबा? तेरा माथा चूम के फिर में, रोज़ रोज़ ये बतलाता था। फिर हम दोनों, रोज़ाना ये प्लान बनाते, ग़ुब्बारे औ केक, खिलौने, डेकोरेशन कैसे होंगे? मैं तो कभी नहीं झुंझलाया, तेरे पास तो समझाने को मैं था बेटा। मेरे पास तो तू है बेटा। पचहत्तर का जब मैं हूंगा, ढाई सौ रुपए मेरी पिन्शन बढ़ जाएगी। मेरा चश्मा उतर गया है, ठीक दिखाई नहीं दे रहा, सोच रहा था, नम्बर लेकर बनवा लेंगे। तुझ पर क्यों कर बोझ बढ़ाऊं। मेरी ऐसी उम्र में बेटा बूढ़े बच्चे एक बराबर, तेरे भी तो दांत नहीं थे, मेरे भी अब दांत नहीं हैं, याददाश्त भी साथ नहीं है। एक बात ही बार बार तब तू भी पूछा करता था, एक बात ही बार बार अब मैं भी पूछा करता हूं। तेरे पास तो बाबूजी थे, मेरे पास तो तू है बेटा। तेरे पास तो बाबूजी थे, मेरे पास तो तू है बेटा। ~सलीम आफ़रीदी

Monday, 26 February 2024

*गुलज़ार साहब ने कितनी खूबसूरती से बता दिया कि जिंदगी क्या है।**-कभी तानों में कटेगी,**कभी तारीफों में;**ये जिंदगी है यारों,**पल पल घटेगी !!**-पाने को कुछ नहीं,**ले जाने को कुछ नहीं;**फिर भी क्यों चिंता करते हो,**इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,**ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!**बार बार रफू करता रहता हूँ,**..जिन्दगी की जेब !!**कम्बखत फिर भी,**निकल जाते हैं...,**खुशियों के कुछ लम्हें !!**-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...**ख़्वाहिशों का है !!**ना तो किसी को गम चाहिए,**ना ही किसी को कम चाहिए !!**-खटखटाते रहिए दरवाजा...,**एक दूसरे के मन का;**मुलाकातें ना सही,**आहटें आती रहनी चाहिए !!**-उड़ जाएंगे एक दिन ...,**तस्वीर से रंगों की तरह !**हम वक्त की टहनी पर...*,*बेठे हैं परिंदों की तरह !!**-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!**बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!**घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।**संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!**-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",**ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";**बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!**-जीवन की किताबों पर,**बेशक नया कवर चढ़ाइये;**पर...बिखरे पन्नों को,**पहले प्यार से चिपकाइये !!* *"गुलजार"*

#beti #bahu #sasural ससुराल में वो पहली सुबह - आज भी याद है.!!.. 😢. .. 😢. . . 😢कितना हड़बड़ा के उठी थी, ये सोचते हुए कि देर हो गयी है और सब ना जाने क्या सोचेंगे ?एक रात ही तो नए घर में काटी है और इतना बदलाव, जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया को, किसी ने सोने के मोतियों का लालच देकर, पिंजरे में बंद कर दिया हो।शुरू के कुछ दिन तो यूँ ही गुजर गए। हम घूमने बाहर चले गए।.जब वापस आए, तो सासू माँ की आंखों में खुशी तो थी, लेकिन बस अपने बेटे के लिए ही दिखी मुझे।सोचा, शायद नया नया रिश्ता है, एक दूसरे को समझते देर लगेगी, लेकिन समय ने जल्दी ही एहसास करा दिया कि मैं यहाँ बहु हूँ। जैसे चाहूं वैसे नही रह सकती।कुछ कायदा, मर्यादा हैं, जिनका पालन मुझे करना होगा। धीरे धीरे बात करना, धीरे से हँसना, सबके खाने के बाद खाना, ये सब आदतें, जैसे अपने आप ही आ गयीं, घर में माँ से भी कभी कभी ही बात होती थी, धीरे धीरे पीहर की याद सताने लगी। ससुराल में पूछा, तो कहा गया -अभी नही, कुछ दिन बाद!..जिस पति ने कुछ दिन पहले ही मेरे माता पिता से, ये कहा था कि पास ही तो है, कभी भी आ जायेगी, उनके भी सुर बदले हुए थे।अब धीरे धीरे समझ आ रहा था, कि शादी कोई खेल नही। इसमें सिर्फ़ घर नही बदलता, बल्कि आपका पूरा जीवन ही बदल जाता है।..आप कभी भी उठके, अपने मायके नही जा सकते। यहाँ तक कि कभी याद आए, तो आपके पीहर वाले भी, बिन पूछे नही आ सकते।..मायके का वो अल्हड़पन, वो बेबाक हँसना, वो जूठे मुँह रसोई में कुछ भी छू लेना, जब मन चाहे तब उठना, सोना, नहाना, सब बस अब यादें ही रह जाती हैं।..अब मुझे समझ आने लगा था, कि क्यों विदाई के समय, सब मुझे गले लगा कर रो रहे थे ? असल में मुझसे दूर होने का एहसास तो उन्हें हो ही रहा था, लेकिन एक और बात थी, जो उन्हें अन्दर ही अन्दर परेशान कर रही थी, कि जिस सच से उन्होंने मुझे इतने साल दूर रखा, अब वो मेरे सामने आ ही जाएगा।..पापा का ये झूठ कि में उनकी बेटी नही बेटा हूँ, अब और दिन नही छुप पायेगा। उनकी सबसे बड़ी चिंता ये थी, अब उनका ये बेटा, जिसे कभी बेटी होने का एहसास ही नही कराया था, जीवन के इतने बड़े सच को कैसे स्वीकार करेगा ?माँ को चिंता थी कि उनकी बेटी ने कभी एक ग्लास पानी का नही उठाया, तो इतने बड़े परिवार की जिम्मेदारी कैसे उठाएगी?..सब इस विदाई और मेरे पराये होने का मर्म जानते थे, सिवाये मेरे। इसलिए सब ऐसे रो रहे थे, जैसे मैं डोली में नहीं, अर्थी में जा रही हूँ।..आज मुझे समझ आया, कि उनका रोना ग़लत नही था। हमारे समाज का नियम ही ये है, एक बार बेटी डोली में विदा हुयी, तो फिर वो बस मेहमान ही होती है।..फिर कोई चाहे कितना ही क्यों ना कह ले, कि ये घर आज भी उसका है ? सच तो ये है, कि अब वो कभी भी, यूँ ही अपने उस घर, जिसे मायका कहते हैं, नही आ सकती..!!🙏🙏 #हर_बेटी_मेरी #Betiyaan #hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

ढेर सारी किताबें पढ़कर, डॉक्टर, इंजीनियर,वकील,प्रोफेसर, वैज्ञानिक , प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी बनने के बाद भी अगर दिमाग में अंधविश्वास, सड़े-गले विचार, अवैज्ञानिक पुराने तौर-तरीके वैसे ही बने रहें तो यह किताबी ज्ञान गधे पर रखी किताबों का बोझ जैसा है। इतना ज्ञान हासिल करने का क्या फ़ायदा जबकि आपका दिमाग पाखण्डी अन्धविश्वास से भरा है तो आपका ज्ञान व्यर्थ है

Sunday, 18 February 2024

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय,बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।निंदक नियरे राखिये दोहे का अर्थ है कि हमें निंदा करने वाले इन्सान को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, ऐसा इन्सान हमारे अंदर की दुर्बलता और कमियों को हमारे सामने लाता है जिस कारण हम बिना पानी, साबुन के ही निर्मल हो जाते हैं।व्यक्ति का चरित्र ही उसकी पहचान है हर किसी में कुछ ना कुछ अवगुण जरुर होते हैं, पर अगर उसके साथ में ऐसा व्यक्ति है यानि की निंदक है ,जो उसके इन अवगुणों को उसे बिना हिचकिचाहट के बता देता है तो वह इंसान इन अवगुणों को गुणों में बदल सकता है इसीलिए कहा गया गया है कि निंदक आपके चरित्र और व्यवहार को निर्मल करता है।निंदा करने वाले को पास रखने का क्या मतलब है?, हमें पानी या साबुन की आवश्यकता के बिना शुद्ध होने में मदद करते हैं। आलोचना को अपने नजदीक ही रखना चाहिए. ” “” शब्द उस आलोचक को संदर्भित करता है जो आलोचनाएँ प्रदान करता है...

#story को जरूर पढ़ना ✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी.तभी टीचर ने बच्चों से पूछा - अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?किसी ने कहा - मैं वीडियो गेम खरीदुंगा..किसी ने कहा - मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा..किसी ने कहा - मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी..तो, किसी ने कहा - मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी..एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था टीचर ने उससे पुछा - तुम क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे ?बच्चा बोला -टीचर जी मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !टीचर ने पूछा - तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ?बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया !बच्चे ने कहा -- मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है, और कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ.!टीचर -- बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है ! ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और, ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना और, मेरी इच्छा है, तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं !20 वर्ष बाद..........बाहर बारिश हो रही है, और अंदर क्लास चल रही है !अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रूकती है स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं !स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं !मगर ये क्या ?जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं, और कहते हैं -- सर मैं .... उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ !पूरा स्कूल स्टॉफ स्तब्ध !वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो पड़ता हैं !दोस्तों --*मशहूर होना, पर मगरूर मत बनना।**साधारण रहना, कमज़ोर मत बनना।**वक़्त बदलते देर नहीं लगती..*शहंशाह को फ़कीर, और फ़क़ीर को शहंशाह बनते,*देर नही लगती ....*यह छोटी सी कहानी आप के साथ शेयर की है, अगर दिल को छू गयी हो तो कृपया शेयर करें। 🙏🏻😊😊🙏🏻🙏🏻😊😊🙏🏻..#beautifullife #Hindi #story #kahani #motivational

Saturday, 17 February 2024

एक बहुत ग़रीब लकड़हारा था।वह प्रतिदिन जंगल में जाकर लकड़ी काटता और उसे गांव ले जाकर बेचता था। लकड़ी काटना और बेचना ही उसका काम था। इसी से उसका घर चलता था। लकड़हारा जंगल से जब लकड़ी काट कर चलता, तो रास्ते में एक राजा का महल पड़ता था। राजा महल की छत पर खड़ा होकर रोज़ देखता कि सिर पर लकड़ी उठाए लकड़हारा चला जा रहा है। रोज लकड़हारे को रोज देखते हुए राजा को उस पर दया आने लगी थी औऱ वह सोचने लगा कि बेचारा कितनी मेहनत करता है। सारा दिन लकड़ियां काटता है और बेचता है।लकड़हारा भी राजा को दूर महल की छत पर देखता, सोचता राजा कितना अच्छा है,वो रोज़ उसकी ओर दया व करुणा से देखता है।इस तरह मन की तरंगों से दोनों के बीच एक रिश्ता बन गया था। राजा लकड़हारे की ओर देख कर मुस्कुराता। लकड़हारा राजा की ओर देख कर मुस्कुराता। दोनों मन ही मन एक दूसरे के प्रति प्रेम व सम्मान रखते । दिन गुज़रते रहे। एक दिन लकड़हारे के हाथ चंदन की लकड़ी लग गई। वो उसे बेचने गांव की ओर चला।अब चंदन की लकड़ी भला कौन खरीदता? इतनी महंगी लकड़ी। बेचारा लकड़हारा सिर पर लकड़ी का गट्ठर उठाए रोज़ गांव की ओर जाता। राजा उसे महल की छत से देखता।लकड़हारा लकड़ी नहीं बिकने से उदास था।अचानक उसके मन में ख्याल आया कि अगर राजा मर जाए तो उसे जलाने के लिए अवश्य ही चंदन की लकड़ी की ज़रूरत पड़ेगी।अब लकड़हारा मन ही मन राजा के मरने की दुआ करने लगा।लकड़हारा रोज़ जंगल से लौटते हुए राजा की ओर देखता, मन ही मन सोचता कि काश राजा की मृत्यु हो जाती ।इधर लकड़हारे का मन बदला, उधर राजा का भी मन परिवर्तित हो गया ।राजा को अचानक लगने लगा कि वो तो राजा है। उसका इतना बड़ा महल है। ये गरीब लकड़हारा रोज़-रोज़ इस रास्ते से अपनी गरीबी प्रदर्शित करते हुए गुज़रता है। इसे कोई हक नहीं कि वो इधर से आए-जाए।इससे राज्य की बदनामी हो रही है।कल तक जिस लकड़हारे को देख कर राजा का मन खुश होता था, आज उसे देख कर उसके मन में नफरत होने लगी । राजा ने सिपाहियों को बुलाया और आदेश दिया कि इस लकड़हारे को पकड़ कर जेल में बंद कर दो। अब लकड़हारा जेल में बंद हो गया।राजा इतने से ही नहीं माना। उसने उस लकड़हारे को मौत की सजा भी सुना दी। महामंत्री को जब ये बात पता चली तो उसे बहुत हैरानी हुई। राजा ऐसे तो किसी को सज़ा नहीं सुनाते। फिर आज क्या बात हुई?महामंत्री जेल में लकड़हारे से मिलने पहुंचे और उन्होंने उससे पूरी कहानी जाननी चाही।लकड़हारा खुद हैरान था कि ऐसा क्यों हुआ ? उसने महामंत्री को पूरी बात बताई कि वो रोज़ महल के सामने से गुज़रता था, राजा उसे देख कर मुस्कुराता था। दोनों के बीच मन ही मन प्रेम का रिश्ता था। पर जिस दिन उसके हाथ चंदन की लकड़ी लगी, उस दिन पहली बार उसके मन में विचार आया कि काश राजा मर जाए और उसे जलाने के लिए उससे चंदन की लकड़ी खरीदी जाए। बस उसी दिन से राजा का भी मन बदल गया। महामंत्री समझदार था। वो समझ गया कि लकड़हारे के मन में जो भाव राजा के लिए जागा, ठीक वही भाव राजा के मन में भी लकड़हारे के लिए जाग गया है। दिल से दिल का ये रिश्ता भी अजीब होता है। जब तक लकड़हारे के मन में राजा के प्रति ऐसे विचार नहीं आए थे, उधर से भी प्रेम टपक रहा था। जिस दिन लकड़हारे के मन में राजा के मरने की बात आई उस दिन राजा को भी उससे नफरत होने लगी । महामंत्री ने राजा को पूरी बात विस्तार से बताई औऱ साथ ही साथ उसने लकड़हारे को भी अपने विचार औऱ सोच राजा के प्रति शुद्ध रखने की हिदायत दी।राजा ने पूरी बात समझ लकड़हारे को माफ़ कर दिया औऱ फ़िर दोनों की भावना पहले जैसी हो गई।हम जिसके प्रति अपने मन में जैसी भावना रखते हैं ,हमारे प्रति भी उस व्यक्ति के मन मे बिलकुल वैसी ही भावना पनप जाती है।दिल से दिल का रिश्ता भी बहुत अज़ीब होता है।जीवन में अपना मन,भावना औऱ विचार बिलकुल शुद्ध व पवित्र रखना बेहद ज़रूरी है।गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है.......जाकी रही भावना जैसी...प्रभु मूरत देखी तिन तैसी...!!#story. #hindikahani

Wednesday, 14 February 2024

फूल को यदि उड़ना आता तो नि:संदेह उड़कर जाता और खोज लाता रूठी तितली कोजो अब तक नहीं आई,और बसंत उसकी राह तककरचला भी गया.ख़त को यदि पता मालूम होता तोनि:संदेह पहुँच जाता उस चौखट परजिसके लिए लिखा गया थालेकिन डाकिया पता बताने वाले की राह तककर चला भी गया.हमें ज़रा भी समझ होती तो नि:संदेह पढ़ लेते तुम्हारी आँखें कि जिसमें सिर्फ़ मेरी इबारत लिखी थीलेकिन हम निपट अनपढ़ और प्रेम हमारे इकरार की राह तककर चला भी गया.जीवन में ठहरे हर पतझड़ काबस अंत हो,बसंत हो....

फूल नहीं जानता वह कौनसा फूल हैहवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता हैजमीन भी कहाँ तय कर पाती हैकौन सा फूल कब गिरेगापत्तियों को भी कहाँ पता होगा खुद का रंगबारिश भी कितना जानती होगी अपनी बूंदों कोक्या तुम बता सकते होसिल बटटे की हरी चटनी का तीखापनमात्र उसको देख कर ही,नहीं ना ?फिर क्यों करते हो खुद का आकलन परिक्षण किये बिना ही,क्यों स्वीकार्य करते हो पूर्वानुमानों कोजब करना चाहते हो प्रयास,क्यों भिगोते हो खुद को अनगिनत आभाओं सेजब रचना है तुम्हे स्वर्णिम इतिहाससुबह की शुरूआत हमेशा सूरज से नहीं होतीकई बार वो खुद के जागने से भी होती हैक्या तुमने देखा है ऐसा कोई वसंत जोबिना पतझड़ के आया होनहीं ना?फिर क्यों होते हो व्यथित संघर्ष पथ परजब जानते हो सफलता का मार्ग संघर्ष से ही संभव हैतुम साहस से भरे हुए हो तुम में सारे रस हैओ सारे रसो से परिपूर्ण मनुष्य तुम नहीं जानते तुम कौन हो।- सौंदर्या

Saturday, 10 February 2024

होटल पर बैठे एक शख्स ने दूसरे से कहा यह होटल पर काम करने वाला बच्चा इतना बेवकूफ है कि मैं पाँच सौ और पचास का नोट रखूंगा तो यह पचास का ही नोट उठाएगा। और साथ ही बच्चे को आवाज़ दी और दो नोट सामने रखते हुए बोला इन मे से ज़्यादा पैसों वाला नोट उठा लो, बच्चे ने पचास का नोट उठा लिया।दोनों ने क़हक़हे लगाए और बच्चा अपने काम मे लग गया पास बैठे शख्स ने उन दोनों के जाने के बाद बच्चे को बुलाया और पूछा तुम इतने बड़े हो गए तुम को पचास और पाँच सौ के नोट में फर्क नही पता।यह सुनकर बच्चा मुस्कुराया और बोला-- यह आदमी अक्सर किसी न किसी दोस्त को मेरी बेवक़ूफ़ी दिखाकर एन्जॉय करने के लिए यह काम करता है और मैं पचास का नोट उठा लेता हूँ, वह खुश हो जाते है और मुझे पचास रुपये मिल जाते है, जिस दिन मैंने पाँच सौ उठा लिया उस दिन यह खेल भी खत्म हो जाएगा और मेरी आमदनी भी।ज़िन्दगी भी इस खेल की ही तरह है हर जगह समझदार बनने की जरूरत नही होती, "जहां समझदार बनने से अपनी ही खुशियां मुतासिर होती हो वहां बेवक़ूफ़ बन जाना समझदारी है।"

Sunday, 4 February 2024

स्त्रियांबाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती हैऔर तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।स्त्रियांकिचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती हैऔर तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???स्त्रियांबाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???स्त्रियांबच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???स्त्रियांकही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।स्त्रियांबच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।स्त्रियां दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार 😘 करती है...Dedicated to all ladies🙏💎✨ #नारी सशक्तिकरणCopied

Sunday, 21 January 2024

#oldtime#newtimeA young man asked his grandfather, "Grandpa, how did you live in the past without technology . . .without computerswithout droneswithout bitcoinswithout Internet connectionwithout TVswithout air conditionerswithout carswithout mobile phones?"Grandpa answered:"Just as your generation lives today . . .no prayers,no compassion,no respect,no GMRC,no real education,poor personality,there is no human kindness,there is no shame,there is no modesty,there is no honesty.We, the people born between the years 1930-1980, were the blessed ones. Our lives are a living proof."¶ While playing and riding a bike, we have never worn a helmet.¶ after school we did our homework ourselves and we always played in meadows until sunset¶ We played with real friends, not virtual friends.¶ If we were thirsty, we would drink frim the fountain, from the waterfalls, faucet water, not mineral water.¶ We never worried and get sick even as we shared the same cup or plate with our friends.¶ We never gained weight by eating bread and pasta every day.¶ Nothing happened to our feet despite walking barefoot.¶ We never used food supplements to stay healthy.¶ We used to make our own toys and play with them.¶ Our parents were not rich. They gave us love, not material gifts.¶ We never had a cell phone, DVD, PSP, game console, Xbox, video games, PC, laptop, internet chat . . . but we had true friends.¶ We visited our friends without being invited and shared and enjoyed the food with their family.Parents lived nearby to take advantage of family time.¶ We may have had black and white photos, but you can find colorful memories in these photos.¶ We are a unique and the most understanding generation, because we are the last generation that listened to their parents.And we are also the first ones who were forced to listen to their children.~We are limited edition.Take advantage of us. Learn from us. We are a treasure destined to disappear soon

Monday, 15 January 2024

Alwida Munawwar Rana saab 🙏 मां' पर किसने क्या नहीं लिखा ! लेकिन जैसा मुनव्वर ने लिखा वैसा किसी ने नहीं लिखा, ख़ासकर उर्दू साहित्य में। उर्दू ग़ज़ल में मुनव्वर राना से पहले सब कुछ था- माशूक़, महबूब, हुस्न, साक़ी, तरक़्क़ीपसंद अदब और बग़ावत इत्यादि पर 'मां' नहीं थी। इसलिए उन्होंने कहा भी है कि- ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती हैछू नहीें सकती मौत भी आसानी से इसकोयह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए हैयूँ तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिनमाँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती हैविज्ञापनवह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गयामाँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी हैमैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी हैसिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे 'राना'रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देतेमैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसूमुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होतीबस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की 'राना'माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती हैगले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैंअभी मस्जिद के दरवाज़े पे माँएँ रोज़ आती हैंऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गयामाँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गयाइस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती हैमेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँमाँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँलिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकतामैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती हैयारों को मसर्रत मेरी दौलत पे है लेकिनइक माँ है जो बस मेरी ख़ुशी देख के ख़ुश हैतेरे दामन में सितारे होंगे तो होंगे ऐ फलक़मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगीजब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती हैमाँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती हैघेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईंढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती मुझे तो सच्ची यही एक बात लगती हैकि माँ के साए में रहिए तो रात लगती है#munawwarranasahab #maa #,beautifullife

Tuesday, 9 January 2024

गलती सिर्फ एक पल की ही होती है, परन्तु उससे होने वाले प्रभाव को हम सारा जीवन महसुस करते हैं.।

मैं अब किसी को अपने जीवन से जाने से नहीं रोकती। जो जाना चाहता है उसे कोई भी दलील दे कर रुक जाने को मजबूर भी नहीं करती।एक वक्त था जब किसी अज़ीज़ के चले जाने के अहसास भर से ही दिल दहक जाता था। रोते, ऐसा लगता था की उनके जाने के बाद जीवन में कुछ और बचेगा ही नहीं, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ कई ठोकरें खाने के बाद ये समझ आने लगा की हमारे जीवन में आने और जाने वाले लोग हमारे जीवन का मात्र एक हिस्सा भर है पूरा जीवन नहीं।अब मैं जाने वालों को वास्ता देकर रोकती नहीं, बल्कि उन्हें रास्ता देकर उनकी मुश्किल आसान बना देती हूं।बहुत से लोग समझ रहे होंगे कि मैं समझदार हो गई हूं, लेकिन मुझसे पूछे तो मैं कहूँगी की मैं अब थोड़ी चालाक और कठोर हो गई हूं।जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव ने कब मेरी मासूमियत छीन ली उसका एहसास ही नहीं हुआ।कितनी चालाकी से वक्त मासूमियत छीन कर समझदारी का झोला थमा देता है हमें। 2024 का पहला पन्ना मेरी कलम से.✍️😌

Sunday, 7 January 2024

*E L I M I N A T I O N I N L I FE*🙋‍♀️ *Three Stages of Elimination in Life:*🌹🌹🌹*At the age of 60,* *the workplace eliminates you.* *No matter how successful or powerful you were during your career,* *You'll return to being an ordinary person.**So, don't cling to the mindset and sense of superiority from your past job,**let go of your ego, or you might lose your sense of ease!**At the age of 70,* *society gradually eliminates you.* *The friends and colleagues you used to meet and socialize with become fewer,* *and hardly anyone recognizes you at your former workplace.* *Don't say,* *"I used to be..."* *or "I was once..."* *because the younger generation won't know you, and you mustn't feel uncomfortable about it!**At 80/90, family slowly eliminates you.* *Even if you have many children and grandchildren,* *most of the time you'll be living with your spouse or by yourself.* *When your children visit occasionally, it's an expression of affection, so don't blame them for coming less often, as they're busy with their own lives!**After 90, the Earth wants to eliminate you.**At this point, don't be sad or mournful,* *Because this is the way of life, and everyone will eventually follow this path!**Therefore, while our bodies are still capable, live life to the fullest!* *Eat what you want, drink what you desire, play and do the things you love.**Remember,* *the only thing that won't eliminate you is the Whatsapp group.* 🙋‍♀️*So, communicate more in the group,* 🙋‍♀️*say a hello, maintain your presence, be happy, and have no regrets!**Stay blessed always* 🤷‍♀️(*Dedicated to Senior Citizens* )

Thursday, 4 January 2024

#maa #mother.मां के जाने के बाद मायके छूट जाते हैं मां नहीं है फिर भी मां की याद आती है, ठंड का मौसम होता था, बेफिक्र मां की शाल ओढ लिया करते थे, मां के साथ रजाई में छुप जाया करते थे, रजाई की गर्मी से अधिक मां का साथ अच्छा लगता था, सर्दी जाने कहां गुम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था, मां के साथ कुछ भी बात कर सकते थे, मां कभी बुरा नहीं मानती, बिना कहें बिना जाने सब कुछ जान जाती थी, अपनी मां को मां कहूं या जादूगर बिन मांगे सब कुछ पातें थे, पिता से बहुत कुछ सीखा, संयम, सीखने की शक्ति, माफ करने का गुण, वे कहा करते थे बोलने वाला अपना मुंह गंदा करता है, अपशब्द हमारे शरीर पर कहीं चिपक गए क्या, चिपक गए हो तो ढूंढ कर मुझे लौटा दो, हम हंस पड़ा करते थे, भूल जाओ वह इंसान ऐसा ही है, वह बदलने वाला नहीं खुद को बदल डालो, मां की साड़ी पहन जब मैं गुड़िया गुड़िया खेला करती थी मां साड़ी गंदी होने पर डाटा नहीं करती थी, प्यार किया करती थी, मेरी लाडो रानी ब्याह कर कहीं और चली, ऐसे मीठे संवाद कहती थी, कई वर्ष बीत गए उनसे बिछड़े हुए, उनसी ममता फिर कहीं मिली नहीं, बहुत चाहने वाले हैं फिर भी मां तो मां होती है, मेरे लिए तो सारा जहां थी, अल्प बचत करने का गुण उन्होंने सिखाया भविष्य में बड़ी बचत बनकर तुम्हारे काम आएगा, छोटी-मोटी बातें लेकिन महत्वपूर्ण कहा करती थी, वर्तमान नहीं भविष्य भी सवरेगा अगर मेरी बात पर ध्यान दोगे, मन में कोई स्वास्थ्य नहीं होता है, निस्वार्थ सिर्फ आपका भला चाहती है, पिता आसमान थे जिनकी छत्र छाया मे दुख कभी देखा नहीं, बहुत सौभाग्यशाली रही उन्हीं के हाथों मेरी डोली विदा हुई, जरा सी बात पर रूठ जाऊं तो दौड़ कर गले लगा लेती थी, क्या है क्या हुआ मेरी लाडो रानी चल तुझे कुछ दिलाऊ, मां तेरे हाथ के बने स्वेटर पहनकर बड़े हुए, फुर्सत में बैठना उन्हें पसंद नहीं होता था, कुछ ना कुछ किया करती थी, हर गुण था उन में तभी मुझे मोहब्बत थी उनसे, आज भी हैं, हमेशा रहेगी, अपनी मां का ही अंश हूं ,मां की ही परछाई खुद को कहती हूं..!!

रिश्तों में मिठास तभी बनी रहती है, जब उनमें चालाकियां ना हों

ना बस में जिंदगी और ना काबू मौत पर, लेकिन इंसान फिर भी ख़ुदा बना फिरता है......#beautifullife #Hindisuvichar